ड्रोन क्या होता है



हमारे देश मे बाकी देशों के मुकाबले UAV यानी Drones का इस्तेमाल बहुत कम होता है इसी कारण से बहुत लोगो को Drone Kya hota hai इसकी जानकारी नहीं होती है, अधिकांशतः इसका इस्तेमाल हमारे देश मे कुछ ट्रैवल ब्लॉगर्स और फोटोग्राफर ही एरियल View Shoot करने के लिए करते है।

 लेकिन क्या आप जानते हैं ड्रोन कई तरह के होते है जब ड्रोन के जरिए जम्मू कश्मीर मे एयरफोर्स स्टेशन पर हमला किया गया तब लोगो के बीच ड्रोन के बारे मे जानने को लेकर उत्सुकताएं काफी बढ़ गई थी।

ऐसे मे अगर आप ये जानना चाहते है की ड्रोन क्या होता है, DRONE कितने प्रकार के होते है, ड्रोन कैसे काम करता है और हमारे देश में ड्रोन्स को लेकर सरकार की क्या गाइडलाइन्स है। इन सभी बातों की जानकारी आपको इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे।

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ड्रोन क्या होता है | what is Drone in hindi

ड्रोन को UAV या RPAS कहते है यानी की इसे “Unmanned aerial vehicles या Remotely Piloted Aerial Systems” के नाम से जाना जाता है। इसे आप साधारण शब्दो मे मानवरहित मिनी हैलिकॉप्टर समझ सकते है क्युकी इसे हवा मे उड़ाने के लिए Remote का प्रयोग किया जाता है।

यह रिमोट एक सॉफ्टवेयर के जरिए नियंत्रित होता है और इसका वजन 250 ग्राम से लेकर 150 किलोग्राम से भी ज्यादा हो सकता है इनके वजन के अनुसार ही इन्हें अलग अलग प्रकार मे बाटा गया है।

ड्रोन का चलन इलैक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग और कंप्यूटर विज्ञान क्षेत्र में हुए डेवलपमेंट के कारण ही संभव हो पाया है जहां पहले ड्रोन का उपयोग अधिकतर सैन्य संबंधित कार्यों के लिए किया जाता था। वही अब इसका इस्तेमाल लोगो की अलग अलग ज़रूरत को पुरा करने के लिए भी किया जा रहा है।

Drone technology मे दिनप्रतिदिन हो रहे नए नए innovation के कारण पहले की तुलना मे अब ये टेक्नोलोजी और भी एडवांस हो गई है।

ड्रोन के चारों तरफ 4 रोटोर लगे रहते हैं जिनकी मदद से ये आसमान की ऊंचाईयों मे उड़ते है इसके अल्वा इसमें एचडी कैमरे,ऑनबोर्ड सेंसर,जीपीएस और भी कई तरह के उपकरण लगे रहते है। जो ड्रोन के प्रकार और इस्तेमाल के अनुसार मौजूद होते है कोई भी ड्रोन Real-Time Imagery भेजने मे सक्षम होता है इसलिए ड्रोन को आसमान की आंख भी कहा जाता है है |

ड्रोन का आविष्कार किसने किया ?

ड्रोन को मानव युग का सबसे कामयाब Innovation माना जाता है जिसके जरिये बड़े बड़े काम बहुत आसानी से तेजी के साथ किये जा सकते है। ड्रोन का आविष्कार किसने किया इसके पीछे बहुत सारे तर्क है एक रिर्पोट के अनुसार 1849 में ऑस्ट्रिया मे एक मानव रहित बम फेंकने वाला उपकरण बनाया गया था जो दिखने में गुब्बारे की तरह नजर आता था।

जिसके बाद लोगो को इस प्रकार का कुछ बनाने की प्रेरणा मिली लेकिन लोगो का मानना है की ड्रोन का आविष्कार 1915 में महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला ने एक आटोमेटिक लड़ाकू विमान के रुप मे किया था जो मानव रहित था। इसे एक जगह से कन्ट्रोल करके दुश्मनो पर हमला कर सकते थे इसी विमान को आधुनिक ड्रोन का आधार माना गया था।

आधुनिक ड्रोन के पहले संस्करण का आविष्कार Abraham Karem के द्वारा किया गया था। जो की फिक्स्ड और रोटरी-विंग मानव रहित वाहनों के एक डिजाइनर थे। उन्हें यूएवी (ड्रोन) टेक्नोलोजी के संस्थापक यानी पिता के रूप मे माना जाता है।

ड्रोन कहां और क्यों इस्तेमाल किए जाते हैं ?

