व्याकरण किसे कहते हैं



किसी भाषा के लिए उसका व्याकरण सुनिश्चित होना ज़रूरी होता है तभी भाषा का सही रूप समझ आता है। हिंदी भाषा में व्याकरण (Hindi Grammer) अहम् भूमिका निभाता है। व्याकरण ही भाषा को शुद्ध रूप देता है एवम् अभिव्यक्ति, लेखन, वाचन में स्पष्ट व सार्थक रूप प्रदान करता है।

व्याकरण हमे सही और शुद्ध प्रयोग के लिए मार्गदर्शन प्रदान कराता है किसी भी वाक्यों का अध्यन करना भाषा कहलाता है। यह भाषा को सभी जगह शुद्ध और स्पष्ट बनाता है और विभिन्न तत्व जैसे धवनि, वाक्य के उपयोग का अध्यन भी कराता है। व्याकरण शुद्ध और अशुद्ध शब्दों का ज्ञान प्रदान करके उसका उचित उपयोग करना सिखाता है। हिंदी भाषा को बोलने, लिखने और सीखने के लिए व्याकरण का ज्ञान होना बहुत ही आवश्यक है। भाषा की सुंदरता को बनाए रखने के लिए इन नियमो का पालन करना होता है। हिंदी के सभी स्वरोपो को चार खंड के माध्यम से अध्यन कराया जाता है जैसे वर्ण विचार के तहत धवनि और वर्ण, शब्द विचार के तहत विविध पक्षों से सम्बंधित नियम, वाक्या विचार के अंतर्गत विभिन्न स्थिति और छंद के तहत साहित्य रचनाओं पक्षों पर विचार किया गया है। हिंदी व्याकरण का अध्यन करने के लिए भाषा को जानना बहुत ही आवश्यक है और इसका वर्णन संविधान के 17 एवं 8 वी अनुसूची मे है। भाषा का सही प्रयोग व्याकरण के माध्यम से किया जाता है जैसे -है पढ़ रीना रही , रही है पढ़ रीना और रीना पढ़ रही है।

इस लेख के माध्यम से व्याकरण के बारे में सही संदर्भ को लिखा गया है। व्याकरण किसे कहते हैं? व्याकरण की परिभाषा, अंग, भेद व उदाहरण का स्वरूप सही रूप से प्रस्तुत किया गया है। व्याकरण संबंधी सभी जानकारीयों को पाठकों के लिए सुचारू रूप से लिखा गया है।

पर्यायवाची शब्द (Synonyms word) किसे कहते हैं ?

व्याकरण किसे कहते हैं? What is Grammer in Hindi

व्याकरण अर्थात् विश्लेषण जो भाषा के मानक रूप को शुद्धता देती है। व्याकरण वो संरचना है जो भाषा के नियमों का उपयोग कर भाषा की अभिव्यक्ति, वाचन, लेखन में सुचारू रूप से शास्त्रीय स्वरूप प्रस्तुत करती है।

व्याकरण भाषा की मूल इकाई है जिससे भाषा अपना वास्तविक रूप प्राप्त करती है। भाषा को सही रूप से कैसे लिखा जाता है, कैसे बोला जाता है और कैसे प्रयोग में लाया जाता है इन सब का माध्यम व्याकरण है।

व्याकरण को भाषा का शास्त्रीय रूप भी कहा जा सकता है जिसमें अनेक नियम भाषा को सही रूप से प्रयोग करने के सीमित रूप प्रदान करते हैं। भाषा की अभिव्यक्ति के अनेक रुप होते हैं जिसको व्याकरण के द्वारा ही सुचारु स्वरूप मिलता है। व्याकरण भाषा विश्लेषण के नियमों का ध्योतक है। भाषा की परिनिष्ठिता व मानक रूप व्याकरण के द्वारा ही संभव है। भाषा की पूर्ण रूप से विवेचना करना व्याकरण कहा जाता है। जिसके माध्यम से भाषा की प्रवृति निर्धारित होती है।

उदाहरण :

