Probiotics Meaning in Hindi प्रोबायोटिक्स क्या है, और इनका क्या काम हैं? जानिए फायदे और सुझाव



प्रोबायोटिक्स (Probiotics Meaning in Hindi) आज के समय में स्वास्थ्य और पाचन के क्षेत्र में बहुत चर्चित विषय बन गए हैं। प्रोबायोटिक्स क्या है, और इनका क्या काम हैं? यह सवाल बहुत से लोगों के मन में होता है। सरल भाषा में कहें तो, प्रोबायोटिक्स वे अच्छे जीवाणु होते हैं जो हमारे शरीर खासकर पाचन तंत्र में रहते हैं और हमारे स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। ये छोटे-छोटे जीव हमारे शरीर के अंदर बैक्टीरिया के संतुलन को बनाए रखते हैं, जिससे हम बीमारियों से बच सकते हैं और पाचन तंत्र सही तरीके से काम करता है।

प्रोबायोटिक्स हमारे शरीर के लिए बहुत लाभकारी होते हैं क्योंकि ये न केवल पाचन क्रिया को सुधारते हैं बल्कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाते हैं। इनके सेवन से दस्त, कब्ज, गैस जैसी पाचन संबंधी समस्याएं कम हो सकती हैं। साथ ही, प्रोबायोटिक्स मानसिक स्वास्थ्य में सुधार, वजन नियंत्रण, और हृदय को स्वस्थ रखने में भी सहायक होते हैं। इसलिए आजकल लोग प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स और प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ा रहे हैं।

इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि Probiotics Meaning in Hindi प्रोबायोटिक्स क्या है, और इनका क्या काम हैं? जानिए फायदे और सुझाव ताकि आप अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकें और रोजमर्रा की जिंदगी में प्रोबायोटिक्स का सही उपयोग कर सकें। अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं और पाचन तंत्र को मजबूत बनाना चाहते हैं तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है।

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प्रोबायोटिक्स क्या है? (What are Probiotics in Hindi)

Table of Contents

प्रोबायोटिक्स सूक्ष्म जीव होते हैं, जो हमारे शरीर, विशेषकर पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। ये मुख्य रूप से अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो आंतों में संतुलन बनाए रखते हैं और हानिकारक बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकते हैं। इनका उपयोग अक्सर पाचन सुधारने, गैस और कब्ज जैसी समस्याओं को कम करने में किया जाता है।

प्रोबायोटिक्स प्राकृतिक रूप से कुछ खाद्य पदार्थों जैसे दही, छाछ, अचार, किमची और टेम्पे में पाए जाते हैं। इसके अलावा ये सप्लीमेंट के रूप में भी उपलब्ध होते हैं। जब किसी कारणवश हमारे शरीर में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या कम हो जाती है, तब प्रोबायोटिक्स उन्हें फिर से संतुलित करने में मदद करते हैं।

यह न केवल पाचन तंत्र को ठीक रखते हैं, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, एलर्जी कम करने और कुछ मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में भी सहायक हो सकते हैं। हालांकि, इनका सेवन चिकित्सकीय सलाह से ही करना बेहतर होता है।

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प्रोबायोटिक्स का शाब्दिक अर्थ

प्रोबायोटिक्स शब्द दो ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है – “प्रो” जिसका अर्थ है “के लिए” और “बायोटिक” जिसका अर्थ है “जीवन”। इस प्रकार, प्रोबायोटिक्स का शाब्दिक अर्थ होता है – “जीवन के लिए”। यह नाम इन सूक्ष्म जीवों की शरीर के लिए फायदेमंद भूमिका को दर्शाता है।

प्रोबायोटिक्स अच्छे जीवाणु होते हैं जो हमारे शरीर, विशेषकर आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। ये पाचन क्रिया सुधारते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं।

प्रोबायोटिक्स कैसे काम करते हैं?

प्रोबायोटिक्स शरीर में पहले से मौजूद लाभकारी बैक्टीरिया की संख्या को बढ़ाने और संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। जब हम बीमार होते हैं या एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करते हैं, तो हानिकारक बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं और अच्छे बैक्टीरिया की संख्या घट जाती है। प्रोबायोटिक्स इस असंतुलन को सुधारकर पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखते हैं।

ये अच्छे बैक्टीरिया आंतों की सतह पर एक सुरक्षात्मक परत बनाते हैं, जिससे हानिकारक जीवों को वहां बसने का मौका नहीं मिलता। इसके अलावा, प्रोबायोटिक्स कुछ विशेष प्रकार के एंजाइम भी उत्पन्न करते हैं जो भोजन को पचाने में सहायक होते हैं। इससे गैस, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत मिलती है।

प्रोबायोटिक्स शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत बनाते हैं। ये शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं और सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। नियमित रूप से प्रोबायोटिक युक्त भोजन या सप्लीमेंट लेने से संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।

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प्रोबायोटिक कैप्सूल कब खाना चाहिए?

