आज के समय में समूचे विश्व में कई प्रकार की ऐसी घटनाएं हो जाती हैं जो सामान्य नागरिकों के लिए अच्छी नहीं होती है और कई बार ऐसी घटनाओं के वजह से अपने किसी भी व्यापार में परेशानी का सामना करना पड़ता है। विश्व में अगर कहीं भी कुछ अनैतिक घटनाएं होती हैं जिसके मद्देनजर सही प्रकार से नियमों का ब्यौरा रखा जाता है,तो ऐसे में डब्ल्यूटीओ (WTO) की विशेष भूमिका नजर आती है।
आज से पहले आपने कई बार डब्ल्यूटीओ का नाम सुना होगा जिसने कुछ विशेष प्रकार की भूमिकाओं को निभाते हुए अपने कार्यों को अंजाम दिया है। आज हम आपको डब्ल्यूटीओ से संबंधित सारी जानकारी देने वाले हैं जो कहीं ना कहीं आपके लिए भी फायदेमंद है।
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आखिर डब्ल्यूटीओ (WTO) क्या है?
दरअसल डब्ल्यूटीओ (WTO) एक विश्व प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय संगठन के रूप में जाना जाता है, जिसका मान विश्व के प्रत्येक देश में सबसे ऊपर होता है। जिसके मद्देनजर व्यापार से संबंधित नियमों पर लेखा जोखा रखा जाता है जिससे किसी भी देश को व्यापार से संबंधित परेशानी का सामना ना करना पड़े।
यह इकलौती ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जो विभिन्न देशों के बीच व्यापार के नियमों को जारी करती है। यही वजह है की WTO पूरे विश्व में बतौर मॉनिटर, ट्रेनर कार्य करता है।
डब्ल्यूटीओ (WTO) का फुल फॉर्म
डब्ल्यूटीओ के फुल फॉर्म के रूप में “वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन( world trade organisation)” को माना जाता है। जिसे हिंदी में “विश्व व्यापार संगठन” के नाम से जानते हैं जो व्यापार को प्रोत्साहित करने का कार्य करता हैं।
डब्ल्यूटीओ (WTO) का मुख्य उद्देश्य
डब्ल्यूटीओ एक ऐसी संस्था है जो सदस्य देशों के बीच व्यापार के नियमों को बनाते हुए आने वाली समस्याओं का निराकरण करने का कार्य करती हैं। ताकि समुचित तरीके से व्यापार और व्यवसाय को समूचे विश्व में आगे बढ़ाया जा सके, लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए जाए ताकि उनकी जीवनशैली में सुधार आए और वह एक अच्छे भविष्य का निर्माण कर सके।
डब्ल्यूटीओ (WTO) के मुख्य सदस्य देश
डब्ल्यूटीओ एक ऐसी संस्था है जिसमें अब तक कई सारे देशों ने अपनी सदस्यता हासिल कर ली है। ऐसे में आज के समय में इस संगठन में लगभग 164 देशों का होना बताया जाता है जिसके माध्यम से अपनी शक्तियों को मजबूत किया जा रहा है। ऐसे में आज हम आपको डब्ल्यूटीओ के कुछ मुख्य सदस्यों के बारे में जानकारी देने वाले हैं।
- अर्जेंटीना
- अफगानिस्तान
- जांबिया
- जिंबाब्वे
- अंगोला
- अल्बानिया
- चेक गणराज्य
- यमन
- आर्मीनिया
- क्यूबा
- साइप्रस
- ऑस्ट्रेलिया
डब्ल्यूटीओ (WTO) की शुरुआत
मुख्य रूप से डब्ल्यूटीओ को 1995 में शुरू किया गया है जहां कई सारे देशों को एक साथ करके एक समुदाय बनाया गया जहां पर व्यापार की नीतियों के बारे में जानकारी हासिल की गई थी। डब्ल्यूटीओ का सचिवालय जेनेवा में है, जहां पर अभी तक कम से कम 600 से ज्यादा लोग कार्य कर रहे हैं और अपनी सेवाएं इस मुख्य संस्था को दे रहे हैं।
डब्ल्यूटीओ (WTO) के माध्यम से मिलने वाले लाभ
जैसे जैसे समय बदलता गया वैसे वैसे डब्ल्यूटीओ (WTO) के माध्यम से कई प्रकार के बदलाव महसूस किए गए। समय के अनुसार कई प्रकार के लाभ प्राप्त हुए जो नागरिकों के लिए हितकर साबित होने लगे।
- जैसे ही डब्ल्यूटीओ ने अपने कार्य क्षमता में विकास किया वैसे वैसे विभिन्न प्रकार से देशों में भी विकास के माध्यम से बढ़ोतरी महसूस होने लगी।
- डब्ल्यूटीओ के माध्यम से लगातार होने वाले पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित किए जाने का कार्य किया गया जिसका सीधा लाभ मानव प्रजाति और पशु पक्षियों को प्राप्त हुआ।
