दोस्तों जैसा कि हम लोग जानते ही हैं कि पाकिस्तान में चल रहे आतंकी ठिकानों पर की गई जोरदार कार्यवाही के बारे में जानकारी देने के लिए भारत की ओर से दो महिला अफसर आगे आई| इनमें एक महिला अफसर कर्नल सोफिया कुरैशी और दूसरी भारतीय वायु सेवा की विंग कमांडर व्योमिक सिंह है, इनके साथ भारत के विदेश सचिन विक्रम भी प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल रहे|
‘’ऑपरेशन सिंदूर’’ के बारे में जानकारी देते हुए कर्नल सोफिया कुरैशी ने कहा,” पहलगाम आतंकवादी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया था इसमें 9 आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाकर खत्म कर दिया गया” जी हां दोस्तों भारत की बेटी सोफिया कुरैशी ने नष्ट कर दिए कई आतंकी शिविर, इतना ही नहीं भारतीय सेवा की सिग्नल कोर की अवसर सोफिया कुरैशी के नाम कई अहम उपलब्धियां हैं|
सोफिया कुरेशी भारत के लिए बचपन से ही अपनी जान की बाजी लगाने को तैयार रहती थी, तो चलिए आज बात कर लेते हैं इस लेख में ऐसी एक महान हस्ती के बारे में जिसने अपने देश के नागरिकों के लिए पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को ठिकाने लगा दिया|
आज जान लेते हैं कि आखिर सोफिया कुरेशी कौन है? और यहां आपको पढ़ने को सोफिया कुरैशी के बारे में वह सभी जानकारी जो शायद आज भारत की हर बेटी जानना चाहती है, इतना ही नहीं इस लेख में आपको मिलेगी Sophia Qureshi Biography तो चलिए शुरू करते हैं|

Sophia Qureshi Biography से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण बिंदु
कर्नल सोफिया कुरैशी का जन्म स्थान | वडोदरा, गुजरात, भारत |
सोफिया कुरैशी का जन्म कब हुआ? | 12 दिसंबर 1974 |
सोफिया कुरैशी के माता-पिता | मोहम्मद कुरैशी, भारतीय सेना में सेवारत, आमिना कुरैशी |
सोफिया कुरैशी प्रारम्भिक शिक्षा | केंद्रीय विद्यालय, ईएमई, वडोदरा, स्नातक और परास्नातक: बायोकैमिस्ट्री में बी.एससी. और एम.एससी., महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय, वडोदरा |
व्यक्तिगत जीवन | पति- कर्नल ताजुद्दीन बगेवाड़ी (मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में अधिकारी) |
2025 के भारत पाकिस्तान संघर्ष में भूमिका | 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद, कर्नल कुरैशी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय सेना की प्रतिक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विंग कमांडर व्योमिका सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री के साथ मिलकर मीडिया को ऑपरेशन की जानकारी दी, |
मान्यता और पुरस्कार | विशेष सेवा पदक, ऑपरेशन विजय पदक, ऑपरेशन पराक्रम पदक, सैन्य सेवा पदक, विदेश सेवा पदक, 75वीं स्वतंत्रता वर्षगांठ पदक, 20 वर्ष लंबी सेवा पदक, 9 वर्ष लंबी सेवा पदक, संयुक्त राष्ट्र पदक, गांधी शांति पुरस्कार (2019) |
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी कौन हैं? (Who is Sofia Qureshi)
लेफ्टिनेंट कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की एक प्रतिष्ठित और प्रेरणादायक महिला अधिकारी हैं। उनका जन्म 12 दिसंबर 1974 को वडोदरा, गुजरात में हुआ था। वह एक सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार से हैं; उनके पिता मोहम्मद कुरैशी सेना में सेवारत थे और उनकी मां आमिना कुरैशी एक घरेलू महिला हैं। उनकी जुड़वां बहन डॉ. शायना सूनसारा एक प्रसिद्ध मॉडल और पर्यावरणविद् हैं।
सोफिया ने केंद्रीय विद्यालय, ईएमई वडोदरा से शिक्षा प्राप्त की और बाद में बायोकैमिस्ट्री में बीएससी व एमएससी की। उन्होंने 1999 में सेना की सिग्नल कोर में कमीशन प्राप्त किया और लगातार अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। 2016 में वह दक्षिण एशियाई क्षेत्र के ‘फोर्स 18’ सैन्य अभ्यास का नेतृत्व करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
