देश के लिए चुनाव चाहे जिस चीज के लिए कराया जाए | देश में होने वाले हर एक चुनाव में कई तरह की मुसीबते खड़ी हो जाती है, जिनका सामना चुनाव में शामिल होने वाले सभी नेताओं को करना होता है | इसके अलावा चुनाव को नेताओं को लेकर कई नियम भी बनाये जाते हैं, जिनका पालन चुनाव में खड़े होने वाले हर एक नेता को करना होता है और जिसके लिए कई प्रस्ताव भी रखे जाते है, | इसी तरह एक अविश्वास प्रस्ताव होता है जिसे निंदा प्रस्ताव भी कहा जाता है, यह एक ऐसा संसदीय प्रस्ताव है, जिसे पारंपरिक रूप से विपक्ष द्वारा संसद में एक सरकार को हराने या कमजोर करने के लिए पेश किया जाता है, यह प्रस्ताव एक उम्मीद के तौर पर संसद में एक तत्कालीन समर्थक द्वारा पेश किया जाता है, इसे वह समर्थक पेश करने की हिम्मत करता है, जिसे सरकार में विश्वास नहीं होता है ।
इसके बाद यह प्रस्ताव नये संसदीय मतदान (अविश्वास का मतदान) द्वारा पारित करके अस्वीकार कर दिया जाता है | इसलिए यदि आप भी अविश्वास प्रस्ताव के विषय में जानना चाहते हैं, तो यहाँ पर आपको अविश्वास प्रस्ताव क्या है, नो मोशन ऑफ़ कॉन्फिडेंस के नियम के बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है |
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अविश्वास प्रस्ताव क्या है (No Confidence Motion)?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 118 में सदन को अपनी कार्यवाही सुनिश्चित करनी होती हैं, जिसके लिए वह स्वयं से नियम बना सकता हैं, क्योंकि नियम बनाने का पूरा अधिकार प्रदान किया गया है | इसलिए इस अनुच्छेद 118 के तहत लोकसभा में नियम 198 के प्रावधान की शुरुआत की गई है, जिसके अंतर्गत कोई भी सांसद लिखित रूप से लोकसभा अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए कह सकता है और फिर इसी प्रस्ताव को लोकसभा अध्यक्ष सभी सदस्यों को पढ़कर सुनाता है, इस प्रस्ताव को सुनने के बाद यदि इसके पक्ष में 50 सांसद अपनी स्वीकृति प्रदान करते है , तो इस प्रस्ताव पर आगे भी चर्चा की जाती है , जिसके लिए कोई भी एक तिथि तय की जाती है, निर्धारित तिथि को सभी सदस्य मौजूद होकर उस प्रस्ताव पर चर्चा करते है और इसके बाद मतदान प्रक्रिया पूरी की जाती है और यदि मतदान में सरकार अपनी बहुमत बना लेती है, तो अगले छ: महीने तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया जा सकता है, यदि सरकार बहुमत प्राप्त करने में असफल हो जाती है, तो सरकार गिर जाती है | इसके बाद बहुमत न सिद्ध होने पर प्रधानमंत्री राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौप देते हैं, और राज्य में मुख्यमंत्री राज्यपाल को अपना त्यागपत्र दे देते है |
नो मोशन ऑफ़ कॉन्फिडेंस के नियम के बारे में जानकारी
नो मोशन ऑफ़ कॉन्फिडेंस के नियम के मुताबिक़, इसमें ख़ास बात यह है कि संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का किसी भी प्रकार का जिक्र नहीं किया गया है लेकिन वहीं, अनुच्छेद 118 के अंतगर्त कोई भी सदन अपनी प्रक्रिया बनाने का काम कर सकता है | इसके अलावा नियम 198 के तहत कोई भी सदस्य लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस भेज सकता है ।
आजादी के बाद कितने बार रखे गए अविश्वास प्रस्ताव
देश आजाद होने के बाद संसद में 26 से अधिक बार अविश्वास प्रस्ताव रखे जा चुके हैं, वहीं यदि इतिहास की बात करें, तो केवल 1978 में अविश्वास प्रस्ताव के कारण मोरारजी देसाई की सरकार गिराने का काम किया गया था । मोरारजी देसाई के शासन काल में संसद में उनकी सरकार के खिलाफ दो बार अविश्वास प्रस्ताव रखे गए थे, जिसके बाद उन्होंने मत विभाजन के पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था |
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