हिंदू पंचांग की ग्यारहवीं तिथि को एकादशी कहा जाता है | यह एकादशी की तिथि महीने में दो बार आती है | पहली पूर्णिमा के बाद और दूसरी अमावस्या के बाद | पूर्णिमा के बाद आने वाली एकादशी कृष्ण पक्ष की तथा शुक्ल पक्ष की एकादशी अमावस्या के बाद आती है | यह दोनों ही प्रकार की एकादशियां उपवास में सनातन संप्रदाय में बहुत अधिक महत्त्व रखती है |
हिंदू धर्मशास्त्रों में शरीर और मन को संतुलित रखने के लिए व्रत और उपवास का नियम बनाया गया है | धर्मशास्त्रों में कई तरह के व्रत और उपवास उपलब्ध है, किन्तु एकादशी में रखे गए व्रत और उपवास का सर्वाधिक महत्त्व है | इस पोस्ट में हम आपको एकादशी (Ekadashi) क्या होती है, एकादशी व्रत कब होता है, व्रत की विधि व फायदे आदि के बारे में जानकारी दे रहे है |
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एकादशी (Ekadashi) व्रत क्या होती है ?
जैसा की हमने आपको ऊपर बताया की एकादशी हिंदू पंचांग की ग्यारवी तिथि को कहते है | एकादशी व्रत और उपवास के लिए महत्त्व रखता है | यह एकादशी महीने में दो बार पड़ती है | इसमें वैशाख मास में एकादशी उपवास का विशेष महत्त्व है | वैशाख मास एकादशी में उपवास रखने से मन और शरीर दोनों ही संतुलित रहते है तथा इससे शरीर की गंभीर रोगो से भी सुरक्षा होती है तथा खूब सारा नाम और यश की प्राप्ति भी होती है |
यह एकादशी का उपवास मोह के बंधन को भी नष्ट कर देता है | इसलिए इसे मोहिनी एकादशी भी कहा जाता है | वह व्यक्ति जो मोह- भाव की मुक्ति की इच्छा रखता है उसके लिए वैशाख मास की एकादशी का उपवास विशेष महत्त्व रखता है | भगवान राम के स्वरुप की आराधना भी मोहिनी एकादशी के दिन ही की जाती है |
किस माह में कौन सा एकादशी व्रत होता है – फायदें
चैत्र माह एकादशी
चैत्र माह में कामदा और पापमोचिनी एकादशी होती है। इस एकादशी व्रत से कामदा से राक्षस आदि से छुटकारा मिलता है | यह सर्वकारी सिद्धि करती है, तथा पाप मोचिनी एकादशी का व्रत रखने से संकट मोचन और पापो का नाश होता है |
वैशाख माह एकादशी
इस एकादशी में वरुथिनी और मोहिनी एकादशी होती है | वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से सौभाग्य और सभी पापो का नाश कर मोक्ष प्राप्त होता है | वहीं मोहिनी एकादशी का व्रत रखने से विवाह, सुख-समृद्धि और शांति प्रदान होती है, तथा मोह-माया के बंधन से मुक्ति प्राप्त होती है |
ज्येष्ठ माह एकादशी
ज्येष्ठ के इस माह में अपरा और निर्जला एकादशी आती है | अपरा एकदशी का व्रत रखने से मनुष्य को असीम खुशियों की प्राप्ति होती है साथ ही तमाम पापो से मुक्ति भी मिलती है | निर्जला एकादशी में निराहार और निर्जल रहकर व्रत को रखा जाता है | निर्जला व्रत रखने से हर प्रकार की कामनाओ की सिद्धि प्राप्त होती है |
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आषाढ़ माह में एकादशी
इस एकादशी में योगिनी और देवशयनी एकादशी होती है | योगिनी एकादशी का व्रत रखने से पापो का नाश होता है तथा व्यक्ति को पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है | देवशयनी एकादशी का व्रत रखने से सिद्धि की प्राप्ति होती है तथा इसका व्रत सभी उपद्रवों को शांत कर खुशियों को बनाये रखता है |
श्रावण माह में एकादशी
इस माह में कामिनी और पुत्रदा एकादशी का उपवास रखा जाता है | कामिनी एकादशी का व्रत रखने से समक्ष पापो से मुक्ति कर जीवो को कुयोनि की प्राप्ति नहीं होने देता है | इसके अलावा पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्त होती है |
