लेजी आई क्या है? इसके कारण लक्षण और उपचार जानिए



लेजी आई [मंद दृष्टि /एम्ब्लियोपिया] क्या होता है? (Lazy Eye [Mand Drishti/Amblyopia] Kya Hai?) और लेजी आई क्या है? इसके कारण लक्षण और उपचार जानिए हमारे इस लेख की मदद से हिंदी में।

साथियों सोशल मीडिया के इस समय में आज-कल जहां जवान लोगों की दृष्टि कमजोर होने की शिकायत रहती है वहीं पर बच्चे भी इस समस्या से दूर नहीं है और यह एक ऐसी समस्या है, जो आज-कल बच्चों में तेजी से बढ़ती ही जा रही है, कहीं पर तो यह समस्या नवजात शिशुओं में ही पाई जाती है और कहीं पर जब धीरे-धीरे बच्चे की उम्र बढ़ने लगती है तो उसको यह परेशानी आ जाती है|

दोस्तों हम बात कर रहे हैं आंखों की एक ऐसी बीमारी के बारे में जो बच्चों में अक्सर पाई जाती है और इसे हम लोग आम बोलचाल की भाषा में आलसी आंख या फिर लेजी आई [Lazy Eye] पुकारते हैं, वैसे तो बच्चों में होने वाली यह समस्या बहुत घबराने की बात नहीं होती है क्योंकि यदि किसी बच्चे को यह समस्या हो भी जाए तो इसका इलाज संभव है|

लेकिन अगर आपके बच्चे में यह समस्या पाई जाती है तो आपको इसका इलाज जल्द से जल्द करना चाहिए तो चलिए आज हम जान लेते हैं इस लेख के माध्यम से लेजी आई बीमारी के बारे में और इसके क्या लक्षण होते हैं और आखिर इस बीमारी को जल्द से जल्द कैसे ठीक किया जा सकता है तो चलिए |

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लेजी आई [मंद दृष्टि /एम्ब्लियोपिया] क्या है? (Lazy Eye [Mand Drishti/Amblyopia] Kya Hai?)

लेजी आई, जिसे चिकित्सा भाषा में एम्ब्लियोपिया कहा जाता है, एक नेत्र समस्या है जिसमें एक आंख की दृष्टि कमजोर हो जाती है क्योंकि मस्तिष्क और आंख के बीच समन्वय सही ढंग से विकसित नहीं हो पाता। यह समस्या आमतौर पर बचपन में शुरू होती है और यदि समय पर इलाज न किया जाए तो यह स्थायी रूप से दृष्टि प्रभावित कर सकती है। इस स्थिति में प्रभावित आंख कमज़ोर हो जाती है और मस्तिष्क धीरे-धीरे केवल स्वस्थ आंख पर निर्भर होने लगता है, जिससे कमजोर आंख की दृष्टि और अधिक घटती जाती है।

यह एक आखो से जुड़ी समस्या होती है जो अक्सर छोटे बच्चो को ही प्रभावित करती है। इस समस्या से बच्चे की एक आँख की दृस्टि धुंधली हो जाती है और यह समस्या बड़ो मे भी अक्सर हो जाती है। यह ज़्यादा एक आँख मे होती है और जब मस्तिष्क और आँख के तरीके मे कोई कमी आ जाती है तो मस्तिष्क एक आँख से दृस्टि को पहचान नहीं पाता। इसको अलसी आँख इसलिए कहा जाता है क्योकि कमजोर आँख की दृस्टि खराब हो जाती है। इसको अगर शुरू मे ही पहचान लिया जाए तो यह बीमारी सही हो जाती है इसके लक्षण यह है जैसे -एक आँख बंद करना, सर झुकना और देखने मे आदि। इसलिए 3 से 5 वर्ष मे बच्चो की आयु को ज़रूर जांच करवाना चाहिए।

इसका मुख्य कारण भेंगापन (Strabismus), अपवर्तक दोष (Refractive Error) या एक आंख की दृष्टि में स्पष्ट अंतर हो सकता है। कई मामलों में बच्चों को यह समस्या होती है, लेकिन माता-पिता को शुरुआत में इसका पता नहीं चलता। समय रहते उपचार करने के लिए आंख पर पट्टी लगाना (Eye Patch Therapy), दृष्टि सुधारक चश्मा, या अन्य चिकित्सा उपाय किए जाते हैं। यदि बचपन में इसका सही इलाज किया जाए, तो दृष्टि को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। इसलिए, समय पर निदान और सही उपचार बहुत आवश्यक है।

लेजी आई [मंद दृष्टि /एम्ब्लियोपिया] [Mand Drishti/Amblyopia] क्यों होता है?

