बच्चों और कहानियों के बीच में बहुत ही खास तरह का संबंध होता है बच्चा चाहे कितना ही छोटा क्यों ना हो उसे कहानी सुनना बहुत पसंद होता है और हो भी क्यों ना, कहानियां इतनी प्यारी जो होती हैं।
कहानी लोगों का मनोरंजन करने के साथ-साथ जिंदगी की जरूरी सीख भी देती है। अगर आप भी अपने बच्चों को कहानियों के जरिए अच्छी सीख देना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को जरूर पढ़िए क्योंकि इसमें मैंने कई सारी Short Stories in Hindi बताई है।
बच्चों के लिए छोटी कहानियां कई अलग अलग तरह की होती है। लेकिन मैने यहां कुछ चुनिंदा और बेहतरीन कहानीयां सांझा की है जो आपके बच्चों को बहुत अच्छी लगेगी।
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Short Stories in Hindi | बच्चों के लिए छोटी कहानियां [हिंदी में]
छोटे बच्चों को इंसानों से ज्यादा जानवरों की कहानी सुनना पसंद होता है। लेकिन ज्यादातर लोगों को जानवरों की कोई अच्छी कहानी आती ही नहीं है इसीलिए हम आपको अलग-अलग जानवरों व इंसानों की कहानी सुनाएंगे ताकि आप अपने बच्चों को अलग-अलग तरह की कहानी सुनाकर खुश कर सकें।
हाथी और चींटी की कहानी | Elephant and ant story in hindi
बहुत समय पहले की बात है जंगल में एक बहुत घमंडी हाथी रहता था वह अपने से छोटे सभी जानवरों को बहुत परेशान किया करता था। वह अपने घर के पास बने चींटी के घर पर अपने सूट से पानी भरकर छिड़कता था।
हाथी के इस व्यवहार से सभी चीटियां बहुत परेशान थी। लेकिन हाथी के इतने बड़े आकार के कारण वो रोने के अलावा कुछ नहीं कर सकती थीं। चीटियों को परेशान करने के बाद हाथी जोर जोर से हंसता और चीटियों को धमकी देता कि वो उन्हें कुचल कर मार डालेगा। हाथी चीटियों के साथ यह व्यवहार हर रोज किया करता था।
जब हाथी के अत्याचार की हद हो गई। तब चीटियों ने हाथी को सबक सिखाने का मन बनाया। चिट्टियां हाथी के सूड में घुस गई और उसे खूब काटने लगी जिसकी वजह से हाथी दर्द से चिल्लाने लगा और उसे उसकी गलती का एहसास हुआ। जिसके बाद हाथी ने चीटियों के साथ-साथ उन सभी जानवरों से माफी मांगी जिसे वह परेशान किया करता था।
Moral – हमें हमेशा दूसरों के साथ नम्र और दया के साथ पेश आना चाहिए।
लोमड़ी और अंगूर की कहानी | Fox and Grapes Story In Hindi
एक बार एक लोमड़ी को बहुत भूख लगी थी, भूख की वजह से लोमड़ी जंगल में खाना ढूंढने के लिए निकल गई। उसने हर जगह खाने की तलाश की लेकिन उसे कहीं भी खाना नहीं मिला। भूखे होने की वजह से और इतनी देर से खाना तलाशने की वजह से लोमड़ी बहुत ज्यादा थक गई और जंगल के बीचो-बीच जाकर बैठ गई।
जब वह यहां वहां देख ही रही थी, उसकी नजर पेड़ पर उगे हुए ताजे रसीले अंगूरों पर गई। अंगूर का पेड़ थोड़ी ऊंचाई पर था जिसकी वजह से लोमड़ी अंगूर को पकड़ नहीं पा रही थी।
वो बहुत ऊंची ऊंची छलांग मार रही था लेकिन फिर भी उसके हाथ एक भी अंगूर नहीं लगे। काफी कोशिश करने के बाद भी जब लोमड़ी को अंगूर नहीं मिला तो उसने अपने मन में यह सोचा कि पक्का अंगूर खट्टे होंगे। और यह सोचते हुए लोमड़ी अपने घर चली गई।
Moral – जो चीज आप को नहीं मिली वो खराब हो ऐसा जरूरी नहीं है। तो किसी भी चीज को परखे बिना उसके गुण के बारे में कुछ नहीं कहना चाहिए।
घमंडी गुलाब की कहानी | A Proud Red Rose Story In Hindi
