हर त्यौहार के पीछे कोई ना कोई पौराणिक कहानी अवश्य जुड़ी होती है। उसी प्रकार रक्षाबंधन के पीछे भी बहुत सारी पौराणिक और ऐतिहासिक कहानियां जुड़ी हुई है। रक्षाबंधन के तौर पर हमें सिर्फ इतना ही पता है कि इस दिन बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है परंतु रक्षाबंधन का त्यौहार सिर्फ राखी बांधने तक ही सीमित नहीं है
बल्कि इस त्यौहार में और भी ऐसी कई खास बातें हैं, जिसके बारे में जानना हर भाई बहन को जरूरी होता है। इसीलिए आइए आज के इस लेख में रक्षाबंधन के निबंध के माध्यम से जानते हैं कि रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है तथा रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है।
भारत के प्रमुख त्यौहारों की सूची
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? Rakshabandhan Festival History in hindi
भाई और बहन के प्यार का प्रतीक रक्षाबंधन त्यौहार हर साल मनाया जाता है। रक्षाबंधन पर्व को मनाने के पीछे कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कहानियां जुड़ी हुई है परंतु देखा जाए तो मुख्य तौर पर रक्षाबंधन का त्यौहार इसीलिए मनाया जाता है ताकि भाई और बहन को यह एहसास हो कि उनके बीच कितना पवित्र रिश्ता है।
इस दिन बहन के द्वारा भाई की कलाई पर राखी बांधी जाती है और भाई जिंदगी भर हर प्रकार के सुख और दुख में अपनी बहन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने का वचन देता है। वही बहन भी भाई की लंबी उम्र की कामना इस दिन करती है। रक्षाबंधन के पीछे हुमायूं और दुर्गावती की कहानी, राजा पूरू और सिकंदर की पत्नी की कहानी, द्रोपदी और श्रीकृष्ण की कहानी जुड़ी हुई है। इसलिए भी रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है।
Raksha Bandhan Essay in Hindi
रक्षाबंधन पर निबंध (500 Words)
रक्षाबंधन का त्यौहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है परंतु हर साल इसकी तारीख में बदलाव होता रहता है। साल 2023 में रक्षाबंधन का त्यौहार धूमधाम के साथ 30 अगस्त के दिन मनाया जाएगा। रक्षाबंधन मुख्य तौर पर हिंदू समुदाय के लोगों का पावन त्योहार है।
हालांकि अन्य मजहब के लोग भी रक्षाबंधन के त्योहार को मनाते हैं। मुख्य तौर पर भारत के अलावा नेपाल जैसे देश में रक्षाबंधन के त्यौहार को मनाया जाता है। इसके अलावा जहां जहां पर हिंदुओं की आबादी अधिक है, उन इलाकों में भी रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है।
रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के प्यार का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भाई की कलाई पर बहन के द्वारा राखी बांधी जाती है। इसके अलावा इस दिन लड़कियों के द्वारा ऐसे लड़कों को भी राखी बांधी जाती है जिन्हें वह अपना भाई मानती है, जो भले ही रिश्ते में उनका सगा भाई ना हो। बता दें रक्षाबंधन के त्यौहार के साथ अनेक प्राचीन कहानियां भी जुड़ी हुई है।
एक कहानी के अनुसार चित्तौड़गढ़ की रानी कर्णावती के द्वारा जब इस बात का एहसास किया गया कि उनकी सेना बहादुर शाह जफर की सेना के सामने लंबे समय तक संघर्ष नहीं कर पाएगी तो ऐसी अवस्था में रानी कर्णावती के द्वारा हुमायूं राजा को राखी भेंट स्वरूप भेजी गई।
जब रानी कर्णावती की राखी हुमायूं राजा को प्राप्त हुई तो कर्णावती के हिंदू होने के बावजूद हुमायूं ने राखी के महत्व को समझते हुए रानी कर्णावती की सहायता करने का निर्णय लिया। और इसके पश्चात उन्होंने अपनी सेना के साथ रानी कर्णावती की सेना के साथ मिलकर के बहादुर शाह जफर की सेना का खुलकर सामना किया और रानी कर्णावती को भीषण युद्ध में विजय करवाया।
राखी के त्यौहार के साथ जुड़ी हुई अन्य पौराणिक कहानी के अनुसार एक बार जब भगवान श्री कृष्ण की उंगली कट गई तो द्रोपदी ने अपनी साड़ी का एक कोना फाड़ कर के भगवान श्री कृष्ण की उंगली पर बांध दिया।