ड्रोन का इस्तेमाल होने की चर्चा सन 1982 में लेबनान युद्ध के दौरान हुई जब इस मानव रहित विमान ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन सबसे पहले लोगो को महसूस करवाया। इसके बाद बहुत सारे देशों की सेनाओं ने ड्रोन का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।

जिसका सबसे बड़ा कारण ये भी था की मानवरहित होने की वजह से किसी भी परिस्थिति में pilot की जान जाने का खतरा नहीं होता और इसे उड़ाने के लिए ईंधन का खर्च भी नहीं आता है और इनमे तकनीकी समस्याएं भी कम होती है जिस कारण से ये लगातार उड़ान भरकर निगरानी का काम कर सकते है।

ड्रोन को अलग अलग तरह के इस्तेमाल के लिए अलग अलग रूप से मनाया जाता है जैसे जैसे ड्रोन टेक्नोलोजी मे नए नए आविष्कार हुए वैसे वैसे इनका इस्तेमाल करने का छेत्र भी बढ़ता जा रहा है। जहां सेनाओं के द्वारा सीमा की निगरानी का काम करने के लिए surveillance ड्रोन (UAV)  का उपयोग 24 घंटा निगरानी करने के लिए किया जाता है वही कुछ ड्रोन का इस्तेमाल हमला करने के लिए भी जाता है।

कुछ ड्रोन का इस्तेमाल civilian भूमिकाओं में भी किया जाने लगा है जैसे की Drone Camera का इस्तेमाल एरियल फोटो और वीडियो Shoot करने के लिए और दुर्गम स्थानों में फंसे लोगों को  Search और Rescue के लिए साथ ही किसी आयोजन के दौरान निगरानी रखने के लिए भी किया जाता है।

एग्रीकल्चर ड्रोन का उपयोग खेती से जुड़े कामों को पूरा करने के लिए किया जाता है और ड्रोन का इस्तेमाल ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा सामानों की डिलीवरी करने के लिए भी किया जाने लगा है। इसके अलावा भी नेशनल हाइवे और रेलवे ट्रैक की मैपिंग करने के लिए भी किया जाता है।

ड्रोन कैसे उड़ता है | how does the drone fly in hindi

ड्रोन को हम Joystick और GPS system के माध्यम से हवा में उड़ाते है लेकिन इतने आसान User Interface के पीछे बहुत सारे Mechanical Features काम करते हैं तभी जाकर ये ड्रोन हवा मे उड़ता है। ड्रोन उड़ाने के पीछे के Physics को समझने के लिए आपको ये समझना होगा की ड्रोन उड़ाने के लिए सॉफ्टवेयर, जीपीएस और रिमोट यानी Joystick सबसे जरूरी होता है।

जब हम ड्रोन स्टार्ट करते है तो सबसे पहले 4 तरफ जो  Propeller लगे होते है वो घूमना शुरू करते है जो  Rotor के साथ मोटर से जुड़े होते है ये Rotors ड्रोन को ऊपर की तरफ उड़ाने में सबसे मुख्य भूमिका निभाते है। जब हम अपने रिमोट से इसे उड़ने के लिए स्विच करते है तो Rotors हवा के जरिए एक Downward फोर्स जेनरेट करता है जो ड्रोन को ऊपर की तरफ उठाता है।

जिसके बाद जब ड्रोन Rotors का Downward Force Gravitational वजन के सामान हो जाता है तब हवा मे ड्रोन स्थिर होकर मूवमेंट करता है। आप अपने अनुसार ड्रोन को आगे पीछे, बाए दाए रिमोट के जरिए ऑपरेट कर सकते है और रिमोट की जॉयस्टिक के जरिए आप पर लगे रोटर्स की गति को कंट्रोल कर सकते है।