प्रोबायोटिक कैप्सूल का सेवन आमतौर पर खाली पेट करने की सलाह दी जाती है, ताकि यह सीधे आंतों तक पहुंच सके और प्रभावी ढंग से कार्य कर सके। खाली पेट यानी सुबह उठने के बाद या रात में सोने से पहले इसका सेवन करना अधिक लाभकारी होता है। इससे पेट में मौजूद एसिड का स्तर कम होता है और प्रोबायोटिक जीव अधिक सुरक्षित रहते हैं।

हालांकि कुछ मामलों में डॉक्टर इसे भोजन के बाद लेने की सलाह भी दे सकते हैं, खासकर यदि पेट में एसिड अधिक बनता हो। भोजन के बाद लेने से भी प्रोबायोटिक कैप्सूल पाचन में सहायक होते हैं और आंतों में अच्छे बैक्टीरिया की वृद्धि करते हैं। इससे पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे गैस, अपच और कब्ज में राहत मिलती है।

प्रोबायोटिक कैप्सूल लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए, क्योंकि हर व्यक्ति की शारीरिक स्थिति अलग होती है। अधिक मात्रा में सेवन करने से पेट फूलना या हल्का असहज महसूस हो सकता है, इसलिए संतुलित मात्रा और सही समय का ध्यान रखना जरूरी है।

प्रोबायोटिक्स के प्रकार (Types of Probiotics)

प्रोबायोटिक्स ऐसे जीवाणु और खमीर होते हैं जो शरीर, विशेषकर पाचन तंत्र के लिए लाभकारी होते हैं। अलग-अलग प्रोबायोटिक स्ट्रेन (प्रजातियाँ) शरीर में अलग-अलग तरह से काम करते हैं और अलग-अलग स्वास्थ्य समस्याओं को ठीक करने में मदद करते हैं। नीचे प्रमुख प्रकार के प्रोबायोटिक्स और उनके उपयोग बताए गए हैं।

लेक्टोबैसिलस (Lactobacillus)

यह सबसे सामान्य और व्यापक रूप से प्रयोग होने वाला प्रोबायोटिक है। यह दही, छाछ और अन्य खमीरयुक्त खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। लेक्टोबैसिलस पाचन क्रिया को सुधारता है, दस्त में राहत देता है और लैक्टोज इन्टोलरेंस से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद होता है।

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बीफिडोबैक्टीरियम (Bifidobacterium)

यह प्रोबायोटिक बड़ी आंत में कार्य करता है और कब्ज, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) और आंतों की सूजन जैसी समस्याओं में राहत पहुंचाता है। यह दूध और उससे बने उत्पादों में पाया जाता है और प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है।

सैक्रोमायसेज बौलार्डी (Saccharomyces Boulardii)

यह एक प्रकार का खमीर (yeast) है जो प्रोबायोटिक के रूप में काम करता है। यह एंटीबायोटिक लेने के बाद होने वाले डायरिया, ट्रैवेलर्स डायरिया और अन्य पेट संक्रमणों को ठीक करने में सहायक है। यह प्रोबायोटिक कैप्सूल के रूप में उपलब्ध होता है।

स्ट्रेप्टोकॉकस थर्मोफिलस (Streptococcus Thermophilus)

यह प्रोबायोटिक अक्सर दही और पनीर बनाने में इस्तेमाल होता है। यह लैक्टोज को ग्लूकोज और गैलेक्टोज में तोड़ने में मदद करता है, जिससे दूध पचाने में आसानी होती है। यह आंतों को स्वस्थ रखने और सूजन कम करने में भी सहायक है।

एंटरोकोकस फेसियम (Enterococcus Faecium)

यह प्रोबायोटिक आमतौर पर पशुओं की चिकित्सा में इस्तेमाल होता है, लेकिन कुछ विशेष मामलों में इंसानों में भी उपयोग किया जाता है। यह आंतों के संक्रमण और डायरिया में फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसका सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करना चाहिए।

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एस्पर्जिलस ओरिजे (Aspergillus oryzae)

