वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण के कारण न्यायालयों में सिर्फ आवश्यक और बेहद गंभीर मामलों में ही सुनवाई की जा रही है | यहाँ तक कि एक लम्बे अन्तराल से लोक अदालतों का आयोजन नहीं हुआ है | जिसके कारण अदालतों में नये मामलों का बोझ बढ़नें के साथ ही लोगो को न्याय के लिए काफी अधिक समय तक इन्तजार करना पड़ रहा है |
इस समस्या का समाधान निकालनें के लिए सरकार नें ई-लोक अदालत की शुरूआत की है। वर्तमान में एक लम्बे अन्तराल के बाद ई लोक अदालत का आयोजन किया जा रहा है | आपको बता दें, कि देश की पहली राज्य स्तरीय ई-लोक अदालत (E-Lok Adalat) का आयोजन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में 11 जुलाई 2020 को किया जा चुका है | आईये जानते है, ई लोक अदालत क्या है | E-Lok Adalat आवेदन प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी |
ई लोक अदालत क्या होता है (What Is E-Lok Adalat)
भारत की पहली ई-लोक अदालत का उदघाटन छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.आर रामचंद्र मेनन द्वारा किया गया। ऐसा देश में पहली बार हुआ है, जब लोक अदालत का आयोजन वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुरू किया गया है | ई-लोक अदालत में मोटर दुर्घटना दावा प्रकरण, फौजदारी, पारिवारिक विवाद, संपत्ति बँटवारे संबंधी विवाद, एनआइ एक्ट के साथ-साथ विवाह से सम्बंधित वाद सुलह के आधार पर निस्तारित किए जाएंगे। सबसे खास बात यह है, कि ई-लोक अदालत में दिए गये निर्णय को किसी अन्य न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकेगी |
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ई-लोक अदालत आवेदन प्रक्रिया (E-Lok Adalat Applying Process)
ऐसे व्यक्ति जो ई-लोक अदालत के माध्यम से अपनें विवाद का निस्तारण चाहते हैं, इसके लिए जहां उनका मुकदमा लंबित है अर्थात संबंधित न्यायालय में अपने वकील के माध्यम से ई-मेल के जरिये आवेदन करना होगा। इसके साथ ही आप न्यायालय के ड्रॉप बॉक्स में प्रार्थना पत्र डालकर भी आवेदन कर सकते हैं |
लोक अदालत में निपटनें वाले मामले (Cases dealt with in Lok Adalat)
- मोटर वाहन दुर्घटना मुआवजा से सम्बंधित दावे।
- दीवानी से सम्बंधित मामले।
- बेगार श्रम सम्बंधित मामले।
- वैवाहिक एवं पारिवारिक झगड़े।
- दाखिल ख़ारिज भूमि के पट्टे।
- वन भूमि से सम्बंधित मामले।
- भूमि अर्जन से सम्बंधित मामले।
- फौजदारी से सम्बंधित मामले।
- बैंक ऋण से सम्बंधित मांमले।
- राजस्व से सम्बंधित मामले।
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लोक अदालत की विशेषताएं (Features of Lok Adalat)
- लोक अदालत में किसी प्रकार की कोर्ट फीस का भुगतान नहीं करना होता है, यदि कोर्ट में विचाराधीन मामलें में किसी कारणवश कोर्ट फीस जमा करवाई गई है, तो लोक अदालत में विवाद का समाधान हो जाने पर वह फीस वापस कर दी जाती है।
- लोक अदालत में पक्षकार न्यायाधीश के साथ स्वयं अथवा अपनें वकील के माध्यम से बातचीत कर सकते है, जबकि नियमित कोर्ट में सिर्फ अधिवक्ता द्वारा ही पूरी कार्यवाही की जाती है|
- लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य वादों का त्वरित निवारण करना होता है।
- लोक अदालत द्वारा दिया गया निर्णय दोनो पक्षों के लिए बाध्यकारी होता है, जिसे डिक्री कहा जाता है, और इसके विरूद्ध अपील नही होती ।
- लोक अदालत द्वारा दिए गये निर्णय के विरुद्ध किसी अन्य न्यायालय में अपील नही की जा सकती है |
यहाँ आपको ई लोक अदालत (E-Lok Adalat) के विषय में जानकारी दी गई है | यदि आप इससे संबंधित अन्य किसी जानकारी को प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट करके अपना सुझाव दे, आपकी प्रतिक्रिया का जल्द ही उत्तर देने का प्रयास किया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे |
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