दीपावली (Deepawali) के त्यौहार का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व है, इस त्यौहार की तैयारियां लोग एक महीने पहले से करते है | इस त्यौहार के लिए लोगों के अंदर एक अलग तरह का उत्साह प्रदर्शित होता है | इस दिन लोग अपने-अपने घरों को झालरों और रंगोली से सजाते है साथ ही तरह -तरह के पकवान भी बनाते है |
सभी लोग इस दिन पटाखें जलाते है | पटाखों के लिए लोगों के अंदर एक अलग तरह की उमंग दिखाई देती है | सभी लोग इस त्यौहार को भारत देश में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाते है |
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दिवाली क्यों मनायी जाती है?
यह त्यौहार लगातार 5 दिनों तक मनाया जाता है, इसमें हर दिन का एक अलग ही महत्व होता है, यहाँ पर दीपावली से जुड़ी 7 ऐसी ही रोचक कथाओं व मान्यताओं के बारे में बताया जा रहा है, यह इस प्रकार हैं-
1- भगवान राम जब अयोध्या लौटे थे
दीपावली के लिए मान्यता है कि भगवान राम रावण का वध करके चौदह वर्ष का वनवास पूरा करने के पश्चात अयोध्या वापस आये थे | नगरवासियों ने पूरे अयोध्या को रोशनी से सजा दिया था | तब से पूरे भारत में दीपावली का पर्व मनाया जाने लगा है | इसे आज भी बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है |
2- हिरण्यकश्यप का वध
एक पौराणिक कथा में बताया गया है कि, विष्णु ने नरसिंह रूप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था। दैत्यराज की मृत्यु पर प्रजा ने घी के दीये जलाकर दिवाली मनाई थी।
3- कृष्ण ने नरकासुर का वध
जब कृष्ण भगवान् ने अत्याचारी नरकासुर का वध दीपावली के एक दिन पहले चतुर्दशी को किया था। इसके बाद इसी खुशी को मनाने के लिए उसके अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थीं।
4- शक्ति ने धारण किया जब महाकाली का रूप
महाकाली ने राक्षसों का वध किया था उस समय वह बहुत ही क्रोधित थी | इनके क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव स्वयं उनके सामने लेट गए थे | भगवान शिव के शरीर के स्पर्श मात्र से ही देवी महाकाली का क्रोध समाप्त हो गया था | इसी की याद में उनके शांत रूप लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है, इसी रात इनके रौद्ररूप काली की पूजा का भी विधान है |
5- राजा बलि से लिया गया दान
भगवान वामन ने राजा बलि से दान में तीन कदम भूमि मांग ली और विराट रूप लेकर तीनों लोक ले लिए। इसके बाद सुतल का राज्य बलि को प्रदान किया। सुतल का राज्य जब बलि को मिला तब वहां उत्सव मनाया गया, तबसे दीपावली की शुरुआत हो गई |
6- समुद्र मंथन
समुद्र मंथन के समय जब क्षीरसागर से महालक्ष्मीजी उत्पन्न हुई तो उस समय भगवान नारायण और लक्ष्मीजी का विवाह प्रसंग किया गया | इसके बाद से ही हर जगह उजियारा करने के लिए दीपक जलाएं गए तब से दीपावली का त्यौहार मनाया जाने लगा |
7- एक विशेष मान्यता
एक अन्य मान्यता है कि, “आदिमानव ने जब अंधेरे पर प्रकाश से विजय पाई, तबसे यह उत्सव मनाया जा रहा है। इसी दौरान आग जलाने और उनके साधनों की खोज हुई। उस खोज की याद में वर्ष में एक दिन दीपोत्सव मनाया जाता है।”
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8-जब प्रकट हुए लक्ष्मी, धन्वंतरि व कुबेर
- पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक, दीपावली के दिन ही माता लक्ष्मी दूध के सागर, जिसे केसर सागर के नाम से जाना जाता है, से उत्पन्न हुई थीं। साथ ही समुद्र मन्थन से आरोग्यदेव धन्वंतरि और भगवान कुबेर भी प्रकट हुए थे।”
- यह त्यौहार अधिकतर लोगों को पसंद है क्योंकि दीपक आनंद प्रकट करने के लिए जलाए जाते हैं | वहीं, भारतीय संस्कृति में दीपक को सत्य और ज्ञान का द्योतक माना जाता है, क्योंकि वो स्वयं जलता है, पर दूसरों को प्रकाश देता है। दीपक की इसी विशेषता के कारण धार्मिक पुस्तकों में उसे ब्रह्मा स्वरूप माना जाता है | “
- ये भी कहा जाता है कि, ‘दीपदान’ से शारीरिक एवं आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है | जहां सूर्य का प्रकाश नहीं पहुंच सकता है, वहां दीपक का प्रकाश पहुंच जाता है, दीपक को सूर्य का भाग ‘सूर्यांश संभवो दीप |’ कहा जाता है।
- धार्मिक पुस्तक ‘स्कंद पुराण’ के मुताबिक, दीपक का जन्म यज्ञ से हुआ है। यज्ञ देवताओं और मनुष्य के मध्य संवाद साधने का माध्यम है, यज्ञ की अग्नि से जन्मे दीपक पूजा का महत्वपूर्ण भाग है | “
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