PDS क्या होता है
PDS या पब्लिक वितरण प्रणाली एक सरकार द्वारा संचालित स्कीम है जिसके द्वारा गरीब वर्ग के परिवारों को सरकार बाज़ार से बहुत कम कीमत पर खाद्य पदार्थ जैसे गेहू, चावल, दाल आदि उपलब्ध कराती है |
इसका संचालन केंद्रीय सरकार व राज्य सरकार द्वारा मिलकर किया जाता है, जहा केंद्रीय सरकार राशन मुहैया कराती है वही राज्य सरकार राशन का आम जनता जो कि गरीब वर्ग से है, राशन का वितरण सरकारी दुकान द्वारा सुनिश्चित करती है | सरकारी दुकानों के इसी जाल को PDS प्रणाली कहते है |
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पब्लिक वितरण प्रणाली का इतिहास व उदेश्य (History & Objective)
यह योजना 1960 से दशक से शुरू की गयी थी, जिस समय के साथ साथ दायरा बढाया गया है | सरकार द्वारा भारत के अर्बन क्षेत्र में जहां खाद्य पदार्थ की आपूर्ति बहुत कम थी, कुछ दुकाने खोली गयी जिसे 1992 में सरकार द्वारा भारत के सभी ग्रामीण व शहरी क्षेत्रो में बड़े पैमाने पर खोला गया | आज भारत के लगभग हर क्षेत्र में यह दुकान आसानी से उपलब्ध है | इन दुकानों को सरकारी दुकान या उचित मूल्य की दूकान भी कहते है |
PDS सिस्टम का मकसद भारत के हर नागरिक को जोकि गरीबी के कारण भूखा सोने पर मजबूर है या बाज़ार की कीमत पर सामान नहीं खरीद सकता, कम से कम दामो पर राशन उपलब्ध करना है |
पब्लिक वितरण प्रणाली कैसे काम करती है | Working of PDS System
सरकार द्वारा पहले MSP प्राइस पर किसानो से अनाज, धान, गेंहू व अन्य फसल खरीदी जाती है, जिसे सरकार पब्लिक वितरण प्रणाली द्वारा बाज़ार में अपने माध्यम से गरीब लोगो को उपलब्ध कराती है | अनाज की खरीद, देखभालव ट्रांसपोर्ट कार्य केंद्रीय सरकार द्वारा किया जाता है, जिसके आगे का काम राज्य सरकारों द्वारा अपने क्षेत्र के अनुरूप क्या जाता है |
राज्य सरकार लाइसेंस विधि से कोटेदार कोचयनित किया जाता है जोकि उस सरकारी दूकान को संचालित करता है तथा उसी क्षेत्र का होना चाहिए, कोटेदार के सारे मानक राज्य सरकार द्वारा निर्धारित किये जाते है जिसमे शिकायत निवारण भी समाहित है |
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PDS का फुल फॉर्म क्या है
अंग्रेजी में इसका फुल फॉर्म “Public Distribution System” है वही हिंदी में पीडीएस का फुल फॉर्म “पब्लिक वितरण प्रणाली” है |
पीडीएस या पब्लिक वितरण प्रणाली में कमिया
- इसमें कोई शक नहीं कि सरकार द्वारा संचालित यह स्कीम किसी चमत्कार से कम नहीं है व इस योजना से आम आदमी को बहुत लाभ हुआ है | लेकिन कुछ धन पशु सरकार की इस स्कीम सेंध लगाने में पूर्ण रूप से सक्षम है जिसका एक घटना राशन चोरी या मिलावट की भी है |
- उच्च कोटि का राशन डीलर के पास पहुचने से पहले ही ये धन पशु उसमे से उच्च क्वालिटी का अनाज चुरा लेते है तथा उसमे घटिया क्वालिटी का अनाज मिलकर जनता को बाट दिया जाता है |
- ग्रामीण क्षेत्र में इस प्रणाली में सेंध के लिए मुख्य रूप से ग्राम के प्रधान उत्तरदायी है जो वोट बैंक के लालच में फर्जी राशन कार्ड बनाकर अपने नजदीकी लोगो को योग्यता भी न होने पर, राशन उपलब्ध कराता है | यह कड़ी कारवाई का विषय है, जिसकी शिकायत सीधा डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर से की जा सकती है |
अगर ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ही सरकार की यह स्कीम से बहुत लोग वंचित रह जाएगे |
पब्लिक वितरण प्रणाली में सुधार
- भारत के PDS सिस्टम में सुधार के लिए बहुत समितिया बनाई गयी है जिसके कारण काफी सुधार भी हुआ है लेकिन कुछ राज्य आज भी उसी पुरानी ढर्रे पर चल रहे है तथा उसमे कोई बदलाव नहीं किया गया है |
- छत्तीसगढ़ का PDS मॉडल निश्चित ही बहुत ही कारगर है जिसे सभी राज्यों को खासकर उत्तर प्रदेश, बिहार,झारखण्ड में लागू करना चाहिए | यह मॉडल एक मॉडर्न सलूशन जैसे जीपीएस पर आधारित है जिसके द्वारा राशन पहुचाने वाले वाहन को पीले रंग से रंग दिया जाता है तथा जिस पर एक नम्बर भी दिया गया है जिसके द्वारा अगर यह वाहन कहीं रूक जाए तो इसकी सूचना दी जा सकती है |
- वाधवा कमेटी की माने तो PDS सिस्टम में बहुत कमिया है जिनके लिए इस समिति ने कई सुझाव दिए है जोकि अभी सरकारों द्वारा आधीन है जिस पर तुरंत कार्य होना चाहिए |
हमने आपको PDS सिस्टम के बारे में जानकारी देनी की पूर्ण रूप से प्रयास किया है, यदि आपके मन में कोई सवाल हो तो आप हमे कमेंट बॉक्स द्वारा पूछ सकते है |
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