यह एक फंगस आधारित प्रोबायोटिक है जो जापानी और कोरियन फर्मेंटेड फूड जैसे मिसो और सोया सॉस में पाया जाता है। यह एंजाइम उत्पादन को बढ़ाता है और पाचन प्रक्रिया को बेहतर बनाता है।

इन सभी प्रोबायोटिक्स का उपयोग व्यक्ति की स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार किया जाता है। सही प्रकार का प्रोबायोटिक चुनना, और उसका संतुलित सेवन करना आपके पाचन और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है। यदि आप प्रोबायोटिक सप्लीमेंट लेने की सोच रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर रहेगा।

प्रोबायोटिक्स के फायदे (Health Benefits of Probiotics)

प्रोबायोटिक्स हमारे शरीर में पाए जाने वाले अच्छे बैक्टीरिया होते हैं जो खासकर पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। ये न केवल पाचन को सुधारते हैं बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर बीमारियों से लड़ने में भी सहायक होते हैं। प्रोबायोटिक्स के सेवन से दस्त, कब्ज, पेट की सूजन जैसी समस्याएं कम होती हैं और मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है। सरल शब्दों में कहें तो, प्रोबायोटिक्स हमारे शरीर के लिए एक प्राकृतिक स्वास्थ्यवर्धक भूमिका निभाते हैं।

  • प्रोबायोटिक्स पाचन तंत्र में अच्छे बैक्टीरिया को नियंत्रित करता हैप्रोबायोटिक्स जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं जो हमारे पाचन तंत्र में अच्छे बैक्टीरिया को संतुलित रखने का कार्य करते हैं। ये हानिकारक बैक्टीरिया की संख्या को कम करते हैं और अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाकर आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हैं। ये भोजन के पाचन को आसान बनाते हैं और गैस, कब्ज, अपच जैसी समस्याओं से राहत दिलाते हैं। नियमित रूप से प्रोबायोटिक्स लेने से आंतों की फ्लोरा संतुलित रहती है और पाचन तंत्र बेहतर कार्य करता है।
  • प्रोबायोटिक्स दस्त होने से रोकता हैप्रोबायोटिक्स दस्त को रोकने और नियंत्रित करने में प्रभावशाली होते हैं, विशेषकर जब दस्त एंटीबायोटिक्स के उपयोग के बाद होता है। एंटीबायोटिक्स अच्छे बैक्टीरिया को भी खत्म कर देते हैं, जिससे दस्त की संभावना बढ़ती है। प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स आंतों में फिर से संतुलन बनाते हैं और हानिकारक बैक्टीरिया के प्रभाव को कम करते हैं। यह ट्रैवलर्स डायरिया, वायरल या बैक्टीरियल दस्त में भी सहायक होते हैं। बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए यह सुरक्षित और उपयोगी होते हैं।
  • प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स मानसिक स्वास्थ्य में सुधार करते हैंप्रोबायोटिक्स का मस्तिष्क और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव होता है। “गट-ब्रेन एक्सिस” के माध्यम से आंत और दिमाग आपस में जुड़े होते हैं। प्रोबायोटिक बैक्टीरिया तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करते हैं। कुछ अध्ययन बताते हैं कि नियमित प्रोबायोटिक सेवन करने से मूड में सुधार होता है और नींद की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। ये न्यूरोट्रांसमीटर जैसे सेरोटोनिन के उत्पादन में भी मदद करते हैं, जो मानसिक संतुलन बनाए रखने में जरूरी होता है।
  • यह आपका हृदय को स्वस्थ रखने में मददगार होते हैंप्रोबायोटिक्स हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। ये शरीर में खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाने में सहायक होते हैं। कुछ प्रोबायोटिक स्ट्रेन्स बाइल नमक को तोड़कर उसे पुनः शरीर में अवशोषित होने से रोकते हैं, जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित रहता है। इसके अलावा ये रक्तचाप को संतुलित करने में भी मदद करते हैं। नियमित सेवन से हृदय रोगों का खतरा कम किया जा सकता है।
  • प्रोबायोटिक एलर्जी की गंभीरता को कम करने में सहायक होता हैप्रोबायोटिक्स इम्यून सिस्टम को बैलेंस करके एलर्जी और ऐग्ज़िमा जैसी समस्याओं की गंभीरता को कम करने में मदद करते हैं। ये एलर्जेन के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को नियंत्रित करते हैं और सूजन को कम करते हैं। विशेष रूप से बच्चों में, प्रोबायोटिक्स के सेवन से स्किन एलर्जी और रेस्पिरेटरी एलर्जी में सुधार देखा गया है। यह शरीर को एलर्जी ट्रिगर्स के प्रति सहनशील बनाने में मदद करता है और लक्षणों को कम करता है। इसका असर इम्यून मॉड्यूलेशन पर आधारित होता है।
  • पाचन विकार के लक्षणों को कम करते हैं प्रोबायोटिक्सजिन लोगों को इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS), क्रोहन डिज़ीज़ या अल्सरेटिव कोलाइटिस जैसी आंतों की समस्याएँ होती हैं, उनके लिए प्रोबायोटिक्स बेहद उपयोगी हो सकते हैं। ये गैस, सूजन, पेट दर्द, और अनियमित मल जैसे लक्षणों में राहत दिलाते हैं। प्रोबायोटिक्स आंतों में सूजन को कम करके आंतों की लाइनिंग को स्वस्थ रखते हैं। ये शरीर की सूजन प्रतिक्रिया को नियंत्रित करते हैं जिससे पाचन विकारों में धीरे-धीरे सुधार आता है।
  • प्रोबायोटिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले होते हैंप्रोबायोटिक्स हमारी इम्यून प्रणाली को मजबूत करने का कार्य करते हैं। ये हानिकारक बैक्टीरिया को नष्ट करके और अच्छे बैक्टीरिया को बढ़ाकर शरीर को संक्रमण से लड़ने की शक्ति देते हैं। ये एंटीबॉडी के निर्माण में सहायता करते हैं और प्राकृतिक किलर कोशिकाओं (NK Cells) की सक्रियता को बढ़ाते हैं। इससे सर्दी-खांसी, गले में खराश जैसी सामान्य बीमारियों से बचाव होता है। नियमित रूप से प्रोबायोटिक्स लेने से इम्यून सिस्टम बेहतर ढंग से काम करता है।
  • पेट की चर्बी और वजन कम करने में सहायक होता है प्रोबायोटिक्सप्रोबायोटिक्स वजन घटाने और पेट की चर्बी कम करने में सहायक हो सकते हैं। ये भूख को नियंत्रित करने वाले हार्मोन्स (जैसे GLP-1) के स्तर को प्रभावित करते हैं, जिससे व्यक्ति को जल्दी तृप्ति महसूस होती है। साथ ही ये शरीर में वसा के अवशोषण को कम कर सकते हैं और मेटाबॉलिज्म को बेहतर बनाते हैं। कुछ प्रोबायोटिक स्ट्रेन्स शरीर में फैट स्टोरेज को कम करने में मदद करते हैं। नियमित रूप से प्रोबायोटिक का सेवन वजन प्रबंधन में सहायक हो सकता है।

