हनुमान जी (Lord Hanuman) को श्रीराम (Lord Shri Ram) के सबसे बड़े भक्त के रूप में जाना जाता है | कहा जाता है, कि हनुमान जी का अवतार (Incarnation) ही श्री राम की सहायता के लिए हुआ था। हनुमान जी को संकट मोचन के आलावा बजरंग बली,पवनपुत्र, केसरीनन्दन, अंजनि सुत, कपीश, संकटमोचन, कपीश आदि नामों से पुकारा जाता है | शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है, कि हनुमान जी का जन्म मंगलवार को हुआ था, इसलिए मंगलवार के दिन उनकी पूजा को विशेष महत्व दिया जाता है |

वैसे तो हनुमान जी पूजा कसी भी दिन की जा सकती है, परन्तु मान्यता है कि मंगलवार को हनुमान जी पूजा करनें से विशेष फल प्राप्त होता है | हनुमान जी की प्रतिदिन पूजा करनें और उनके मंत्र जाप करने से मनुष्य के सभी भय दूर हो जाते है | ऐसा माना जाता है, कि हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) का पाठ करने वाले को भय और शनि ग्रह की पीड़ा से शांति मिलती है | हनुमान चालीसा पढ़ने के साथ इसका अर्थ (hanuman chalisa with meaning in hindi PDF) जानना भी बेहद जरूरी है | तो आईये जानते है, हनुमान चालीसा अर्थ सहित |
हनुमान जयंती (Hanuman Jayanti) क्या होती है
हनुमान चालीसा अर्थ सहित (Hanuman Chalisa Hindi Lyrics)
हनुमान चालीसा महाकवि तुलसीदास जी के द्वारा लिखी गयी है, हनुमान चालीसा में तुलसीदास जी नें हनुमान जी के सभी गुणों और उनकी शक्तियों का गुणगान किया है | सम्पूर्ण हनुमान चालीसा अर्थ सहित व्याख्या इस प्रकार है-
।। दोहा ।।
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि।
बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।(Sri Guru Charan Saroj Raj Nij Man Mukur Sudhari,
Baranau Raghuvar Bimal Jasu Jo Dayaku Ohal Chari.)
अर्थ-श्री गुरु जी महाराज के चरणकमलों की धूल से अपने मन के दर्पण को पवित्र करकेश्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं,जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला है |
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहूँ कलेश विकार।
(Buddhiheen Tanu Janike Sumarau Pavan Kumar,
Bal Buddhi Vidya Dehu Mohi Harau Kalesh Vikar.)
अर्थ-हे पवनपुत्र, मैं आपको हमेशा याद करता हूँ | आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है |मुझे शारीरिक बल, सद्बुद्धि और ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कर दीजिए |
।। चौपाई ।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजागर।
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।। (1)
(Jai Hanuman gyan gun sagar,
Jai Kapis tihun lok ujagar.
Ram doot atulit baldhama,
Anjaani putra Pavan sutnama)
अर्थ-हे हनुमान, आपकी जय हो!हनुमान जी आप ज्ञान और गुण के सागर समान है,स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है | हे पवनपुत्र अंजनी नंदन, इस संसार में आपके आपके जैसा दूसरा बलवान नहीं है |
भारत के प्रमुख त्यौहारों की सूची
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।। (2)
(Mahabir Bikram Bajrangi
Kumati nivar sumati ke sangi
Kanchan varan viraj subesa
Kanan kundal kunchit kesa)
अर्थ- हे बजरंगबली, आप महावीर और पराक्रमी हैं और आपके अंग बज्र के समान हैं। आप नकारात्मक बुद्धि को दूर करसद्बुद्धिप्रदान करते हैं, आपका रंग सोनें के समान है और आप सुंदर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं |
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै। काँधे मुँज जनेऊ साजै।।
शंकर सुवन केसरी नन्दन। तेज प्रताप महा जग बन्दन।। (3)
(Hath vajra aur dhvaja viraje
Kaandhe moonj janeyu saje
Shankar suvan kesri nandan
Tej pratap maha jag vandan)
अर्थ- आपके हाथों में वज्र औरझंडा है और आपके कन्धों पर मूंज का जनेऊ आपकी शोभा बढ़ा रही है | हे शिव अवतार केसरी नंदन अर्थात आप भगवान शिव के अंश हैं और केशरी के पुत्र हैं, आपके पराक्रम और यश कीवंदना पूरे संसार में होती है |
विध्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।। (4)
(Vidya van guni ati chatur
Ram kaj karibe ko aatur
Prabu charitra sunibe ko rasiya
Ram Lakhan Sita man basiya)
