इतिहास में कुछ ऐसी घटनायें है, जिन्हें हम चाह कर भी नहीं भूल सकते | इन्ही में प्रथम विश्व युद्ध (First World War – WW-1) एक महत्वपूर्ण घटना है | प्रथम विश्व युद्ध 28 जुलाई 1914 से शुरू होकर 11 नवंबर 1918 तक चला था, इस महायुद्ध को ग्रेट वार भी कहा जाता है | प्रथम विश्व युद्ध बहुत ही भीषण युद्ध था, जिसमें लगभग आधी दुनिया हिंसा की चपेट में चली गई थी और इसमें लगभग 1 करोड़ से अधिक लोग मारे गये थे, जबकि 2 करोड़ से अधिक लोग घायल हुए थे |
इसके अलावा बीमारियों और कुपोषण जैसी घटनाओं से भी लाखों लोग मरे थे। इस महायुद्ध में विश्व के लगभग सभी प्रभावशाली देशों नें भाग लिया था | इस युद्ध के समाप्त होते-होते दुनिया के चार बड़े साम्राज्यों रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया-हंगरी और उस्मानिया (तुर्क साम्राज्य) का विनाश हो गया था | प्रथम विश्व युद्ध कब और कैसे हुआ, इसका कारण और परिणाम के बारें में आपको विस्तार से जानकारी दे रहे है|
प्रथम विश्व युद्ध में शामिल देश (Countries Involved in World War)
इस युद्ध में एक तरफ मित्र राष्ट्रों जिनमें इंग्लैंड, फ्रांस, रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका, इटली, रूमानिया तथा उनके सहयोगी राष्ट्रों और दूसरी तरफ केंद्रीय शक्तियों जिनमें जर्मनी, ऑस्ट्रिया, तुर्की, बुल्गारिया आदि देश शामिल थे | जिस समय यह युद्ध शुरू हुआ उस समय ऑस्ट्रो- हंगरी में हब्स्बर्ग नामक वंश का शासन था, जो वर्तमान समय में तुर्की का इलाक़ा है|
प्रथम विश्व युद्ध होनें का कारण और परिणाम
प्रथम विश्व युद्ध के लिए कोई एक कारण नहीं था इसके अनेक कारण उत्तरदायी थे | इसके लिए 1914 तक होनें वाली अनेक घटनाओं और कारणों का परिणाम माना जा सकता है | हालाँकि इस इस युद्ध का तात्कालिक कारण यूरोप के सबसे बड़े ऑस्ट्रिया-हंगरी साम्राज्य के उत्तराधिकारी आर्चड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की बोस्निया में हुई हत्या को ही माना जाता है। इसके अन्य कारण इस प्रकार है-
मिलिट्रीज्म (Militarism)
सभी देश सुरक्षा की दृष्टिकोण से अनेक प्रकार के आधुनिक अस्त्र शस्त्रों का निर्माण करनें लगे | इसके फलस्वरुप मशीन गन, टैंक, जहाज और अधिक सैनिकों पर विशेष ध्यान देने लगे | यहाँ तक कि कई देशों नें अपनी सैनिकों की संख्या में काफी विस्तार किया, और इस मामले में जर्मनी और ब्रिटेन सबसे आगे थे |
ऐसे में अन्य देशों ने भी जर्मनी और ब्रिटेन से बराबरी करनें की कोशिश की परन्तु यह संभव नहीं था | इस प्रकार एक ऐसी अवधारणा बन गयी कि जिस देश के पास आधुनिकअस्त्र शस्त्र और जितने अधिक सैनिक होंगे वह देश उतना ही ताकतवर होगा | इसके पश्चात सभी देशों नें अपनी सेनाओं का आकार बढ़ाना शुरू किया |
गुप्त संधियाँ और गुटों का निर्माण (Creation of Secret Treaties and Factions)
यूरोप में 19वीं शताब्दी के दौरान जर्मनी के चांसलर बिस्मार्क नें अपने देश को यूरोपीय राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत बनानें के लिए गुप्त संधिया करना शुरू कर दिया | बिस्मार्क नें ऑस्ट्रिया के साथ द्वैत संधि और रूस के साथ मैत्री संधि के साथ-साथ उसनें इटली और ऑस्ट्रिया के साथ भी मैत्री संधि की |
इसके फलस्वरूप यूरोप में एक नए गुट का निर्माण हुआ, जिसे त्रिगुट संधि कहा जाता है | इसमें जर्मनी, ऑस्ट्रिया और इटली शामिल थे | हालाँकि इटलीज र्मनी और ऑस्ट्रिया के साथ था, परन्तु युद्ध के दौरान इटली नें पाला बदल कर फ्रांस एवं ब्रिटेन के साथ युद्ध करना शुरू कर दिया था|
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साम्राज्यवाद की प्रतिस्पर्धा (Competitiveness of Imperialism)
