एनबीआरआई (NBRI) एक संस्थान है , जो लखनऊ में स्थित है | एनबीआरआई मुख्य रूप से सीएसआईआर के अंतर्गत आता है, इसके साथ ही यह आधुनिक जीवविज्ञान एवं टैक्सोनॉमी के क्षेत्रों से जुड़ा हुआ है। यदि हम इसके निदेशक की बाते करें, तो इसके निदेशक डॉ॰ राकेश तूली हैं। वहीं यह एक ऐसा संस्थान है, जिसके वैज्ञानिकों ने मिलकर बोगनवेलिया की एक नयी प्रजाति का विकास किया है और उसका नाम लोस बानोस वैरियेगाता- जयंती रखा गया है | यह संस्थान भारत की अग्रणी राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में से एक माना जाता है, जो प्रमुख रूप से वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली, के अन्तर्गत लखनऊ में कार्यरत है।
इस संस्थान को उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा ‘राष्ट्रीय वनस्पति उद्यान’ के रूप में कार्यरत कराया गया था, लेकिन 13 अप्रैल, 1953 को वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद् ने इसे अधिग्रहीत कर लिया। उसके बाद से ही यह संस्थान लगातार वनस्पति विज्ञान के क्षेत्र में परम्परागत अनुसंधान करता चला आ रहा है | इसलिए यदि आपको एनबीआरआई (NBRI) के विषय में अधिक जानकारी नहीं प्राप्त हो और आप इसके विषय में जानना चाहते हैं, तो यहाँ पर आपको एनबीआरआई (NBRI) क्या है, इसके बारे में जानकारी प्रदान की जा रही है |
एनबीआरआई (NBRI) का क्या मतलब है ?
एनबीआरआई (NBRI) एक संस्थान है, जिसमें समय के साथ नये-नये विषयों पर अनुसंधान कार्य किये गये है और साथ ही में पर्यावरण संबंधित व आनुवांशिक अध्ययन भी शामिल किये गए है । वहीं अनुसंधान के बढ़ते महत्व व बदलते स्वरूप को देखते हुए 25 अक्टूबर, 1978 को इसका नाम बदलकर ‘राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान’ रख दिया गया | यह एक ऐसा महत्वपूर्ण संस्थान हैं, जिसके पास वर्तमान समय में लगभग 63 एकड़ भूमि पर वनस्पति उद्यान है | इस वनस्पति उद्यान में ही संस्थान की प्रयोगशालायें स्थापित की गई हैं। इसके अलावा बंथरा में भी लगभग 260 एकड़ भूमि अनुसंधान के लिए उपलब्ध है, जहाँ पर सुचारु रूप से कई तरह के प्रयोग जारी हैं। वहीं, वर्तमान समय इस संस्थान की छवि एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की छवि बन चुकी है, जिसके माध्यम से हर साल अनेक उत्पादों का विकास किया जाता हैं | इसके साथ ही इनको विभिन्न उद्योग घरानों द्वारा व्यावसायिक स्तर पर भी बनाने की तैयारी की जारी है |
एनबीआरआई (NBRI) का फुल फॉर्म
एनबीआरआई (NBRI) का फुल फॉर्म “National Business Research Institute” होता है | वहीं इसकी कैटेगरी Business » Companies & Corporations” है | इसका हिंदी में उच्चारण “नेशनल बिजनेस रिसर्च इंस्टीट्यूट” होता है | यह एक अनुसंधान और परामर्श संगठन कहा जाता है |
अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम
यह संस्थान बहुआयामी है, जिसकी वजह से यह विभिन्न समूहों के अंतर्गत कार्य करता है। इसलिए इन समूहों के कार्य एवं विवरण निम्नलिखित है –
पौध जैव-विविधता एवं संरक्षण जैविकी
