अफस्पा (AFSPA) कानून क्या है ?



भारत एक संवैधानिक देश है, जहाँ पर सभी को संविधान में बताएँ गए कानूनों के अनुसार ही चलना पड़ता है | यदि कोई भी नागरिक भारत के संविधान के नियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उस व्यक्ति पर न्याय पालिका द्वारा उचित कार्यवाही करके, उसे दण्डित किया जाता है |

इसी कड़ी में आज हम इस आर्टिकल में एक कानून है, “अफस्पा (AFSPA) कानूनक्या है” जिस पर हम बात करने जा रहे है, जो भारत के सभी राज्यों में लागू न होकर केवल भारत के कुछ ही राज्यों अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, असम, मणिपुर, त्रिपुरा और नागालैंड में लागू किया गया है, इसकी वजह यह है कि यह केवल उन्हीं राज्यों में लागू है, जिनमे “डिस्टर्ब अर्थात अशांति” के माहौल की सदैव सम्भावना बनी रहती है, या फिर जाति, धर्म या अन्य स्थिति में समुदायों में मतभेद बढ़ जाता है |

यदि आप भी AFSPA का फुल फॉर्म (AFSPA Explained in Hindi) इसके बारे में जानने के इच्छुक है, तो यहाँ इस जानकारी से अवगत कराया गया है |

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अफस्पा (AFSPA) कानून क्या है (AFSPA Explained in Hindi)

भारत की संसद में 61 वर्ष पहले ‘आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 “अफस्पा” कानून’ को पारित कराया गया था | यह क़ानून सुरक्षा बलों के लिए बनाया गया है, जो देश के संवेदनशील अर्थात अशांत क्षेत्रों में लागू है | इस कानून में भारतीय सुरक्षा बल अर्थात सेना को कुछ अलग से विशेषाधिकार प्रदान किये गए है | सेना की सुरक्षा की द्रष्टि से यदि देखा जाये, तो भारत के अशांति अर्थात उपद्रवग्रस्त क्षेत्रों में अफस्पा (AFSPA) कानून सेना के लिए बहुत ही महत्वपूर्णकानून है, जिस अफस्पा कानून की मदद से मौजूदा राज्य सरकार भी सेना के किसी भी कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं कर सकती है, इसका सीधा मतलब यह की राज्य सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता है |

AFSPA क़ानून की मदद से ही देश की सीमाओं पर आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाना सम्भव है, इस कानून के तहत सैनिकों द्वारा पूछताछ करने या किसी कार्यवाही को करने में समस्या नहीं आती है, क्योंकि इससे सेना को सरकार को जवाब नहीं देना पड़ता है |

AFSPA का फुल फॉर्म

AFSPA का फुल फॉर्म “Armed Forces (Special Powers) Act” होता है, तथा अंग्रेजी में इसका उच्चारण ‘आर्म्ड फोर्सेज (स्पेशल पावर्स) एक्ट’ होता है, तथा हिंदी में इसका अर्थ “सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम” कहते है | इस कानून कोबहुत ही खतरनाक स्थितिमें लागू करते है, जहां पर पुलिस (Police) और अर्द्धसैनिक बल (Army) आतंकवाद (Terrorism), उग्रवाद (Extremism) या फिर अन्य बाहरी ताकतों से लड़ने में सक्षम नहीं होते हैं | इस के तहत की गई कार्यवाही पर सेना बल की जवाब देही नहीं होती है, कुछ परिस्थितियों में केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपी जाती है | 

अफस्पा (AFSPA) कानून कब लगता है

जब किसी भी राज्य या क्षेत्र में अफस्पा (AFSPA) कानून तभी लागू कर सकते है, जब वह क्षेत्र में स्थिति सामान्य न हो, जिसे देखते हुए राज्य सरकार (State Govt) या केंद्र सरकार (Central Govt) ‘अशांत क्षेत्र’ मतलब कि “डिस्टर्बड एरिया एक्ट (Disturbed Area Act)” घोषित करती है | यह एक्ट लागू होने के उपरांत ही वहां सेना या सशस्त्र बल को शांति बनाये रखने के लिए भेज दिया जाता हैं | यह कानून लागू होने के तुरंत बाद ही सेना के पास किसी भी संदिग्ध व्यक्ति के विरुद्ध कार्रवाई करने का अधिकार प्राप्त हो जाता है |

