MLA Salary: हर 5 साल में विधायक [MLA] का चुनाव होता है और उस चुनाव में जिस व्यक्ति को विजय हासिल होती है, उसे उस क्षेत्र का विधायक कहा जाता है। विधायक को अंग्रेजी भाषा में मेंबर ऑफ लेजिसलेटिव असेंबली (MLA) भी कहते हैं। विधायक बन जाने के पश्चात व्यक्ति को गवर्नमेंट के द्वारा विभिन्न प्रकार की सुविधाएं दी जाती है। इसके साथ ही साथ उसे महीने में अच्छी खासी सैलरी भी प्राप्त होती है।
इसलिए विधायक का जलवा ही अलग होता है। उन्हें गवर्नमेंट के द्वारा सुरक्षा के लिए गार्ड भी दिए जाते हैं, साथ ही अन्य कई प्रकार की सुविधा भी विधायक को प्राप्त होती है। इस आर्टिकल में हम आपको “विधायक की महीने की तनख्वाह कितनी होती है व एक पूर्व विधायक को कितना पेंशन दिया जाता है ?” इसके बारे में जानकारी देंगे, तो अगर आप भी यह जानना चाहते हैं कि “विधायक को वेतन व सुविधा के रूप में सरकार द्वारा क्या क्या उपलब्ध कराया जाता है ” तो इस आर्टिकल को पूरा अवश्य पढ़ें।
विधायक को कितनी सैलरी मिलती है?
Vidhayak Ki Salary: विधायक को अंग्रेजी में एमएलए यानी कि मेंबर ऑफ लेजिसलेटिव असेंबली (Member of Legislative Assembly) कहा जाता है। विधायक का चुनाव हर 5 साल में होता है और विधायकी के चुनाव में जिस व्यक्ति को सबसे ज्यादा वोट प्राप्त होते हैं, उसे ही उस इलाके का विधायक चुना जाता है। किसी एक जिले में बहुत सारे विधायक हो सकते हैं। एक जिले में कितने विधायक होंगे, यह उस जिले में आने वाली विधानसभा सीटों के ऊपर निर्भर करता है।
किसी जिले में अगर 5 विधानसभा की सीटें है तो उस जिले से 5 विधायक चुनकर के आएंगे। जो व्यक्ति विधायक के पद पर चयनित हो करके आता है उसे उसके राज्य की विधानसभा में बैठने का मौका मिलता है। विधायक किसी भी पार्टी के बैनर के तले अपना चुनाव लड़ सकता है या तो वह चाहे निर्दलीय भी चुनाव लड़ सकता है। विधायक की सैलरी हर राज्य में अलग-अलग होती है। नीचे आपको इंडिया के प्रमुख राज्यो के विधायक की महीने की सैलरी बताई गई है।
क्रमांक | राज्य नाम | विधायक मासिक वेतन |
1. | तेलंगाना | 2.50 लाख |
2. | मध्यप्रदेश | 2.10 लाख |
3. | दिल्ली | 2.10 लाख |
4. | उत्तर प्रदेश | 1.87 लाख |
5. | महाराष्ट्रा | 1.70 लाख |
32. | त्रिपुरा | 34 हजार |
7. | जम्मू & कश्मीर | 1.60 लाख |
8. | उत्तराखंड | 1.60 लाख |
9. | आंध्रप्रदेश | 1.30 लाख |
10. | राजस्थान | 1.25 लाख |
11. | हिमाचल प्रदेश | 1.25 लाख |
12. | गोवा | 1.17 लाख |
13. | हरियाणा | 1.15 लाख |
14. | पंजाब | 1.14 लाख |
15. | बिहार | 1.14 लाख |
16. | पश्चिम बंगाल | 1.13 लाख |
17. | झारखण्ड | 1.11 लाख |
18. | छतीसगढ | 1.10 लाख |
19. | तमिलनाडु | 1.05 लाख |
20. | कर्नाटक | 98 हजार |
21. | सिकिम्म | 86.5 हजार |
22. | केरल | 70 हजार |
23. | गुजरात | 65 हजार |
24. | ओडिशा | 62 हजार |
25. | मेघालय | 59 हजार |
26. | पुदुचेरी | 50 हजार |
27. | अरुणाचल प्रदेश | 49 हजार |
28. | मिजोरम | 47 हजार |
29. | मणिपुर | 37 हजार |
30. | असम | 42 हजार |
31. | नागालैंड | 36 हजार |
विधायक को सैलरी किस रूप में मिलती है?
