निकाय या स्थानीय चुनाव क्या होते है



देश में जब भी चुनाव की बात आती है, तो पूरे देश में एक चुनावी माहौल बन जाता है | हम सभी जानते है, कि हमारे देश में तीन स्तर के चुनाव होते है, जिसमें पहला लोकसभा, विधानसभा और तीसरा निकाय या स्थानीय चुनाव जिसे हम पंचायत या नगर निगम चुनाव के नाम से भी जानते है | यदि हम उत्तर प्रदेश की बात करे तो यह देश का सबसे बड़ा राज्य है और यहाँ निकाय या स्थानीय चुनाव का बहुत ही बड़ा महत्व है |

हालाँकि प्रदेश में निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार यह चुनाव दिसंबर 2020 में संपन्न होनें थे, परन्तु कोरोना के कारण अभी तक मतदान की तिथि निर्धारित नहीं हुई है | अब यह कयास लगाये जा रहे है, कि यह चुनाव अगले वर्ष मई या जून माह में करवाए जा सकते हैं। आखिर यह निकाय या स्थानीय चुनाव क्या होते है, इसके बारें में आपको इस पेज पर विस्तार से जानकारी दे रहे है |

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निकाय या स्थानीय चुनाव का क्या मतलब होते है?

स्थानीय चुनाव को नगरीय निकाय चुनाव भी कहते है | स्थानीय स्तर पर जनता की समस्याओं के समाधान के लिए यह चुनाव संपन्न कराये जाते है | इस चुनाव का मुख्य उद्देश्य स्थानीय स्तर पर होनें वाली प्रगति में तीव्रता लाना है | यह चुनाव शहरों, गावों और कस्बों की प्रगति को गतिमान करते है | हालाँकि पहले निकाय या स्थानीय चुनाव का भारतीय संविधान में कोई प्राविधान नहीं था, जबकि यह चुनाव स्थानीय स्तर पर पहले भी होते थे, गावों में पंचायते होती थी, परन्तु उनकी संवैधानिक व्यवस्था नहीं थी |

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संवैधानिक दर्जा कब प्राप्त हुआ (When Constitutional Status Was Achieved)

पंचायतों तथा नगरपालिकाओं के लिए भारतीय संसद द्वारा वर्ष 1992 में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया, इसी वर्ष भारतीय संविधान में 73वां तथा 74वां संशोधनकिया गया। संविधान का 73वां संशोधन अधिनियम 25 अप्रैल, 1993 से तथा 74वां संशोधन अधिनियम 1 जून, 1993 से लागू हुआ । 73वें तथा 74वें संविधान संशोधन ने पंचायती राज तथा नगर पालिकाओं को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया है |

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निकाय या स्थानीय चुनाव का विवरण (Description of Body or Local Election)

स्थानीय शासन के अंतर्गत इसे सबसे पहले नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत  में विभाजित किया गया है | यदि हम नगर निगम की बात करे तो ऐसे शहर जिसमें लोगो कि जनसँख्या 10 लाख से अधिक है ऐसे शहरों को नगर निगम कि संज्ञा दी जाती है | एक नगर निगम के अंतर्गत मेयर और पार्षद का चुनाव होता है | इसी प्रकार ऐसे शहर जिसमें लोगो की जनसँख्या 10 लाख से कम होती है, उन शहरों में नगर पालिका द्वारा स्थानीय विकास किया जाता है |

एक नगर पालिका के अंतर्गत अध्यक्ष और सभासद का चुनाव होता है | यदि हम नगर पंचायत की बात करे तो यह ऐसे क्षेत्र होते है, जो ना ही पूरी तरह शहर होते है और न ही पूरी तरह से कस्बे होते है | ऐसे क्षेत्रों को नगर पंचायत कहा जाता है| एक नगर पंचायत के अंतर्गत पचायत सदस्य, ग्राम प्रधान, बीडीसी आदि का चुनाव होता है|

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स्थानीय चुनाव में आरक्षण की जानकारी (Reservation Information in Local Elections)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243(घ) के अंतर्गत एससी और एसटी के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई है। इस व्यवस्था के अंतर्गत एससी/ एसटी वर्ग को आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात में दिया जाता है | उदहारण के रूप में यदि किसी गाँव की जनसख्या में अनुसूचित जातियों (एससी) की जनसंख्या 30 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) की 21 प्रतिशत है, तो उनके लिए क्रमशः 30 प्रतिशत और 21 प्रतिशत स्थान आरक्षित होंगे |

इस प्रकार आरक्षित स्थानों में से 1/3 स्थान अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे | प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन से भरे जाने वाले कुल स्थानों में से 1/3 स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे |

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अब हमे उम्मीद है कि निकाय या स्थानीय चुनाव से जुड़े आपके सारे सवाल इस लेख के माध्यम से सुलझ गए होंगे और यदि नहीं सुलझे है तो आप अपने सवाल हमे कांटेक्ट फॉर्म के माध्यम से लिख सकते है | हम जल्द से जल्द आपको उत्तर देने का प्रयास करेंगे |

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