दोस्तों हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया हैं। आज हम आपको अपने आर्टिकल के माध्यम से नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की बड़ी जानकारी उपलब्ध करने जा रहें हैं। जैसे -CAA क्या है, और इसे लागू करने से देश में क्या बदलाव होगा? आदि सभी जानकारी को विस्तार से समझने के लिए आप हमारे इस आर्टिकल के साथ अंत तक बने रहें।
CAA क्या है?
केंद्र सरकार की ओर से 11 मार्च को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया हैं। पहली बार सीएए 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था |यहां से तो यह बिल पास हो गया था लेकिन राज्यसभा में जाकर ये अटक गया था। नागरिकता संशोधन कानून, 2019 (सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट) भारत के तीन पड़ोसी देश बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता दी जाएगी। अब सवाल उठता हैं की इस बिल को लेकर इतना हंगामा क्यों हैं, क्योकि इसमें गैर-मुस्लिम माइनोरिटी जैसे -हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगो को शामिल किया गया हैं।

नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) क्या है
CAA की राष्ट्रपति ने दी मंजूरी
लोकसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार का यह बड़ा फैसला हैं। CAA की फुल फार्म Citizenship Amendment Act हैं। 11 दिसंबर 2019 को भारतीय संसद में सीएए को पारित किया गया था। इसके पक्ष में 125 और खिलाफ में 105 वोट पड़े थे। 12 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इस विधेयक की मंजूरी दे दी थी। देशभर में नागरिकता संशोधन अधिनियम एक बड़ा मुद्दा बना हुआ था मुस्लिम समुदाय द्वारा इसका व्यापक विरोध भी किया गया था। राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद ये बिल नागरिक संशोधन कानून (CAA, Citizenship Amendment Act) यानी एक्ट बन गया है।
CAA को लेकर क्यों हो रहा विवाद?
दोस्तों हम आपको बता दें की देशभर में नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर एक बड़ा मुद्दा फेल गया हैं , क्योकि इस कानून के लागू हो जाने से केवल गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिल सकेगी। जैसे -हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी को। देशभर में कुछ आलोचकों द्वारा इस प्रावधान को भेदभावपूर्ण माना जा रहा हैं। क्योंकि इसमें मुसलमानों को शामिल नहीं किया गया है। जिसके कारण ये विवादों में घिरा हुआ है। सरकार का ये तर्क है कि इन देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक है फिर वह कैसे प्रताड़ित हुए. इसीलिए यहां पर प्रताड़ित होकर आने वाले अल्पसंख्यकों को ही नागरिकता दी जानी चाहिए।
किस-किस को मिल सकेगी नागरिकता?
दोस्तों हम आपको बता दें CAA लागू होने के बाद किसे नागरिकता देनी है और किसे नहीं देनी है इसका पूरा-पूरा अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा. इसमें केंद्र सरकार की ओर से पाकिस्तान-अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी धर्म से जुड़े शरणार्थियों को शामिल किया गया हैं। इसके लिए उन्हें केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए पोर्टल पर आवेदन करना होगा। सूत्रों के मुताबिक, जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर बस गए थे. केवल उन्ही लोगों को नागरिकता दी जाएगी. इसके आलावा वे लोग जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज (पासपोर्ट और वीजा) के बिना घुस आए हैं या फिर वैध दस्तावेज के साथ तो भारत में आए हैं, लेकिन तय अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए हों। उन सभी को नागरिकता नहीं दी जाएगी।
CAA के तहत नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन कैसे होगा ?
CAA केवल मुस्लिम-बहुल देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करता है। जो लोग 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आकर बस गए थे, उन्हें ही नागरिकता मिलेगी। CAA कानून को लागू करने की अधिसूचना को जारी करने के बाद केंद्र सरकार की ओर से एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया जा रहा हैं। इस पोर्टल के जरिए अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यक शरणार्थी (हिंदू, सिख, पारसी, बौद्ध और ईसाई ) भारतीय नागरिकता के लिए रजिस्ट्रेशन करेंगे.पात्र विस्थापितों को सिर्फ ऑनलाइन पोर्टल पर जाकर अपना आवेदन करना होगा. जिसके बाद गृह मंत्रालय आवेदन की जांच करेगा और आवेदक को नागरिकता जारी कर दी जाएगी.इसके लिए नागरिको को केवल भारत में प्रवास का समय बताना होगा. हालांकि, इसके लिए पोर्टल पर किसी तरह के दस्तावेज अपलोड नहीं करने होंगे।
FAQ’s
Citizenship Amendment Act है।
11 दिसंबर 2019 को भारतीय संसद में सीएए को पारित किया गया था. 12 दिसंबर को राष्ट्रपति ने इस विधेयक की मंजूरी दे दी थी
सरकार का यह मानना है कि CAA केवल मुस्लिम-बहुल देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करता है. साथ ही सरकार का ये भी तर्क है कि इन देशों में मुस्लिम बहुसंख्यक है फिर वह कैसे प्रताड़ित हुए. इसीलिए यहां पर प्रताड़ित होकर आने वाले अल्पसंख्यकों को ही नागरिकता दी जानी चाहिए.
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