इसके बाद पायलट और ड्रोन की बीच Connectivity हो सके इसके लिए GPS का उपयोग होता है जो पायलेट को ड्रोन की लोकेशन बताता रहता है। जीपीएस को एक प्रकार से ड्रोन का सुरक्षा कवच मान सकते है जो हवा मे होने वाली दुर्घटना से पहले ही ऑपरेटर को आगाह कर देता है।

ड्रोन उड़ाने के लिए खुली जगह की जरूरत पड़ती है अगर ड्रोन के आस पास कुछ चीज़ें होंगी तो वो उसे टकराकर नीचे गिर सकता है इसलिए ड्रोन मे कैमरा भी लगा होता है जो पायलेट को उपर से रियल टाइम एरियल view भेजता हैं।

इसके बाद आपके डिवाइस मे ड्रोन की Real-Time Battery ट्रैकिंग भी मिलती है जिससे आपको ये पता लगता रहेगा की कितना चार्ज है।

ड्रोन पर लगा Accelerometer ड्रोन की Speed और Direction के बारे मे पायलट को बताता है। वही Altimeter Drone की ऊंचाई से जुड़ी जानकारी देता है साथ ही ये तकनीक ड्रोन की लैंडिंग के वक्त Air Vacuum में धसने और अप्रेडिक्ट तरीके से नीचे आने से रोकता है।

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ड्रोन (UAV) कैसे काम करता है ?

ड्रोन यानी Unmanned Aerial व्हीकल की Weight को कम करने के लिए बहुत ही Light Composite Materials का इस्तेमाल किया जाता है। ताकि पायलट का Control ड्रोन पर बढाया जा सके इन Composite Material के कारण ड्रोन बहुत ही ऊँची उड़न भरने मे सक्षम हो जाता है।

इसमें अलग तरह के उपकरण का उपयोग किया जाता है जैसे GPS, Infrared Cameras और भी बहुत सी अलग अलग Technology इसमें इनबिल्ट होती है। इन Unmanned Aerial Vehicle को दो System के दो हिस्से से ऑपरेट होते है पहले खुद Drone और दूसरा Drones को Control करने वाला Remote Ground Control Systems (GSC)।

इन ड्रॉन्स के आगे के हिस्से मे सभी तरह के सेंसर और Navigational Systems लगे होते होते है और बाकी के हिस्सो मे Highly Complex Composites उपकरण लगे होते है जिन्हें ख़ास रूप से तैयार किया जाता है जो Vibration को Absorb और Noise को कम करते है।

एक ड्रोन या UAV में आमतौर पर 4 rotors लगे होते है जो सभी Individual Motors के साथ Connect होते है। ड्रोन मे लगा 1 और 3 Rotors Clockwise Direction में घूमता है वही  2 और 4 रॉटर्स Counter Clock Wise Direction में घूमते हैं जो ड्रोन को Balance बनाए रखने और स्थिर रखने के लिए काम करता है।

ड्रोन (UAV) physics के Newton’s third law of motion पर काम करता है। जब सभी Rotors तेज गति से घूमते हैं तब  वे नीचे की हवा को Push करते हैं और हवा ड्रोन को ऊपर की तरफ Push करती है।

जब ड्रोन को मोड़ना या घुमाना रहता है तब रिमोट से  1 और 3  rotors की ऐप्स की स्पीड को अधिक करना होता है और Counter clock wise मे घूम रहे Rotors 2 और 4 की Speed को कम रखना होता है ऐसा करने से ड्रोन उसी ऊंचाई पर Angular Momentum बढ़ने की वजह से घूम सकता है।

ड्रोन को Forward यानी आगे ले जाने के लिए आगे तरफ के दो Rotors की Speed बढ़ानी होती है जिससे अधिक lift पैदा होगा और ड्रोन थोड़ा झुक जाएगा और Thrust पैदा करते हुए झुकी हुई दिशा में आगे बढ़ने लगेगा और Backward यानी पीछे ले जाने के लिए  दूसरी तरफ की दो रोटोर्स की गति को कम करना होता है।

ड्रोन पर लगे Rotors की Speed को कम करने के लिए और उसे कंट्रोल करने के लिए Remote Ground Control Systems (GSC) का इस्तेमाल होता है जिसमे लगे हुए Joystick के जरिए Rotors की speed कम कर सकते है।