दूर रेगिस्तान में एक गुलाब रहता था जिसे अपनी सुंदरता पर बहुत ज्यादा घमंड था वो अपने आसपास उगे हर फूल की बुराई करता था और उनका बहुत मजाक भी उड़ाया करता था। गुलाब के आसपास के पेड़ पौधे हमेशा उसे समझाने की कोशिश करते थे लेकिन उसे अपनी खूबसूरती पर बहुत नाज था।
एक दिन रेगिस्तान में खूब गर्मी पड़ी जिसकी वजह से रेगिस्तान का सारा पानी सूख गया। परिणामस्वरूप नन्हे पौधों के लिए जरा भी पानी नहीं बचा।
पानी ना होने की वजह से गुलाब के फूल की पत्तियां मुरझाने लगी और उसका सुंदर रंग भी ढलने लगा अपनी इस हालत को देखकर फूल को बहुत शर्मिंदगी महसूस हुई। उसने कैक्टस से माफी मांगी और उससे थोड़ा पानी मांगा। नर्मदिल कैक्टस ने गुलाब को थोड़ा पानी देकर उसकी जान बचा ली।
Moral – हमें कभी भी किसी को भी उसके बाहरी अस्तित्व को देखकर सही या गलत नहीं आकना चाहिए।
सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी | Golden Egg Story In Hindi
एक समय की बात है, एक किसान के पास एक जादुई मुर्गी थी वह हर दिन एक सोने का अंडा देती थी। जिससे किसान और उसके परिवार का पूरे दिन का खर्चा निकल जाता था। जिसकी वजह से किसान और उसका परिवार काफी खुश भी था।
पर एक दिन किसान के मन में लालच आ गया उसने सोचा कि हर दिन एक ही सोने का अंडा क्यों लिया जाए ? जब वह एक बार में सारे सोने के अंडे ले सकता है ! उसने अपने इस विचार के बारे में अपनी पत्नी से बात की और उसकी पत्नी भी किसान की बात पर राजी हो गई।
अगले दिन जैसे ही मुर्गी ने सोने का अंडा दिया वैसे ही किसान ने चाकू लेकर मुर्गी का पेट चीर डाला और बाकी के मुर्गी के अंडे ढूंढने लगा।
लेकिन उसके हाथ एक भी अंडा नहीं लगा। जिसके बाद किसान को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह जल्दी-जल्दी मुर्गी का इलाज करने लगा। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि तब तक मुर्गी मर चुकी थी। जिसके बाद किसान रोने के अलावा कुछ नहीं कर सकता था।
Moral – लालच का फल हमेशा बुरा होता है।
घमंडी हिरण की कहानी |
एक जंगल में एक हिरण रहता था उसे अपने लंबे और बड़े-बड़े सींगों पर बहुत ज्यादा अभिमान था। वह हमेशा अपनी सींगों की तारीफ करता और हमेशा अपने पैरों की बुराई करता था क्योंकि उसके पैर बहुत पतले थे।
एक दिन जंगल में शिकारी कुत्तों का झुंड घुस आया उन्होंने हिरण को खाने के लिए उसको खूब दौड़ाया। अपनी जान बचाने के लिए हिरण अपनी पतली- पतली टांगों से तेज तेज दौड़ने लगा। लेकिन अचानक से उसकी खूबसूरत सींगें पेड़ की डालियों में जाकर फस गई जिसकी वजह से शिकारी कुत्तों ने उसे पकड़ लिया और उसे मार डाला।
जब हिरण अपनी अंतिम सांसे ले रहा था तब उसे एहसास हुआ कि उसके सुंदर सींगों के कारण उसकी यह दशा हुई है। जबकि उसके पतले पतले पैर उसे शिकारी कुत्तों से आसानी से बचा सकते थे।
Moral – हमे हमेशा किसी भी चीज को उसके गुणों के आधार पर परखना चाहिए ना कि उसके बनावट के आधार पर।
किसान और कुंए की कहानी | The Farmer And The Well Story In hindi
एक गांव में एक किसान रहता था वो अपने खेत के लिए पानी के स्त्रोत की तलाश कर रहा था। तभी उसकी नजर उसके पड़ोसी के कुएं पर गई। किसान ने अपने खेत के लिए कुए को खरीद लिया।
दूसरे दिन जब किसान कुए पर पानी लेने गया तब उसके पड़ोसी ने उसे यह कहकर पानी देने से मना कर दिया कि मैंने तुम्हें कुआं बेचा था, ना कि उसका पानी!
