आज हम आपको सीएचसी क्या होता है और हमारे देश मे कितने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) उपलब्ध है, इसे कब विकसित किया जाता है। साथ ही सीएचसी (CHC) और पीएचसी (PHC) में क्या अंतर है इन सभी चीजों के बारे मे इस आर्टिकल के जरिए आपको बताएंगे। भारत सरकार (Government of India) के अंर्तगत आने वाली स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मन्त्रालय यानी (Ministry of Health and Family Welfare, Government of India) का काम देश के सभी नागरिकों को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करना है।
इसी के तहत सरकार हर जगह एक तय आबादी के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (Community Health Centers) खोलती है। जिसमे विशेष चिकित्सा पेशेवरों (Medical Professional) और नर्सो (Nurses) द्वारा लोगो को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं लोगो को मुहैया कराई जाती है।
CHC Full Form kya hota hai?
CHC (सीएचसी) का फुल फॉर्म “Community Health Centers” होता है। और इसे हिंदी मे समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कहते है। इसका मुख्य काम लोगो और उनके परिवारों को वातावरण और समाजिक परिस्थितियों के हिसाब से स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाना है।
CHC Kya Hota Hai | सीएचसी क्या होता है ?
सीएचसी यानि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र एक गैर- लाभकारी संस्था यानी Non-Profit Organizations है, इसे किसी विशेष क्षेत्र में डेवलप किया जाता है ताकि वहां के लोगो को बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई जा सके।
देश के लगभग सभी राज्यों में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए जा चुके है, इन केंद्रों का संचालन निश्चित आबादी के लोगों को उपचार और अन्य स्वास्थ्य संबंधित सेवाएं प्रदान करना है।
इस कम्युनिटी हेल्थ सेंटर मे लोगो को स्वास्थ्य देखभाल सेवाएँ देने के लिए सामान्य चिकित्सकों यानी General Practitioners और नर्सों की एक समूह मौजूद होती है। जिसके माध्यम से अलग अलग प्रकार की स्वास्थ सेवाएं प्रदान की जाती है।
जैसे की परिवारिक स्वास्थ्य,महिला देखभाल,दंत चिकित्सा सेवा,परिवार नियोजन, आंतरिक चिकित्सा,फार्मेसी, ओप्टामीटर, लैब टेस्टिंग आदि।
सीएचसी के जरिए ऐसे सभी लोगो को स्वास्थ सेवाओं से लाभान्वित किया जाता है जिनके पास प्राथमिक हेल्थ केयर की कमी होती है। साथ ही ऐसे लोग जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं उन्हे भी इसके जरीए बेहतर इलाज की सुविधाएं दी जाती है |
कम्युनिटी हेल्थ सेंटर मे मौजूद स्वास्थ सेवाएं क्षेत्र में रहने वाले परिवारों की जरूरतों के अनुसार उपलब्ध रहती है। और यहां लोगो को स्वास्थ सेवा प्रदान करने पर उनकी क्षमता के अनुसार शुल्क लिया जाता है, अगर कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से कमजोर हैं तो उन्हें छूट प्रदान की जाती है।
कम्युनिटी हेल्थ सेंटर कैसे काम करता है ?
