संविधान (The Constitution of India) द्वारा सत्ता का विभाजन संविधान सभा द्वारा संघीय रूप में किया गया था जिससे शासन व प्रशासन को केंद्र व राज्य स्तर पर नियंत्रित किया जा सका | लेकिन स्थानीय स्तर पर अब भी प्रदेश सरकार अपने मनमाने ढंग से कार्य करती रही हो और स्थानीय ग्राम और नगर स्तर पर उस प्रकार विकास संभव न हो सका जैसा की कल्पित किया गया था |
इसका कारण मुख्य रूप से स्थानीय लोगो का सत्ता में भागीदार न होना था | अपितु संविधान में स्थानीय निकाय और उसके कार्यो का वर्णन था फिर भी राज्य सरकार यह कार्य सही प्रकार से करने में पूर्णतय विफल रही और चुनाव जैसे मुद्दे के लिए वह किसी भी प्रशासनिक अधिकारी को सोंप देती थी | जिसके कारण कभी चुनाव नियमित स्तर पर हुए ही नहीं |
इस समस्या को हल करने के लिए वर्ष 1992 के 73वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत केंद्र सरकार ने विकेंद्रीकरण सुधार के रूप में स्थानीय निकाय को सशक्त किया | जिसके तहत पंचायती राज व्यवस्था की गयी और स्थानीय स्तर पर शासन को त्रि स्तरीय में स्वीकार किया गया है | पंचायती राज की तीन– स्तरीय व्यवस्था में शामिल हैं–
क) ग्राम– स्तरीय पंचायत
ख) प्रखंड (ब्लॉक)– स्तरीय पंचायत
ग) जिला– स्तरीय पंचायत
ग्राम सभा और ग्राम पंचायत किसे कहते है
पंचायती राज व्यवस्था क्या है
Panchayati Raj Vyavastha: 73वें संविधान संशोधन के जरिये स्थानीय स्तर पर शासन के विभाजन के रूप में त्रि स्तरीय इकाई का निर्माण किया गया है, जिसमे ग्राम स्तर की पंचायत (ग्राम पंचायत), प्रखंड स्तर की पंचायत (ब्लाक) और जिला स्तर की पंचायत के रूप में स्थानीय शासन को चलाने की व्यवस्था की गयी | स्थानीय स्तर (ग्रामीण और शहरी) पर शासन के विभाजन के लिए गठित या रचित व्यवस्था को ही पंचायती राज व्यवस्था के नाम से जाना जाता है | किसी भी स्तर की पंचायत के लिए 5 वर्ष का कार्यकाल निश्चित है | तथा कार्ये काल समाप्त या बीच में पंचायत भंग हो जाने पर 6 महीने के भीतर चुनाव कराना होगा | पंचायती राज में प्रत्येक स्तर पर चुनाव प्रत्यक्ष रूप से कराए जाते है |
पंचायती राज व्यवस्था की विशेषताए (शक्तियां, अधिकार और जिम्मेदारियां)
- इसमें स्थानीय स्तर (ग्रामीण) पर ग्राम सभा को वह शक्तिया दी गयी, जो राज्य स्तर पर विधानमंडल के पास है |
- 73वे संविधान संशोधन के माध्यम से स्थानीय निकाय (ग्रामीण स्तर पर) को संविधानिक बनाया गया |
- पंचायत अधिनियम के तहत ग्राम, मध्यवर्ती और जिला स्तरों पर चुनाव कराने की व्यवस्था की गयी |
- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए सीटों का आरक्षण समानुपातिक प्रणाली द्वारा निर्धारित किया गया |
- 33% सीटो पर महिला आरक्षण लागू किया गया चाहे वो अनुसूचित हो या समान्य वर्ग |
- 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाया जाता है |
- 11वी अनुसूची के माध्यम से पंचायतों के अंतर्गत 29 विषयो की सूची की व्यवस्था की गई |
ग्राम प्रधान (GRAM PRADHAN) कैसे बने ?
पंचायती राज गठन व सुधार के लिए समितिया
- बलवंत राय मेहता समिति (1957)
- अशोक मेहता समिति (1977)
- जी. वी. के राव समिति (1985)
- एल.एम. सिंघवी समिति (1986)
शहरी स्थानीय निकाय
बढ़ते हुए शहरीकरण में स्थानीय शासन की स्थापना हेतु 1992 में 74वें संशोधन अधिनियम के साथ, शहरी स्थानीय प्रशासन व्यवस्था को संवैधानिक मान्यता दी गयी | इसके अनुसार:-
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74 वें संशोधन अधिनियम की मुख्य विशेषताएं (शहरी स्थानीय निकाय)
- शहरी स्थानीय स्तर पर त्रिस्तरीय व्यवस्थाओं अनुरूप नगर पंचायत, नगरपालिका परिषद और नगर निगम की स्थापना की गयी |
- नगरपालिका में सीटो को वार्ड के रूप में जाना जाता है तथा नगर पालिका निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा इन सीटो को भरा जाएगा |
- प्रत्येक नगरपालिका में अनुसूचित जातियों औऱ अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण का प्रावधान समानुपातिक विधि से किया गया है |
- एक तिहाई सीटो का आरक्षण महिलाओ के लिए किया गया |
- राज्य विधानमंडल विधि द्वारा नगरपालिकाओं को कर लगाने और ऐसे करों, शुल्कों, टोल आदि के एकत्र करने के लिये प्राधिकृत कर सकता है।
नोट: पंचायतीराज में ग्रामीण स्थानीय निकाय के कामकाज के सुधार के लिए केंद्र सरकार द्वारा ई-ग्राम स्वराज पोर्टल का शुभारम्भ किया गया है |
उम्मीद है कि हमारे प्रिय पाठको को आज पंचायती राज के विषय में सम्पूर्ण ज्ञान प्राप्त हुआ होगा और उन्हें पंचायती राज के कार्य व उद्देश्य के विषय में भी अतिरिक्त ज्ञान प्राप्त हुआ होगा | कृप्या लेख अच्छा लगने पर hindiraj.com को आगे शेयर करे |
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