तकरीबन सभी विद्यार्थिओं का सपना होता है कि वह भविष्य में अपने मनपसंद कोर्स का चयन करें और अपने सपनों को पूरा करें। इन्हीं में से आर्किटेक्ट (Architect) बनकर नई नई इमारतों को डिज़ाइन करना चाहते हैं और इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं।
लेकिन समस्या यहां तब पैदा होती है जब उन्हें जानकारी कम होती है और विद्यार्थी आर्किटेक्ट बनने के इस सपने से वंचित रह जाते हैं। इस लेख के माध्यम से आर्किटेक्ट (Architect) क्या होता है और आर्किटेक्ट (Architect) कैसे बनें इसकी जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। इसलिए इस लेख को शुरू से लेकर अंत तक ध्यानपूर्वक अवश्य पढ़ें।
आर्किटेक्ट (Architect) क्या होता है
आर्किटेक्ट (Architect) वह पेशेवर लोग होते हैं जो लोगों की आवयश्क्ताओं के अनुसार घर, दफ्तर, स्कूल और अस्पताल जैसी इमारतों को डिज़ाइन करते हैं। हिंदी में इसे वास्तुकार भी कहते हैं। एक आर्किटेक्ट (Architect) को डिज़ाइन के लिए सबसे पहले ग्राहक की आव्यशकताओं को समझना होता है और अपने विश्लेषणात्मक कौशल के आधार पर नक्शा तैयार करना होता है। कुछ समय पहले तक यह कार्य हाथों द्वारा किया जाता था लेकिन आजकल वास्तुकारों की मदद के लिए ऐसे बहुत सारे सॉफ्टवेयर उपलब्ध हैं जिनकी मदद से वह नए नए डिज़ाइन तैयार कर सकते हैं। परंतु इसके लिए भी एक वास्तुकार को कला और कौशल की जरूरत होती है।
आर्किटेक्ट को कला माना जाता है क्यूंकि इसमें वास्तुकार अपने ग्राहक की हर आव्यशकता को पूरा करने के साथ साथ इमारत की सुरक्षा पर भी ध्यान देता है। आर्किटेक्ट बनने के लिए छात्र को कड़ी मेहनत करनी होती है और आर्किटेक्ट बनने की हर जरूरत पर खरा उतरना होता है। आर्किटेक्ट बनने के लिए एडमिशन तो बहुत सारे छात्र लेते हैं लेकिन कम ही छात्र एक सफल आर्किटेक्ट बन पाते हैं। ऐसे कई सारे कोर्स हैं जिनकी मदद से आर्किटेक्ट बन सकते हैं। इस बारे में आगे हम विस्तार से उल्लेख करने जा रहे हैं।
आर्किटेक्ट (Architect) बनने के लिए भारत में विभिन्न कोर्स
भारत में कई ऐसे कोर्स हैं जिनमें प्रवेश करके हम आर्किटेक्ट (Architect) बन सकते हैं। इसकी जानकारी हम निम्नलिखित प्रदान कर रहे हैं:-
कोर्स का नाम | अवधि |
डिप्लोमा इन आर्किटेक | 3 वर्ष |
बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्चर | 5 वर्ष |
मास्टर ऑफ़ आर्किटेक्चर | 2 वर्ष |
Ph .D | 4 वर्ष |
डिप्लोमा इन आर्किटेक्ट (Architect)
यह तीन वर्षों का डिप्लोमा कोर्स है जो किसी भी पॉलिटेक्निक संस्थान से कर सकते हैं। 10वीं कक्षा पास करने के उपरांत यह कोर्स किया जा सकता है। इसमें प्रवेश करने के लिए भारत के किसी भी राज्य सरकार द्वारा आयोजित पॉलिटेक्निक प्रवेश परीक्षा को क्लियर करना होता है। बहुत सारे प्राइवेट संस्थान भी हैं जिसमें डिप्लोमा इन आर्किटेक कोर्स किया जा सकता है।
बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्ट (Architect)
यह एक बैचलर्स डिग्री है जिसकी अवधि 5 साल होती है। यह डिग्री कोर्स हम 12वीं कक्षा को फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स में सफल होने के बाद कर सकते हैं। इसमें एडमिशन लेने के लिए हमें JEE MAIN जैसी प्रवेश परीक्षाओं से गुज़रना होता है। भारत के अधिकतर कॉलेज छात्रों को एडमिशन देने के लिए JEE MAIN का माध्यम अपनाते हैं। हालांकि इसके लिए हम NATA की प्रवेश परीक्षा भी दे सकते हैं।
मास्टर ऑफ़ आर्किटेक्ट (Architect)
आर्किटेक्ट (Architect) बनने के लिए यह कोर्स बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्चर के बाद किया जाता है जिसका अर्थ है कि यह एक मास्टर्स कोर्स है। इस कोर्स की अवधि 4 वर्ष होती है जिसमे इस कोर्स को 4 अलग अलग सेमेस्टर में विभाजित किया जाता है। मुख्य तौर पर इस कोर्स में डिजाइनिंग पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता है जिसमे छात्र नए नए डिज़ाइनों की खोज करते हैं।