2025 में भारत-पाक संघर्ष के दौरान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही, जहां उन्होंने साइबर और संचार संचालन का नेतृत्व किया और मीडिया को मिशन की जानकारी दी। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन, कांगो में भी सेवा दी और कई राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पदकों से सम्मानित हुईं। उनकी नेतृत्व क्षमता, सेवा भावना और नारी सशक्तिकरण की मिसाल के लिए उन्हें पूरे देश में सराहा जाता है। वे भारत की गौरवशाली महिला सैन्य अधिकारी हैं।

सोफिया कुरैशी का शुरुआती जीवन और शिक्षा
सोफिया कुरैशी का जन्म 12 दिसंबर 1974 को गुजरात के वडोदरा शहर में एक अनुशासित और देशभक्त परिवार में हुआ था। उनके पिता मोहम्मद कुरैशी भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं, जिनसे उन्हें देश सेवा की प्रेरणा मिली। उनकी मां आमिना कुरैशी एक शांत स्वभाव वाली गृहिणी थीं। सोफिया की प्रारंभिक शिक्षा केंद्रीय विद्यालय, ईएमई वडोदरा में हुई, जहां उन्होंने पढ़ाई के साथ अनुशासन और नेतृत्व के गुण भी सीखे। उन्होंने महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से बायोकैमिस्ट्री में स्नातक और फिर स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की। 1999 में भारतीय सेना की सिग्नल कोर में उनका चयन हुआ, जो उनके सपनों की शुरुआत थी।
सोफिया कुरैशी का पारिवारिक जीवन और प्रेरणा
सोफिया कुरैशी का पारिवारिक जीवन सादगी, अनुशासन और प्रेरणा से भरा हुआ है। उनके पिता मोहम्मद कुरैशी भारतीय सेना में कार्यरत रहे, जिनसे उन्होंने देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा सीखी। उनकी माता आमिना कुरैशी एक पारंपरिक गृहिणी हैं, जिन्होंने परिवार को एकजुट रखने में अहम भूमिका निभाई। सोफिया की एक जुड़वां बहन शायना सूनसारा हैं, जो एक मॉडल और पर्यावरणविद् हैं। परिवार के समर्थन और विशेषकर पिता की सैन्य पृष्ठभूमि ने उन्हें सेना में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया। सोफिया हमेशा अपने माता-पिता को अपनी सबसे बड़ी प्रेरणा मानती हैं, जिनकी सीख ने उन्हें दृढ़ और निडर अधिकारी बनाया।
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सोफ़िया की सेना में सेवा और ऐतिहासिक उपलब्धियां
सोफिया कुरैशी ने 1999 में भारतीय सेना की सिग्नल कोर में कमीशन प्राप्त कर अपने सैन्य करियर की शुरुआत की। शुरुआत से ही वे तकनीकी रूप से दक्ष और नेतृत्व क्षमता से परिपूर्ण अधिकारी रही हैं। उन्होंने संचार और साइबर ऑपरेशन्स जैसे जटिल क्षेत्रों में महारत हासिल की, जो आधुनिक युद्ध की रीढ़ माने जाते हैं।
2006 में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन (MONUSCO) के अंतर्गत कांगो में सेवा दी, जहां उनके कार्यों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली। यह अनुभव न केवल उनके करियर के लिए बल्कि भारतीय सेना की वैश्विक साख के लिए भी अहम था।
वर्ष 2016 में सोफिया ने इतिहास रचते हुए दक्षिण एशिया के सबसे बड़े बहुराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास ‘फोर्स 18’ में भारतीय सेना के 40 सदस्यीय दल का नेतृत्व किया। यह पहली बार था जब किसी भारतीय महिला अधिकारी को ऐसा महत्वपूर्ण दायित्व सौंपा गया। उनकी रणनीतिक सोच, प्रभावशाली नेतृत्व और तकनीकी समझ ने उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाया।
2025 में भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में साइबर और संचार मोर्चे पर नेतृत्व करते हुए न केवल सैनिकों को निर्देशित किया बल्कि मीडिया और संचार माध्यमों के जरिए मिशन की स्पष्ट और प्रभावशाली जानकारी भी साझा की। उनकी यह भूमिका ऐतिहासिक रही|
कर्नल सोफिया कुरैशी का सम्मान और उपलब्धियां
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की एक प्रतिष्ठित अधिकारी हैं, जिन्हें उनके उत्कृष्ट सैन्य सेवा के लिए कई सम्मान और पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों में विशिष्ट सेवा पदक (Vishisht Seva Medal), सैनिक सेवा पदक (Sena Medal), और संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन पदक (UN Peacekeeping Medal) शामिल हैं।