पड़ोसी की इस बात को सुनकर किसान पूरा हैरान रह गया। उसने दिन रात सोचा कि अब क्या किया जाए ? काफी सोचने के बाद उसके दिमाग में एक युक्ति आई।
अगले दिन किसान पड़ोसी के पास गया और उसने उससे कहा कि तुमने मुझे अपना कुंआ बेचा था ना तो आप यह पानी मेरे कुए से निकालो ! क्योंकि तुम मुझे अपना कुआ बेच चुके हो और अब कुंए पर तुम्हारा कोई अधिकार नहीं है।
किसान की बात सुनकर उसके पड़ोसी को उसकी गलती का एहसास हुआ और उसने किसान से माफी मांगी। और फिर किसान को कुएं से पानी लेने दिया।
Moral – इस कहानी से हमे ये सीख मिलती है कि हमे कभी भी छल नहीं करना चाहिए, क्योंकि छल करने से कुछ नहीं मिलता है।
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कछुआ और सारस की कहानी। Tortoise And Swan Story In Hindi
दूर तालाब में एक कछुआ रहता था वह बहुत ज्यादा बातें किया करता था। उसने पूरे तालाब की मछलियों से दोस्ती कर ली थी। हालांकि कछुआ बहुत बोलता था लेकिन वो दिल का बहुत अच्छा था।
इसीलिए सभी उससे दोस्ती कर लेते थे एक दिन तालाब में दो सारस आकर बैठे। कछुए ने सारसे भी दोस्ती कर ली। सारस और कछुआ दोनों बहुत बातें किया करते थे।
जब कछुआ सारस को आसमान में उड़ते हुए देखता तो उसे भी उड़ने की इच्छा होती। वह अपनी इच्छा सभी को बताने लगा लेकिन सभी उसे समझाने लगे कि उसके पास पंख नहीं है जिसके कारण वह उड़ नहीं सकता है।
जब यह बात कछुए ने दोनों सारस को बताई तब सारस ने भी बाकियों की तरह कछुए को यही कहा कि तुम नहीं उड़ सकते हो पर कछुआ बहुत जिद करने लगा।
कछुए ने सारस को कहा कि आप दोनों इस डंडे को पकड़ लीजिए। मैं भी डंडे को अपने मुंह से पकड़ लूंगा और आपके साथ उड़ चलूंगा। कछुए की बात सुनने के बाद सारस ने उसे समझाया कि आप ऐसा नहीं कर सकते हैं। क्योंकि आपको बात करने की आदत है अगर आपने उड़ान के दौरान बात की तो आप गिर जाएंगे।
पर कछुआ कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। उसने सारस को कहा कि तुम मेरी फिक्र बिल्कुल मत करो मुझे कुछ नहीं होगा और मैं बात नहीं करूंगा। जिसके बाद सारस ने डंडे को पकड़ लिया और कछुए के साथ उड़ान भरने लगा।
लेकिन बात करने की आदत की वजह से कछुआ ज्यादा देर तक चुप नहीं रह सका। उसने बात करने के लिए जैसे ही अपना मुंह खोला वैसे ही उसकी पकड़ डंडे से छूट गई और वह नीचे गिर गया जिसके बाद उसकी मौत हो गई।
Moral – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि ज्यादा बोलना हमेशा हमें नुकसान पहुंचाता है इसीलिए हमें ज्यादा नहीं बोलना चाहिए।
चींटी और टिड्डा की कहानी | Ant and Grasshopper Story In Hindi
गर्मी का दिन था चींटी और टिड्डा दोनों अपने-अपने घरों में थे। सभी चीटियां जहां सर्दियों में खाने के लिए भोजन इकट्ठा करने जा रही थी वही टिड्डा अपने घर पर लेटा हुआ आराम कर रहा था।
तेज गर्मी में जब चींटी खाना इकट्ठा कर रही थी तब टिड्डा उनके पास आकर उनका मजाक उड़ाता है और उनसे कहता है कि तुम लोग कितने बोरिंग हो, तुम हमेशा काम करते रहते हो मुझे देखो मैं कितनी अच्छे से अपनी जिंदगी जीता हूं।
टिड्डे की बात पर चीटियां ध्यान नहीं देती है और अपना काम करती रहती हैं। जिसके बाद जब सर्दियों का समय आता है तब चीटियां अपने घर पर आराम करती हैं और आराम से खाना खाती हैं।
लेकिन वहीं टिड्डा जो पहले आराम कर रहा था वो सर्दियों में खाना ना पचने के कारण भूख से तड़पने लगता है। जिसके बाद उसे अपनी गलती का एहसास होता है।
Moral – इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि मेहनत करने और आराम करने का अपना अपना समय होता है तो सही समय पर उचित काम करना चाहिए।
एकता की शक्ति | Power Of Unity Story
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक लकड़हारा रहता था उसके चार बेटे थे। चारों बेटे आपस में हमेशा लड़ते रहते थे जिसकी वजह से लकड़हारा बहुत परेशान रहता था।
लकड़हारे को आए दिन अपने बेटों की शिकायतें सुनने को मिलती थी इसीलिए एक दिन लकड़हारे ने अपने बेटे को सुधारने का फैसला किया।
उसने अपने सारे बेटों को अपने पास बुलाया और सभी के हाथ में एक एक लकड़ी दी। फिर उन सभी लकड़ियों को तोड़ने को कहा।
पिता की आज्ञा पर सभी बेटो ने लकड़ियों को तोड़ डाला। जिसके बाद लकड़हारे ने सभी को पतली लकड़ियों का एक बंडल साथ तोड़ने को कहा। लकड़हारे की सभी बेटों ने लकड़ियां तोड़ने की कोशिश की लेकिन बंडल किसी से भी नहीं टूटा।
तब लकड़हारे ने अपने बेटे को समझाया कि अगर तुम लोग अलग-अलग रहोगे तो कोई भी तुम्हें आकर तोड़ सकता है। लेकिन अगर तुम एक साथ हो जाओ तो कोई भी तुम्हें नहीं तोड़ पाएगा।
Moral – ये कहानी हमें सिखाती है कि हमें अलग अलग नहीं बल्कि एक साथ मिलकर रहना चाहिए।
कबूतर और चींटी की कहानी | Pigeon And Ant Story In Hindi
एक बार एक कबूतर नदी के पास वाले पेड़ पर बैठा था। अचानक उसकी नजर नदी पर गई उसने देखा कि एक चींटी पानी में डूब रही है। कबूतर ने देर ना करते हुए एक पत्ता पेड़ से टोड़ा और चींटी को दे दिया।
चींटी झट से पते पर चढ़ गई और उसकी जान बच गई। चींटी ने कबूतर की इस दया भावना के लिए उसे धन्यवाद किया और अपने रास्ते चली गई।
कुछ दिनों बाद उसी नदी के किनारे पक्षियों का शिकार करने वाला शिकारी आया। चींटी ने शिकारी को देख लिया। कुछ दूर आगे बढ़ने के बाद चींटी की नजर उस कबूतर पर गई जिसने उसकी जान बचाई थी।
चींटी ने देखा कि कबूतर शिकारी द्वारा बिछाए जाल के दाने को खाने के लिए आगे बढ़ रहा है। तो कबूतर की जान बचाने के लिए चींटी ने शिकारी के पैर पर काट लिया जिससे उसकी चीख निकल गई। कबूतर ने शिकारी की चीख को सुन लिया और वहां से उड़ गया। जिससे कबूतर की जान बच गई।
Moral – अगर आप दया भाव दिखा कर दूसरे की मदद करते हैं तो जरूरत पड़ने पर वह व्यक्ति भी आपकी मदद करेगा।
शेर और चूहे की कहानी | Lion And Mouse Story In Hindi
एक जंगल में एक खूंखार शेर रहता था! जंगल के सभी जानवर उससे बहुत डरते थे। उसी जंगल में एक छोटा सा चूहा भी रहता था एक दिन चूहा घूमते फिरते शेर के गुफा में चला गया।