Ph .D इन आर्किटेक्ट (Architect)
यह कोर्स एक डॉक्टरेट डिग्री कोर्स है जिसे हम मास्टर्स डिग्री (मास्टर ऑफ़ आर्किटेक्चर) के बाद करते हैं। विद्यार्थियों को यह कोर्स 5 वर्षों के अंदर पूरा करना होता है। इस कोर्स के दौरान छात्र डिज़ाइन के विज्ञान, प्रणाली और नियम आदि के बारे में जानते हैं। इसमें कंप्यूटर-एडेड डिज़ाइन (CAD) जैसे सॉफ्टवेयर्स पर भी अध्यन किया जाता है।
आर्किटेक्ट (Architect) बनने के लिए पात्रता मापदंड
- एक आर्किटेक्ट (Architect) बनने के लिए कुछ पात्रता मापदंड होते हैं जिन्हें Candidate को पूरा करना होता है। इन मापदंडों का निम्न हम विस्तारपूर्वक उल्लेख करने जा रहे हैं।
- आर्किटेक्ट (Architect) बनने के लिए उम्मीदवार को सबसे पहले किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं कक्षा को PCM (Physics, Chemistry, Mathematics) स्ट्रीम में कम से कम 60 प्रतीषत अंगों से पास करना होगा।
- भारत के जाने माने कॉलेजों में आर्किटेक्ट का कोर्स करने के लिए JEE mains, JEE advanced और NATA जैसी प्रवेश परीक्षा में सफल होना आवश्यक होता है। इसलिए इसके बाद आपको प्रवेश परीक्षा देनी होगी।
- विदेश की कुछ यूनिवर्सिटीज़ आर्किटेक्ट कोर्स में प्रवेश देने से पहले GRE score की मांग करती हैं।
- कई ऐसी यूनिवर्सिटीज़ विदेश में ऐसी हैं जो आर्किटेक्ट कोर्स के प्रवेश के लिए IELTS या TOFL के स्कोर के लिए मांग करती हैं। IELTS के लिए कम से कम 6.5 स्कोर की जरूरत होती है वहीं बात करें TOFL की तो इसके लिए आपका स्कोर कम से कम 90 होना चाहिए।
- आर्किटेक्ट के मास्टर्स कोर्स के लिए आपको बैचलर्स कोर्स में कम से कम 60 प्रतीषत अंकों की जरूरत होगी।
- विदेश में काफी ऐसी यूनिवर्सिटीज़ हैं जो आर्किटेक्ट कोर्स के लिए SOP, LOR और CV/Resume या Portfolio की मांग करती हैं। इसलिए बेहतर है कि एक अच्छा सा Resume तैयार करलें।
- आर्किटेक्ट कोर्स की डिस्टेंस एजुकेशन के लिए कोई भी आयु सीमा नहीं है।
आर्किटेक्ट (Architect) कोर्स की फीस
आर्किटेक्ट कोर्स के लिए फीस कॉलेज का स्थान और कॉलेज द्वारा प्रदान की जा रही सुविधाओं पर निर्भर करती हैं। आम तौर पर हम देखते हैं कि प्राइवेट कॉलेज की फीस सरकारी कॉलेज के मुकाबले ज़्यादा होती है। एक सरकारी कॉलेज में आर्किटेक्ट कोर्स के लिए फीस 20,000 रूपये से शुरू हो सकती है और प्राइवेट कॉलेज में यह फीस 50,000 से शुरू होकर 5,00000 रूपये तक होती होती है। आप जिस कॉलेज में एडमिशन लेने जाएंगे उसकी फीस के बारे में पहले से ही आपको मालूम कर लेना चाहिए।
आर्किटेक्ट (Architect) कैसे बने
- आर्किटेक्ट (Architect) बनने के लिए आपको सबसे पहले 12 कक्षा को रस्याण विज्ञान, भौतिक विज्ञान और गणित (PCM) स्ट्रीम को अच्छे अंकों से पास करना होगा। उसके बाद आप डिप्लोमा इन आर्किटेक या बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्चर के लिए प्रवेश परीक्षा में शामिल हो सकते हैं।
- अगर हाल ही में आप 12वीं कक्षा से पास हुए हैं तो आपके लिए बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्चर कोर्स बेहतर है क्यूंकि यह एक डिग्री कोर्स है। परंतु अगर आप 10वीं कक्षा के बाद Architect के क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते हैं तो आप Architect का डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं।
- प्रवेश परीक्षा को क्लियर करने के बाद आप अपने मनपसंद कॉलेज में एडमिशन ले सकते हैं और Architect की पढ़ाई शुरू कर सकते हैं। कोर्स को सफलतापूर्वक खत्म करने के बाद आप आर्किटेक्ट कहलाते हैं। इसके बाद आपके पास उच्च शिक्षा का भी विकल्प होता है।
आर्किटेक्ट (Architect) कोर्स के लिए प्रवेश परीक्षा
