संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर जबरदस्त राजनीतिक घमासान देखने को मिला। इसे विपक्ष ने अल्पसंख्यकों की धार्मिक स्वतंत्रता में दखल बताया। तो वहीं इसे सरकार ने पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने वाला कदम करार दिया। विधेयक लोकसभा में यह 288 बनाम 232 के अंतर से पारित हुआ। पक्ष और विपक्ष के बीच पूरे दिन तीखी बहस होती रही। अगले दिन विधेयक राज्यसभा में भी यह पेश हुआ। राज्यसभा में यह टकराव और भी तेज हो गया। हालांकि इसे सरकार ने वहां भी पारित करने में सफलता प्राप्त की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद अब यह विधेयक उम्मीद विधायक 2025 के नाम से कानून बन गया है। तो आइए जानते हैं कि आखिर यह Waqf Bill क्या है इसमें ऐसा क्या है जो इसका विरोध हो रहा है।
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Waqf Bill क्या है?
वक्फ की अवधारणा इस्लामी कानूनों और परंपराओं में निहित है। यह एक मुसलमान द्वारा धार्मिक उद्देश्यों के लिए किए गए दान को संदर्भित करता है, जैसे मस्जिद, स्कूल, अस्पताल या अन्य सार्वजनिक संस्थान बनाना। वक्फ की एक और परिभाषित विशेषता यह है कि यह अविभाज्य है जिसका – अर्थ है कि इसे बेचा, उपहार में नहीं दिया जा सकता, विरासत में नहीं दिया जा सकता या उस पर कोई भार नहीं डाला जा सकता। इसलिए जब एक बार कोई संपत्ति वक्फ, यानी वक्फ के निर्माता से अलग हो जाती है, तो वह ईश्वर में निहित हो जाती है और इस्लामी मान्यता के अनुसार चूंकि ईश्वर हमेशा के लिए रहता है, इसलिए ‘वक्फ संपत्ति’ भी हमेशा के लिए रहती है।
वक्फ (संशोधन) बिल 2024, वक्फ अधिनियम 1955 में बदलाव करने वाला एक कानून है। जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, पारदर्शिता और दुरुपयोग रोकने के लिए नियमों को लागू करना है। ताकि वक्फ संपत्तियों के रेगुलेशन और मैनेजमेंट से आने वाली समस्याओं और चुनौतियों का समाधान किया जा सके। Waqf Bill का उद्देश्य देश में वक्फ संपत्तियों के मैनेजमेंट में सुधार करना है। इसका मकसद पिछले कानून की खामियों को दूर करना और अधिनियम का नाम बदलने जैसे बदलाव करके वक्फ बोर्डों की कार्य कुशलता को बेहतर करना है।
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नए कानून में क्या–क्या बदला गया?
- वक्फ बिल में कुछ पुराने प्रावधानों में बदलाव और नए प्रावधान जोड़े गए हैं।
- अब मनमाने तरीके से वक्फ बोर्ड किसी भी संपत्ति पर दावा नहीं कर सकेगा।
- विवाद की स्थिति में अदालत में चुनौती दी जा सकेगी।
- वह व्यक्ति जो वक्फ को संपत्ति दान करेगा उसके लिए अनिवार्य है कि वह कम से कम 5 वर्षों से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा हो।
- अधिसूचना से पहले की स्थिति को मान्यता प्राप्त होगी यानी मस्जिदों और अन्य धार्मिक चीजों की पूर्व स्थिति बनी रहेगी।
- जिन्हें राज्य सरकार नामित करेंगी उन्हें भूमि विवाद के निपटारे के लिए जिला मजिस्ट्रेट के अलावा अन्य अधिकारियों को भी अधिकार मिलेगा।
वक्फ बिल में क्या बदलाव प्रस्तावित है?
- Waqf Board में गैर-मुस्लिम और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का प्रावधान किया गया है।
- जिलाधीश (कलेक्टर) को वक्त संपत्तियों का सर्वे करने का अधिकार दिया गया है।
- हाईकोर्ट में वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को चुनौती देने का प्रावधान है।
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विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का तर्क?
वक्फ बिल को लेकर विपक्ष और मुस्लिम संगठनों का तर्क क्या है उसके बारे में नीचे जानकारी दी गई है।
- विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं।
- विपक्ष और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस बिल को धार्मिक स्वतंत्रता पर हमले के रूप में देखा है।
- उनका कहना है कि यह वक्फ संपत्तियों को कमजोर करेगा।
- ये बिल सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ाएगा।
- यह बिल संविधान के अनुच्छेद 142526 का उल्लंघन करता है जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है।
सरकार का तर्क?
- यह विधेयक वक्फ संपत्ति में पारदर्शिता लाएगा।
- संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकेगा।
- मुस्लिम समुदाय खासकर महिलाओं और गरीबों को फायदा पहुंचाएगा।
Waqf Bill के फायदे
- एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल वक्फ संपत्तियों पर नज़र रखेगा, जिससे बेहतर पहचान, निगरानी और प्रबंधन सुनिश्चित होगा।
- लेखापरीक्षा और लेखांकन उपायों से वित्तीय कुप्रबंधन को रोका जा सकेगा और यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि धन का उपयोग केवल कल्याणकारी उद्देश्यों के लिए किया जाए।
- नियमित लेखापरीक्षा और निरीक्षण से वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा मिलेगा और वक्फ प्रबंधन में जनता का विश्वास मजबूत होगा।
- वक्फ भूमि के दुरुपयोग और अवैध कब्जे को रोकने से वक्फ बोर्डों के राजस्व में वृद्धि होगी, जिससे उन्हें कल्याणकारी कार्यक्रमों का विस्तार करने में मदद मिलेगी।
- स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, आवास और आजीविका सहायता के लिए धनराशि आवंटित की जाएगी, जिससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को सीधे लाभ मिलेगा।
वक्फ बिल के नुक्सान
वक्फ बिल के निम्नलिखित नुकसान है।
- वक्फ संपत्ति प्रबंधन में पारदर्शिता का अभाव।
- वक्फ भूमि अभिलेखों का अधूरा सर्वेक्षण और म्यूटेशन।
- ट्रस्ट की संपत्तियों के साथ अनुचित व्यवहार।
- महिलाओं के उत्तराधिकार अधिकारों के लिए अपर्याप्त प्रावधान।
- अतिक्रमण सहित बड़ी संख्या में लंबित मुकदमे।
- 2013 में 10,381 मामले लंबित थे, जो अब बढ़कर 21,618 हो गए हैं।
- वक्फ बोर्ड की अपनी जांच के आधार पर किसी भी संपत्ति को वक्फ भूमि घोषित करने की अतार्किक शक्ति।
- एक्यूएफ घोषित की गई सरकारी भूमि से संबंधित बड़ी संख्या में विवाद हैं।
- वक्फ संपत्तियों के उचित लेखांकन और लेखा परीक्षा का अभाव।
- वक्फ प्रबंधन में प्रशासनिक अक्षमताएं।
- केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में हितधारकों का अपर्याप्त प्रतिनिधित्व।
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FAQs
Ans – Waqf Bill का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और दुरुपयोग रोकने के लिए सख्त नियम लागू करना है।
Ans – विपक्ष और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मानना है कि यह बिल धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करेगा। उनका दावा है कि यह वक्त संपत्तियों को कमजोर करेगा और सरकार का हस्तक्षेप बढ़ाएगा