- जब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी व्यापार की शुरुआत की जाती है, तो कई प्रकार के टैक्स को महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में डब्ल्यूटीओ के आने के बाद व्यापार या व्यवसाय में होने वाले लागत में टैक्स के बदौलत कटौती की गई।
- इसकी वजह से लोगों के बीच में आर्थिक विकास के मुद्दे में बढ़ोतरी महसूस की गई जहां अब ज्यादातर लोगों के पास कार्य करने की क्षमता मौजूद थी।
- समय के साथ यह भी महसूस किया जाने लगा कि लोगों के रहन-सहन और जीवन स्तर में काफी हद तक सुधार आने लगा है।
डब्ल्यूटीओ (WTO) के कुछ मौलिक सिद्धांत
विश्व में जब भी किसी संस्था या सम्मेलन का आयोजन किया जाता है तो उनके कुछ मौलिक सिद्धांतों के बारे में भी निश्चित रूप से जानकारी रखी जाती है।
इसके अंतर्गत डब्ल्यूटीओ का भी कुछ मौलिक सिद्धांत हमारे सामने हैं जहां पर ऐसा माना जाता है कि डब्ल्यूटीओ (WTO) कभी भी किसी भी देश के साथ भेदभाव या फिर गलत भावना का उपयोग नहीं कर सकेगा। क्योंकि यह उसके सिद्धांत के अंतर्गत आता है कि वह सभी देशों के लिए एक जैसे कार्यों को अंजाम दे।
इसके अतिरिक्त डब्ल्यूटीओ का सिद्धांत यह भी कहता है कि अगर किसी भी देश से कोई भी उत्पाद व्यवसाय के उद्देश्य से बाजार में लाया जाता है, ऐसे में उस उत्पाद को सही तरीके से लोगों के सामने प्रस्तुत करना और उत्पादों को प्रोत्साहित करना भी मौलिक सिद्धांत के अंतर्गत आता है।
इसके अंतर्गत किसी भी देश को मुक्त होकर व्यापार करने की आजादी दी जाती है जिसमें सीमा शुल्क और विभिन्न आयात शुल्क को छोड़कर किसी भी अनावश्यक शुल्क को लेना अनिवार्य नहीं माना जाता है। इस तरह से सभी देशों के बीच में निश्चित रूप से ही पारदर्शिता को दिखाई जाती है जिससे समूचे विश्व को लाभ होता है।
इसके अतिरिक्त डब्ल्यूटीओ के अन्य सिद्धांत में यह भी कहा गया है कि प्रत्येक देश के व्यापार नीति को समझते हुए निर्णय लिया जाएगा और किसी भी देश के साथ गलत व्यवहार को रोका जाएगा। जिसके अंतर्गत विकासशील देशों को भी लाभ प्राप्त होगा और वह आगे बढ़ने के लिए कार्य कर सकेंगे।
डब्ल्यूटीओ (WTO) के मुख्य कार्य
जब से डब्ल्यूटीओ की स्थापना की गई है तभी से ही उनके कार्यों का निर्धारण किया गया है ताकि भविष्य में भी अहम के टकराव की वजह से कार्यों को अधूरा ना रखा जा सके।
- अगर किसी भी तरह से व्यापार या व्यवसाय को शुरू करते समय परेशानी का सामना करना पड़ा हो और इसकी वजह से देश में विपत्ति आन पड़ी हो ऐसी स्थिति में डब्ल्यूटीओ (WTO) में विचार विमर्श करने का कार्य शुरू किया ताकि मामले को सुलझाया जा सके।
- मुख्य प्रकार से कई व्यापारियों को चलाने के लिए व्यापार की नियमों और प्रावधानों को लागू किया गया।
- आर्थिक नीति में बदलाव लाते हुए विश्व बैंक एवं मुद्रा कोष के माध्यम से सहयोग दिया गया ताकि वैश्विक आर्थिक नीति को संभाला जा सके और आर्थिक समस्या को दूर रखा जा सके।
- डब्ल्यूटीओ के माध्यम से व्यापार के समझौते को लेकर विशेष प्रकार के कार्यों और प्रशासन के परिचालन हेतु सुविधाओं की शुरुआत करना मुख्य कार्य के अंतर्गत आने लगा।
डब्ल्यूटीओ (WTO) के अंतर्गत होने वाले मुख्य सम्मेलन
डब्ल्यूटीओ के अंतर्गत समस्त देशों के माध्यम से एक सम्मेलन का आयोजन किया जाता है जिसे 2 साल में एक बार आयोजित किया जाता है। ऐसे में अब तक डब्ल्यूटीओ के 11 सम्मेलन हो चुके हैं जो कहीं ना कहीं सामान्य नागरिकों के पक्ष में होते हैं।
- पहला सम्मेलन 9 से 13 दिसंबर 1996 को आयोजित किया गया जिसकी मेजबानी सिंगापुर ने की थी।