आर्किटेक्ट (Architect) में एडमिशन लेने के लिए हमें प्रवेश परीक्षाओं से गुज़रना पड़ता है। विभिन्न प्रकार के कोर्सेज़ के लिए अलग अलग प्रवेश परीक्षाएं आयोजित की जाती हैं। उसकी जानकारी हम निम्नलिखित दे रहे हैं।
B. Arch | Diploma in Architect | M. Arch | Ph .D in Architect |
NATA | AP POLYCET | CEED | GATE |
JEE MAIN (Paper II) | DELHI POLYCET | Karnataka PGCET | CEPT |
JEE Advance (AAT Exam) | TS POLYCET | TS PGECET |
B. Arch के बाद क्या करें
आर्किटेक्ट (Architect) का बैचलर्स कोर्स खत्म करने के बाद आपके करियर के लिए बहुत सारे दरवाज़े खुल जाते हैं। B. Arch के बाद आप अगर पैसे कमाना चाहते हैं तो नौकरी कर सकते हैं जिसमें समय के साथ साथ आपके वेतन में बढ़ोतरी होती है। अन्यथा आप उच्च शिक्षा कोर्स के लिए भी एडमिशन ले सकते हैं जिसके बाद आप अगर नौकरी करते हैं तो आपकी शुरुआती सैलरी भी ज़्यादा होती है। इसके अलावा आप फ्रीलांसर के रूप में खुद का व्यवसाय भी कर सकते हैं।
आर्किटेक्ट (Architect) कोर्स के बाद Job Profiles
आर्किटेक्ट (Architect) कोर्स के बाद आप अलग अलग जॉब प्रोफाइल्स पर नौकरी कर सकते हैं। सामान्य तौर पर यह जॉब प्रोफाइल्स इस प्रकार होती हैं:-
- इमारत सर्वेक्षक |
- वाणिज्यिक/आवासीय सर्वेक्षक |
- निर्माण संचालक |
- संपदा प्रबंधक |
- उच्च शिक्षा व्याख्याता |
- ऐतिहासिक भवन निरीक्षक/संरक्षण अधिकारी |
- प्रकृति का चित्रकार |
- योजना और विकास सर्वेक्षक |
- प्रोडक्शन डिज़ाइनर, थिएटर/टेलीविज़न/फ़िल्म |
- संरचनात्मक इंजीनियर |
- नगर योजनाकार |
आर्किटेक्ट (Architect) का वेतन
एक आर्किटेक्ट (Architect) का वेतन सरकारी क्षेत्र में उसके पद के अनुसार सातवें वेतन मानकों के आधार पर निर्भर करता है जबकि प्राइवेट क्षेत्र में Architect को उसकी योग्यताओं और कौशलों के आधार पर नौकरी मिलती है। बात करें वेतन की तो प्राइवेट क्षेत्र में एक Architect का शुरुआती वेतन 15 से 20 हज़ार होता है और सरकारी क्षेत्र में यह वेतन 19 से 25 हज़ार से शुरू होता है।
जिस प्रकार आप का अनुभव इस क्षेत्र में बढ़ता है उसी तरह वेतन में भी बढ़ोतरी होती है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक अनुभवी आर्किटेक्ट (Architect) का वेतन 50,000 रूपये से शुरू होता है।
आर्किटेक्ट (Architect) कोर्स का सिलेबस
आर्किटेक्ट (Architect) के अलग अलग कोर्स का सिलेबस अलग अलग होता है। यह सिलेबस कोर्स के अनुसार कुछ इस प्रकार है:-
Diploma in Architecture Syllabus
पहला वर्ष | दूसरा वर्ष | तीसरा वर्ष |
Strength of Material | Interior and Exterior Design | Foundation Design |
Mathematics | Construction Project Management | Estimations, Costing and Specifications |
Civil Draftsmen and Architecture | Building Construction | Concrete Technology |
Business Communication | Structural Engineering | Elective Subject |
Information Technology | Architectural Design | Project |
Practical | Practical | Practical |
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B. Arch Syllabus
पहला सेमेस्टर | दूसरा सेमेस्टर |
Architectural Design I | Architectural Design II |
Visual Arts and Basic Design I | Visual Arts and Basic Design II |
Computer Applications I | Computer Applications II |
Building Construction I | Building Construction II |
Theory of Structures I | Theory of Structures II |
Environmental Studies | Climate-responsive Design |
Model making and Workshop | Surveying and Leveling |
Human Settl. & Vernacular Arch. | History of Architecture I |
Professional Communications I | Sociology and Culture |
– | Professional Communications II |
तीसरा सेमेस्टर | चौथा सेमेस्टर |