ऊपर आपने जाना कि इंडिया के हर राज्य में विधायक की सैलरी अलग-अलग होती है। तेलंगाना के विधायकों की सैलरी सबसे ज्यादा है वहीं त्रिपुरा के विधायकों की सैलरी सबसे कम है। आगे हम आपको यह बताएंगे कि विधायकों की तनख्वाह का ब्यौरा क्या है और उन्हें किस प्रकार से सैलरी प्राप्त होती है। इसके लिए हम उत्तर प्रदेश के विधायकों का उदाहरण लेंगे।
- यूपी के एक विधायक को ₹75000 सैलरी के तौर पर मिलते हैं।
- मोबाइल खर्च के लिए ₹6000 उन्हें प्राप्त होते हैं।
- खाना-पीना के लिए और अपने इलाके में भ्रमण करने के लिए उन्हें ₹69000 प्राप्त होते हैं।
- ₹24000 डीजल खर्च के लिए तथा पेट्रोल खर्च के लिए प्राप्त होते हैं।
- इलाज खर्च के लिए ₹6000 उन्हें प्राप्त होते हैं।
- पर्सनल असिस्टेंट की फीस देने के लिए ₹6000 उन्हें मिलते हैं।
सांसद को कितनी सैलरी मिलती है ?
इस प्रकार इन सभी खर्चे को मिलाकर के उत्तर प्रदेश के विधायकों को हर महीने ₹1,87000 की सैलरी प्राप्त होती है।
उत्तर प्रदेश विधायक फंड [विधायक निधि]
UP MLA Salary: यूपी के किसी भी जिले से किसी भी विधानसभा सीट से चुनकर के आने वाले विधायक को 5 साल के अंदर टोटल ₹75000000 फंड के तौर पर प्राप्त होते हैं। इसमें विधायक की सैलरी भी शामिल होती है। विधायकों को अपने इलाके के विकास के लिए तकरीबन ₹63800000 का फंड 5 सालों में प्राप्त होता है, जिसका इस्तेमाल वह अपने इलाके के डेवलपमेंट के लिए करते हैं। इसके अलावा 5 साल के अंदर अपनी विधानसभा में तकरीबन 200 हैंडपंप विधायक लगवा सकता है। विधायक को एक हैंडपंप के खर्चे के लिए ₹50000 प्राप्त होते हैं।
यही नहीं विधायकों को अन्य कई सुविधाएं भी गवर्नमेंट के द्वारा दी जाती है। जैसे उन्हें हवाई जहाज के जरिए यात्रा करने पर छूट मिलती है, वही ट्रेन के जरिए यात्रा करने पर भी उन्हें छूट मिलती है। इसके अलावा उनके लिए टोल टैक्स फ्री होता है, साथ ही उनके घर का काम करने के लिए उन्हें बावर्ची भी दिया जाता है और ड्राइवर भी उन्हें दिया जाता है।
नोट: ऊपर हमने आपको उत्तर प्रदेश के विधायकों का उदाहरण देकर के यह समझाने का प्रयास किया है कि विधायकों को अन्य कई सुविधाएं उनकी सैलरी के अलावा भी प्राप्त होती है। हालांकि हर राज्य में विधायकों को मिलने वाली सुविधाएं भी अलग-अलग होती है।
विधायकों को रिटायर होने पर क्या मिलता है?
जब कोई विधायक रिटायर हो जाता है तब पूर्व विधायक के रूप में उसे हर महीने तकरीबन ₹30000 पेंशन के तौर पर प्राप्त होते हैं, साथ ही साथ उसे ₹8000 डीजल खर्च के तौर पर भी प्राप्त होते हैं। इसके अलावा जिंदगी भर जब तक वह जिंदा है तब तक उसे मेडिकल बेनिफिट और रेलवे पास का बेनिफिट हासिल होता है। कहने का मतलब है कि विधायक बन जाने के पश्चात व्यक्ति की पूरी लाइफ मजे से गुजरती है।
हर राज्य के विधायकों की सैलरी में अंतर क्यों है?
हर राज्य के विधायकों की सैलरी में इसलिए अंतर होता है क्योंकि विधायक की सैलरी का सीधा संबंध उसके राज्य के खजाने से होता है। इसीलिए जिन राज्यों के पास अधिक पैसा है, वह अपने राज्यों के विधायक को ज्यादा सैलरी महीने में देते हैं।
भारत के पूर्वोत्तर के जो राज्य हैं, वहां पर विधायकों को सबसे कम सैलरी प्राप्त होती है, क्योंकि पूर्वोत्तर में मौजूद राज्यों के पास संसाधन सीमित मात्रा में होते हैं। बता दें कि पिछले 7 सालों के अंदर तकरीबन 125 परसेंट की बढ़ोतरी विधायकों की सैलरी में देखी गई है, जिसमें सबसे अधिक बढ़ोतरी दिल्ली के विधायकों की सैलरी में देखी गई है, उसके बाद तेलंगाना के विधायकों का नंबर आता है।
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