यह स्थिति क्षेत्र में धार्मिक, क्षेत्रीय समूहों, नस्लीय, भाषीय, जातियों की विभिन्नता के आधार पर दो या अधिक समुदायों के मध्य मतभेद होने सेउपद्रव होने लगता हैं |

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AFSPA कानून में सेना के अधिकार

AFSPA कानून में सेना के जवानों को ध्यान में रखते हुए कुछ अधिकार प्रदान किये गए है, जिससे सेना की जवानों की व्यक्तिगत जीवन में कोई असर न पड़े | सेना के अधिकारों की इस प्रकार है:-

सेना बल को यह अधिकार दिया गया है, कि किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी वारंट के गिरफ्तार करके पूछताछ कर सकती है |
इसके अलावा सशस्त्र बल बिना किसी सर्च वारंट (Search Warrant) के राज्य के किसी भी घर की तलाशी लेने का अधिकार प्रदान किया गया हैं, और इसके लिए आवश्यकता पड़ने पर, जरूरी बल का भी प्रयोग कर सकते है |
इस तरह के क्षेत्र में यदि कोई भी नागरिक अशांति फैलाने के साथ, बार बार कानून नियमों को तोड़ता है, तो ऐसी स्थिति में मृत्यु तक बल का प्रयोग करने का अधिकार है, परन्तु इसके लिए बाद में सुरक्षा बल लीडर को केंद्र को रिपोर्ट सौंपनी होती है |
किसी स्थिति में यदि सशस्त्र बलों को अंदेशा होता है और विद्रोही या उपद्रवी किसी स्थान में छुपे हुए होने पर हैं (हथियार बंद हमले की सम्भावना होने पर) तो उस स्थान को तबाह करने का अधिकार प्राप्त है | अंदेशा होने परकिसी भी वाहन को रोककर तलाशी ले सकते है |
इसके अंतर्गत सशस्त्र बलों से यदि गलत कार्यवाही होती है फिर भी, उन पर कानूनी कार्यवाही नही हो सकती है |

AFSPA कानून का विरोध क्यों होता है 

किसी भी कानून में यदि सहूलियत दी जाती है, तो कभी उसका गलत फायदा भी कुछ व्यक्ति उठाते है | कई बार देखा गया कि सुरक्षा बलों द्वारा इस एक्ट के दुरुपयोग के मामलें सामने आये है, अर्थात आरोप लगे है | इन आरोपों में फर्जी एनकाउंटर, यौन उत्पीड़न तथा व्यक्तिगत दुश्मनी के मामले पाए गए हैं | AFSPA कानून कुछ स्थितियों में मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है, इसलिए इसकी तुलना अंग्रेजों के समय लागू ‘रौलट एक्ट’ से कुछ जानकार करते है, क्योंकि इस कानून में भी किसी व्यक्ति को सिर्फ शक के दायरे में पाए जाने पर गिरफ्तारी हो सकती है | इन्हीं कारणों की वजह से इस कानून का समय समय पर विरोध होता रहा है, और इसे हटाने की मांग बहुत से एनजीओ (NGO) तथा सामाजिक कार्यकर्ता करते आ रहे हैं |

AFSPA कानून इन राज्यों में लागू है

अगर भारत के सभी राज्यों को देखा जाए तो AFSPA कानून असम, नागालैंड, जम्‍मू कश्‍मीर और मणिपुर में लागू है | इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश राज्य में छांगलांग, तिराप और लांगडिंग जिले तथा असम से सटी सीमा पर यह एक्ट लागू किया गया है | इसके अतरिक्त मेघालय के कुछ स्थानों पर जो असम से सटे हुए है |

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