Architectural Design III | Architectural Design IV |
Visual Arts and Basic Design III | Visual Arts and Basic Design IV |
Computer Applications III | Computer Applications IV |
Building and Construction III | Building and Construction IV |
Theory of Structures III | Theory of Structures IV |
Water, Waste, and Sanitation | Electrification, Lighting & Acoustics |
Site Planning and Landscape Studies | Solar Active and Passive Systems |
History of Architecture II | History of Architecture III |
Art and Architectural Appreciation I | Art and Architectural Appreciation II |
Research Elective I | Research Elective II |
पांचवां सेमेस्टर | छठा सेमेस्टर |
Architectural Design V | Architectural Design VI |
Building Construction V | Building Construction VI |
Theory of Structures V | Theory of Structure & Design II |
HVAC. Mech. Mobility & Fire Safety | Green Systems Integration |
Energy System & Renewables | Sustainable Urban Habitats |
History of Architecture IV | Specifications & Contracts |
Design Methodology II | Contemporary Architecture |
Art and Architectural Appreciation III | Architectural Theories |
Arch. Research- Elective III | Art & Architectural Appreciation IV |
Arch. Research- Elective IV | – |
सातवां सेमेस्टर | आठवाँ सेमेस्टर |
Architectural Design VII | Practical Training |
Working Drawings | – |
Project Management | – |
Architectural Appreciation IV | – |
Arch. Research Seminar | – |
Arch. Research- Elective V | – |
Arch. Research- Elective VI | – |
नौवां सेमेस्टर | दसवां सेमेस्टर |
Architectural Design IX | Architectural Design Thesis |
Professional Practice | Thesis Design Research |
Urban Design Studies | Professional Practice |
Arch. Research Dissertation/ Art Thesis | – |
Arch. Research- Elective VII | – |
Arch. Research- Elective VIII | – |
M . Arch Syllabus
पहला सेमेस्टर | दूसरा सेमेस्टर | तीसरा सेमेस्टर | चौथा सेमेस्टर |
Design Studio | Dissertation | Dissertation II | |
Urban Design | Introduction to Architecture Pedagogy | Practice Teaching | |
Contemporary Architecture Trends and Theories | Instruction Methodology and Classroom Management | Education Technology | |
Research Techniques in Architecture and Planning | Digital Applications in Architecture | Education Development | Thesis Internship |
Low Cost Building Designs and Techniques | Research Methodology | Thought Synthesis for Architecture Students | |
Elective Subjects | Intensive Humanities Communication | Psychology of Learning and Development |
PH. D Syllabus
Research Methodology |
Planning Theory and Techniques |
Planning Studio/Workshop |
Planning Legislation and Professional Practice |
Planning and Design |
Seminar |
Field Study |
Dissertation |
Project Work |
Thesis Generation |
आर्किटेक्ट (Architect) कोर्स के लिए भारत के कुछ सर्वश्रेष्ठ कॉलेज
- लवली प्रोफेशनल युनिवेर्सिटी, जलंधर |
- जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली |
- इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी, पश्चिमी बंगाल |
- आंध्रा युनिवेर्सिटी कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग, विशाखापटनम |
- जादवपुर यूनिवर्सिटी, पश्चिमी बंगाल |
- चंडीगढ़ युनिवेर्सिटी, चंडीगढ़ |
- निरमा यूनिवर्सिटी, अहमदाबाद |
- मणिपाल यूनिवर्सिटी, जयपुर |
सिविल इंजीनियर (Civil Engineer) कैसे बने ?