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग से फंड प्राप्त करती है जिससे वो लोगो को स्वास्थ्य संबन्धित सेवाओं प्रदान करती है। इनका ध्यान खासतौर पर अंडरस्क्राइब और कमजोर आबादी के स्वास्थ्य मे सुधार लाने पर केंद्रित रहता है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधिकांश परिचालन वित्तीय फंड निजी बीमा,मेडिकेड, मेडिकेयर, रोगी शुल्क और अन्य सन संसाधनों से आते हैं। कई सीएचसी एक विशेष आबादी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए फंड प्राप्त करते है।
इसमें प्रवासी मजदूर, बेघर लोग, मौसमी कृषि श्रमिक, इसके अल्वा सार्वजनिक आवास मे रहने वाले लोग शामिल हैं। सीएचसी आमतौर पर स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करती हैं लेकिन इसके अल्वा भी कई सारे काम करती है।
इनका काम स्वास्थ्य संबन्धित जागुरूकता फैलाना है, इसके अलावा विशेष क्षेत्र में स्वास्थ्य संबन्धित जानकारी देना। लोगो को राज्य और केन्द्र सरकार की निशुल्क सरकारी योजनाओं के बारे मे बताना। साथ ही सीएचसी मे आए लोगों के रोगों की रोकथाम हेतु विशेष प्रबंधन कर उसके बीमारियों के लक्षणों को समझना साथ ही उपायुक्त दवाइयाँ मुहैया करवाना है।
सीएचसी स्वास्थ्य सेवाओं का उद्देश्य क्या है ?
कम्युनिटी हेल्थ सेंटर खोलने का मुख्य उद्देश्य निम्न है:
- सीएचसी के तहत स्थानीय निवासियों को स्वास्थ्य संबंधित सुविधाएं प्रदान की जाती है ताकी स्थानीय लोगो किसी भी तरह का कठिनाई का सामना ना करना पड़े।
- ये गैर लाभकारी संस्थाएं लोगो की बेहतर स्वास्थ्य के लिए खोली जाती है ताकी आर्थिक रुप से गरीब वर्ग को भी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवा सकें।
- सीएससी केंद्र उन लोगों के लिए खासतौर पर विकसित किया गया है जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और पैसा न होने के कारण कही पर अपना इलाज नही करवा पाते! उन्हे कम से कम या निशुल्क रूप से सुविधाएं मुहैया कराई जाती है।
- सीएससी केंद्र में स्थाई स्वास्थ संबन्धित जरूरतों के अनुसार बहुत सारे डॉक्टर और नर्सेज मोजूद रहते है
- कम्युनिटी हेल्थ सेंटर कई मामलों में बाकी स्वास्थ्य क्लिनिक से बिल्कुल अलग हैं।
- Community Health Centers में फैमिली केयर, दातों का इलाज,शिशु रोग और महिला प्रसूति रोग आदि जैसे स्वास्थ सुविधाएं उपलब्द रहती है।
- सीएससी केंद्र में परिवारों और क्षेत्र में रहने वाले अन्य विशिष्ट समूहों की जरूरतों के अनुसार सेवाएं उपलब्ध रहती है।
- सीएससी केंद्र में इलाज करवाने पर अगर किसी की भुगतान करने की क्षमता होती है तो इसके आवश्यकता एवं नियमानुसार स्वास्थ सेवाओं के लिए पैसे लिए जाते है।
- ऐसे लोग जिनकी आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं होती, उन्हें विशेष छूट दी जाती है।
- एक रिपोर्ट के अनुसार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र हर साल 3 करोड़ से अधिक रोगियों को मुख्य स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करती है।
सीएचसी और पीएचसी में क्या अंतर है ? [Difference Between CHC and PHC]
सीएचसी को कम्युनिटी हेल्थ सेंटर कहते है, ये द्वितीयक स्तर का स्वास्थ्य देखभाल करता है वही पीएचसी को Primary health care यानी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल कहते है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) प्रथम स्तर का स्वास्थ्य देखभाल करता है पीएचसी से भेजे जाने वाले मरीजों को कम्युनिटी हेल्थ सेंटर विशेष इलाज प्रदान करता है।
एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र यानी सीएचसी के अंर्तगत चार पीएचडी यानी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों होते हैं, पीएचसी राज्य सरकारों के द्वारा ग्रामीण इलाको में स्वास्थ्य की देखरेख करने के लिए चलाया जाता है।
जबकि एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) 20000 से 30000 आबादी वाले लोगों के लिए होता है। एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ) 80,000 से 1.2 लाख की आबादी को कवर करने वाले प्रत्येक चार “Primary health care” के लिए रेफरल केंद्र के रूप में कार्यरत रहता है।