अर्थ: हे पवनपुत्र आप अत्यंतबुद्धिमान, चतुर और गुणवान है| आप हमेशा प्रभु श्रीराम के कार्य करने के लिए तैयार रहते हैं,आप श्री राम की महिमा सुनने के रसिया है |प्रभु राम माता सीता और लक्ष्मण जी आपकेहृदय में बसते हैं |
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर सँहारे। रामचन्द्र के काज सँवारे।। (5)
(Sukshma roop dhari siyahi dikhava
Vikat roop dhari lank jarava
Bhimaroop dhari asur sanghare
Ramachandra ke kaj sanvare)
अर्थ- आपने अपना बहुत ही छोटा सा रूप धारण कर माता सीता को दिखाया और विशाल रूप धारण करलंकाजलाई | आपने अपना बहुत ही भयंकर रूप धारण करअसुरों का संहार किया,और भगवन श्रीराम के समस्त कार्यों को संपन्न किया |
लाय संजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।। (6)
(Laye Sanjivan Lakhan jiyaye
Shri Raghuvir harashi urlaye
Raghupati kinhi bahut badai
Tum mam priye Bharat hi sambhai)
अर्थ- हनुमान जीआपने संजीवनी लाकरलक्ष्मण जी को जीवन दिया, और भगवान श्री रामजी के दिल को जीत लिया,अतः श्रीराम ने आपको हृदय से लगा लिया और उन्होंने प्रशंसा करते हुए कहा, कि तुम मेरे भाई प्यारे हो |
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।। (7)
(Sahas badan tumharo yash gaave
Asakahi Shripati kanth lagaave
Sankadhik Brahmadi Muneesa
Narad Saarad sahit Aheesa)
अर्थ- श्रीरामजी नें आपको यह कहकर अपनें ह्रदय सेलगा लिया, कि आपका यश हजारों मुखों से गाने लायक है |श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि ऋषि मुनि ब्रह्मा आदि देवता, नारद जी सरस्वती जी और शेषनाग जी सभी आपका गुणगान करते हैं |
हस्तरेखा का ज्ञान – हस्त रेखा देखने की विधि
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते। कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।। (8)
(Yam Kuber Digpaal jahante
Kavi Kovid kahi sake kahante
Tum upkar Sugreevahin keenha
Ram milaye rajpad deenha)
अर्थ- यमराज, कुबेर, दिक्पाल, कवि और कोई भी विद्वान आपके गुणों का वर्णन पूर्ण रूप से नहीं कर सकता | हे हनुमान जी आपनें सुग्रीव को श्रीरामचंद्रजी से मिलाकर बहुत बड़ा उपकार किया, जिसके कारण वह एक राजा बनें |
तुम्हरो मन्त्र विभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।। (9)
(Tumharo mantra Vibheeshan maana
Lankeshwar bhaye sab jag jana
Yug sahastra jojan par Bhanu
Leelyo tahi madhur phaljanu)
अर्थ- आपके उपदेश को मानकर ही विभीषण को लंका का राजा बननें का गौरव प्राप्त हुआ, इस बात को पूरा संसार जनता है | सूर्य जो कि पृथ्वी से हजारों मील दूर है, जहाँ तक पहुचनें में हजारों युग लगें, उसे आपनें के मीठा फल समझकर निगल लिया |
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।। (10)
(Prabhu mudrika meli mukh mahee
Jaladhi langhi gaye achrajnahee
Durgam kaj jagath ke jete
Sugam anugraha tumhre tete)
अर्थ- आपनें श्री राम जी द्वारा दी गयी अंगूठी को मुंह के अन्दर रख कर समुन्द्र को पार किया, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है, इस संसार के सभी कठिन कार्य आपकी कृपा से बहुत ही सरलता से सम्पन्न हो जाते हैं |
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हरी सरना। तुम रक्षक काहू को डर ना।। (11)
(Ram dwaare tum rakhvare
Hoat na agya binu paisare
Sub sukh lahae tumhari sarna
Tum rakshak kahu ko darnaa)
अर्थ- आप भगवन श्रीरामजी के महल के द्वार के रक्षक हैं, इसलिए बिना आपकी अनुमतिके बिना वहां कोई प्रवेश नहीं कर सकता |आपकी शरण में आने वाले सभी लोगो को सभी प्रकार के सुखों कि प्राप्ति होती है और उनके अन्दर किसी प्रकार का डर नहीं रहता |
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हाँक तें काँपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।। (12)
(Aapan tej samharo aapai
Teenhon lok hank te kanpai
Bhoot pisaach nikat nahin aavai
Mahavir jab naam sunave)
अर्थ- हनुमान जी, आपके तेज को आप स्वयं ही संभाल सकते है, आपकी एक ललकार से तीनों लोकों के सभी प्राणी तक कांप जाते हैं | ‘महावीर’ नाम का जाप करने वाले लोगो के पास कोई भूत, पिशाच जैसी आत्माएं निकट नहीं आती है |
नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।। (13)
(Nase rog harae sab peera
Japat nirantar Hanumant beera
Sankat te Hanuman chudavae
Man kram vachan dhyan jo lavai)
अर्थ- हे पवन पुत्र हनुमान जी, आपके नाम का लगातार जाप करनें से सभी प्रकार के रोग औरकष्ट दूर हो जाते हैं और जो लोग अपने विचारों, कर्मों से आपका नाम लेते है, उनके उपर आने वाले सभी प्रकार कष्टों को आप हर लेते है |
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोइ अमित जीवन फल पावै।। (14)
(Sab par Ram tapasvee raja
Tin kekajsakal Tum saja
Aur manorath jo koi lavai
Soi amit jeevan phal pavai)
अर्थ- श्रीरामचंद्रजी विश्व में सर्वश्रेष्ठ और तपस्वी राजा हैं, उनके सभी कर्यों को आपनें बड़ी ही सहजता से पूरा कर दिया | जिस पर भी आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है, जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती है |
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु सन्त के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे।। (15)
(Charon jug partap tumhara
Hai persidh jagat ujiyara
Sadhu Santke tum rakhware
Asur nikandan Ram dulare)
अर्थ- हे हनुमान जी आपका यश चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है |आप श्रीराम जी के दुलारे हैं,आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है |
बड़ा मंगल (Bada Mangal) क्या है
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।। (16)
(Ashta sidhi nav nidhi ke dhata
As var deen Janki mata
Ram rasayan tumhare pasa
Sada raho Raghupati ke dasa)
अर्थ- माता सीताद्वारा प्राप्त वरदान के अनुसार, आप किसी को भी आठों सिद्धियों और नो निधियां दे सकते हैं | श्रीराम जी की शरण में रहने से आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नामक औषधि है |
तुम्हरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दु:ख बिसरावै।।
अन्त काल रघुबर पुर जाई। जहाँ जन्म हरि–भक्त कहाई।। (17)
(Tumhare bhajan Ram ko pavai
Janam janam ke dukh bisraavai
Anth kaal Raghuvir pur jayee
Jahan janam Hari Bakht Kahayee)
अर्थ- आपका भजन करने से श्रीराम के दर्शन होते हैं और जन्म जन्मान्तर के दुःख दूर होते हैं, आपके नाम का जप करनें वाले अंत समय में श्री राम जी के धाम को जाते हैं, और यदि पुनः जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे |
चार धाम (Char Dham) यात्रा क्या है
और देवता चित्त न धरई। हनुमत् सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटे सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।। (18)
(Aur Devta chit na dharahi
Hanumanth sehi sarve sukh karehi
Sankat kate mite sab peera
Jo sumirai Hanumat balbeera)
अर्थ- हे संकटमोचन, आपकी सेवा करनें से सारे सुख मिल जाते हैं, इसके आलावा अन्य देवता की पूजा करनें कि आवश्यकता नहीं रह जाती | जो कोई आपकास्मरण करता है उसके सभी कष्ट, संकट और पीड़ा मिट जाती है |
जय जय जय हनुमान गौसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।
जो सत बार पाठ कर कोई। छुटहि बंदि महासुख होई || (19)
(Jai Jai Jai Hanuman Gosayin
Kripa karahu Gurudev ki nyahin
Jo sat bar path kare kohi
Chutahi bandhi mahasukh hohi)
अर्थ- हे संकट मोचन हनुमान जी, आपकी जय हो, जय हो, जय हो | आप मुझ पर कृपालु गुरु जी के समान कृपा कीजिये, जो कोई हनुमान चालीसा का 100 बार पाठ करेगा वह समस्त बंधनों से छूटकर परमसुखी हो जाएगा |
गुड फ्राइडे (Good Friday) का मतलब क्या होता है
जो यह पढ़ै हनुमान् चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।। (20)
(Jo yah padhe Hanuman Chalisa
Hoye siddhi sakhi Gaurisa
Tulsidas sada hari chera
Keejai nath hridaye mein dera)
अर्थ- गौरीपति भगवान शिवद्वारा हनुमान चालीसा को लिखवाया गया है, और जो इसे पढेगा उसे निश्चित रूप से सफलता मिलेगी | हे हनुमान जी, तुलसीदास जी सदा ही श्री राम जी के दास हैं, इसलिएआप उसके हृदय में सदा वास कीजिए |
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।। (21)
(Pavan tanay sankat harana, Mangal moorati roop,
Ram Lakhan Sita sahit, Hridaya basahu sur bhoop.)
