केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में धारा 370 खत्म करने के पश्चात् अब एक नया कानून लेकर आयी है | जिससे वहां के नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया भी आ रही है | जम्मू कश्मीर के नेता इस कानून को लेकर विरोध कर रहे है | संसद में एक प्रस्ताव पारित किया किया है इस नए प्रस्ताव का नाम अधिवास (डोमिसाइल कानून) है | इस नए अधिवास के नियमानुसार, जम्मू कश्मीर के सभी प्रवासियों को भी शामिल किया जाना है जिन्हे पूर्ववर्ती राज्य के राहत एवं पुनर्वास आयुक्त (प्रवासी) द्वारा रजिस्टर किया जा चुका हैं।
इस नए नियम को गैजेट में 31 मार्च से अधिसूचित कर लागू किया गया है। यदि आप भी अधिवास (डोमिसाइल कानून) क्या होता है, अधिवास या Domicile के क्या नियम है, इसके विषय में जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो इसकी यहां पर जानकारी दी जा रही है |
अधिवास (डोमिसाइल कानून)
केंद्र सरकार ने जम्मू – कश्मीर पर एक बड़ा निर्णय लेते हुए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का निवासी होने के दर्जे पर बदलाव करके एक नया नियम बनाया है। इस नियम के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 15 साल से रह रहे नागरिकों हैं, अब इस केंद्रशासित प्रदेश का नागरिक माना जायेगा। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में 7 साल या उससे अधिक पढ़ाई करने वाले को भी और वहां के स्थानीय संस्थान में 10वीं-12वीं की परीक्षा दे चुका हो, वह भी इस केंद्रशासित राज्य का नागरिक होगा।
अधिवास या Domicile के नियम
1. जम्मू कश्मीर में 7 साल तक पढ़ चुका हुआ व्यक्ति
जम्मू-कश्मीर में कम से कम 7 वर्षों तक पढ़ाई कर चुका व्यक्ति जो वहां के स्थानीय संस्थान से 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं दे चुका होगा, वह इस प्रदेश का नागरिक होगा | इस तरह के लोग अपने इलाके के तहसीलदार से मूल निवासी सर्टिफिकेट बनवा सकते हैं।
2. 15 वर्षों से निवासी रहने वाला व्यक्ति
यदि जम्मू कश्मीर का कोई भी नागरिक नहीं है, फिर भी वह अधिवास के नए नियम के मुताबिक , कश्मीर में जो भी व्यक्ति 15 साल गुजार चुका हैं, अब वह इस केंद्रशासित राज्य का नागरिक माना जायेगा | वह इस राज्य का मूल निवास प्रमाण पत्र बनवा सकेंगे |
3. 10 साल तक सेवा देने वाले अधिकारियों के बच्चे
इस नए नियम में बदलाव के मुताबिक जम्मू कश्मीर राज्य में 10 साल तक सेवा दे चुका हो इसके अंतर्गत अखिल भारतीय सेवाओं (क्लास-ए) के अफसरों, सार्वजनिक उपक्रम, सरकारी बैंकों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों या केंद्र सरकारी कर्चारियों के बच्चे भी यहाँ के मूल निवासी माने जायेंगे। जो पहले से राहत और पुनर्वास आयुक्त द्वारा जम्मू कश्मीर में शरणार्थी या प्रवासी का दर्जा प्राप्त कर चुके है, वह भी यहाँ की नागरिकता प्राप्त करने के पात्र होंगे।
प्रधानमंत्री केयर फण्ड क्या है
उमर अब्दुल्ला ने की आलोचना
केंद्र सरकार के इस फैसले पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री नैशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि , ‘जब हमारे सभी प्रयास और पूरा ध्यान कोविड-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने पर होना चाहिए, तब सरकार जम्मू कश्मीर में नया अधिवास कानून लेकर आई है। जब हम देखते हैं कि ऐसा कोई भी संरक्षण कानून से नहीं मिल रहा है, जिसका वादा किया गया था, तब यह पहले से लगी चोट को और गंभीर कर देता है।’
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