लेजी आई या एम्ब्लियोपिया तब होता है जब बचपन में एक आंख की दृष्टि ठीक से विकसित नहीं हो पाती,या बच्चो के कमज़ोर होने के कारण होता है, इसका मुख्य कारण भेंगापन (Strabismus) होता है, जिसमें आंखें एक साथ सही दिशा में नहीं देखतीं।

इसके अलावा, अपवर्तक दोष (Refractive Error), जैसे एक आंख में ज्यादा धुंधला दिखना, जन्मजात मोतियाबिंद या आंख में किसी प्रकार की रुकावट भी इसका कारण हो सकती है।

जब मस्तिष्क को दोनों आंखों से अलग-अलग गुणवत्ता वाली छवियां मिलती हैं, तो वह कमजोर आंख की दृष्टि को अनदेखा करने लगता है, जिससे वह और अधिक कमजोर हो जाती है।

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जानिए लेजी आई के लक्षण (Lazy Eye Ke Lakshan)

लेजी आई (मंद दृष्टि / एम्ब्लियोपिया) के लक्षण निम्नलिखित हैं।

  • एक आंख की दृष्टि कमजोर हो जाती है, जिससे चीजें धुंधली या अस्पष्ट दिखाई देती हैं, और व्यक्ति को देखने के लिए अधिक प्रयास करना पड़ता है।
  • दोनों आंखों के बीच तालमेल सही नहीं होता, जिससे एक आंख सक्रिय रूप से काम करती है, जबकि दूसरी सुस्त रहती है और धीरे-धीरे मस्तिष्क उस पर ध्यान देना बंद कर देता है।
  • भेंगापन (Strabismus) की समस्या हो सकती है, जिसमें एक आंख सामान्य रहती है, जबकि दूसरी आंख अंदर या बाहर की ओर झुकी हुई प्रतीत होती है।
  • गहराई और दूरी का सही अंदाजा लगाने में कठिनाई होती है, जिससे व्यक्ति को किसी वस्तु को पकड़ने, गेंद को सही तरीके से पकड़ने या सीढ़ियों पर चढ़ने-उतरने में परेशानी महसूस हो सकती है।
  • लंबे समय तक पढ़ाई करने, किताबें देखने या मोबाइल और कंप्यूटर स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित करने से आंखें जल्दी थक जाती हैं और सिरदर्द भी हो सकता है।
  • प्रभावित आंख से देखने पर वस्तुएं दोहरी या अस्पष्ट दिखाई दे सकती हैं, जिससे दैनिक गतिविधियों में बाधा उत्पन्न होती है।
  • बच्चों में यह समस्या अक्सर इस रूप में दिखती है कि वे किसी चीज को देखने के लिए बार-बार सिर झुकाते हैं या टेढ़ा करके देखते हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि एक आंख की दृष्टि कमजोर हो रही है।
  • छोटे बच्चे कई बार एक आंख बंद करके देखने की कोशिश करते हैं क्योंकि दूसरी आंख से उन्हें धुंधला दिखाई देता है।
  • कुछ मामलों में मंद दृष्टि वाले व्यक्ति को उजाले या अंधेरे में अधिक समायोजन करने में परेशानी होती है, जिससे रात में देखने में समस्या हो सकती है।
  • आंखों के ठीक से काम न करने के कारण व्यक्ति को खेल-कूद या ड्राइविंग जैसी गतिविधियों में कठिनाई हो सकती है, जिससे आत्मविश्वास पर भी असर पड़ सकता है।
  • प्रभावित आंख अक्सर सुस्त या निष्क्रिय दिखती है, जिससे देखने में अजीब सा एहसास होता है और व्यक्ति को बार-बार झपकाने की जरूरत महसूस हो सकती है।
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है, जिससे पढ़ाई, लिखाई, ड्रॉइंग, गेम खेलने या किसी दृश्य कार्य में रुचि कम हो सकती है।
  • बच्चों में यह समस्या ज्यादा देर तक पता नहीं चलती क्योंकि वे एक आंख की खराब दृष्टि को महसूस नहीं कर पाते, इसलिए माता-पिता को उनके देखने के तरीके पर ध्यान देना चाहिए।
  • यदि समस्या का इलाज समय पर नहीं किया जाए, तो प्रभावित आंख की दृष्टि धीरे-धीरे और कमजोर हो सकती है, जिससे भविष्य में इसे सुधारना मुश्किल हो जाता है।