 ये बैटरी से मिल रही चारों Motors के Voltage को कम या ज्यादा करती है जिससे Rotors की Speed में परिवर्तन आता है। रिमोट के जरिए कंट्रोल करने पर Motor जितना अधिक Voltage प्राप्त करेगा। ड्रोन इतनी ही तेजी से उड़ेगा और लगभग सभी Drones मे lithium Ion batteries का इस्तेमाल होता है।

ड्रोन में In-Built GPS फीचर्स इसलिए इंस्टॉल किया जाता है ताकि किसी कारण अगर ड्रोन से आपका संपर्क टूट जाए तो इस परिस्थिति में ड्रोन खुद उस जगह पर आ जाए जहां से उसने उड़ान भरी थी।

ड्रोन कितने तरह के होते हैं ?

Drones के वैसे तो बहुत सारे प्रकार है लेकिन इन्हें मुख्य रूप से दो प्रकार मे बाटा गया है जैसे की:

  • Rotary Drone
  • Fixed Wing Drone

Rotory Drones के अंदर भी अलग अलग ड्रोन के प्रकार हैं

इसमें केवल एक Single Rotor स्तिथ होता है। वहीँ पीछे में एक Tail Rotor होता है जो की इसे Control और Stability प्रदान करता है।

Single Rotor Helicopters: इस प्रकार के छोटे ड्रोन मे  केवल एक Single Rotor होता है। साथ ही इसके Tail पर एक छोटा Rotor लगा रहता है जो की इसे कंट्रोल और स्टेबलिटी प्रदान करता है। यह Multi Rotors के मुकाबले अधिक सक्षम होता है और यह ज्यादा देर तक हवा मे उड़ सकता है लेकिन Single Rotor ड्रोन में ज्यादा Complexity और Operational Risks होते हैं और इसकी  Cost भी काफी अधिक होती है क्योंकि इसमें Rotor का Blades Size बड़ा होता है।

Multi Rotor Drones: अभी के दौर मे सबसे ज़्यादा Multi-Rotors Drones का इस्तेमाल किया जा रहा है बहुत सारे Professional कामों के लिए Multi Rotor Drones ही बनाए जाते है। जैसे की ड्रोन कैमरा जिसका उपयोग फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी और निगरानी करने जैसे कामों के लिए अधिक होता है।

Multi-Rotor Drones सेगमेंट के अंदर कई प्रकार के Drones उपलब्ध हैं और इन Multi-Rotor Drones के Rotors का Size छोटा होता है और  Rotors की संख्या के आधार पर इन्हें कई भागों मे बाटा गया है जैसे की:

Tri copter: ट्राइकॉप्टर उन्हे कहते है जिसमे Rotors की संख्या 3 होती है,तीन Controllers होते हैं चार Gyros और एक Servo Motor होता है.

Quad copter : – इसमें चार Rotor Blades होते है इसे बनाने मे Brushless Type DC Motors का उपयोग किया है। इस क्वाडकॉप्टर ड्रोन मे दो Rotor Clockwise घूमते हैं और वहीँ बाकी के दो Motors Anti-Clockwise घूमते हैं और सभी Quad copter Drone मे Lithium Polymer Batteries का इस्तमाल होता है।

Hexa copter (6 rotors) – इनमें Rotors की संख्या 6 होती है जिसमे 3 motors Clockwise घूमते हैं और 3 motors anti-clockwise घूमते हैं और हेक्साकॉप्टर Landing सबसे Safe होती है.

Octo copter (8 rotors) – इनमें Rotors की संख्या 8 होती है और ये सबसे अधिक ऊंची उड़ान भरने मे सक्षम होने के साथ ही इसकी  Stabilty सबसे बेहतर होती है।

इन Multi Rotor कैटेगरी मे सबसे ज्यादा इस्तेमाल Quad Copters Drones का किया जाता है और साथ ही इन Multi-Rotor Drones सेगमेंट को बनाना बहुत ही आसान और सस्ता होता है। ये आम लोगो के उपयोग के लिए ही बनाया जाता है क्युकी इस प्रकार के ड्रोन को कोई भी कुछ  Dollars खर्च करके खरीद सकता है और इन Quad Copters ड्रोन को उड़ाने के लिए किसी प्रकार की विशेष Training की जरूरत नहीं होती।