अर्थ- हे पवन पुत्र हनुमान जी, आप संकट हरण और मंगल रूप है। हे श्री राम, जानकी एवं लक्ष्मण सहित आप सदा मेरे हृदय में निवास करे |
भारत के प्रसिद्ध मंदिरों की सूची हिंदी में
Hanuman Chalisa Image Download [Lyrics Photo]

हनुमान चालीसा की रचना कैसे हुई (Creation of Hanuman Chalisa)
यह बात मुग़ल सम्राट अकबर के शासनकाल की है | प्रातःकाल (Early Morning) का समय था, एक महिला पूजा कर वापस लौटते समय रास्ते में स्वामी तुलसीदास जी के पैर छुए, तो गोस्वामी तुलसीदास जी नें उन्हें सौभाग्यशाली होने का आशीर्वाद दिया | यह सुनकर वह महिला रोने लगी और उस महिला नें रोते हुए कहा कि अभी-अभी उसके स्वामी की मृत्यु हो गयी है | इस पर तुलसीदास जी जरा भी परेशान न हुए और उन्होंने उस महिला को राम नाम का जाप करने को कहा | उस समय वहां जितनें भी लोग मौजूद थे, वही सभी राम नाम का जाप करने लगे और जप शुरू होते ही वह मनुष्य जीवित हो उठा |
यह बात राज्यभर में जंगल में आग की तरह फैल गई, इसी तरह यह बात बादशाह अकबर तक पहुची, तो उन्होंने अपनें नौकरों को तुलसीदास जी को महल में पेश करनें का आदेश दिया | बादशाह अकबर तुलसीदास जी की परीक्षा लेना चाहते थे और वह यह जानना चाहते थे, कि वह वास्तव में कोई चमत्कार कर सकते है | तुलसीदास जी को सभा में आते ही बादशाह अकबर नें उन्हें चमत्कार दिखाने के लिए कहा, परन्तु तुलसीदास जी नें बड़ी निडरता से उत्तर देते हए कहा, कि वह कोई चमत्कारी बाबा नहीं हैं सिर्फ प्रभु श्रीराम के भक्त हैं |
यह सुनकर बादशाह अकबर क्रोधित हो गए और उन्होंने तुलसीदास जी को कारागार में बंद करनें का आदेश दे दिया | यह सुनते ही तुलसीदास जी बिना किसी प्रतिक्रिया के कारागृह में जाने के लिए तैयार हो गए | कारागार में रहनें के बावजूद भी उन्होंने प्रभु श्रीराम के प्रति श्रद्धा नहीं छोड़ी और वह रहकर उन्होंने हनुमान चालीसा नामक पाठ की रचना की | तुलसीदास जी नें उसी हनुमान चालीसा का 40 दिन तक पाठ किया और 40 वें दिन एक चमत्कार हुआ |
अचानक हजारों बंदरों ने बादशाह अकबर के राज्य पर हमला कर दिया | बंदरों के इस हमले से काफी क्षति हुई और लोग भयभीत हो गये | चूँकि अकबर एक सूर्यवान बादशाह थे, इसलिए उन्हें इस बात की गहराई समझनें में जरा भी देर नहीं लगी | बादशाह अकबर नें तुलसीदास जी को तुरंत कारागृह से निकलवा कर उनसे क्षमा मांगी और उन्हें अपने मित्र का स्थान देकर उन्हें विदा किया |
यहाँ आपको हनुमान चालीसा अर्थ सहित (hanuman chalisa in hindi with meaning) इसके विषय में बताया गया है | इससे समबन्धित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट करे और अपना प्रश्न पूछें, आपके प्रश्न का जल्द ही उत्तर देने का प्रयास किया जायेगा | इसी तरह की और भी जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे |