पृथ्वी सौर्यमंडल का एक ऐसा ग्रह है, जहाँ पर जीवन संभव है | पृथ्वी पर कई प्रजाति के जीव – जंतु पाए जाते है | जहाँ पर ऋतुओं के अनुसार फसलें बोई जाती है और खाने के लिए अनाज या अन्य प्राकृतिक चीजें पृथ्वी से जल और थल से निकलती है | अब विज्ञान काफी तेज हो गया है, और नए रिसर्च के साथ पृथ्वी पर बहुत सारे निर्माण कार्य होते आ रहे है | परन्तु कभी – कभी ऐसा होता है कि कुछ प्राकृतिक आपदाएं आती है, जिससे मानव जीवन पूरी तरह से अस्त – व्यस्त हो जाता है | यदि कोई भी प्राकृतिक आपदा आती है तो सबसे ज्यादा मानव जीवन प्रभावित होता है | प्राकृतिक आपदा कई तरीकों से हो सकती है, सुनामी, बाढ़, भूकंप, सूखा, और महामारी ये ऐसी आपदाएं होती है | जिनसे पूर्ण रूप से विज्ञान भी निपटने में कामयाब नहीं है |

विज्ञान इन आपदाओं से पहले अलर्ट अवश्य कर सकता है, परन्तु इससे पूरी तरीके से बचाव या बदल नहीं सकता है | इन्हीं प्राकृतिक आपदाओं में एक आपदा भूकंप है, यदि यह आपदा भयंकर रूप से आती है तो इससे बहुत ज्यादा जान – माल का नुकसान होता है | यदि आप भी यह जानना चाहते है कि भूकंप (Earthquake) कैसे आता है, इसके कारण – भूकंप को कैसे मापा जाता है इसके विषय में जानना चाहते है तो यहाँ पर पूरी विस्तृत जानकारी दी जा रही है |
भूकंप (Earthquake) कैसे आता है – कारण
धरती में मुख्यतः तीन लेयर यानि कि परत में होती है | जिसमे सबसे ऊपरी परत को क्रस्ट कहा जाता हैं और इस क्रस्ट से पूरी धरती घिरी होती है | इसका मतलब हमारे रहने वाली जमीन और नदी-समंदर के नीचे की भी जमीन की परत बहुत ही मोटी होती है | जो हमारे सामने होती हैं, इससे भी बहुत ज्यादा गहरी होती है |
हमारी जमीन में बहुत सारी प्लेट्स होती हैं जो आड़ी-तिरछी, इधर-उधर, एक दूसरे में पूरी तरह से फंसी हुई है | यदि इनमें से एक हिलती तो दूसरी भी हिलने लगती है | जब इस तरह का प्लेट्स में खिंचाव बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, तो ऊपर की जमीन में भूकंप के झटके महसूस होने लगते है | वैज्ञानिकों के अनुमान से करोड़ों वर्षों पहले जब कई प्लेट्स का ऐसे ही टकराव हुआ था, तब इसी टकराव की वजह से कई सारे पहाड़ बन गए थे |
पृथ्वी की पूरी जमीन पर कई फॉल्ट जोन हैं | यानि कि कई जगहों पर प्लेट्स एक-दूसरे से मिलती हैं | अब इस तरह के मेल-जोल होने पर खटपट तो होती ही है भूकंप ऐसे ही फॉल्ट जोन में आता है |
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भूकंप (Earthquake) का कारण
1.स्ट्राइक – स्लिप (Strike-Slip)
Strike-Slip में प्लेट्स अगल-बगल खिसकती हैं | इसका सबसे बड़ा उदाहरण है अमेरिका के कैलिफ़ोर्निया का सैन एंड्रियाज फॉल्ट है |
2.डिप – स्लिप (Dip-Slip)
डिप – स्लिप घटना के दौरान प्लेट्स ऊपर-नीचे हिलती हैं, तब भूकंप के झटके महसूस होते है | उत्तरी अमेरिका और प्रशांत महासागर वाली प्लेट में ऐसा देखने को मिलता है |
3.ऑब्लिक (Oblique)
इस घटना के दौरान प्लेट्स ऊपर-नीचे और अगल-बगल दोनों तरफ खिसकती है | सैन फ्रांसिस्को में ऐसा देखने को मिला है | इस तरह की घटना समुद्र में होने पर पानी की धार बदल जाती है और सुनामी आ जाती है |
भूकंप को कैसे मापा जाता है
भूकंप मापने के लिए उसमें दो चीजें देखी जाती हैं, मैग्नीट्यूड और इंटेंसिटी यानि कि कितना आया और कितनी जोर से आया इसकी माप रिक्टर स्केल से की जाती है |
धरती पर जब प्लेट्स आपस में टकराती हैं, तो एनर्जी उत्पन्न होती है और ये तरंग के रूप में निकलती है | इसके लिए सीज्मोमीटर नाम का एक यंत्र बैठाया जाता है | वैसे क्षेत्र में जिससे 100-200 किलोमीटर दूर भूकंप आते हैं | तब भूकंप की तरंग आ के सीज्मोमीटर से टकरा जाती है | यह बढ़ा-चढ़ा के इसकी नाप करता है | फिर दूरी और तरंग के आधार पर एक फ़ॉर्मूले के नियम के तहत रिक्टर स्केल पर नंबर बताया जाता है | और भी एक-दो तरीके हैं, पर रिक्टर वाला फार्मूला ज्यादा प्रयोग किया जाता है |
रिक्टर स्केल पर 3 तक के ज्ञात नहीं हो पाते, पर 4 से गड़बड़ शुरू हो जाती है, 6 वालों से गंभीर खतरा पैदा होता हैं | धरती के नीचे जहां भूकंप आरम्भ होता है, उसे फोकस कहा जाता हैं | इसके ठीक ऊपर की दिशा में जमीन का जो केंद्र होता है, उसको एपीसेंटर कहा जाता हैं | सीज्मोमीटर इसी पॉइंट से भूकंप की तीव्रता नापता है |
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