सन 1880 के बाद सभी बड़े देश जिनमें फ्रांस, जर्मनी, होलैंड बेल्जियम आदि अफ्रीका पर क़ब्ज़ा कर रहे थे और ब्रिटेन इन सभी देशों का नेतृत्व कर रहा था, क्योंकि ब्रिटेन की इस समय काफ़ी सफ़ल देश था और बाक़ी देश इसके विकास मॉडल को कॉपी करना चाहते थे | पूरी दुनिया के 25 प्रतिशत भाग पर एक समय ब्रिटिश शासन का राजस्व था, जिसके कारण ब्रिटेन के पास बहुत अधिक संसाधन आ गये थे और इसी वजह से इनकी सैन्य क्षमता में भी काफी वृद्धि हुई |
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राष्ट्रवाद की भावना (The Spirit of Nationalism)
19वीं शताब्दी मे जर्मनी, इटली, अन्य बोल्टिक देशों में राष्ट्रवाद पूर्ण रूप से फ़ैल चुका था, जिसके कारण यह लड़ाई एक ग्लोरिअस लड़ाई के रूप मे भी सामने आई | इन देशों को ऐसा लगने लगा कि कोई भी देश लड़ाई लड़ के और जीत के ही महान बन सकता है. इस तरह से देश की महानता को उसके क्षेत्रफल से जोड़ के देखा जाने लगा |
प्रथम विश्व युद्ध से पहले एक पोस्टर बना था, जिसमें कई देश एक दूसरे पर आक्रमण करते नजर आ रहे थे | इस पोस्टर में साइबेरिया को एक बहुत छोटे बच्चे के रूप में दिखाया गया था, जिसमें साइबेरिया, ऑस्ट्रिया से कह रहा था कि यदि तुम मुझे मारोगे तो रूस तुम्हे मारेगा | इसी प्रकार यदि रूस ऑस्ट्रिया को मारता है, तो जर्मनी रूस को मारेगा | इस तरह सभी एक दुसरे के दुश्मन हो गये, जबकि झगड़ा सिर्फ साइबेरिया और ऑस्ट्रिया के बीच में था |
प्रथम विश्व युद्ध का मुख्य कारण (The Main Reason for the First World War)
प्रथम विश्वयुद्ध का तात्कालिक कारण आर्चड्यूक फर्डिनेंड और उनकी पत्नी की बोस्निया में हत्या कर दी गयी | इस हत्या के बाद यूरोप स्तब्ध हो गया और उसनें इस घटना के लिए सर्विया को जिम्मेदार ठहराया | इसके बाद ऑस्ट्रिया ने साइबेरिया को आत्मसमर्पण करनें के लिए कहा | ऐसी परिस्थितियों में साइबेरिया ने रूस से मदद माँगी और रूस को बाल्टिक्स में हस्तक्षेप करने का एक अवसर मिल गया |
इसी बीच ऑस्ट्रिया हंगरी नें जर्मनी से सहायता मांगी | जर्मनी का सहयोग मिलनें पर ऑस्ट्रिया हंगरी नें साइबेरिया पर हमला करना शुरू कर दिया और इसी बीच रूस ने जर्मनी से लड़ाई की घोषणा कर दी और इसके कुछ दिनों बाद ही फ्रांस ने भी जर्मनी से लड़ाई की घोषणा कर दी |
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प्रथम विश्व युद्ध का समय (Time of The First World War)
इस प्रकार अगस्त में युद्ध शुरू हो गया और जर्मनी नें फ़्रांस को हरानें के लिए एक योजना बनायी और इसके लिए जर्मनी नें बेल्जियम का रास्ता चुना | जैसे ही जर्मनी के सैनिकों नें बेल्जियम में प्रवेश किया, उधर से ब्रिटेन ने जर्मनी पर हमला कर दिया | ब्रिटेन का जर्मनी पर हमला करनें का मुख्य कारण बेल्जियम और ब्रिटेन के बीच सन 1839 में एक समझौता हुआ था | हालाँकि जर्मनी की सेनाओं नें ईस्ट फ्रंट पर रूस को पराजित कर दिया | इस हमले के दौरान लगभग 3 लाख रूसी सैनिक शहीद हो गये |
इसी दौरान ओटोमन एम्पायर ने भी रूस पर हमला कर दिया क्योंकि ओटोमन और रूस दोनों एक लम्बे अरसे से एक दूसरे के दुश्मन थे, और इसी के साथ ओटोमन ने सुएज कैनाल पर भी हमला कर दिया | फ्रांस और जर्मनी तीन वर्ष तक ऐसे ही आमने सामने रहे, इस दौरान न तो फ्रांस ही आगे बढ़ पाया और न जर्मनी | यह एक ऐसा समय था, जब लगभग पूरी दुनिया में लड़ाई छिड़ी हुई थी | जिसके कारण इसे ग्लोबल वार भी कहा जाता है |
यहाँ आपको प्रथम विश्व युद्ध (First World War) के विषय में जानकारी दी गई है | यदि आपको इससे सम्बंधित अन्य जानकारी प्राप्त करनी है तो आप अपने विचार या सुझाव कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूंछ सकते है | इसके साथ ही आप अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो www.hindiraj.com पर विजिट करे |
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FAQ
कुल 37 देशो ने पहले विश्व युद्ध में हिस्सा लिया था |
लॉर्ड हार्डिंग-द्वितीय (1910-1916)
विश्व का सबसे पहला विश्व युद्ध कब हुआ था?
प्रथम विश्व युद्ध 28 जुलाई, 1914 से 11 नवंबर, 1918 तक