वर्तमान दौर में देखा जाए तो भारत के विश्व स्तर पर कुछ देशो को छोड़ सभी देशों से घनिष्ठ सम्बन्ध है अब अगर बात रूस की करे तो यह मित्रता काफी प्रगाढ़ और गहरी है | अगर हम नवीनतम वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की बात करे तो भारत ने रूस से S-400 ‘ट्रायम्फ़ (Triumf)’ लेने की बात कर ली है | रूस से S-400 प्रणाली को पहुंचाने के लिए 05 अक्टूबर 2018 को भारत एक अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर कर चुका है |
इस नवीनतम वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की डेलिवेरी तारीख सम्भवतः अक्टूबर 2020 से शुरू होकर 2025 तक पूरी हो जाएगी, ऐसी संभावना जताई जा रही है | यदि आप भी S-400 एयर मिसाइल सिस्टम क्या है, एस 400 की विशेषताए क्या है, यह कैसे काम करता है इसके बारे में जानना चाहते है तो यहां इसकी जानकारी दी जा रही है |
बैलिस्टिक मिसाइल एंड क्रूज मिसाइल
कब हुआ इसका सौदा, और कीमत
यह सौदा भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा रूस यात्रा के समय ही किया गया, और इस सौदे की लगभग कीमत 5.5 बिलियन डॉलर यानि कि भारतीय मुद्रा के तहत 36 हजार करोड़ रुपये के संभावित बताई गई है | भारत को पांच ‘S-400 एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम’ इसके अलावा 40 हेलिकॉप्टर और 200 ‘कामोव KA- 226-T’ हेलिकॉप्टर भी रूस इस समझौते के अंतर्गत देगा |
S-400 एयर मिसाइल सिस्टम का निर्माण
रूस और अमेरिका के मध्य जारी शीत युद्ध के समय रूस द्वारा एयर मिसाइल सिस्टम S-300 के विकास के प्रयास में इसे विकसित किया गया था | यह उस समय की बात है जब रूस को अमेरिका से परमाणु वार का डर था इसलिए इस युद्ध के समय ही रूस ने S-300 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली को विकसित कर लिया था |
1970 के दशक में सोवियत संघ में प्रमुख औद्योगिक परिसरों, शहरों तथा अन्य रणनीतिक संपत्तियों की सुरक्षा हेतु वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली को तैनात किया गया था | उसके बाद रूस ने इसका एडवांस्ड वर्जन बनाया, जिसका उपयोग 2007 से हो रहा है, और 21वीं सदी में अब तक विश्व की सर्वोत्तम प्रणालियों में से एक मानी गई है |
रूस में लगभग आधा दर्जन S-400 रेजिमेंट मुकर्रर हैं, जिनमें से दो मास्को की सुरक्षा के लिए मुकर्रर हैं | इसके अलावा S-400 को रूस ने सीरिया में भी सुरक्षा कारणों से मुकर्रर कर रखा है |
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एस 400 की विशेषताए क्या है
- S-400 सिस्टम S-300 का उन्नत संस्करण है, यह S-300 से अधिक शक्तिशाली है |
- S-400 लगभग 10,000 फीट (30 किमी) की ऊंचाई तक निशाना साधने में समर्थवान् है |
- S-400 तैनाती करने में केवल 5 से 10 मिनट का ही समय लगता है, यह नई प्राविधिक की रक्षा पद्धति है |
- S-400 डिफेंस सिस्टम एक साथ 36 मिसाइलों को मार गिराने की साहस रखता है |
- यह पद्धति एक साथ तीन मिसाइलें छोड़ने में समर्थवान् हैं, और इसके प्रत्येक परत में 72 मिसाइलें होती हैं |
- S-400 सिस्टम सतह से हवा में युद्ध करने वाला विश्व का सबसे शानदार और शक्तिशाली मिसाइल सिस्टम माना गया है |
- यह सिस्टम इतनी उन्नत प्राविधिक का है, कि 400 किमी की दायरे में आने वाली मिसाइलों एवं पाँचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को एक झटके में समाप्त कर सकता है | इसमें अमेरिका द्वारा बनाये गए सबसे उन्नत फाइटर जेट F-35, F-16 और F-22 को भी पराजित करने में पूर्ण रूप से समर्थवान् है |
- इसका प्रयोग सबसे पहले 2007 में मॉस्को की सुरक्षा के लिए किया गया था | यह 48N6 श्रेणी की मिसाइलें लॉन्च करने में पूरी तरह से सक्षम है | जिनके द्वारा कहीं भी बड़ी तबाही की जा सकती है |
- इस सिस्टम से विमानों सहित क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों तथा ज़मीनी लक्ष्यों को भी आसानी से निशाना साधने में समर्थवान् है |
- इस पद्धति की अधिकतम गति 8 किलोमीटर प्रति सेकंड तक है जबकि इसके अपडेट वर्जन में यह हाइपरसोनिक गति से हमला कर सकती है |
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S-400 एयर मिसाइल सिस्टम का काम
S-400 एयर मिसाइल सिस्टम का काम किसी भी संभावित हवाई हमले की पहले से जानकारी प्राप्त करना है । इसके अतिरिक्त यह रडार और उपग्रहों की मदद से जानकारी इकट्ठा करता है । इसकी जानकारी इतनी सही और सटीक होती है, कि लड़ाकू विमान कहां से हमला कर सकते हैं, यह भी आसानी से जान लेता है । इसके साथ ही यह एंटी-मिसाइल छोड़ कर दुश्मन के विमानों और मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर देता है । भारत का यह पहला मौका है, जब रूस से इस प्रकार डिफेंस सिस्टम खरीदा जा रहा है |
इस आर्टिकल में हमनें आप को S-400 एयर मिसाइल सिस्टम के विषय में जानकारी दी | यदि इस जानकारी से सम्बंधित आपके मन में किसी प्रकार का प्रश्न या विचार आ रहा है, या अन्य कोई जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो कमेंट बाक्स के माध्यम से पूँछ सकते है, हम आपके द्वारा की गयी प्रतिक्रिया और सुझावों का इंतजार कर रहे है |