यदि लोगों की आय में बढ़ोतरी हुई है तो खर्च भी बढे हैं। क्युकी जितनी अधिक आय उतने ज्यादा खर्च होते हैं। यदि आप अधिक सुविधाओं का लाभ लेते है, तो आपको उनका भुगतान भी करना पड़ता है। तो अगर आपकी बिल एवं किस्तों के भुगतान की संख्या काफी है। जिस कारण आप कभी कभी उनका भुगतान करना भूल जाते है। तो आपकी इस समस्या का समाधान करने के लिए RBI ने ECS सुविधा आरंभ की है। जिसके माध्यम से आप अपने हर तरह के बिल का भुगतान कर सकते है।
यदि आप इस सुविधा का लाभ लेना चाहते है। तो आपको ECS से जुड़ी जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। इस लेख के माध्यम से हम आपको ECS से जुड़ी जानकारी जैसे ईसीएस भुगतान क्या है, ECS Full Form in Hindi तथा ECS Fees (ईसीएस शुल्क) आदि देने वाले है। हमारा निवेदन है की आप लेख को अंत तक पढ़ें।
ईसीएस फुल फॉर्म (ECS Full Form in Hindi)
सबसे पहले तो हम यह जानते हैं कि ईसीएस का पूरा नाम क्या होता है। इसकी फुल फॉर्म अंग्रेजी में Electronic Clearing Service हैं। हिंदी भाषा में ईसीएस को इलेक्ट्रॉनिक संशोधन सेवा कहते हैं। इस सेवा के माध्यम से सभी नागरिक अपने बिलों का भुगतान कर सकते हैं। अगर आप इस सेवा का लाभ लेना चाहते हैं। तो सबसे पहले आगे बढ़ते हुए इस सेवा से जुड़ी अधिक जानकारी प्राप्त कर लेते हैं।
ईसीएस (इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस) क्या है? (ECS Payment)
RBI (Reserve Bank Of Indian) ने नागरिको को एक बैंक अकॉउंट से दूसरे बैंक अकॉउंट में धन के थोक ट्रांजेक्शन की सुविधा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सर्विस (ECS ) को शुरू है। इस सुविधा का उपयोग ऋण प्रदाता द्वारा उधारकर्ता के बैंक खाते से एक निश्चित तिथि पर ऋण ईएमआई डेबिट करने के लिए किया जाता है। ECS प्रोटोकॉल को फॉलो करता है, इसलिए इसमें कोई मानव हस्तक्षेप की ज़रूरत नहीं होती है। जिसकी वजह से ECS प्रक्रिया में कोई देरी की संभावना नहीं होती है।
ईसीएस शुल्क (ECS Fees)
यदि कोई भी व्यक्ति इस ईसीएस सेवा का लाभ लेते हैं। तो उन्हें किसी भी तरह की शुल्क को जमा करने की आवश्यकता नहीं है। परंतु इसी के साथ आपको यह भी बता दें कि काफी बार आपसे क्लीयरिंग हाउस के माध्यम से प्रति बैंक ट्रांजेक्शन पर 25 से 50 रुपए का शुल्क लिया जा सकता है।
ECS सर्विस को कैसे रोकें? (HOW TO STOP ECS)
आपको Electronic Clearing Service (ECS) में स्टॉप पेमेंट का भी विकल्प दिया जाता है। जिसमें यदि आप किसी पेमेंट को रोकना चाहते हैं तो बैंक को सूचित कर उस पेमेंट को रोक सकते हैं। लेकिन अगर आप किसी ट्रांजैक्शन को रोकना चाहते हैं। तो उसके लिए आपको पहले सूचना देना जरूरी है। क्योंकि इस प्रक्रिया को करने में बैंक को काफी समय लगता है। यदि आप सूचना नहीं देंगे। तो आपका ट्रांजैक्शन पूरा कर दिया जाएगा। जिससे आपको नुकसान भी हो सकता है।
ECS सिस्टम के काम करने का तरीका (ECS System Works)
अब हम यह जान लेते हैं की ईसीएस सेवा कैसे कार्य करती है। तो यह ECS सिस्टम कंप्यूटर बेस्ड सेवाओं पर काम करता है। अगर ग्राहक ईसीएस में शामिल होना चाहते हैं। तो सबसे पहले उनको डेबिट या क्रेडिट एक्स के रूप में खुद को क्लीयरिंग हाउस में रजिस्टर्ड करना पड़ता है। जब भी एक बार क्लीयरिंग हाउस में रजिस्टर हो जाएंगे। तो उसके बाद वह विभिन्न प्रकार की सेवाओं का आनंद ले सकेंगे। क्लीयरिंग हाउस की लिस्ट आपको आरबीआई की आधिकारिक वेबसाइट पर मिल जाएगी। जिसमें आप किसी भी क्लीयरिंग हाउस में जाकर खुद को रजिस्टर कर सकते हैं।
