भारतीय संविधान क्या है?



किसी भी गणतंत्र राष्ट्र का आधार संविधान होता है, इसमें उस देश या राष्ट्र के महत्वपूर्ण व्यक्तियों के द्वारा देश का प्रशासन चलाने के लिए नियम का निर्माण किया जाता है, जिससे सत्ता का दुरुप्रयोग रोका जा सकता है | संविधान के द्वारा मूल शक्ति वहां की जनता में निहित की जाती है, जिससे किसी गलत व्यक्ति को सत्ता तक पहुंचने पर उसको पद से हटाया जा सकता है | इस प्रकार से कहा जा सकता है, संविधान के द्वारा प्रशासन की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए दिशा- निर्देश दिया जाता है, जिसका उलंघन नहीं किया जा सकता है |

जैसे किसी भी स्कूल या कॉलेज को चलाने के कुछ नियम होते है जिनके अनुसार छात्रों का भविष्य तय होता है, ठीक उसी प्रकार आप संविधान को ऐसे नियम की पुस्तक के रूप में देख सकते है, जिसके अनुसार देश को चलाया जाता है| किसी भी देश का संविधान उस देश को आत्मा को भी कहते है क्योंकि संविधान में ही उस देश के सभी मूल भाव व कर्त्तव्य निहित होते है | केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार, जनता प्रतिनिधि (सांसद, विधायक) से लेकर लोकतंत्र में समाहित सभी पर संविधान समान रूप से लागू होता है| इस लेख का मतलब आज आपको संविधान के विषय में बताना है जिससे आपको उचित प्रकार से संविधान क्या है और Samvidhan ka kya matlab hota hai सहित संविधान से जुड़े अन्य विषय के बारे में भी जानकारी प्राप्त होगी| सही प्रकार से पढ़े व लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर भी करे| 

भारतीय संविधान क्या है (Samvidhan kya hai)?

भारत में संसदीय प्रणाली को अपनाया गया है, यह प्रणाली इंग्लैंड से ली गयी है | इसके तहत भारतीय संविधान का निर्माण किया गया है | यह एक प्रकार का लिखित दस्तावेज है | जिसमें भारत के प्रशासन चलाने के लिए दिशा- निर्देश दिए गए है | इस संविधान में दिए गए नियमों का उलंघन कोई भी सरकार नहीं कर सकती है, चाहे वह राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार | भारतीय संविधान का संरक्षक सर्वोच्च न्यायालय को बनाया गया है |

सर्वोच्च न्यायालय, केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा बनाए गए कानून की समीक्षा कर सकती है, यदि कोई भी कानून संविधान की मूल भावना और ढांचे के विपरीत पाया जाता है, तो सर्वोच्च न्यायालय उस कानून को निरस्त कर सकती है |

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भारतीय संविधान की शुरुआत | History of Constitution in Hindi

  • वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन और द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद अन्य देशों के द्वारा भारत को स्वतंत्र करने का दबाव इंग्लैण्ड पर पड़ने लगा, जिसमें इंग्लैण्ड की तत्कालीन सरकार का सत्ता परिवर्तन बहुत बड़ी भूमिका निभाता है | इन सभी दबावों के साथ इंग्लैण्ड ने भारत को स्वतंत्र करने का निर्णय लिया | इसके लिए उसने भारत में कैबिनेट मिशन को भेजा | कैबिनेट मिशन का उत्तरदायित्व भारत की सत्ता भारत के लोगों को हस्तांतरण करके वापस आना था |
  • कैबिनेट मिशन ने वर्ष 1946 में कुछ प्रावधान तय किये जिसमें एक प्रावधान संविधान सभा का गठन करना था | यह सभा ही भारत के संविधान का निर्माण करेगी और सत्ता ग्रहण करेगी |
  • कैबिनेट मिशन के अंतर्गत संविधान सभा का गठन किया गया जिसका प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 को हुआ | इस अधिवेशन की अध्यक्षता डॉ सच्चिदानंद के द्वारा की गयी, डॉ सच्चिदानंद अस्थायी अध्यक्ष थे |
  • संविधान सभा ने सर्वसम्मति से 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को अपना अध्यक्ष चुना | इस संविधान सभा में कई समितियों का गठन किया गया जिसमें प्रारूप समिति सबसे प्रमुख थी | इसका अध्यक्ष डॉ भीमराव अम्बेडकर को चुना गया | संविधान सभा ने 26 नवम्बर 1949 को संविधान को अंगीकृत किया तथा पूर्ण संविधान 26 नवम्बर 1950 को लागू किया गया |