राम अच्छा गाता है।

यह एक सामान्य वाक्य है। व्याकरण के द्वारा ही इस वाक्य की सही प्रवृति ज्ञात होगी और विश्लेषण किया जा सकेगा।

जैसे “राम” संज्ञा शब्द है। “अच्छा गाता है” में  अच्छा राम की विशेषता बता रहा है तो “अच्छा” विशेषण शब्द है। राम पुलिंग शब्द है इसलिए गाता है का प्रयोग किया गया है।

राम में स्वर और व्यंजन हैं।

र, म (व्यंजन)

अ, आ (स्वर)

व्याकरण को “शब्दानुशासन” भी कहा जाता है। अंग्रेजी में ” Grammer” कहा जाता है। व्याकरण भाषा के प्रयोग से संबंधित अनुशासन की रूपरेखा बताता है। व्याकरण द्वारा भाषा में शब्दों की प्रवृति बनती है। व्याकरण वो शास्त्र है जो भाषा प्रयोग की शुद्धता व सार्थकता के साथ लेखन व वाचन के नियमों की प्रवृति बताता है।

उदाहरण :

गाड़ी चलती है

यह एक सामान्य वाक्य है। इस वाक्य की शुद्धता, विश्लेषण,नियम आदि व्याकरण द्वारा ही संभव है। गाड़ी में कितने अक्षर हैं। उन अक्षरों में भी कितने स्वर और व्यंजन हैं यह व्याकरण द्वारा ही निर्धारित होता है।

गाड़ी ( ग+आ+ड़+ई)

आ और ई स्वर हैं। ग और ड़ व्यंजन हैं।

गाड़ी चलती है। यह एक लघु वाक्य है जिसमें गाड़ी शब्द के लिए चलती क्रिया का प्रयोग वाक्य को शुद्ध रूप देता है।

व्याकरण की परिभाषा | Defination of Grammer in Hindi

व्याकरण वह संरचना है जो भाषा का विश्लेषण करती है जिससे स्पष्टता निर्धारित होती है। व्याकरण भाषा का वह शास्त्र है जो भाषा के लिखने एवं बोलने के नियमानुसार भाषा का शुद्ध रूप प्रस्तुत करता है।

व्याकरण के अनुसार ही भाषा का शुद्ध व सही रूप समक्ष आता है। व्याकरण द्वारा ही भाषा प्रयोग में नियमों के अनुसार भाषा की अभिव्यक्ति के असीमित रूप को निश्चित किया जाता है। व्याकरण भाषा का शुद्ध मानक रूप प्रस्तुत करने वाला शास्त्र है जो सार्थक नियमों द्वारा प्रयुक्त किया जाता है।

उदाहरण स्वरूप कहा जा सकता है कि भाषा  के अंतर्गत प्रयोग में लाए गए वाक्यों की वर्ण व्यवस्था में स्वर, व्यंजन, वर्ण, अक्षर, बलाघात, अनुतान, संधि, शब्द भंडार, शब्द रचना, वाक्य व्यवस्था, शुद्धि, अशुद्धि आदि का विश्लेषण व्याकरण द्वारा ही किया जा सकता है।

जैसे रमेश खाना खाती है। यह अशुद्ध वाक्य है क्योंकि रमेश पुलिंग शब्द है जिसके लिए खाती की जगह खाता का प्रयोग होना चाहिए था। शुद्ध रूप होगा रमेश खाना खाता है।

व्याकरण वो संरचना या शास्त्र है जिसके ज़रिए भाषा को लिखने, बोलने, पढ़ने में नियमों का आधार निर्धारित किया जाता है एवम् विश्लेषण स्वरूप भाषा को शुद्धता प्राप्त होती है।

उदाहरण :

  • रमा करती नृत्य। (अशुद्ध वाक्य)
  • नृत्य करती रमा है। (अशुद्ध वाक्य)
  • रमा नृत्य करती है। (शुद्ध वाक्य)

इस उदाहरण में तीसरा वाक्य शुद्ध है क्योंकि इसमें व्याकरण स्वरूप नियम के आधार पर विश्लेषण कर सुचारू रूप से शब्दों की संरचना की गई है जिसे लिखने, पढ़ने में शुद्ध रूप की अभिव्यक्ति होती है।