- पौधों के विभिन्न समूहों की वाह्य एवं आंतरिक संरचना का अध्ययन इस संस्थान के अंतर्गत किया है, जिसमें अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम, पुष्पीय (एन्जियोस्पर्म), शैवाल, ब्रायोफाइट, शैक, टेरिडोफाइट व सायकेड समुदाय शामिल किये गए है |
- सरंक्षण जैविकी |
- जनजातीय (लोक) वनस्पति विज्ञान|
- बीज विज्ञान |
- आण्विक वर्गिकी |
- पादपालय राष्ट्रीय सम्पदा |
वनस्पति उद्यान एवं पुष्प कृषि
- उद्यान में वृक्ष – 400 प्रजातियाँ, टेरिडोफाइटा – 65 प्रजातियाँ,
- संरक्षण गृह में गृह सज्जा में प्रयोग किये जाने वाले पौधे – 500 प्रजातियाँ, कैक्टस-350 प्रजातियाँ, पाम-70 प्रजातियाँ, औषधीय पौधे – 300 प्रजातियाँ, साइकेड -45 प्रजातियाँ पायी जाती हैं |
- उद्यान में बोगेनवीलिया 200 प्रजातियाँ, गुलदाऊदी 250 तथा अमरेन्थ (चौलाई) की 250 तरह की, जो 20 प्रजातियों के अंतर्गत आती हैं, पायी जाती है |
- वनस्पति उद्यान विभाग उद्यमियों के लिए विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण कराने का कार्य संपन्न करता है। इसके आलावा मुख्य विषय निम्न हैं : पुष्प कृषि, पुष्प निर्जलीकरण, भूदृश्यावली निर्माण इत्यादि |
- पुष्प प्रदर्शनी व विज्ञान प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है |
- पुष्पीय व गृहसज्जा के पौधों के बीजों एवं पौधों की बिक्री की जाती है |
- विदेशी एवं स्थानीय पौधों का संग्रहण, संरक्षण, अध्ययन एवं सत्यापन होता है |
- समाज के विभिन्न वर्गों के लिए पर्यावरण शिक्षा, दृष्टिहीनों व विकलांगों के लिए उद्यान तथा गृहणियों के लिए पोषण उद्यान है |
- ग्रामीण विकास परियोजना |
जैव प्रौद्योगिकी एवं पादप कार्यिकी
- ऊतक संवर्धन, कृत्रिम माध्यम में लाभदायक तथा विलुप्त हो रही प्रजातियों का वर्धी प्रजनन व संरक्षण, मूल संवर्धन, संरचना एवं विकास संबंधित अनुसंधान |
- पादप कार्यिकी |
आण्विक जीवविज्ञान तथा सूक्ष्म जैविकी
- पारजीनी पौधों का निर्माण किया जाता है |
- पौधों से संबंधित आण्विक अध्ययन होया है |
- फलों के पकने से संबंधित आण्विक अध्ययन किया जाता है |
- विषाणुओं की पहचान, आण्विक अभिलक्षणन तथा विषाणुरोधी पारजीनी पौधों का निर्माण होता है |
- रिकाम्बिनेन्ट डी.एन.ए. तकनीक द्वारा फसलों में फेरबदल किया जाता है |
- नयी किस्मों का आनुवांशिक अभियांत्रिकी द्वारा उन्नयन जो कि कीटों व रोगों के प्रति प्रतिरोधी हों
- सूक्ष्म जीवियों का निष्कर्षण, सत्यापन व आनुवांशिक उन्नयन किया जाता है |
सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी
- सभी वैज्ञानिक तकनीक व प्रशासनिक विभागों को इन्टरनेट सेवा का प्रबंधन कराया जाता है |
- संस्थान की वेबसाइट का निर्माण व रख-रखाव किया जाता है |
सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग
- सूचना एवं जन-सम्पर्क, प्रेस, मीडिया व अन्तर्राष्ट्रीय समन्वयन होता है
- संस्थान में आयोजित सेमिनार, वर्कशाप, इत्यादि का समन्वयन किया जाता है |
व्यापार विकास विभाग
- संस्थान के माध्यम से विकसित तकनीकों का औद्योगिक उद्यमियों को स्थानान्तरण किया जाता है |