इसके पश्चात कालांतर में जब दुर्योधन के द्वारा द्रौपदी का चीर हरण किया जा रहा था तब भगवान श्री कृष्ण ने उसी साड़ी के कोने की लाज रखते हुए द्रोपति की सहायता की और उनका चीरहरण होने से बचाया। द्रौपदी के द्वारा दिए गए साड़ी के टुकड़े को राखी समझ करके भगवान श्री कृष्ण ने स्वीकार किया।
राखी का त्यौहार घर में तो धूमधाम के साथ मनाया ही जाता है साथ ही इस त्यौहार को देश के कई सार्वजनिक स्थानों पर भी मनाया जाता है। स्कूल में राखी के त्यौहार के छुट्टी के दिन पहले राखी के त्यौहार को सेलिब्रेट किया जाता है।
रक्षाबंधन का दिन जैन धर्म के लिए भी काफी शुभ दिन माना जाता है क्योंकि कहावत के अनुसार जैन धर्म के 1 मुनि के द्वारा रक्षाबंधन के दिन तकरीबन 700 ऋषियों की जान बचाई गई थी। यही वजह है कि जो लोग जैन समुदाय के हैं वह रक्षाबंधन के दिन हाथ में सूत का धागा बांधते हैं।
रक्षाबंधन पर निबंध (700 Words)
रक्षाबंधन हिंदू समुदाय का बहुत ही महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे भारत में रहने वाले हिंदू समुदाय के लोग धूमधाम के साथ सेलिब्रेट करते हैं। इसके अलावा जहां-जहां भी हिंदू समुदाय के लोग रहते हैं लगभग सभी स्थानों पर रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन को समर्पित होता है।
इस त्यौहार के दिन बहन के द्वारा अपने भाई की कलाई पर राखी बांधी जाती है और भाई के द्वारा भी यथाशक्ति बहन को उपहार दिया जाता है। सावन महीने की पूर्णिमा के दिन हर साल रक्षाबंधन का त्यौहार आता है। साल 2023 में रक्षाबंधन का त्यौहार 30 अगस्त के दिन पड़ रहा है।
रक्षाबंधन के त्यौहार के साथ सामाजिक, पौराणिक, धार्मिक और कई ऐतिहासिक कहानियां और कथाएं जुड़ी हुई है। भारत के अलावा नेपाल और मॉरीशस जैसे देश में भी काफी धूमधाम के साथ रक्षाबंधन के त्यौहार को मनाया जाता है।
इस त्यौहार को भाई-बहन के बीच प्रेम का प्रतीक कहा जाता है। रक्षाबंधन के त्यौहार को मनाने से बहन को भाई की अहमियत और भाई को बहन की अहमियत के बारे में पता चलता है।
बहन के द्वारा जब इस दिन भाई की कलाई पर राखी बांधी जाती है तो भाई अपनी बहन की जिंदगी भर रक्षा करने का वचन देता है। वही बहन भी अपने भाई की खुशहाली के लिए भगवान से कामना करती है। राखी बांधने की वजह से इस दिन भाई-बहन के बीच जो भी मतभेद या मन भेद होते हैं वह दूर हो जाते हैं और उनके बीच प्यार का संचार होता है।
हालांकि भाई-बहन के बीच जो प्यार होता है वह रक्षाबंधन के दिन का मोहताज नहीं होता है परंतु जिस प्रकार से हर त्यौहार के लिए कोई दिन निश्चित होता है उसी प्रकार से भाई बहन के त्यौहार के लिए भी रक्षाबंधन का दिन निश्चित है।
रक्षाबंधन का महत्व हर उस व्यक्ति के लिए होता है जो किसी लड़की को अपनी बहन मानता है साथ ही जो महिलाएं किसी आदमी को अपना भाई मानती हैं।
भले ही इस दिन भाई की कलाई पर राखी के रूप में एक धागा बांधा जाता है परंतु यह धागा कोई मामूली धागा नहीं होता है। यह धागा इस बात का एहसास दिलाता है कि किसी ने किसी के ऊपर अपना विश्वास जताया है।
रक्षाबंधन के त्यौहार के मौके पर यह आवश्यक नहीं है कि लड़कियां अपने सगे भाई को ही राखी बांधे। कुछ लड़कियां लड़कों को या आदमी को अपना धर्म का भाई मानती है और उनकी कलाई पर भी राखी बांधती है।
रक्षाबंधन के मौके पर कई लोग अपने अपने पसंदीदा भगवान को भी राखी बांधते हैं। कई लोग भगवान श्री कृष्ण को राखी बांधते हैं तो कई लोग हनुमान जी को राखी बांधते हैं। हिंदू धर्म के अलावा जैन और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए भी रक्षाबंधन का त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