शेर अपनी गुफा में सो रहा था। चूहा बड़े मजे से शेर के ऊपर कूदने लगा! जिससे शेर की नींद खुल गई और उसने चूहे को अपने पंजे में पकड़ लिया।
चूहा शेर से अपनी जान बक्श देने की मिन्नतें करने लगा। चूहा शेर को बोलने लगा कि आप मेरी जान बख्श दो एक दिन मैं आपके काम आऊंगा !
शेर चूहे की बात सुनकर जोर जोर से हंसने लगा! और कहने लगा तू इतना छोटा सा है और तू मेरे काम आएगा। चूहे को अपनी जान के लिए इस तरह मिन्नतें करते देखकर शेर को उस पर दया आ गई और उसने चूहे की जान बख्श दी।
इस घटना के कुछ दिन बाद ही जंगल में एक शिकारी आया जिसने शेर को अपनी मोटी रस्सी के जाल में फांस लिया। चूहे ने भी दूर से शिकारी को शेर को पकड़ते हुए देखा तो वह देर ना करते हुए शेर के पास गया।
और उसके जाल की रस्सी अपने दांतों से काट कर शेर को शिकारी के कब्जे से आजाद कर दिया। जिसके बाद शेर ने चूहे से माफी मांगी और उसे अपना दोस्त बना लिया।
Moral – इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी को भी उसका आकार देखकर छोटा नहीं समझना चाहिए।
धोबी और सियार की कहानी
बहुत समय पहले की बात है एक सियार एक धोबी के घर में घुस गया। वह धोबी के घर पर यहां वहां घूमने लगा। जब उसे धोबी की आवाज सुनाई दी तब वह कपड़े रंगने वाले नील के हौधे में छुप गया। जब से सियार वहां से बाहर निकला तब वह पूरा नीला हो चुका था जिसकी वजह से जंगल का कोई भी जानवर उसे पहचान नहीं पा रहा था। सभी जानवर उससे डरने लगे थे।
जिस पर सियार ने सभी को कहा कि डरने की कोई बात नहीं है भाइयों मैं ईश्वर का दूत हूं! मुझे ईश्वर ने तुम लोगों का राजा बना कर भेजा है। जिसके बाद सभी जानवरों ने सियार को राजा बना लिया। एक दिन जब सियार सभी जानवरों के साथ दरबार लगाकर बैठा था तभी अचानक से उसे बाकी सियारों के चिल्लाने की आवाज सुनाई दी।
अपने ही प्रजाति के जानवरों की आवाज सुनकर नीला सियार भी जोर जोर से चिल्लाने लगा जिससे सभी जानवरों को यह समझ आ गया कि यह कोई भगवान का दूत नहीं बल्कि एक साधारण सियार है। जिसके बाद सभी जानवरों ने मिलकर सियार की खूब पिटाई गई और उसे जंगल से भगा दिया।
Moral – झूठ चाहे कितनी भी अच्छे से बोला गया हो एक दिन सच सबके सामने आ ही जाती है।
व्यापारी और गधे की कहानी | Donkey Story In Hindi
एक व्यापारी के पास एक गधा था। व्यापारी अपने गधे के ऊपर नमक की बोरियां लादकर उसे शहर ले जाता था। एक दिन जब व्यापारी अपने गधे को लेकर शहर जा रहा था।
तब पैर फिसल जाने की वजह से गधा तालाब में गिर गया जिसकी वजह से उसके पीठ पर लगा हुआ नमक पानी में गिर गया और उसके शरीर पर लदा बोझ हल्का हो गया।
जिसके कारण गधा रोज तालाब में गिरने लगा ताकि उसके शरीर पर लगा हुआ बोझ कम हो जाए। कुछ दिन ऐसे ही बीत गए फिर गधे को व्यापारी की चाल समझ आई।
इस बार व्यापारी ने गधे पर नमक की बोरियां लादने की जगह रुई की बोलियां लाद दी। जिसकी वजह से जब गधा जानबूझकर पानी में गिरा तब उसके शरीर पर लगा हुआ भार और भी बढ़ गया। जिसके बाद व्यापारी जोर-जोर से हंसने लगा और गधा को बोला कि तुम मुझसे होशियारी दिखा रहे थे ना तो तुम्हें यह सबक मिलना चाहिए!