- उसके बाद का सम्मेलन 18 से 20 मई 1998 को आयोजित हुआ जिसे आयोजित करने वाला देश जेनेवा, स्वीटजरलैंड थे।
- आगे का सम्मेलन 30 नवंबर से 3 दिसंबर 1999 तक आयोजित हुआ जिसे सिएटल, अमेरिका में किया गया था।
- डब्ल्यूटीओ के आगे के सम्मेलनों को 9 से 14 नवंबर 2001 को आयोजित किया गया जिसे दोहा, कतर में आयोजित किया गया था।
- इसके बाद 10 से 14 सितंबर 2003 में कानकुन, मेक्सिको में सम्मेलन आयोजित हुआ जिसमें मुख्य रुप से व्यापार की बात की गई।
- अगला सम्मेलन 13 से 18 दिसंबर 2005 को आयोजित हुआ जिसकी मेजबानी हांगकांग ने की थी।
- अगला सम्मेलन 30 नवंबर से लेकर 2 दिसंबर 2009 में हुआ जिसे जेनेवा और स्विट्जरलैंड ने मेजबानी की थी।
- इसके बाद होने वाला सम्मेलन 15 से 17 दिसंबर 2011 को आयोजित हुआ जिसे जेनेवा, स्विट्जरलैंड के माध्यम से मेजबानी की गई।
- इसके बाद का सम्मेलन 3 से 6 दिसंबर 2013 को आयोजित हुआ जिसमें बाली, इंडोनेशिया ने अपना भरपूर योगदान देते हुए मेजबानी की थी।
- इसके बाद 15 से 18 दिसंबर 2015 को सम्मेलन आयोजित हुआ जिससे नैरोबी, केन्या में किया गया था।
- इसके बाद अगला सम्मेलन 10 से 13 दिसंबर 2017 को आयोजित हुआ जिसे ब्यूनस आयर्स, अर्जेंटीना में किया गया था।
इस प्रकार से अब तक कुल 11 सम्मेलनों का आयोजन किया गया है। जिसके अंतर्गत 11वे सम्मेलन में कोई खास मुद्दे की बात नहीं हो पाई थी जिसमें अमेरिका ने भी खाद्य सब्सिडी पर अपनी राय नहीं दी और भारत ने भी कई विषयों पर कड़ा रुख अपनाया था। ऐसी स्थिति में किसी ठोस कदम को नहीं उठाया गया।
डब्ल्यूटीओ (WTO) का मुख्य एजेंडा
जब भी डब्ल्यूटीओ का नाम सुनाई देता है तो सबसे पहले उसके एजेंडे के बारे में बात की जाती है जहां पर शुरुआत में कई सारे समझौते किए गए थे जिन्हें ही मुख्य एजेंडो के नाम से जाना जाता है। सामान्य रूप से जिसके अंतर्गत कृषि संबंधी योजनाओं का विकास करने के बात की गई जिसमें भारत को भी फल, फूल सब्जी और नकदी फसल को अधिक मात्रा में बेचने की बात की गई।
जिससे भारत के किसानों को लाभ प्राप्त होता लेकिन सब्सिडी बढ़ जाने की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा था और यही वजह थी कि डब्ल्यूटीए ( WTO)को मुख्य एजेंडे को लेकर किए गए बयान की वजह से उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा था।
डब्ल्यूटीओ (WTO) का मुख्य प्रभाव
पूरे विश्व में डब्ल्यूटीओ को मुख्य रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है और ऐसी स्थिति में इसका प्रभाव प्रत्येक क्षेत्र में देखने को मिलता है। इसका प्रभाव उन क्षेत्रों में ज्यादा दिखाई देता है जहां पर आर्थिक गतिविधि दिखाई देती हो जिसके अंतर्गत विभिन्न देशों में उत्पादों का आदान-प्रदान होता है।
जिन सम्मेलन का आयोजन किया जाता है उसमें मुख्य रूप से डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों को ज्यादा लाभ प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त डब्ल्यूटीओ का प्रभाव इसीलिए भी ज्यादा माना जाता है क्योंकि व्यापारिक संबंधित फैसले लेने में डब्ल्यूटीओ का ही मुख्य योगदान होता है जिसके माध्यम से विभिन्न राष्ट्रों की महत्व को समझते हुए ही निर्णय लिया जाना एक महत्वपूर्ण फैसला माना जाता है।
एक मुख्य सर्वे के अनुसार यह भी देखा जाता है कि तमाम तकनीकी सुविधाओं के बावजूद भी कई बार डब्ल्यूटीओ (WTO) अपने कार्यों को सही तरीके से अंजाम नहीं दे पाता और ऐसी स्थिति में उन्हें भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है लेकिन फिर भी किसी भी स्थिति का सही तरीके से आकलन करते हुए निर्णय लेना डब्ल्यूटीओ की खासियत होती है ताकि विश्व में होने वाली गतिविधियों पर नजर रखते हुए समुचित लाभ प्राप्त किया जा सके।