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व्याकरण से जुड़े संदर्भ

वर्ण विचारस्वर, व्यंजन, अक्षर विभाजन, बलाघात -अनुतान संगम |
वर्तनी विचारसंयुक्त वर्ण, विभक्ति चिन्ह, क्रिया पद, अव्यय, अनुस्वार, अनुनासिक चिन्ह, हल् चिन्ह |
शब्द रचनाउपसर्ग, प्रत्यय, समास, युग्म, पुनरुक्त शब्द |
पद परिचयसंज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रिया विशेषण |
वाक्य रचनाअर्थ की दृष्टि से वाक्य भेद, वाक्य घटक, पदबंध, संयुक्त  और मिश्र वाक्य, लघु वाक्य, पदक्रम और अध्याहार |

व्याकरण के भेद

भाषा में व्याकरण महत्वपूर्ण भूमिका प्रस्तुत करता है क्योंकि भाषा वाक्यों के समूह से निर्मित होती है। वाक्य शब्दों से निर्मित होते हैं जो अर्थपूर्ण होते हैं। शब्द विभिन्न वर्णों के मिलन से निर्मित होते हैं। इस प्रकार भाषा के आधार स्वरूप व्याकरण के निम्न भेद प्रस्तुत है:

वर्ण विचार

वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई है जिसके मौखिक रूप को ध्वनि कहा जाता है। व्याकरण में वर्णों को मिलाकर शब्द बनते हैं जिसमें व्याकरण के नियमों का पालन किया जाता है। इसे वर्ण विचार कहते हैं। वर्ण विचार में वर्ण के आकार, उच्चारण, शब्द निर्माण के नियम निहित होते हैं।

वर्ण की सार्थकता नियम अनुसार वर्णों के प्रयोग से शब्दों का निर्माण करती है। अंग्रेजी में वर्ण को Letter कहा जाता है और वर्णमाला को Alphabet कहा जाता है। भाषा को सीखने के लिए सबसे पहले वर्णों का ज्ञान लिया जाता है। हिंदी भाषा में उच्चारण की दृष्टि से 52 वर्ण व लेखन की दृष्टि से 56 वर्ण होते हैं।

उदाहरण :

अ, इ, उ, क, च, म, छ आदि।

शब्द विचार

शब्द विचार व्याकरण के शब्द संबंधित नियमों का अनुसरण करते हैं। शब्द वर्णों के मेल से बनते हैं जो अर्थपूर्ण होते हैं। वर्णों के मेल से बनने वाले शब्दों का अर्थ व्याकरण की दृष्टि से समक्ष आता है। शब्द का अर्थ सार्थक रूप देता है।

उदाहरण :

रेशम, पानी, गर्मी, सर्दी, शिक्षा, आदमी आदि।

पद विचार

व्याकरण नियमों के अनुसार जब शब्दों का वाक्य में प्रयोग किया जाता है तो उसे पद विचार के रूप में माना जाता है। पद विचार के तहत विभिन्न रूपों में बाँटा जाता है। जैसे संज्ञा, विशेषण, सर्वनाम, क्रिया, कर्ता,कर्म आदि। जब शब्दों को वाक्य के रूप में प्रयोग करते हैं तो वह पद कहा जाता है।

उदाहरण :

रमा अच्छा गाना गाती है।

इस वाक्य में शब्दों के मेल से पद का स्वरूप निर्मित हुआ है। रमा “संज्ञा शब्द” है। रमा की विशेषता अच्छा गाना में निहित है। अच्छा शब्द “विशेषण शब्द” है। गाती में “क्रियापद” है।

वाक्य विचार

व्याकरण के नियम अनुसार जब शब्दों के अर्थपूर्ण रूप से वाक्य का निर्माण किया जाता है तब उसे वाक्य विचार कहा जाता है।

उदाहरण :