रक्षाबंधन के साथ विभिन्न प्रकार की कहानियां जुड़ी हुई है। एक पौराणिक कहानी के अनुसार राजा बलि के द्वारा एक यज्ञ किया गया था और इस यज्ञ के द्वारा वह स्वर्ग पर अपना अधिकार जमाने का प्रयास कर रहे थे परंतु जब देवराज इंद्र को इस बारे में पता चला तो उन्होंने भगवान श्री विष्णु से सहायता मांगी।
इसके पश्चात विष्णु जी ब्राह्मण का रूप धर करके भिक्षा मांगने के लिए राजा बलि के पास गए और राजा बलि ने ब्राह्मण का सम्मान करते हुए उसे तीन पग जमीन दान में दे दी, जिसमें आकाश, पाताल और धरती शामिल थी।
इसके पश्चात राजा बलि रसातल में चले गए। राजा बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर के भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि वह हमेशा उनके साथ रहेंगे। हालांकि इस बात से लक्ष्मी जी को काफी ज्यादा चिंता हुई और लक्ष्मी जी राजा बलि के पास पहुंची।
और उन्हें राखी बांध करके अपना भाई बना लिया और उसके बाद वह भगवान श्री विष्णु को अपने साथ वापस लेकर के चली आई। जिस दिन राजा बलि माता लक्ष्मी जी के भाई बने थे उस दिन सावन महीने की पूर्णिमा थी।
वर्तमान के समय में रक्षाबंधन का त्यौहार सनातन संस्कृति की पहचान बन चुका है और भारत के हिंदू समुदाय को अपने इस त्योहार पर काफी गर्व भी है।
हालांकि यह बहुत ही चिंता का विषय है कि जिस देश में कन्या की पूजा की जाती है उसी देश में कन्या भ्रूण हत्या भी होती है। रक्षाबंधन का त्यौहार हमें इस बात का एहसास दिलाता है कि लड़कियों का अथवा बहनों का होना हमारी जिंदगी के लिए कितना महत्वपूर्ण है।
होली का त्योहार क्यों मनाते हैं
रक्षाबंधन पर निबंध (1000 Words)
हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में गिने जाने वाले रक्षाबंधन का त्यौहार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। साल 2023 में 30 अगस्त के दिन रक्षाबंधन का त्यौहार आ रहा है, क्योंकि भाई और बहनों का सबसे पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन को ही कहा जाता है।
रक्षाबंधन के मौके पर बहन के द्वारा भाई की कलाई पर राखी बांधी जाती है और बदले में भाई के द्वारा बहन को उसकी रक्षा करने का आशीर्वाद दिया जाता है अथवा उपहार स्वरूप कुछ भेट समर्पित की जाती है।
रक्षाबंधन के साथ कई पौराणिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और सामाजिक कथाएं जुड़ी हुई है। रक्षाबंधन का त्यौहार इंडिया के अलावा नेपाल और मॉरीशस जैसे देशों में भी बेहतर ढंग से सेलिब्रेट किया जाता है।
रक्षाबंधन के त्यौहार के दिन पूरे भारत देश में काफी धूमधाम होती है। राखी का त्यौहार आने से पहले ही बाजार में रंग-बिरंगी राखियां आने लगती है और स्कूल और कॉलेज में भी रक्षाबंधन का त्यौहार धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
राखी का त्यौहार हिंदू धर्म के अलावा जैन धर्म और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों के बीच भी काफी लोकप्रिय है। सामान्य तौर पर यह त्यौहार हर साल जुलाई अथवा अगस्त के महीने में आता है। सावन के महीने में मनाने की वजह से रक्षाबंधन को सावनी अथवा सलूनो भी कहा जाता है।
राखी के त्योहार के दिन बहनों के द्वारा अपने भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है और बहन अपने भाई की लंबी उम्र की कामना करती है साथ ही उसकी तरक्की की भी कामना करती है।
वहीं दूसरी तरफ भाई भी यथाशक्ति अपनी बहन को उपहार देते है और जिंदगी भर उनकी हर बुरी परिस्थिति में रक्षा करने का वचन भी देते हैं। जो राखी बहन के द्वारा बांधी जाती है वह कच्चे सूत जैसे की रंगीन कलावे, रेशमी धागे तथा सोने या चांदी की वस्तु तक के भी होते हैं।
रक्षाबंधन के दिन के मौके पर सुबह के समय में लड़कियां और महिलाएं नहा धोकर के पूजा की थाली सजाती है और उस थाली में वह दीपक, मिठाई, चावल, हल्दी, कुछ पैसे और फूल रखती है। इसके पश्चात लड़के और पुरुष नहा धोकर के टीका लगवाने के लिए पूजा के स्थान पर या फिर किसी साफ जगह पर बैठ जाते हैं।