Moral – कभी-कभी ज्यादा होशियारी दिखाना बहुत भारी पड़ सकता है।
कछुआ और खरगोश की कहानी | Rabbit and Tortoise Short Story In Hindi
बहुत समय पहले की बात है जंगल में एक बहुत ही घमंडी खरगोश रहता था वह हर किसी का मजाक बनाता था। उसी जंगल में एक कछुआ भी रहता था खरगोश उस कछुए का भी बहुत मजाक उड़ाता था क्योंकि कछुआ बहुत ही धीरे चलता था।
एक दिन जब खरगोश कछुए का मजाक बना रहा था तभी उन दोनों के बीच एक शर्त लगी उन दोनों ने रेस लगाने का निश्चय किया। इस रेस में जो सबसे तेज दौड़ता वही विजय माना जाता।
खरगोश और कछुए दोनों ने हीं पूरे जोश के साथ रेस को शुरू किया खरगोश तेज तेज दौड़ कर आगे चला गया और सोचने लगा कि कछुआ अभी धीरे-धीरे आएगा तब तक मैं थोड़ी देर सो लेता हूं।
और यही सोचकर खरगोश सो गया लेकिन कछुआ अपनी चाल में चलता रहा जिसकी वजह से कछुआ रेस जीत गया और तेज दौड़ने वाला खरगोश हार गया।
Moral – इस कहानी से हमें सीख मिलती है कि हमें हमेशा तेज नहीं बल्कि निरंतर चीजों को करने की जरूरत होती है। क्योंकि तभी हम उस काम में सफल हो सकते हैं जैसे कछुआ हुआ।
स्वामी और शिष्यों की कहानी
एक बार एक स्वामी ने अपने कुछ शिष्यों को कहा कि मैं बहुत बीमार हूं और मुझे बचाने के लिए तुम सभी को जंगल के उस पार पहाड़ में जाकर मेरे लिए एक जड़ी बूटी लानी होगी।
ध्यान रहे इस जड़ी बूटी को लाने में 12 से 15 दिन का समय लगता है तो तुम सभी अभी से निकल जाओ। शिष्य को इतना कहकर स्वामी जी अपनी ध्यान साधना में लीन हो गए।
जब 15 दिन पूर्ण हुए और स्वामी जी ने अपनी आंखें खोली। तब उन्होंने देखा कि उनकी सिर्फ एक ही शिष्य उनके लिए वो जड़ी बूटी लाई है।
क्योंकि बाकी के शिष्य यही सोच रहे थे कि अभी उनके पास बहुत समय है और वह बाद में जाकर जड़ी बूटी ले आएंगे। ऐसा करते करते ही उनके पास मौजूद सारा समय समाप्त हो गया अंततः वह अपने स्वामी के लिए जड़ी-बूटी नहीं ला पाए।
Moral – यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें अपने काम को कल पर नहीं टालना चाहिए बल्कि आज ही अपना कार्य करके उसे खत्म करना चाहिए।
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