अगर इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत आंखों के डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, ताकि समय पर सही इलाज किया जा सके और दृष्टि को बचाया जा सके।

लेजी आई [Lazy Eye] मंद दृष्टि के कारण

लेजी आई (Lazy Eye) जिसको एंबलायोपिया (Amblyopia) कहा जाता है। इस परेशानी के ये कारण हो सकतें हैं।

  1. यह समस्या आमतौर पर बचपन में विकसित होती है।
  2. इसमें एक आंख की दृष्टि दूसरी आंख की तुलना में कमजोर होती है।
  3. दिमाग कमजोर आंख से आने वाले संकेतों को नजरअंदाज करने लगता है।
  4. मुख्य कारणों में स्ट्रैबिस्मस (भेंगापन), अपवर्तक त्रुटि (Refractive Error) और आंख में रोशनी के अवरोध शामिल हैं।
  5. समय पर इलाज न होने पर प्रभावित आंख की दृष्टि पूरी तरह से खराब हो सकती है।
  6. उपचार में आंख का पैच (Eye Patch) लगाना, दृष्टि सुधारने वाले चश्मे, दृष्टि प्रशिक्षण और सर्जरी शामिल हो सकते हैं।
  7. जितनी जल्दी इलाज शुरू किया जाए, परिणाम उतने ही बेहतर होते हैं।
  8. आमतौर पर छह से सात साल की उम्र तक इलाज अधिक प्रभावी रहता है।
  9. नियमित नेत्र परीक्षण से इस समस्या का जल्दी पता लगाया जा सकता है।

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लेजी आई [Amblyopia] के उपचार

लेजी आई (Amblyopia) की दिक्कत में डॉक्टर आमतौर पर  इलाज करने के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं। सबसे पहला कदम आंखों का परीक्षण करना होता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि समस्या क्या है और उसकी गंभीरता कितनी है। उपचार में सबसे सामान्य तरीका “प्लास्टिक पैचिंग” है, जिसमें स्वस्थ आंख को ढक दिया जाता है ताकि कमजोर आंख पर जोर डाला जा सके और उसकी दृष्टि सुधारने की कोशिश की जा सके। इस प्रक्रिया को कुछ सप्ताह या महीनों तक जारी रखा जा सकता है।

इसके अलावा, इस समस्या में दवाओं का भी इस्तेमाल कर सकते हैं, जैसे कि आंखों के ड्रॉप्स, जो स्वस्थ आंख की दृष्टि को अस्थायी रूप से धुंधला कर देती हैं, ताकि कमजोर आंख पर ध्यान केंद्रित किया जा सके। कभी-कभी, यदि मामला अधिक जटिल हो, तो सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है, खासकर यदि आंख में कोई शारीरिक दोष हो, जैसे कि स्ट्रैबिजम (आंखों का आपस में ठीक से न मिलना)।

अगर आपके बच्चे को लेजी आई है तो घबराएं नहीं, ये हैं कारगर इलाज

अगर आपके बच्चे को लेजी आई (Amblyopia) है, तो घबराएं नहीं, बल्कि आपको सही उपचार और ध्यान देने की जरूरत है। इसके कई घरेलू इलाज भी हैं जो प्रभावी हो सकते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि यह इलाज डॉक्टर की सलाह के साथ ही करें। यहां कुछ कारगर घरेलू उपाय दिए गए हैं।

