निजी कम्पनियां ऐसे क्षेत्रों या स्थानों पर उद्योग स्थापित नहीं करना चाहते, जहाँ उनकी पूँजी अधिक लगे और प्रॉफिट भी कम हो | वह अपना उद्योग उन्ही स्थानों पर लगाना पसंद करते है, जहाँ उन्हें आसानी से कच्चा माल, मजदूर, विद्युत और बाजार मिल सके | इसके परिणाम स्वरूप क्षे़त्रीय असंतुलन बढ़ने लगा |
सरकार नें इस असंतुलन को संतुलित करनें के लिए निजी उपक्रमों के व्यावसायिक कार्यों को नियंत्रित करते हुए व्यवसाय में प्रत्यक्ष रूप से भाग लेना प्रारंभ किया और सार्वजनिक उदयमों जैसे- इस्पात उत्पादन, कोयला उद्योग, रेलवे आदि उद्योगो की स्थापना सरकार द्वारा की गई है |
इन इकाइयों पर सरकार के स्वामित्व के साथ-साथ प्रबंधन और नियंत्रण भी सरकार के हाथ में होता है | इन इकाइयों को सार्वजनिक उपक्रम अर्थात पीएसयू के नाम से जाना जाता है | पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्रक उपक्रम) क्या होता है? इसके बारें में आपको यहाँ पूरी जानकरी दे रहे है |
पीएसयू फुल फार्म (PSU Full Form)
पीएसयू (PSU) का फुल फार्म पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग (Public Sector Undertaking) होता है | हिंदी में इसे सार्वजनिक क्षेत्रक उपक्रम कहते है |
PSU Full Form In English | Public Sector Undertaking |
पीएसयू फुल फार्म इन हिंदी | सार्वजनिक क्षेत्रक उपक्रम |
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पीएसयू का क्या मतलब होता है ?
ऐसी व्यावसायिक ईकाइयाँ जिनका नियंत्रण और प्रबंधन सेंट्रल गवर्मेंट, स्टेट गवर्मेंट या स्थानीय सरकार द्वारा किया जाता है, उन्हें सार्वजनिक क्षेत्रक उपक्रम अर्थात पीएसयू कहा जाता है | इस प्रकार सरकार के स्वामित्व वाले सार्वजनिक उपक्रमों में सरकारी पूंजी की भागीदारी 51 प्रतिशत या इससे अधिक हो सकती है |
सार्वजनिक उपक्रमों या पीएसयू के अन्तर्गत राष्ट्रीयकृत निजी क्षेत्र के उद्यम जैसे- भारतीय गैस प्राधिकरण (गेल), एलआईसी, बैंक, हिन्दुस्तान मशीन टूल्स आदि आते है | सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का देश के आर्थिक और सामाजिक विकास में बहुत ही अहम भूमिका है |
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पीएसयू का वर्गीकरण (PSU Classification)
सार्वजनिक उपक्रमों को तीन समूहों में विभाजित किया गया है, जो इस प्रकार है-
- सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (PSE)
- केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (CPSEs)
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (PSB)
पीएसयू के प्रारूप (PSU Format)
सार्वजनिक उपक्रमों अर्थात पीएसयू के प्रारूप इस प्रकार है-
1.विभागीय उपक्रम (Departmental Undertaking)
इस स्वरुप का प्रयोग मुख्य रूप से आवश्यक सेवाएं जैसे- रेलवे, डाक सेवाएँ आदि के को मैनेज करनें के लिए किया जाता है | इस प्रकार के संगठनों का संचालन और नियंत्रण सरकार के एक मंत्रालय के अधीन होता है |
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2.सार्वजनिक निगम (Public Corporation)
सार्वजनिक निगम को पार्लियामेंट या राज्य विधानमण्डल द्वारा क़ानून बनाकर पारित किया जाता है | इस कानून में निगम के कार्य, उनके अधिकार और उसे संचालित करनें की प्रक्रिया को स्पष्ट किया जाता है | इसके साथ ही इसके लिए वित्त व्यवस्था का प्रबंध सरकार द्वारा किया जाता है। राज्य व्यापार निगम, एलआईसी आदि संगठन इसी श्रेणी में आते हैं।
3. सरकारी कंपनी (Government Company)
ऐसी कम्पनियां जिनमें 51 प्रतिशत या इससे अधिक की भागीदारी सरकार की होनें पर वह कम्पनी सरकारी होती है | सेल, गेल, ओएनसीजी आदि कंपनियां इसी श्रेणी में आती हैं।
4.अनुच्छेद 25 की कंपनियां (Article 25 Companies)
इस प्रकार की कंपनियों का उद्देश्य लाभ कमाना नहीं बल्कि महत्वपूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराना होता है | ऐसी कंपनियों का जिक्र कंपनी एक्ट के अनुच्छेद 25 के अंतर्गत आता है, जिसके कारण इन्हें अनुच्छेद 25 की कंपनियां कहा जाता है |
पीएसयू की आवश्यकता (PSU Required)
स्वतंत्रता से पहले हमारा देश अकुशल श्रमशक्ति, आय में असमानता, बेरोज़गारी और जैसी गंभीर समस्याओं से जूझ रहा था | इस प्रकार की समस्याओं को देखते हुए सार्वजनिक क्षेत्र का खाका विकसित किया गया और देश नें योजनाबद्ध आर्थिक विकास की नीतियां बनाकर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विकास की परिकल्पना को अपनाया। सरकार की भागीदारी होनें से लोगो का विश्वास बढ़ता गया और नये-ने उद्यम स्थापित होनें लगे | जिससे देश को आर्थिक और सामाजिक रूप से लाभ मिलने के साथ ही लोगो को रोजगार की प्राप्ति होनें लगी |
पीएसयू का महत्व (Importance of PSU)
- अर्थव्यवस्था के आधारभूत उद्योगों को बढ़ावा देना |
- निजी एकाधिकार के प्रभाव को सीमित करना |
- आर्थिक असमानता को कम करना |
- आवश्यक वस्तुओं का कीमत को नियंत्रित करना |
- जनकल्याण के कामों पर ध्यान ध्यान देना |
- संतुलित क्षेत्रीय विकास |
- निर्यात प्रवर्तन |
- देश की सुरक्षा सुनिश्चित करना |
महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न का दर्जा (Maharatna, Navratna and Miniratna Status)
पीएसयू नें भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत ही अहम् रोल निभाया है, परन्तु अधिकांश PSUs का कार्य संतोषजनक नहीं रहा, जिनमें पूँजी लागत की तुलना में प्रोफिट रेट बहुत ही कम है | हालाँकि कुछ कम्पनियों नें बहुत अच्छा रिजल्ट दिया है और दे रही है, जिसके परिणाम स्वरुप उन्हें महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न का दर्जा दिया गया है |
वर्तमान समय में भारत में महारत्न कम्पनियों की संख्या 8 है और नवरत्न कम्पनियों की संख्या 16 है | जबकि मिनीरत्न कम्पनियों की संख्या सबसे अधिक 74 है | इन कम्पनियों की यह दर्जा उनके टर्नओवर और लाभ के आधार पर दिए जाते है |
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महारत्न कंपनियों के नाम (Names of Maharatna Companies)
- भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड |
- कोल इंडिया लिमिटेड |
- गेल (इंडिया) लिमिटेड |
- इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड |
- एनटीपीसी लिमिटेड |
- तेल एवं प्राकृतिक गैस कारपोरेशन लिमिटेड |
- भारतीय इस्पात प्राधिकरण लिमिटेड |
- भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड |
आरबीआई ग्रेड बी परीक्षा क्या है?
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