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भाद्रपद माह में एकादशी
भाद्रपद माह में अजा और परिवर्तिनी एकादशी आती है | अजा एकादशी का व्रत करने से पुत्र पर आने वाले संकट का हरण होता है और दरिद्रता भी दूर होती है तथा खोये हुए समस्त चीजों की प्राप्ति होती है | परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखने से सभी दुखो से मुक्ति प्राप्त होती है |
आश्विन माह एकादशी
इंदिरा और पापांकुशा एकादशी आश्विन माह में आती है | इंदिरा एकादशी के व्रत से पितरो को अधोगति से मुक्ति तथा स्वर्ग की प्राप्ति होती है | इसके अतिरिक्त पापांकुशा एकादशी सभी पापो को मुक्त कर अपार धन,समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है |
कार्तिक माह एकादशी
रमा और प्रबोधिनी एकादशी कार्तिक माह में आती है | रमा एकादशी का उपवास करने से सभी तरह के सुखो और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है | देवउठनी या प्रबोधिनी एकादशी का व्रत करने से भाग्य जाग्रत होता है | इस दिन तुलसी की पूजा भी की जाती है |
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मार्गशीर्ष माह में एकादशी
इसमें उत्पन्ना और मोक्षदा एकादशी होती है | उत्पन्ना एकादशी का उपवास करने से हजार वाजपेय और अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है | इससे देवता और पितर संतुष्ट होते है | मोक्षदा एकादशी से मोक्ष की प्राप्ति होती है |
पौष माह में एकादशी
पौष माह में सफला एवं पुत्रदा एकादशी आती है | सफला एकादशी का व्रत करने से सफलता प्राप्त होती है तथा अश्वमेध यज्ञ का फल भी प्राप्त होता है | संतान प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी का उपवास करना चाहिए |
माघ माह में एकादशी
इस माह में षटतिला और जया एकादशी आती है | षटतिला का उपवास करने से दुर्भाग्य, दरिद्रता तथा कई तरह के कष्टों को दूर कर मोक्ष की प्राप्ति होती है | जया एकादशी का व्रत रखने से ब्रह्म हत्या पाप से छुटकारा मिलता है तथा भूत – पिशाच योनियों में नहीं जाता है |
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फाल्गुन माह की एकादशी
फाल्गुन के इस माह में विजया और आमकली एकादशी आती है | विजया एकादशी का व्रत व्यक्ति को भयंकर परेशानियों से मुक्ति दिलाता है और शत्रुओ का नाश करता है | आमकली एकादशी के वृत्त में आंवले का बहुत अधिक महत्त्व होता है | इसका उपवास करने से व्यक्ति को सभी तरह के रोगो से छुटकारा मिलता है तथा उसे प्रत्येक कार्य में सफलता प्राप्त होती है |
अधिकमास माह में एकादशी
अधिकमास के इस महीने पद्मिनी (कमला) एवं परमा एकादशी आती है | पद्मिनी एकादशी का व्रत सभी तरह की मनोकामनाओ को पूरा करता है तथा यह पुत्र,कीर्ति और मोक्ष की भी प्राप्ति करता है | परमा एकादशी का उपवास धन-वैभव देती है और पापो का नाश कर उत्तम गति भी प्रदान करती है |
इस तरह से आप एकादशी के व्रतों को रखकर, अपने पापों का नाश करके पुण्य की प्राप्ति कर सकते है | इस तरह से मानव जीवन में आने वाली विभिन्न घटनाओं से बचा जा सकता है |
यहाँ आपको एकादशी (Ekadashi) के बारे में जानकारी दी गई है | यदि इससे संतुष्ट है, या फिर इससे समबन्धित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट करे और अपना सुझाव प्रकट करे, आपकी प्रतिक्रिया का निवारण किया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे|