आजादी के बाद संविधान सभा में चर्चा करते हुए डॉ भीमराव अम्बेडकर ने कहा था “भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG-कैग) संभवतः भारत के संविधान का सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकारी है। वह ऐसा व्यक्ति है जो यह देखता है कि संसद द्वारा अनुमन्य खर्चों की सीमा से अधिक धन खर्च न होने पाए या संसद द्वारा विनियोग अधिनियम में निर्धारित मदों पर ही धन खर्च किया जाए।”
सीएजी (CAG) का क्या मतलब है
भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (Comptroller & Auditor General of India-CAG) सविधान द्वारा स्थापित एक संविधानिक पद है जो भारत सरकार तथा सभी प्रादेशिक सरकारों के सभी तरह के लेखों का ऑडिटकरता है जिसमे पब्लिक सेक्टर की कंपनी भी दायरे में आती है | यह पूर्णतय स्वंतंत्र रूप से काम करती है, इस प्रकार इसके कार्य में सरकार द्वारा कोई हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता | नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक को भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा का मुखिया भी कहते है | इस पद की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के द्वारा तय की जाती है |
संविधान के अनुच्छेद 148 में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का वर्णन किया गया है | अपनी रिपोर्ट यह राज्य स्तर पर राज्यपाल को व केंद्र स्तर पर राष्ट्रपति को देता है | कैग का मुख्यालय 10 बहादुर शाह जफर मार्ग पर नई दिल्ली मेंस्थित है | भारत के कैग (CAG) का कार्यकाल 6 वर्ष अथवा 65 वर्ष तक की अधिकतम आयु के लिए किया जाता है | CAG को संसद की लोक लेखा समिति का ‘आँख व कान’ भी कहते है |
संविधान के मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य क्या है
सीएजी (CAG) का फुल फॉर्म
हिंदी में इसका फुल फॉर्म ‘नियंत्रक और महालेखापरीक्षक’ और अंग्रेजी में इसका फुल फॉर्म ‘Comptroller & Auditor General of India’ होता है|
भारत में राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य
भारत के सीएजी (CAG) के कार्य, शक्ति और अधिकार
संविधान द्वारा भारत के सीएजी (CAG) को विशेष शक्तिया व अधिकार द्वारा सम्पन्न बनाया गया है जिससे संस्था के कार्य में अर्चन न हो, इनमे से कुछ कार्य निम्न है:-
- संसद और राज्य विधानसभाओं द्वारा सार्वजनिक धन खर्च का पूरा विवरण कैग द्वारा ऑडिट किया जाता है | जिससे इससे जुडी जानकारी सार्वजानिक हो सके और तन्त्र को और अधिक मजबूत बना सके |
- संविधान के अनुच्छेद 148 से 151 में CAG के ऑडिट अधिकारों के बारे में वर्णन किया गया है |
- भारत सरकार ने 1971 में संसद में एक विधेयक के रूप में उसके कर्तव्य, शक्ति व अधिकार के लिए नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कर्त्तव्य, शक्तियाँ और सेवा की शर्तें) अधिनियम, 1971 पारित किया था |
- भारत व राज्य, यूनियन टेरिटरी जहा विधानसभा है, उसके संचित निधि से जुड़े खर्चे के बारे में निरक्षण कर सकता है |
- भारत व राज्य के आकस्मिक निधि व सार्वजानिक खाते द्वारा होने वाले खर्च का भी परिक्षण कर सकता है |
- यह केंद्र व राज्य के किसी भी विभाग के सभी ट्रेडिंग, विनिर्माण, लाभ- हानि खातों, बैलेंस शीट और अन्य अतिरिक्त खातों की ऑडिट कर सकता है |
- केंद्र सरकार या राज्य सरकार से वित्तपोषित सभी निकायों, प्राधिकरणों, सरकारी कंपनियों, निगमों और निकायों की आय-व्यय का ऑडिट कर सकता है |
- राष्ट्रपति या राज्यपाल के अनुरोध पर किसी भी सरकारी विभाग की ऑडिट कर सकता है |
- केंद्र सरकार के जुडी रिपोर्ट CAG संसद के पटल पर दोनों सदनों में रखता है |
- CAG संसद की लोक लेखा समिति के मार्गदर्शन, सलाहकार कर रूप में कार्य करता है |
- CAG को पद से हटाने के लिए जटिल संविधानिक प्रक्रिया ही अपनाई जा सकती है यह मुख्य न्यायधीश को हटाने के समान ही है |
- सेवानिवृत्त के बाद CAG राज्य या केंद्र के आधीन किसी भी कार्यलय का पदभार ग्रहन नहीं कर सकता |
- CAG नियुक्ति के बाद वेतन और अन्य सेवा शर्तें में बदलाव नहीं किया जा सकता |
- CAG ऑफिस द्वारा प्रशासनिक व्यय, जिसमें सभी वेतन, भत्ते और पेंशन भारत की संचित से दिए जाते है और संसद में इन पर वोटिंग नहीं हो सकती |
हमे उम्मीद है कि भारत के कैग यानियंत्रक और महालेखापरीक्षक के बारे में आपको पूर्ण जानकारी प्राप्त हुई होंगी, अगर लेख अच्छा लगे तो आगे शेयर जरूर करे |