इस परेशानी में एक सामान्य घरेलू उपाय है, जिसमें बच्चे की स्वस्थ आंख को एक चिपकने वाले पैच से ढक दिया जाता है। इससे कमजोर आंख पर जोर डालने का प्रयास किया जाता है, जिससे उसकी दृष्टि सुधारने में मदद मिलती है। इस प्रक्रिया को दिन में कुछ घंटे तक किया जा सकता है, जैसा कि डॉक्टर सलाह देते हैं।

घर पर बच्चे को आंखों की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए कुछ व्यायाम कराए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, बच्चे को धीरे-धीरे अपनी आंखों को ऊपर, नीचे, दाएं, और बाएं घुमाने के लिए कहें। इससे आंखों की मांसपेशियों को मदद मिलती है।

बच्चे को विभिन्न रंगों और हल्के-गहरे प्रकाश में खेलने के लिए कहें। इससे उनकी आंखों की प्रतिक्रिया और सुधार में मदद मिल सकती है। बच्चों को हल्के रंग के खिलौने या पजल्स देने से उनकी दृष्टि पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।

बच्चे को किताबों और चित्रों को नजदीक से देखने के लिए प्रेरित करें। इससे उनकी कमजोर आंख पर अधिक फोकस किया जाएगा।

बच्चे को आंखों की सेहत के लिए विटामिन A, C और E से भरपूर आहार दें। गाजर, पालक, ब्रोकली, और अंडे जैसे खाद्य पदार्थ आंखों की दृष्टि को सुधारने में मदद कर सकते हैं।

इन घरेलू उपायों के साथ-साथ, बच्चे को नियमित रूप से डॉक्टर के पास ले जाकर पेशेवर उपचार और जांच कराना बेहद जरूरी है।

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निष्कर्ष

उम्मीद करतें हैं कि हमारी पोस्ट ”लेजी आई क्या है? इसके कारण लक्षण और उपचार जानिए” में जो भी जानकारी दी गई वह आपके लिए उपयोगी रही होगी।

लेजी आई क्या है? इसके कारण लक्षण और उपचार जानिए से जुड़े सवाल/जवाब [FAQ,s]

लेजी आई किस उम्र में विकसित होता है?

लेजी आई आमतौर पर बचपन में 0-6 साल की उम्र में विकसित होता है।

क्या Lazy Eye दोनों आंखों में हो सकता है?

लेजी आई आमतौर पर केवल एक आंख में होता है, लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में यह दोनों आंखों को भी प्रभावित कर सकता है।

क्या लेजी आई में दर्द होता है?

नहीं, लेजी आई में कोई दर्द नहीं होता, लेकिन व्यक्ति को एक आंख से देखने में दिक्कत हो सकती है|

क्या Lazy Eye चश्मा पहनने से ठीक हो सकता है?

हां, अगर समस्या दृष्टि दोष (Refractive Amblyopia) से जुड़ी है, तो चश्मा या कॉन्टैक्ट लेंस पहनने से सुधार हो सकता है।

लेजी आई के लिए कौन-से एक्सरसाइज मददगार होते हैं?

लेजी आई के लिए पेंसिल पुश अप बहुत ही कारगर और सटीक एक्सरसाइज होती है, इस एक्सरसाइज में आपको एक पेंसिल को लेकर अपनी नाक के बिल्कुल सामने रखकर उसे लगातार कम से कम 5 से 7 मिनट तक देखना होता है, इसके बाद आई ट्रैकिंग एक्सरसाइज आती है, इस एक्सरसाइज में आपको किसी वस्तु को आंखों से बिना सिर घुमाए ट्रैक करना होता है। वैज्ञानिक रिसर्च बताती है कि कुछ वीडियो गेम और वर्चुअल रियलिटी थेरेपी से लेजी आई में सुधार हो सकता है।

क्या Lazy Eye के कारण ड्राइविंग में दिक्कत हो सकती है?

हां, Lazy Eye के कारण ड्राइविंग में दिक्कत हो सकती है।

क्या लेजी आई का इलाज प्राकृतिक तरीके से हो सकता है?

लेजी आई का इलाज मुख्य रूप से मेडिकल थेरेपी, चश्मा और एक्सरसाइज से किया जाता है। हालांकि, आंखों की एक्सरसाइज, पोषणयुक्त भोजन और स्क्रीन टाइम कम करने से सुधार में मदद मिल सकती है।

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