इसके पश्चात लड़कियों के द्वारा अभीष्ट देवता की पूजा की जाती है। उसके बाद हल्दी अथवा कुमकुम के द्वारा भाई के माथे पर टीका लगाया जाता है और उसके बाद भाई के सर पर फूल को छिड़का जाता है और उसके पश्चात भाई की आरती भी उतारी जाती है।
आरती उतारने के बाद बहन के द्वारा भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है। इसके पश्चात भाई के द्वारा बहन को उपहार या फिर धन दिया जाता है, साथ ही बहन की रक्षा करने का संकल्प भी भाई के द्वारा लिया जाता है। रक्षाबंधन का अनुष्ठान जब पूरा हो जाता है तो उसके बाद पूरे परिवार के सहित भाई और बहन भोजन करते हैं। भोजन में मुख्य तौर पर मीठे पकवान शामिल होते हैं।
रक्षाबंधन के त्यौहार की जड़े हमारे समाज में इतनी गहरी है कि इसके साथ कई सामाजिक, धार्मिक और पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई है। एक पौराणिक कथा के अनुसार देवता और दानव में जब लड़ाई चालू हुई तो दानव देव पर भारी पड़ने लगे।
इस पर बृहस्पति के पास भगवान इंद्र जी पहुंचे, जहां पर इंद्र भगवान की पत्नी इंद्राणी पहले से ही मौजूद थी। इंद्र जी की व्यथा सुनने के बाद इंद्राणी जी के द्वारा रेशम के धागे को अभिमंत्रित करके उसे इंद्र भगवान के हाथों पर बांधा गया।
इसके पश्चात इंद्र भगवान ने युद्ध लड़ा और उस युद्ध में इंद्र भगवान को विजय हासिल हुई। कहा जाता है कि जिस दिन इंद्र भगवान ने युद्ध में विजय प्राप्त की उस दिन सावन महीने की पूर्णिमा का दिन था।
लोगों का ऐसा कहना है कि जो धागा इंद्र भगवान के हाथ में बांधा गया था उसी धागे की मंत्र शक्ति की वजह से इंद्र भगवान की युद्ध में विजई हुई थी और इस प्रकार से श्रावण महीने की पूर्णिमा के दिन धागा बांधने की प्रथा चली आ रही है।
दूसरी एक कहानी के अनुसार एक बार भगवान श्री कृष्ण की अंगुली में चोट लग गई थी और खून निकलने लगा था। इस पर द्रोपति के द्वारा अपनी साड़ी का एक कोना चीर करके भगवान श्री कृष्ण की उंगली पर बांधा गया, जिसकी वजह से उनका खून बहना बंद हुआ।
इसके पश्चात महाभारत के दौरान जब दुर्योधन के द्वारा द्रौपदी का वस्त्र हरण किया जा रहा था तो भगवान श्री कृष्ण ने अपनी शक्तियों के द्वारा द्रोपति की लाज बचाई। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपति के द्वारा दिए गए साड़ी के टुकड़े को ही रक्षाबंधन का रक्षा माना था।
एक अन्य कहानी के अनुसार मेवाड़ की रानी दुर्गावती का युद्ध जब बहादुर शाह के साथ चालू हुआ तो थोड़े ही दिनों में दुर्गावती की सेना बहादुर शाह जफर की सेना के सामने कमजोर पड़ने लगी। इस पर दुर्गावती के द्वारा हुमायूं राजा को राखी भेजी गई और उनसे अपनी रक्षा करने के लिए कहा गया।
हुमायूं के राजा द्वारा भी राखी की लाज रखते हुए दुर्गावती की रक्षा करने का निर्णय लिया गया और इस प्रकार हुमायूं अपनी सेना के साथ रानी दुर्गावती की सेना के साथ मिला और बहादुर शाह का कड़ा प्रतिरोध किया गया। इस प्रकार से इस कहानी को भी रक्षाबंधन की कहानी के साथ जोड़ करके देखा जाता है। इसके अलावा सिकंदर की पत्नी और पूरु की कहानी भी रक्षाबंधन के साथ ही जुड़ी हुई है।
रक्षाबंधन के त्यौहार को सिर्फ सामान्य लोगों के द्वारा ही नहीं मनाया जाता है बल्कि इसे देवी-देवताओं के द्वारा भी मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्यौहार भाई और बहन के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है।
कई बार दूर रहने की वजह से बहन अपने भाई को राखी नहीं बांध पाती है परंतु अब आधुनिक सुविधा की वजह से बहनों के द्वारा कोरियर सर्विस के जरिए राखी को अपने भाई तक भेजा जाता है।
इस प्रकार से हम किसी ना किसी प्रकार से भाई और बहन इस त्यौहार को मना ही लेते हैं। रक्षाबंधन के त्यौहार को हिंदू धर्म का सबसे पवित्र त्योहार माना जाता है जिसका आदर अन्य धर्म के लोग भी करते हैं।