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संविधान के प्रमुख बिंदु (MAIN POINTS OF CONSTITUTION)

भारत के मूल संविधान में 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियाँ थी | इस संविधान में दो तिहाई भाग भारत शासन अधिनियम 1935 से लिए गए थे | इसके अतिरिक्त भारतीय संविधान में कई अन्य देशों के संविधान से प्रावधानों को लिया गया है |

अन्य देशों से लिए गए प्रावधान

  • संयुक्त राज्य अमेरिका- न्यायपालिका की स्वतन्त्रता, राष्ट्रपति निर्वाचन एवं उस पर महाभियोग, न्यायधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात, मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनर्विलोकन, संविधान की सर्वोच्चता |
  • इंग्लैण्ड- संसदीय शासन प्रणाली, एकल नागरिकता व कानून बनाने की प्रक्रिया |
  • आयरलैंड- राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल की व्यवस्था, नीति निर्देशक तत्व, आपातकालीन उपबंध
  • ऑस्ट्रेलिया- प्रस्तावना की भाषा, संघ और राज्य के सम्बन्ध तथा शक्तियों का विभाजन, समवर्ती सूची का प्रावधान |
  • सोवियत रूस- मूल कर्त्तव्य |
  • जापान- विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया |
  • फ्रांस- गणतंत्रात्मक शासन पद्धत्ति |
  • कनाडा- संघात्मक शासन व्यवस्था एवं अवशिष्ट शक्तियों का केंद्र के पास होना |
  • दक्षिण अफ्रीका- संविधान संसोधन की प्रक्रिया |
  • जर्मनी- आपातकालीन उपबंध |

भारतीय संविधान की प्रस्तावना के प्रमुख बिंदुओं का वर्णन

भारतीय संविधान की प्रस्तावना (PREAMBLE OF INDIAN CONSTITUTION in Hindi)

“हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए तथा उसके समस्त नागरिकों को:

न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक,

विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता,

प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त करने के लिए तथा,

उन सबमें व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित करनेवाली बंधुता बढाने के लिए,

दृढ संकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज तारीख 26 नवंबर, 1949 ई० को एतद द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं|”

नोट: 42वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा प्रस्तावना में पंथ निरपेक्ष, समाजवादी तथा और अखण्डता, शब्द को जोड़ा गया |

संविधान का क्या मतलब है? | Meaning of Constitution of India in Hindi

संविधान का मतलब उस लिखित दस्तावेज से है, जिसमें दिए गए नियम व निर्देश के आधार पर शासन किया जाता है, इस दस्तावेज में सभी प्रकार के विषयों को शामिल किया जाता है | किसी भी देश के संविधान को लचीला बनाया जाता है, जिससे उसमें समय के अनुसार प्रक्रिया के अंतर्गत परिवर्तन किया जा सकता है, भारतीय संविधान में भी परिवर्तन किया जा सकता है लेकिन मूल ढांचे में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है |

संविधान का पालन करने से कोई भी व्यक्ति अपने इच्छा के अनुसार शासन को नहीं चला सकता है, इसमें जनहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है | भारतीय संविधान के द्वारा आम नागरिक को मतदान करने का अधिकार प्रदान किया गया है, मतदान के द्वारा ही देश की सत्ता में परिवर्तन किया जा सकता है | भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भारत के नागरिकों में सभी प्रकार की शक्ति विद्दमान होने की बात स्वीकारी गयी है, यह प्रस्तावना ही संविधान के उद्देश्य की जानकारी देती है |

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