टेस्ट ट्यूब बेबी या आईवीएफ क्या होता है



दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं, जिनका माँ बाप बनने का सपना नहीं पूरा हो  पाता  है क्योंकि वर्तमान समय में  लोगों के जीवन में इतनी अधिक भागदौड़ रहती है कि, वह अपना अधिकतर समय अपने कामो में ही बिता देते है , जिसका पूरा प्रभाव उसकी जीवनशैली पर पड़ता है | वर्तमान समय में दुनिया भर में ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी प्रजनन की समस्या को लेकर बहुत अधिक परेशान रहते हैं | बहुत सी महिलायें ऐसी भी होती हैं, जो माँ न बनने की वजह से बाँझ कही जाती हैं और इस तरह में लोग माँ बाप बनने के लिए हर तरह के प्रयास करते हैं ताकि, वो भी सभी लोगों की तरह अपने  बच्चे के माँ बाप बन सके |

वहीं अब माँ बाप बनने का एक और रास्ता है, जिससे लोग उम्मीद न होने के बावजूद भी माँ बाप बन सकते है और अपना जीवन सफल बना सकते है | टेस्ट ट्यूब बेबी यह एक ऐसी तकनीकि हैं जिसकी सहायता से लोग माँ बाप बन सकते है | इसलिए यदि आप भी टेस्ट ट्यूब बेबी के विषय में जानना चाहते हैं, तो यहाँ पर आपको टेस्ट ट्यूब बेबी या आईवीएफ क्या होता है, आईवीएफ का फुल फॉर्म, प्रक्रिया की जानकारी प्रदान की जा रही है| 

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टेस्ट ट्यूब बेबी या आईवीएफ क्या होता है

टेस्ट ट्यूब बेबी या आईवीएफ एक  ऐसी प्रक्रिया है, जिससे महिलाओं के गर्भधारण में सहायता प्राप्त होती है, क्योंकि इस प्रक्रिया में महिलाओं के अंडाशय से अंडाणु को  बाहर निकाल लिया जाता है और फिर उसको पुरुषो के शुक्राणु के साथ लेब्रोटरी में निषेचित  कर दिया जाता है। इसके बाद  निषेचित अंडे और शुक्राणु को  मिला लिया जाता है, जिसके बाद एक भ्रूण तैयार होने लगता है | भ्रूण तैयार होने के बाद  भ्रूण को  महिला के गर्भ में  डाल दिया जाता  है, जिसके बाद महिला के गर्भाशय में  बच्चा तैयार होने की शुरुआत  हो जाती है। टेस्ट ट्यूब बेबी की जाने वाली इस प्रक्रिया में पत्नी के अंडाणु और पति के शुक्राणु को लेब्रोटरी में टेस्ट करके मिला लिया  जाता है, लेकिन यदि इन दोनों मे से किसी एक के शुक्राणु या अंडाणु में किसी प्रकार की समस्या होती है, तो  किसी तीसरे डोनर के अंडाणु या शुक्राणु को मिलाया जाता है। जिससे बच्चे के भ्रूण आसानी से तैयार हो सके |

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आईवीएफ का फुल फॉर्म

आईवीएफ का फुल फॉर्म “इन विट्रो फर्टिलाइजेशन” होता है, जिसे हिंदी और आम भाषा में “टेस्ट ट्यूब बेबी या आईवीएफ” कहा जाता है | बेबी टेस्ट ट्यूब एक ऐसी सफल होने वाली प्रक्रिया है जिसकी सहायता से माँ न बनने वाली महिला भी एक माँ बन सकती है और खुद अपने गर्भाशय से एक बच्चे को जन्म दे सकती है |  

दुनिया में पहला टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म कब हुआ 

टेस्ट ट्यूब की सहायता  से दुनिया में सबसे पहले सन 1978 में एक बच्चे का जन्म हुआ था, जिसका नाम लुईस ब्राउन रखा गया था | यह प्राकृतिक चक्र आईवीएफ के परिणामस्वरूप पैदा  होने वाला पहला बच्चा था, जहाँ पर बच्चे के जन्म की कोई आशा नहीं थी |   

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टेस्ट ट्यूब बेबी प्रक्रिया या आईवीएफ प्रक्रिया             