- छात्रों को प्रशिक्षण का समन्वयन कराया जाता है |
- बौद्धिक सम्पदा अधिकारों का समन्वयन होता है |
- संस्थान द्वारा विकसित तकनीकी का जन-सम्प्रेषण कराया जाता है |
- ज्ञान संसाधन केन्द्र |
- इस संस्थान के अंतर्गत बहुमूल्य पुस्तकों एवं जिल्द बंध जरनल का संकलन (लगभग 56,500) होता है |
- बंथरा अनुसंधान केन्द्र |
- ऊसर भूमि के विकास एवं प्रक्षेत्र प्रयोग तथा प्रदर्शन के लिए पाँच केन्द्र बनाये गए है |
प्रभावी अनुसंधान
- एनबीआरआई संस्थान के माध्यम से अमरेन्थ, अमैरिलिस, एन्टीराइनम, बागे ने वीलिया, गलु दाउदी, डहलिया, ग्लैडिओलस, गेंदा, गुलाब, रजनीगंधा आदि शोभाकारी पौधों की नई किस्मों का विकास |
- नेत्रहीनों तथा बधिरों के लिए उद्यान का विकास किया जाता है |
- महिलाओं के लिए पोषण उद्यान का विकास किया जाता है |
- भारत के विभिन्न प्रांतों की जैव विविधता का अध्ययन एवं संरक्षण इस संस्थाम के अंतर्गत होता है |
- जैव विविधता का आण्विक सत्यापन तथा रोग की समय रहते सूचना जारी की जाती है |
- पुष्प निर्जलीकरण होता है |
- बंथरा अनुसंधान केन्द्र पर प्राकृतिक रंजक, औषधीय तथा सगन्ध पौधों का विकास होता है |
- केले व टमाटर की शीघ्र न पकने वाली प्रजातियों का आण्विक तकनीकी द्वारा विकास किया जाता है |
- कपास व अन्य फसलों के ट्रांसजीनी पौधों का निर्माण होता है |
- वनस्पति जनित इन्जेक्शन का इस्तेमाल किया जाता है |
- यह संस्थान विश्व प्रसिद्ध पादप संग्रहालय है |
- इसमें अफीम की नयी प्रजातियों का विकास होता है |
- अमरेन्थ (चौलाई) की अधिक प्रोटीनयुक्त किस्मों का विकास किया जाता है |
- जैव नियंत्रकों का विकास होता है |
- हर्बल औषधियों का मानकीकरण एवं विकास होता है |
संस्थान के माध्यम से विकसित की गई व्यवसायिक प्रौद्योगिकियाँ
- स्वास्थ्य के लिए हर्बल पोषकीय उत्पाद (हर्बल नबीरा-सौफ) |
- स्वास्थ्य हेतु ”नबीरा“ (हर्बल बियर का उत्पादन) |
- क्रियाशील हर्बल लिपिस्टिक ”लवस्टिक“ |
- अल्सर नियंत्रक, कफ नियंत्रक व गले को अच्छे लगने वाले हर्बल उत्पाद |
- जले व कटे के उपचारके लिए उत्पाद |
- सिगरेट मुक्ति के लिए तम्बाकू नाशक हर्बल उत्पाद |
- न्यूट्री-जैम |
- जैव उर्वरक |
- जैव नियंत्रक एवं जैव कीटपीड़क नाशक |
- ट्रांसजीनिक बी.टी. कपास |
- हर्बल गुलाल |
सामाजिक उत्थान के लिए तैयार की गई प्रौद्योगिकियाँ
- पुष्प निर्जलीकरण तकनीक |
- उच्च-गुणवत्तायुक्त कम लागत नर्सरी प्रौद्योगिकी |
- सब्जियों, औषधीय पौधों व अन्य आर्थिक रूप से उत्तम फसलों हेतु आर्गेनिक खेती संबंधित तकनीक |
- पुष्पों के उत्पादन संबंधित प्रौद्योगिकी |
- अफीम (पॉपी) व रामदाना की अधिक उत्पादन प्राप्त करने वाली किस्मों की कृषि प्रौद्योगिकी |
यहाँ अपर हमने आपको एनबीआरआई (NBRI) के विषय में जानकारी उपलब्ध कराई है | यदि आपको इससे सम्बंधित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप www.hindiraj.com पर विजिट कर सकते है | इसके साथ अपने विचार या सुझाव अथवा प्रश्न कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूंछ सकते है | हम आपके सुझावों का हमे इन्तजार है |