Fixed Wing Drones 

इस प्रकार के ड्रोंस Rotary Drone की रचना और बनावट के आधार पर बिलकुल अलग होते है। इस प्रकार के ड्रोंस मे Aeroplane के सामान्य ‘Wings’ का उपयोग किया जाता है। इसमें एक Internal Engine या Motor-Controlled Propeller का उपयोग किया जाता है जो Forward Airspeed के जरीए Lift उत्पन करते हैं।

और इस प्रकार के Drones काफी हैवी होते है और लंबे समय तक हवा मे निगरानी और अटैक का काम कर सकते है इन्हे Take-off करने के लिए Runway की जरूरत परती है। इस तरह के ड्रोन का इस्तेमाल आर्मी द्वारा Long-Distance Operations के लिए किया जाता है।

ये बाकी ड्रोन की तुलना मे बहुत ही महंगे होता है और इसे उड़ाने के लिए Training की आवश्यकता होती है और इस कैटेगरी के ड्रोन केवल आर्मी के इस्तेमाल के लिए ही होता है।

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भारत मे ड्रोन को लेकर क्या गाइडलाइन्स और लॉ है ?

भारत मे नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा ड्रोन को उनकी वजन के अनुसार क्लासिफाइड करके गाइडलाइन्स तैयार की गई है और कई इलाकों मे ड्रोन उड़ाने पर कई प्रतिबंध लगा रखे हैं।

नेनो ड्रोन्स- अगर ड्रोन का वजन 250 ग्राम तक है तो उसे  उड़ाने के लिए आपको लाइसेंस और परमिशन लेने की जरूरत नहीं होगी।

माइक्रो ड्रोन्स- अगर ड्रोन का वजन 250 ग्राम से लेकर दो किलो तक का है तो इन माइक्रो ड्रोन के उड़ाने के लिए UAS Operator Permit-I से परमिशन लेनी होती है। साथ ही अपना ड्रोन रजिस्टर करवाना होता है और ड्रोन पायलट को  ड्रोन उड़ते समय SOP को फॉलो करना होता है.

स्माल ड्रोन्स: ऐसे Drones जिनका वजन 2 केजी से लेकर 25 किलो तक है, उन्हे स्माल ड्रोन्स की कैटेगरी मे रखा गया है।

मीडियम ड्रोन्स- ऐसे ड्रोन्स जिनका वजन 25 किलो से 150 किलो तक है उन्हे मीडियम कैटेगरी मे रखा गया है।

लार्ज ड्रोन्स- ऐसे ड्रॉन्स जिनका वजन 150 किलो से ज्यादा उन्हे लार्ज ड्रोन्स की कैटेगरी मे रखा गया है।

इन स्माल, मीडियम और लार्ज कैटेगरी के बड़े ड्रोन उड़ाने के लिए डीजीसीए से परमिट और लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती है। अगर आप किसी ऐसी जगह पर ड्रोन उड़ना चाहते है जो प्रतिबंधित है तो इसके लिए भी आपको डीजीसीए से परमिशन लेनी पड़ेगी।

इन श्रेणी के Drones को बिना लाईसेंस और बिना परमिशन उड़ाना गैरकानूनी है और ऐसे लगने पर ड्रोन ऑपरेटर पर भारी जुर्माने और सजा का भी प्रावधान है।

ड्रोन को बिना लाइसेंस या प्रतिबंधित जगह उड़ाने पर पर 25000 रुपए का जुर्माना।

नो-ऑपरेशन जोन में उड़ान भरने पर 50000 रुपए का जुर्माना।

अगर ड्रोन स्माल मीडियम और लार्ज कैटेगरी का है और ड्रोन का थर्ड पार्टी इंश्योरेंस नहीं है तो 10000 रुपए का जुर्माना लगेगा।

ड्रोन को उड़ाने के लिए एरिया को 3 zones मे specify किया गया है जिसे Red Zone, Yellow Zone और Green Zone कहते है। ड्रोन उड़ाने से पहले आपको drone regulations द्वारा  स्पेसिफाई किए गए रेगुलेशन को सभी कैटेगरी के ड्रोन रखने वाले लोगे को फॉलो करना होगा:

Red zone: इस एरिया मे किसी भी व्यक्ति को ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं होती है इसमें Airports, International Borders, Military Installation, और गवर्नमेंट के कुछ प्रमुख ऑफिस सामिल है।Parliament House और राष्ट्रपति भवन के आसपास भी ड्रोन उड़ाने की अनुमति नहीं है.