प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थ और मुख्य स्रोत (Sources of Probiotics in Hindi)

प्रोबायोटिक्स प्राकृतिक रूप से कई खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं जो आंतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। सबसे प्रमुख स्रोत दही है, जिसमें लैक्टोबैसिलस जैसे अच्छे बैक्टीरिया मौजूद होते हैं। दही को रोज़ाना भोजन में शामिल करने से पाचन क्रिया सुचारु रहती है और इम्युनिटी भी बढ़ती है। इसके अलावा छाछ और लस्सी भी अच्छे प्रोबायोटिक स्रोत माने जाते हैं, जो गर्मियों में शरीर को ठंडक देने के साथ-साथ पाचन में भी लाभकारी होते हैं।

अचार भी एक पारंपरिक प्रोबायोटिक स्रोत है, विशेषकर जब वह बिना सिरके के प्राकृतिक रूप से किण्वित किया गया हो। भारत में घर पर बनाए गए नींबू, आम या हरी मिर्च के अचार में अच्छे बैक्टीरिया पनपते हैं जो आंतों की सेहत सुधारने में मदद करते हैं। इसके अलावा इडली, डोसा जैसे किण्वित आहार भी प्रोबायोटिक गुणों से भरपूर होते हैं।

कुछ विदेशी खाद्य पदार्थ जैसे किम्ची, कॉम्बुचा और सौकरकूट भी प्रोबायोटिक्स से भरपूर होते हैं, जो अब भारत में भी लोकप्रिय हो रहे हैं। ये सभी फर्मेंटेड फूड्स शरीर में लाभकारी बैक्टीरिया को बढ़ाने में मदद करते हैं। साथ ही ये शरीर की सूजन कम करने और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं।

अगर आप शाकाहारी हैं तो प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स के अलावा फर्मेंटेड सोया उत्पाद जैसे टेम्पेह और मिसो का सेवन भी फायदेमंद हो सकता है। बाजार में कई तरह के प्रोबायोटिक ड्रिंक्स और सप्लीमेंट्स भी उपलब्ध हैं जो विशेष रूप से पेट और आंतों के लिए बनाए गए हैं। इनका सेवन डॉक्टर की सलाह के अनुसार करना चाहिए|

क्या प्रोबायोटिक्स लेने में कोई जोखिम या दुष्प्रभाव हैं?

