अध्यादेश (Ordinance) का क्या मतलब है



अध्यादेश (Ordinances) एक कानून होता है, जिसे भारत के केन्द्रीय कैबिनेट की सलाह पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा शुरू किया जाता हैं । राष्ट्रपति यह अध्यादेश भारत के संविधान में अनुच्छेद 123 के अंतर्गत पारित करता है लेकिन राष्ट्रपति इस शक्ति का इस्तेमाल संसद के सत्र न चलने पर ही कर सकता है | इसके अलावा अध्यादेश का प्रावधान शुरू करने के लिए संविधान निर्माताओं ने विचार किया था कि, इससे तत्कालीन परिस्थति पर नियंत्रण स्थापित किया जा सकता है |

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एक संवैधानिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से देश में उस समय कानून लागू  किया जाता है, जिस समय संसद अथवा राज्य विधानमण्डल के दोनों सदन या कोई एक सदन सत्र में न हो और उस समय कानून का लागू होना बहुत ही जरूरी हो | इसलिए यदि आप भी अध्यादेश (Ordinance) के विषय में जानना चाहते है, तो यहाँ पर आपको अध्यादेश (Ordinance) का क्या मतलब है, अध्यादेश और विधेयक में क्या अंतर है | इसकी पूरी जानकारी प्रदान की जा रही है |

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अध्यादेश (Ordinance) के बारे में जाने

अध्यादेश (Ordinance) को केंद्र या राज्य के प्रधान शासक द्वारा किसी विशेष स्थिति का समाधान करने के लिए जारी किया जाता है परन्तु यह ऐसी स्थिति में जारी किया जाता है, जब संसद के सत्र नहीं चलते है, तो तभी केंद्र सरकार के अनुमोदन पर राष्ट्रपति के द्वारा एक आदेश या अधिसूचना जारी की जाती है, जिसे अध्यादेश कहा जाता है | इसके मतलब जब संसद में केवल एक सदन का सत्र चल रहा हो तब अध्यादेश जारी किया जा सकता है |

अध्यादेश  की अवधि

राष्ट्रपति के द्वारा जारी किये जाने वाले अध्यादेश की अवधि  सिर्फ 6 हफ्ते की ही होती है, जिसे आगे तक ले जाने के लिए केंद्र सरकार राष्ट्रपति के पास भेजते हैं, लेकिन इसके बाद भी अध्यादेश को 6 हफ्ते के भीतर फिर से संसद के पास वापस भेजा जाता है । इसके बाद फिर से जारी करने के लिए इसे सामान्य बिल के तौर पर सभी चरणों को पार करना होता है, जिसके बाद इसे फिर से लागू किया जा सकता है |

विधेयक क्या होता है ?

जब सरकार द्वारा किसी विषय पर कोई नया नियम बनाया जाता है, इसके लिए सबसे पहले उसका प्रारूप तैयार किया जाता है, इस प्रारूप में उससे सम्बंधित सभी शर्तों का उल्लेख होता है, यह पूरी प्रक्रिया कर लेने के बाद इस प्रारूप को संसद में पेश किया जाता है, जब इसे संसद में पेश किया जाता है, तो इसे विधेयक के नाम से जाना जाता है | फिर इस विधेयक में और अधिक संसोधन किया जाता है, जिसके बाद प्रत्येक शब्द  को पूरी तरह से समझाया जाता है और फिर जब यह विधेयक संसद से पास हो जाता है, तो  इसे एक कानून का रूप दे दिया जाता है |

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अध्यादेश और विधेयक में क्या अंतर होता है

अध्यादेश विधेयक
अध्यादेश अस्थायी होता है | विधेयक स्थायी होता है |
अध्यादेश पारित करने के लिए संसद की स्वीकृति आवश्यक नहीं है | विधेयक को पारित करने के लिए संसद की स्वीकृति आवश्यक है |
तत्कालीन परिस्थति को नियंत्रित करने के लिए अध्यादेश जारी किया जाता है | स्थायी कानून बनाने के लिए विधेयक पेश किया जाता है |
अध्यादेश की अवधि न्यूनतम छ: सप्ताह तथा अधिकतम छः मास होती है | विधेयक की अवधि निर्धारित नहीं होती है |
अध्यादेश केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर राष्ट्रपति के द्वारा जारी किया जाता है | विधेयक संसद की स्वीकृति के बाद राष्ट्रपति के द्वारा जारी किया जाता है |
अध्यादेश तत्कालीन एक कानून लागू करने का आदेश होता है | विधेयक कानून बनाने का एक प्रस्ताव होता है |

यहाँ पर हमनें आपको अध्यादेश और विधेयक के विषय में जानकारी उपलब्ध करायी है, यदि आपको इससे  सम्बंधित अन्य जानकारी प्राप्त करनी है तो आप  www.hindiraj.com पर विजिट कर सकते है |

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