कोरोना महामारी की विकराल समस्या से पूरा विश्व जूझ रहा है, जिसे देखते हुए भारत ने भी इससे निपटने के लिए आये दिन नए तरीके अपना रहा है | केंद्र सरकार ने देश में महामारी एक्ट लागू कर दिया है | इस महामारी एक्ट के अंतर्गत जो भी नियमों और आदेशों का उल्लंघन करेगा तो, उसे अब अपराधी माना जायेगा है | यह महामारी एक्ट कोई राज्य सरकार तभी लागू कर सकती है, जब उसे लगे कि महामारी की रोकथाम के लिए यह अति आवश्यक है |
इसी को देखते हुए भारत में उत्तर प्रदेश सरकार और उत्तराखंड सरकार इस एक्ट को लागू कर चुकी है | इस एक्ट का पालन न करने पर सरकार इसपर एक्शन लेगी और इसपर कड़ी करवाई भी करेगी | यदि आप भी महामारी अधिनियम (एपिडेमिक एक्ट) क्या है, इसका प्रावधान क्या है इसके नियम की जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो यहाँ पर इसके विषय में जानकारी दी जा रही है |
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महामारी अधिनियम का प्रावधान
कोरोना को देश और पूरे विश्व और WHO ने महामारी घोषित कर दिया है जिसे देखते हुए देश में महामारी एक्ट लागू कर दिया है | देश में इस महामारी एक्ट नियमानुसार इसका उल्लंघन पर अब अपराध माना जायेगा | यह एक्ट कोई भी राज्य सरकार महामारी की रोकथाम के लिए आवश्यक होने पर ही लागू कर सकती है | महामारी अधिनियम 1897 को लागू करने के बाद सरकारी आदेश को ना मानने पर अपराध माना जायेगा | आईपीएसी (IPC) की धारा 188 के अंतर्गत इसमें सजा का भी प्रावधान रखा गया है | इस एक्ट में अधिकारियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की गई है |
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महामारी अधिनियम की जानकारी
इस एक्ट के तहत, अधिकारियों को लीगल सिक्योरिटी का अधिकार प्रदान किया जाता है | इसके अलावा कानून लागू कराते समय कुछ भी होने पर जिम्मेदारी से भी मुक्त करता है | इस कानून के अंतर्गत संविधान के अनुसार केस भी दर्ज किये जा सकेंगे | इसके नियम के अनुसार भारत में किसी भी राज्य में इसकी जरूरत पड़ने पर यह एक्ट लागू किया जा सकता है | संवेदनशील मुद्दों पर जानकारी छिपाने के आरोप में IPC एक्ट 188,269 और 270 के तहत एफआईआर दर्ज करने के साथ कार्यवाही की जा सकती है | जिससे देश या राज्य में महामारी फैलने से रोका जा सके |
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महामारी एक्ट के सेक्शन
संविधान के तहत इस एक्ट के प्रथम सेक्शन में कानून के शीर्षक और अन्य पहलुओं व शब्दावली के विषय में बताया गया है। दूसरे सेक्शन अंतर्गत सभी विशेष अधिकारों का वर्णन किया गया है जो केंद्र व राज्य सरकारों को महामारी के वक्त प्रदान किये जाते हैं।
तीसरे सेक्शन कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों पर भारतीय दंड संहिता (IPC – Indian Penal Code) की धारा 188 के तहत मिलने वाले दंड/जुर्माने के विषयं में जानकारी प्रदान करता है। चौथे और अंतिम सेक्शन के तहत कानून के प्रावधानों का क्रियान्वयन करने वाले अधिकारियों को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है।
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