प्रोबायोटिक्स सामान्यतः सुरक्षित माने जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों को इनके सेवन से हल्की गैस या पेट फूलने की समस्या हो सकती है। यह आमतौर पर शुरुआत के कुछ दिनों में होता है और बाद में ठीक हो जाता है।बहुत कम मामलों में, प्रोबायोटिक्स लेने से संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है, खासकर उन लोगों में जिनकी इम्यून सिस्टम कमजोर होती है या जो गंभीर बीमारी से जूझ रहे होते हैं।

अगर प्रोबायोटिक्स को अधिक मात्रा में या बिना सलाह के लिया जाए, तो यह आंतों में असंतुलन पैदा कर सकता है। इससे पाचन संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं। प्रोबायोटिक सप्लीमेंट्स का सेवन शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना बेहतर होता है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों या गर्भवती महिलाओं के लिए।

प्रोबायोटिक्स लेते समय सावधानियां (Precautions While Using Probiotics)

प्रोबायोटिक्स लेते समय कुछ सावधानियां बरतनी जरूरी होती हैं ताकि इनके फायदे सुरक्षित रूप से मिल सकें। सबसे पहले, किसी भी नए सप्लीमेंट को शुरू करने से पहले डॉक्टर या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से परामर्श जरूर करें, खासकर अगर आपकी कोई पुरानी बीमारी है या आप गर्भवती हैं।

प्रोबायोटिक्स की सही मात्रा और गुणवत्ता का ध्यान रखें। बाजार में कई प्रकार के प्रोबायोटिक उत्पाद उपलब्ध हैं, इसलिए प्रमाणित और विश्वसनीय ब्रांड का चयन करें। बिना निर्देश के अधिक मात्रा में सेवन करने से बचें।

अगर प्रोबायोटिक्स लेने के बाद पेट दर्द, अलर्जी, या अन्य असामान्य लक्षण दिखें तो तुरंत सेवन बंद कर डॉक्टर से संपर्क करें।

बच्चों और बुजुर्गों में प्रोबायोटिक्स का उपयोग सावधानी से करना चाहिए क्योंकि उनकी इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकती है। हमेशा पैकेज पर दिए निर्देशों का पालन करें।

Probiotics Meaning in Hindi प्रोबायोटिक्स क्या है, और इनका क्या काम हैं? जानिए फायदे और सुझाव से जुड़े सवाल\जवाब [FAQ,S]

प्रोबायोटिक क्या है?

प्रोबायोटिक एक प्रकार के जीवित सूक्ष्मजीव होते हैं, यह आपके शरीर के लिए हर तरीके से फायदेमंद होते हैं, यह आपके अंत में अच्छे बैक्टीरिया की संख्या को बढ़ाते हैं, जिसके कारण आपका पाचन प्रतिरक्षा और समग्र स्वास्थ्य को लाभ मिलता है|

प्रोबायोटिक खाने से क्या फायदा होता है?

दोस्तों प्रोबायोटिक खाने से कई स्वास्थ्य लाभ आपको मिल जाते हैं जिनमें पाचन सुधार, प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करना, और कुछ मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को कम करना जैसी चीज भी शामिल हैं|

क्या हम रोजाना प्रोबायोटिक ले सकते हैं?

जी हां दोस्तों ऐसा हो सकता है आप रोजाना पेट के स्वास्थ्य, प्रति रक्षा और सामान्य भलाई के लिए रोजाना प्रोबायोटिक लेना अपने आपके लिए प्रेफर कर सकते हैं, यह आपकी स्वस्थ दिनचर्या का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकता है|

प्रोबायोटिक कब लेना चाहिए?

यह माना जाता है कि प्रोबायोटिक को खाली पेट मुख्य रूप से सुबह सबसे पहले लेना बेहतर होता है, क्योंकि पेट में काम अवशिष्ट एसिड होता है, हालांकि यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि भोजन खाने और पेट में एसिड के निकालने के बीच एक अंतराल समय होता है|

प्रोबायोटिक फल कौन से होते हैं?

ऐसा माना जाता है कि संतरे और नींबू जैसे खट्टे फल प्रोबायोटिक के अच्छे स्रोत होते हैं|

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