अब अगर आप ईसीएस सेवा का लाभ लेने के लिए इसके सदस्य बन चुके हैं। तो क्लीयरिंग हाउस आपके सभी किस्तों के साथ-साथ बिलों का भुगतान एक ही समय में एक साथ कई बैंक खातों में कर देता है। आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं,कि किसी भी व्यक्ति को एक ही दिन में बिजली और पानी के बिल का भुगतान करना है और इन भुगतानों के साथ-साथ उन्हें अपने दूसरे लोन की किस्त भी जमा करनी है। तो वह इस ईसीएस सिस्टम के माध्यम से बहुत आसानी पूर्वक कर सकते हैं। सभी भुगतान करने के लिए एक्स सिस्टम व्यक्ति के बैंक खाते से पैसे काट कर दूसरे बैंक खाते में ट्रांसफर कर देता है। जिससे व्यक्ति का समय ज्यादा व्यर्थ नहीं होता है।
ECS कितने प्रकार के होते है (ECS Types)
यह सेवा दो प्रकार की होती है। जिसके माध्यम से व्यक्तियों को विभिन्न सुविधाओं का लाभ प्राप्त होता है। ईसीएस के प्रकार के बारे में हमने नीचे बताया है। जो की इस प्रकार हैं:-
- ईसीएस क्रेडिट (ECS Credit):- बैंक किसी बैंक खाते में वेतन, लाभांश आदि का भुगतान करने के लिए क्रेडिट करता है तो उसको ईसीएस क्रेडिट कहा जाता है।
- ईसीएस डेबिट (ECS Debit):- अगर कोई भी व्यक्ति लोन प्राप्त करते हैं। तो उसे प्रति महीने लोन की किस्त चुकाने हेतु बैंक जाकर रसीद कटवाने की ज़रूरत पड़ती है, परंतु इस डेबिट सिस्टम के माध्यम से उनको कहीं पर भी जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस प्रणाली के माध्यम से ग्राहक के लिए लोन की किस्तों को चुकाने के लिए हर महीने ऑनलाइन भुगतान की सुविधा दी जाएगी। सभी खतरा धारकों को सिर्फ अपने बैंक खाते में किस्त हेतु पर्याप्त धन रखना होगा। यानि आपके बैंक खाते में इतना पैसा होना चाहिए। जितना अपनी क़िस्त के तहत देना चाहते है। जिसके बाद वह एक्स डेबिट के माध्यम से लोन की क़िस्त अपने आप कटवा सकते हैं। वैसे आपको बता दें की ईसीएस डेबिट (ECS Debit) सिस्टम के माध्यम से लोगो के समय की काफी बचत होगी।
Debit Card और Credit Card का क्या मतलब होता है
ECS के लिए आवेदन कैसे करे (ECS Apply)
यदि आप भी ईसीएस सेवा का लाभ लेना चाहते हैं। तो आपको ECS के लिए आवेदन करना होगा। जिसकी प्रक्रिया की जानकारी हमने नीचे दी है। जो कि इस प्रकार है:-
- यदि आप इस सेवा का लाभ लेना चाहते हैं। तो आपको बता दें,कि सबसे पहले जरूरी है कि आपका किसी बैंक में सैलरी खाता होना चाहिए।
- जिसके बाद आप बैंक को सूचित करेंगे, कि आप ईसीएस सुविधा का लाभ लेना चाहते हैं।
- तो आपको फिर बैंक अधिकारी से ईसीएस आवेदन फॉर्म प्राप्त करना होगा। जिसके बाद आपको इस आवेदन फॉर्म में मांगी गई सभी जानकारियों को ध्यान पूर्वक दर्ज करना होगा।
- सभी जानकारियों को दर्ज करने के बाद आप पत्र में भुगतान की अधिकतम राशि और ईसीएस डेबिट और क्रेडिट कार्ड की जानकारी दर्ज करनी होगी।
- अब अंत में अपने फॉर्म की जांच के बाद आपको फॉर्म को को बैंक अधिकारी को ही जमा कर देंगे।
- जब बैंक अधिकारी द्वारा आवेदन फॉर्म की पुष्टि की जाएगी। तो उसके बाद आपके लिए ECS सेवा को जारी कर दिया जाएगा।
- इसकी जानकारी आपको पंजीकृत मोबाइल नंबर पर SMS के माध्यम से दे दी जाएगी।
- तो इस तरह आप ECS के लिए आवेदन कर सकते है।
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FAQ’s
हमारे भारत में ECS की शुरुआत कब की गई
भारत देश में ECS की शुरुआत 9 अगस्त 2003 में मुंबई शहर से हुई थी।
ECS की फुलफॉर्म क्या है
इसका पूरा नाम अंग्रेजी में Electronic Clearing Service है, तथा हिंदी भाषा में ईसीएस को इलेक्ट्रॉनिक समाशोधन सेवा है।
ECS प्रणाली से भुगतान करने पर कितना चार्ज होगा
आपको बता दें की ईसीएस प्रणाली से भुगतान करने पर आरबीआई द्वारा कोई चार्ज नहीं लिया जाएगा। हलाकि बैंक अपने अनुसार 20 से 25 पैसे की प्रति ट्रांजैक्शन पर ले सकता है।