इसके अतिरिक्त, उन्हें सेना प्रमुख की प्रशंसा पत्र (COAS Commendation) और जनरल ऑफिसर कमांडिंग–इन–चीफ की प्रशंसा पत्र (GOC-in-C Commendation) भी प्राप्त हुई है। उनकी नेतृत्व क्षमता और समर्पण को मान्यता देते हुए, 2020 में सर्वोच्च न्यायालय ने महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के अपने निर्णय में कर्नल सोफिया कुरैशी की उपलब्धियों को विशेष रूप से सराहा।
इन पुरस्कारों और प्रशंसा पत्रों ने उन्हें भारतीय सेना में एक प्रेरणास्त्रोत अधिकारी के रूप में स्थापित किया है, जो न केवल सैन्य सेवा में बल्कि समाज में भी महिलाओं की भूमिका को सशक्त बनाती है|
सोफिया कुरैशी का करियर
दोस्तों जैसा कि बताया जा रहा है, सोफिया कुरैशी (जन्म 1974) भारतीय सेना में एक वरिष्ठ अधिकारी हैं, जो वर्तमान में कर्नल के पद पर हैं। वह संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भारतीय दल का नेतृत्व करने वाली पहली महिला होने के लिए उल्लेखनीय हैं और इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने 2025 के भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान अपनी नेतृत्वकारी भूमिका के लिए राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने 2025 में पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को ठिकाने पर लगा दिया|
कर्नल सोफिया कुरैशी कैसी थीं, बचपन से सेना में अफसर बनने तक का सफर
कर्नल सोफिया कुरैशी एक बहादुर और प्रेरणादायक महिला थीं, जिन्होंने अपनी मेहनत और दृढ़ संकल्प से सेना में एक सम्मानित अफसर बनने तक का लंबा सफर तय किया। बचपन से ही उनकी रुचि और हिम्मत ने उन्हें चुनौतियों का सामना करने और अपने सपनों को पूरा करने की दिशा में प्रेरित किया।
वडोदरा की रहने वाले हैं सोफिया– कर्नल सोफिया कुरैशी का जन्म और पालन-पोषण वडोदरा, गुजरात में हुआ। वे एक सामान्य परिवार से थीं, जहां उन्हें शिक्षा और अनुशासन की अहमियत सिखाई गई। बचपन से ही सोफिया में साहस और नेतृत्व की भावना विकसित हुई। वडोदरा की सांस्कृतिक विविधता और शिक्षा से प्रभावित होकर उन्होंने अपने सपनों को ऊँचाइयों तक ले जाने की ठानी। परिवार ने भी उनका पूरा सहयोग किया, जिससे वे सेना जैसी कठिन और चुनौतीपूर्ण पथ पर आत्मविश्वास के साथ बढ़ सकीं। वडोदरा की यह बेटी अब देश के लिए गर्व का विषय है।
डरती, झिझकती बिल्कुल नहीं थीं सोफिया- सोफिया कुरैशी बचपन से ही किसी भी चुनौती से डरने वाली या झिझकने वाली नहीं थीं। वे हमेशा अपने फैसलों में स्पष्ट और दृढ़ रहीं। चाहे वह पढ़ाई हो या करियर चुनना, उन्होंने कभी पीछे हटना नहीं सीखा। सेना में शामिल होने का निर्णय उनके साहस और आत्मविश्वास का प्रमाण था। उनकी यह निर्भीकता ही उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने और नेतृत्व करने की क्षमता देती थी। उनके साथ रहने वाले बताते हैं कि सोफिया हर परिस्थिति में शांत और निडर बनीं रहती थीं।
टीचिंग लाइन से लौटकर सेना में जाना चुना- शुरुआती करियर में सोफिया ने शिक्षक बनने का रास्ता चुना था। वे पढ़ाने के कार्य से जुड़ी थीं, जहां उन्होंने छात्रों को प्रेरित किया और शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दिया। लेकिन उनके दिल में हमेशा देश सेवा का जुनून था। इसलिए उन्होंने टीचिंग लाइन छोड़कर सेना में अफसर बनने का साहसिक फैसला लिया। यह बदलाव उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने उन्हें देश की सेवा में समर्पित कर दिया। सोफिया की यह पेशेवर जर्नी उनकी बहादुरी और दृढ़ता की मिसाल बनी।
एक झटके में छोड़ी थी पीएचडी– सोफिया कुरैशी ने अपनी पीएचडी की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी जब उन्होंने सेना में शामिल होने का निर्णय लिया। यह उनके जीवन का बड़ा और साहसिक फैसला था, क्योंकि पीएचडी को बीच में छोड़ना कोई आसान बात नहीं होती। लेकिन देश सेवा के लिए उनका जुनून इतना प्रबल था कि उन्होंने अपने व्यक्तिगत शैक्षिक लक्ष्यों को तुच्छ समझा और सेना के लिए पूरी तरह समर्पित हो गईं। यह झटका उनके करियर की दिशा बदलने वाला मोड़ साबित हुआ।