Yellow Zone: इस जोन मे ड्रोन उड़ाने के लिए आपको अथॉरिटी से परमिशन लेने की आवश्यकता होती है।

Green Zone: इन जोन में आप बिना किसी परमिशन के कहीं भी ड्रोन उड़ा सकते हैं।

ड्रोन उड़ाने का लाइसेंस कैसे मिलेगा ?

नैनो और माइक्रो ड्रोन्स के अलावा किसी तरह के ड्रोन्स को उड़ाने के लिए लाइसेंस या परमिट लेने की जरूरत पड़ती है।

ड्रोन उड़ाने के लिए दो तरह के लाइसेंस दिए जाते हैं

  • पहला- स्टूडेंट रिमोट पायलट लाइसेंस |
  • दूसरा- रिमोट पायलट लाइसेंस |

ड्रोन उड़ाने का लाइसेंस लेने के लिए कुछ क्राइटेरिया है

  • इन दोनों लाइसेंस को पाने के लिए ड्रोन ऑपरेटर की न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम 65 साल होनी चाहिए
  • ड्रोन ऑपरेटर कम से कम 10वीं पास होना चाहिए।
  • ड्रोन उराने का लाइसेंस प्रपात करने से पहले आपको डीजीसीए स्पेसिफाइड मेडिकल एग्जामिनेशन भी पास करना होगा।
  • स्टूडेंट रिमोट या रिमोट पायलट लाइसेंस जारी करने से पहले आपका बैकग्राउंड भी चेक होता है |

Frequently Asked Questions

Fixed Wing Hybrid VTOL kya hai

Hybrid VTOL automation और manual gliding का एक combine play है जहां VTOL का मतलब Vertical Take-off and Landing” होता है। इस प्रकार के done को हवा में उठाने के लिए एक vertical lift का इस्तेमाल किया जाता है.

ड्रोन को कौन उड़ा सकता है

अगर आपका ड्रोन नैनो कैटेगरी का है तो आपको ड्रोन उड़ाने के लिए License की जरूरत नहीं होगी वही अगर माइक्रो ड्रोन्स कैटेगरी के अंतर्गत आपका ड्रोन आता है तो आपको उसको रजिस्टर करवाना होगा। गवर्मेंट की साइट पर ड्रोन उड़ाते वक्त Sop को फॉलो करना होगा साथ ही स्माल और लार्ज ड्रोन्स को  उड़ाने के लिए License की जरूरत होगी।

क्या ड्रोन को कहीं भी उड़ाया जा सकता है?

ड्रोन को Red Zone मे बिलकुल भी नहीं उड़ाया जा सकता है, सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन्स के अनुसार येलो जोन मे उड़ाने से पहले ड्रोन ऑपरेटर को परमिशन लेनी होगी। और ग्रीन जोन मे कोई भी बिना किसी परमिशन के ड्रोन को उड़ा सकता है।

ड्रोन उड़ाते समय क्या-क्या सावधानियां बरतें

अगर आप भारत मे ड्रोन उड़ा रहे है तो सबसे पहले ये देखे की वो Area किस जोन मे आता है, इसके अलावा अगर आपके पास नैनो या माइक्रो कैटेगरी का ड्रोन है। और हवा ज्यादा तेज चल रही है तो ड्रोन को मत उड़ाएं। ड्रोन को अधिक समय तक High Speed में ना उड़ाएं इससे ड्रोन की Battery जल्दी Discharge होती है.

क्या हम भारत मे ड्रोन कैमरा खरीद सकते है ?

भारत मे अभी आधिकारिक रूप से ड्रोन कैमरा का मार्केट नही आया है और नही आप इन्हे सीधे बाहर के देशों से मंगवा सकते है। लेकिन कुछ ऑफलाइन और ऑनलाईन इंडियन स्टोर आपको मिल जायेंगे जो बाहर के फेमस ड्रोन कैमरा ब्रांड के प्रॉडक्ट को कुछ एक्स्ट्रा प्राइस मे बैचते है।

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