भारत मे अभी भी ज्यादातर आबादी गांव में ही रहती है ऐसे मे वहां के लोगो को उचित समय पर स्वास्थ्य सेवा मिल सके, इसलिए भारत के ग्रामीण इलाको में स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) बनाया गया था।
सीएचसी को हर जगह स्थापित नही किया जा सकता है इसलिए कई ऐसे पिछड़े ग्रामीण क्षेत्र है जहाँ दूर दूर तक कोई उपचार केंद्र नहीं है। तो उन तक स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने का काम Primary health care करता है।
जहां देश भर में कुल 23000 से ज्यादा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मोजूद है वही 5300 से ज्यादा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है, देश मे स्वास्थ देखभाल प्रणाली का बुनियादी इकाई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को माना जाता है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य नर्स को आशा(ASHA) भी कहते है ये लोगो के घरों पर जाकर भी मरीज की देखभाल करती है। पीएचसी मे सीएचसी की तुलना मे कम पैरामेडिकल स्टॉफ, और चिकित्सा अधिकारी होते है।
हमरे देश मे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को खोलने का लाभ कुछ इस प्रकार हुआ की वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक मातृ, नवजात शिशु व बच्चों की सर्वाधिक मौतें भारत में होती थी।
वही जहां साल 1990 में प्रति एक हजार जन्म पर 83 नवजात शिशुओं की मौत होती थी। वही साल 2011 में घटकर 44 हो गई और जहां एक लाख जन्म पर 570 मृत्यु दर अनुपात 1990 में था वो घटकर साल 2011 के रिपोर्ट अनुसार 212 हो गया था।
Frequently Asked Questions
सीएचसी कितनी पॉपुलेशन पर विकसित किया जाता है ?
कम्युनिटी हेल्थ सेंटर कितने पॉपुलेशन पर विकसित किया जायेगा ये क्षेत्र के हिसाब से तय होता है। जहां समतल एरिया की जनसंख्या अगर 120000 हो और पहाड़ी एरिया की जनसंख्या 80000 हो तो उस जगह पर सीएचसी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है।
Community Health Centers के तहत स्टाफ की संख्या क्या होती है ?
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 5 से 10 चिकित्सकों सहित कुल 18 कर्मचारियों का स्टाफ होता है जिसमे नर्सिंग मिडवाइफ की संख्या 10 होती है इनका काम लोगों को प्राथमिक सुविधाएं देना होता है। साथ ही एक इंचार्ज भी होता है जिसे ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर कहते है इसका काम सभी मरीजों की संख्या दर्ज करना और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देना है।
समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मैं उपलब्ध अन्य सुविधाएं ?
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2012 में तय किए गए मानकों के हिसाब से 30 बेड उपलब्ध होते है। जिनमे अलग अलग विभाग विभाग शामिल होते है जो विभिन्न स्वास्थ सुविधाएं प्रदान करते है। जैसे की प्रसूति रोग विभाग एवं चिकित्सा स्त्री, शिशु रोग विभाग, दंत चिकित्सा एवं आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी सिद्ध तथा होम्योपैथी आदि।
भारत में कुल कितने सीएचसी हैं ?
वर्ष 2019 मे 31 मार्च को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 5335 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कार्यरत हैं जो वर्ष 2024 तक 6000 के लगभग हो सकते है।
स्वास्थ्य केंद्र कितने प्रकार के होते हैं ?
हमारे देश में विभिन्न स्वास्थ्य सेवाओं के अलग-अलग स्तर हैं। जैसे की उपस्वास्थ्य केंद्र जो अक्सर उस गांव मे होती है, जहां की आबादी 3000 से 5000 के बीच हो, इसके बाद आता है प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, फिर आता है सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जो बड़े कस्बों मे स्तिथ होते है और फिर फिर आता है अस्पताल।
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