2016 में भी सोफिया बटोर चुकी सुर्खियां– 2016 में कर्नल सोफिया कुरैशी ने अपनी बहादुरी और नेतृत्व से सुर्खियां बटोरीं। उस साल उन्होंने कई महत्वपूर्ण अभियानों और सैन्य मिशनों में हिस्सा लिया, जहां उनकी वीरता और रणनीतिक सोच की खूब सराहना हुई। मीडिया और जनता ने उन्हें एक प्रेरणादायक महिला अफसर के रूप में जाना। उनकी यह उपलब्धि सेना में महिलाओं के योगदान को भी एक नई पहचान दिलाने वाली थी। 2016 में सोफिया का नाम अक्सर चर्चा में रहा, जो उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण का परिणाम था।
जब सोफिया कुरैशी ने ऑपरेशन सिंदूर की पूरी कहानी बताई
कर्नल सोफिया कुरैशी ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी बहादुरी और रणनीतिक कौशल का बेहतरीन परिचय दिया था। यह ऑपरेशन एक महत्वपूर्ण सैन्य मिशन था, जिसमें आतंकवादियों के ठिकानों पर छापा मारकर उन्हें नष्ट करना था।
सोफिया ने अपने दल के साथ मिलकर खुफिया जानकारी के आधार पर योजना बनाई और दुश्मन के जाल में फंसाकर उन्हें मात दी। इस मिशन में उन्होंने अपने साहस और नेतृत्व कौशल से न केवल अपने साथियों का मनोबल बढ़ाया, बल्कि कठिन परिस्थितियों में भी शांत और संयमित रहकर सफलता सुनिश्चित की।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उनके द्वारा निभाई गई भूमिका को सेना ने बेहद सराहा, जिससे वे कई बार मीडिया और सार्वजनिक मंचों पर चर्चा में रहीं। सोफिया ने बाद में इस ऑपरेशन की पूरी कहानी साझा की, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे टीम ने एकजुट होकर रणनीतिक हमले को अंजाम दिया और देश की सुरक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया।
इस मिशन से उनकी सेना में प्रतिष्ठा और भी बढ़ी, और वे महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत बन गईं। ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने यह साबित किया कि महिलाएं भी सैन्य अभियानों में बराबरी से हिस्सा लेकर अद्भुत योगदान दे सकती हैं।
लाखों लड़कियों की रोल मॉडल है सोफिया कुरैशी
कर्नल सोफिया कुरैशी वास्तव में लाखों लड़कियों के लिए एक प्रेरणादायक रोल मॉडल हैं। वे न केवल सेना में एक सफल अफसर के रूप में जानी जाती हैं, बल्कि महिलाओं के लिए सामाजिक और पेशेवर क्षेत्रों में बराबरी की लड़ाई लड़ने वाली एक प्रतीक भी हैं।
सोफिया ने अपने साहस, समर्पण और मेहनत से यह साबित किया कि कोई भी महिला किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के समान सफल हो सकती है। उनका जीवन संघर्ष और उपलब्धियों की कहानी उन सभी लड़कियों को प्रेरित करती है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्षरत हैं। वे बताती हैं कि आत्मविश्वास, शिक्षा और धैर्य के साथ कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
सोफिया ने सेना जैसे पारंपरिक रूप से पुरुषप्रधान क्षेत्र में कदम रखकर यह संदेश दिया कि महिलाओं की क्षमताएं सीमित नहीं हैं। उनकी सफलता ने भारतीय समाज में महिलाओं के प्रति नजरिए को बदलने में मदद की है और युवा लड़कियों को अपने अधिकारों और संभावनाओं को पहचानने के लिए प्रेरित किया है।
इसीलिए कर्नल सोफिया कुरैशी आज न केवल एक सैन्य अधिकारी हैं, बल्कि लाखों लड़कियों की प्रेरणा और आदर्श बन चुकी हैं।
Sophia Qureshi Biography से जुड़े सवाल\जवाब [FAQ,s]
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की पहली मुस्लिम महिला अफसर हैं जिन्होंने कई मुश्किल ऑपरेशनों में हिस्सा लिया। वे बहादुरी और नेतृत्व के लिए जानी जाती हैं और महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
उनके पति का नाम कर्नल ताजुद्दीन बागेवाड़ी है, जो भी भारतीय सेना में सेवा करते हैं।
सोफिया कुरैशी की उम्र लगभग 40 साल के करीब है, हालांकि उनकी सटीक जन्मतिथि सार्वजनिक नहीं है।
सोफिया कुरैशी इस्लाम धर्म की अनुयायी हैं।