टेस्ट ट्यूब बेबी जैसी प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए इसमें कई चरण शामिल किये गए हैं, जिसके बाद ही एक महिला बच्चे को जन्म दे सकती है, जो प्रकार है-

1. प्राकृतिक मासिक धर्म चक्र को दबाना

प्राकृतिक मासिक धर्म चक्र को दबाने के लिए महिला को एक दवा प्राप्त कराई जाती है, जो आमतौर पर दैनिक इंजेक्शन के रूप में होती है, जिसे महिला को लगभग  2 सप्ताह तक प्राप्त करनी होती है |  

2. सुपर ओव्यूलेशन

फर्टिलिटी हार्मोन फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH) युक्त फर्टिलिटी ड्रग्स बेबी टेस्ट ट्यूब धारण करनी वाली महिला को दी जाती हैं। एफएसएच अंडाशय को सामान्य से अधिक अंडे का उत्पादन करता है। योनि अल्ट्रासाउंड स्कैन अंडाशय में प्रक्रिया की निगरानी का काम करते है |

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3. अंडे को पुनः प्राप्त करना

गर्भाशय बच्चे को रोकने के लिए अंडों को एक छोटी शल्य प्रक्रिया के माध्यम से एकत्र किया जाता है, जिसे सरल भाषा में “कूपिक आकांक्षा” के रूप में जाना जाता है। इसके बाद योनि के माध्यम से और एक अंडाशय में एक बहुत पतली सुई डाली जाती है, वह सुई जो एक सक्शन डिवाइस से जुड़ी होती है, जो अंडे को को चूसने का काम करता है। यह प्रक्रिया प्रत्येक अंडाशय के लिए  की जाती है |वहीं 2011 में, शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि, “एक चक्र में अंडाशय से 15 अंडे एकत्र करना एक सफल गर्भावस्था का उच्चतम मौका देता है।”

4.गर्भाधान और निषेचन

एकत्र किये गए अंडो को नर शुक्राणु के साथ पर्यावरण नियंत्रित कक्ष में रखा जाता है। कुछ घंटों के पश्चात् ही , शुक्राणु को अंडे में प्रवेश करना चाहिए। कई बार ऐसा भी  किया जाता है कि, शुक्राणु को सीधे अंडे में इंजेक्ट  कर दिया जाता है। इसे इंट्रासाइटोप्लाज्मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI) के रूप में जाना जाता है | फ्रोजन शुक्राणु, एक ऐसा शुक्राणु होता है जो वृषण बायोप्सी के माध्यम से पुनः प्राप्त, इस्तेमाल किया जा सकता है। जिससे बच्चे को जन्म देने के लिए ताजा शुक्राणु के रूप में प्रभावी माना जाता है। वहीं एक महिला को  प्रोजेस्टेरोन या मानव कोरियोनिक गोनाडोट्रॉफिन (एचसीजी) इसलिए दे दिया जाता है, ताकि गर्भ के अस्तर को भ्रूण प्राप्त करने में थोड़ी सहायता प्राप्त हो सके |

5. भ्रूण स्थानांतरण

महिला के गर्भाशय में तैयार किये गए भ्रूण को रखने के लिए हमेशा एक बच्चा होने की इच्छा रखने वाले दंपति और डॉक्टर को चर्चा करनी आवश्यक होती है, कि कितने भ्रूण स्थानांतरित किए जाने चाहिए। वैसे तो आम तौर पर, एक डॉक्टर केवल एक से अधिक भ्रूण स्थानांतरित करता है लेकिन यह तब करता है जब यदि कोई आदर्श भ्रूण उसके पास नहीं होता है | भ्रूण का स्थानांतरण एक पतली ट्यूब, या कैथेटर के माध्यम से किया  जाता है। यह योनि के माध्यम से गर्भ में प्रवेश करता है। जब भ्रूण गर्भ में पहुंचकर गर्भ के के अस्तर से चिपक जाता है, तो स्वस्थ भ्रूण विकास शुरू  होने लगता है |  

यहाँ पर हमने आपको टेस्ट ट्यूब बेबी के विषय में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई है | यदि इस जानकारी से सम्बन्धित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न आ रहा है, अथवा इससे सम्बंधित अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट के माध्यम से पूँछ सकते है, हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है|

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