नरेश खाना बना रहा है।

इस उदाहरण में शब्दों के मेल स्वरूप अर्थपूर्ण वाक्य बना है। नरेश,खाना, बना, रहा, है यह सब शब्द हैं। इन सबको मिलाकर वाक्य का निर्माण हुआ है।

छंद विचार

व्याकरण के नियम अनुसार वाक्यों का साहित्य स्वरूप प्रस्तुत होता है। छंद विचार में वाक्यों का साहित्यिक प्रयोग किया जाता है जिसमें छंद की परिभाषा, प्रकार आदि के संदर्भों को बताया जाता है। पद रचना के तहत अक्षरों की संख्या विन्यास के नियमानुसार प्रयोग छंद कहे जाते हैं।

उदाहरण :

चौपाई, दोहा आदि।

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व्याकरण के अंग | Parts of Grammer in Hindi

व्याकरण के विस्तृत स्वरूप एवं सार्थकता को प्रदर्शित करने के लिए व्याकरण के अंग विशेष भूमिका निभाते हैं। व्याकरण के अध्ययन स्वरूप व्याकरण के अंग इस प्रकार हैं :

ध्वनि

व्याकरण के नियम के अनुसार भाषा में प्रयुक्त शब्द, वाक्य को किस प्रकार बोला जाएगा। वर्णों के प्रयोग में उच्चारण स्वरूप कौन सी ध्वनि क्या भिन्न अभिप्राय प्रस्तुत करेगी। ये संदर्भ ध्वनि व्यवस्था के अंतर्गत आते हैं। शब्द उच्चारण में कौन सी और किस प्रकार की ध्वनि उच्चरित होगी इसका संदर्भ निर्धारित होता है।

उदाहरण :

नीलेश और निलेश

इन शब्दों में ध्वनि का प्रवाह भिन्न है। व्याकरण के नियम अनुसार ध्वनि निश्चित होती है।

शब्द

व्याकरण का एक मूल अंग शब्द है जिसमें व्याकरण के नियम अनुसार यह निर्धारित होता है कि शब्द के लेखन पठन में क्या अभिव्यक्ति प्रस्तुत हो।

उदाहरण :

पहाड़

पहाड़ शब्द को किस प्रकार लिखा जाएगा व इस शब्द को किस प्रकार पढ़ा जाएगा। यह व्याकरण से निर्धारित किया जाता है।

वाक्य

व्याकरण के तीसरे अंग के रूप में वाक्य का विस्तृत स्वरूप प्रस्तुत होता है कि वाक्य को किस प्रकार पढ़ा जाए व वाक्य को किस प्रकार लिखा जाए। जिसमें व्याकरणिक नियम अनुसार यह निर्धारित होता है कि कहाँ प्रश्नचिन्ह लगाना है, कहाँ पर पूर्णविराम लगेगा आदि।

उदाहरण :

नियमित रूप से पढ़ना अच्छी आदत है।

इस वाक्य के अंत में पूर्ण विराम (।) आएगा जो व्याकरण के नियम अनुसार ज्ञात होता है।

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FAQ (संबंधित प्रश्न)

व्याकरण की दृष्टि से भाषा की सबसे छोटी इकाई कौन सी है?

व्याकरण की दृष्टि से भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण या ध्वनि है।

क्या भाषा का विश्लेषण व्याकरण द्वारा किया जाता है?

हाँ, भाषा का विश्लेषण व्याकरण द्वारा किया जाता है।

व्याकरण की दृष्टि से शब्द का कोई उदाहरण लिखिए?

व्याकरण की दृष्टि से शब्द का उदाहरण है “ताजमहल” यह एक शब्द है।

अंतिम शब्द

इस लेख में व्याकरण किसे कहते हैं? व्याकरण की परिभाषा क्या है, व्याकरण के अंग, भेद को उदाहरण सहित सार्थक रूप से लिखा गया है। व्याकरण संबंधी नियम को भाषा में प्रयोग कर व्याकरण की उपयोगिता दर्शित होती है। इस लेख के माध्यम से व्याकरण संबंधी जानकारी का सार्थक रूप जान पायेगें।

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