1 अक्टूबर, वर्ष 2019 के दिन देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के मौके पर इंडियन गवर्नमेंट के द्वारा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख के नए नक्शे को जारी किया गया था। इसके साथ ही साथ भारत का नया पॉलिटिकल नक्शा भी सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया की तरफ से जारी किया गया।
इस नक्शे में मीरपुर और मुजफ्फराबाद को भी भारत के नक्शे में शामिल किया गया था। अगर आप नवीनतम केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के सभी जिलों के नाम जानना चाहते हैं तो इस लेख में हम लद्दाख में कितने जिले हैं | List of Districts in Ladakh – राजधानी व लद्दाख के नक्शे की जानकारी देंगे।
लद्दाख में कुल कितने जिले हैं ?
पहले जम्मू कश्मीर राज्य में लद्दाख आता था परंतु अब लद्दाख एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बन चुका है जिसके अंतर्गत कुल 2 जिले आते हैं। लद्दाख में आने वाले दोनों जिले के नाम लेह और कारगिल है।
लद्दाख के अंतर्गत आने वाले लेह जिले के तहत पाकिस्तान अधिकृत गिलगित बालटिस्तान को भी शामिल किया गया है। इस जिले में ट्राइबल टेरिटरी,गिलगिट,गिलगिट-बाजारत और चिलहास को भी शामिल किया गया है।
लद्दाख के सभी जिलों के नाम | List of Districts in Ladakh
- लेह
- करगिल
लद्दाख का नक्शा
लद्दाख की राजधानी | Capital of Ladakh
अभी तक लद्दाख की राजधानी घोषित नहीं की गई है। लद्दाख का मुख्य शहर लेह है और सरकार के द्वारा यह विचार किया जा रहा है कि लेह को ही लद्दाख की राजधानी बनाया जाए।
लद्दाख को साल 2019 में 5 अगस्त के दिन जम्मू कश्मीर से अलग किया गया और इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया। जब लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश नहीं था उसके पहले यह जम्मू कश्मीर के एक डिवीजन के तौर पर प्रसिद्ध था।
लद्दाख की भाषा
लद्दाख में सामान्य बोलचाल के लिए लद्दाखी भाषा का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा यहां पर नेपाली भाषा भी बोलते हैं, साथ ही उर्दू भाषा भी बोलते हैं। इसके अलावा हिंदी भाषा बोलने वाले लोग यहां पर बड़े पैमाने पर रहते हैं।
लद्दाख में जाने के बाद आपको नेपाल और तिब्बत की मिली-जुली संस्कृति दिखाई देती है। लद्दाख राज्य के पूर्वी भाग में अधिकतर बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं वही इसके पश्चिमी भाग में अधिकतर इस्लाम मजहब को मानने वाले मुसलमान रहते हैं।
लद्दाख में घूमने की जगह | Tourist Places in Ladakh
लद्दाख एक केंद्र शासित प्रदेश है जो हिमालय पर्वत के पास में मौजूद है और यही वजह है कि यहां पर साल भर में वातावरण ठंडा ही रहता है।
इसलिए जो लोग ठंडे वातावरण में घूमने जाने की इच्छा रखते हैं उन्हें लद्दाख अवश्य घूमने जाना चाहिए। नीचे लद्दाख के लोकप्रिय पर्यटन स्थल की जानकारी दी गई है।
पैंगोंग झील
लद्दाख में स्थित यह बहुत ही प्रसिद्ध झील है, जो कि तकरीबन 12 किलोमीटर की दूरी में फैली हुई है। यह झील भारत से लेकर के तिब्बत तक फैली हुई है और समुद्र तल से इस झील की ऊंचाई तकरीबन 46000 मीटर है। और यही वजह है कि इस झील का टेंपरेचर माइनस 5 डिग्री सेल्सियस से लेकर के 10 डिग्री सेल्सियस तक रहता है।
ठंडी के मौसम में पैंगोंग झील पूरी तरह से जाम हो जाती है। अगर आप लद्दाख घूमने जा रहे हैं तो इस झील को घूमना बिल्कुल ना भूलें। यहां पर विभिन्न प्रकार की बॉलीवुड की फिल्मों की शूटिंग भी की गई है।
इस प्रकार से यह पॉपुलर शूटिंग स्पॉट भी है। लद्दाख में मौजूद पैंगोंग झील अपनी प्राकृतिक सुंदरता की वजह से प्रमुख पर्यटन स्थल में अपना स्थान रखती है।
मैग्नेटिक हिल
लद्दाख में मौजूद मैग्नेटिक हिल को ग्रेविटी हिल भी कहते हैं। यह एक ऐसी जगह है जहां पर गाड़ियां गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से अपने आप ही पहाड़ी की तरह आगे बढ़ती हैं।
मैग्नेटिक हिल समुद्र तल से तकरीबन 14000 फीट की ऊंचाई पर मौजूद है और इसकी दूरी लेह शहर से तकरीबन 30 किलोमीटर की है।
इस पहाड़ी के पूर्व के हिस्से में सिंधु नदी अविरल बहती रहती है जो कि तिब्बत से निकलती है। इस पहाड़ी का मैग्नेटिक रहस्य लोगों को यहां पर घूमने आने के लिए विवश करता है।
लेह पैलेस
यह भी लद्दाख का लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो कि ऐतिहासिक समृद्ध संपदा से भरपूर है। इस पैलेस को बनवाने का काम 17वीं शताब्दी में चालू हुआ था और जब इस पैलेस को बनवाने का काम प्रारंभ हुआ था तब इसे शाही महल के तौर पर बनवाया गया था।
इस महल में राजा अपनी रानियों के साथ तथा अपने परिवार के साथ राजसी ठाट बाट से रहते थे। यह पैलेस अपने टाइम की सबसे ऊंची इमारत है जिसमें 9 मंजिले है।
चादर ट्रैक
लद्दाख में स्थित चादर ट्रेक की गिनती सबसे मुश्किल और एडवेंचर से भरे हुए ट्रैक में होती है। इसका नाम चादर ट्रेक इसलिए पड़ा है क्योंकि यहां पर जो नदी है वह ठंडी के मौसम में बर्फ से जम जाती है और जो बर्फ होती है वह बिल्कुल सफेद चादर की तरह दिखाई देती है।
गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब
लद्दाख के लेह जिले से तकरीबन 20 किलोमीटर की दूरी पर सिखों का धार्मिक गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब मौजूद है। इस गुरुद्वारे का निर्माण साल 1517 में गुरु नानक की याद में करवाया गया था और जैसे कि इसके नाम से ही पता चल रहा है कि यह तीर्थ स्थल एक अचल चट्टान है।
गुरुद्वारा श्री पत्थर साहिब ट्रक चलाने वाले ड्राइवरों के लिए साथ ही सेना के जवानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण जगह है। यहां से आगे जाने का मार्ग थोड़ा सा कठिन है। इसीलिए थके हुए लोग यहां पर थोड़ी देर तक विश्राम करते हैं और गुरुद्वारा साहिब के दर्शन करके अपनी आगे की यात्रा को प्रारंभ करते हैं।
FAQ
लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश कब बना ?
5 अगस्त सन 2019
लद्दाख में कुल कितने जिले हैं ?
दो
लद्दाख में कौन सी भाषा बोली जाती है ?
लद्दाखी