दोस्तों आज हम आपके लिए ऐसा आर्टिकल लेकर आये हैं। जो आपके काफी काम आने वाला हैं। हम सभी ये बात जानते हैं की वार्षिक चक्र के अनुसार, डेंगू महामारी बरसात के मौसम में बढ़ जाती है और अक्टूबर-नवंबर के आसपास चरम पर होती है। डेंगू के शुरुआती लक्षण काफी हल्के होते हैं, अक्सर अन्य बीमारियों के साथ भ्रमित होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि बुखार आने के कितने दिनों बाद कराना चाहिए डेंगू का टेस्ट? अगर नहीं तो आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में सभी जानकारी देने वाले हैं। डेंगू का टेस्ट कब और कितने दिनों में करवाना चाहिए? आदि सभी बातो को विस्तार से जानने के लिए आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।
डेंगू कैसे होता हैं ?
दोस्तों हम आपको बतादें कि डेंगू एडीज एप्टीज मच्छर के काटने से होता हैं। यह एक वायरल बीमारी है जिसका खतरा बरसात के मौसम में बढ़ जाता हैं। डेंगू के लक्षणों की बात करें तो इसमें तेज बुखार, सिर में दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, त्वचा पर चकत्ते कभी-कभी उल्टी और दस्त भी होता है। गंभीर मामलों में डेंगू बुखार रक्तस्रावी डेंगू में बदल जाता है। ये एक गंभीर समस्या हैं। साथ ही मलेरिया (Malaria) के मच्छरो के काटने पर व्यक्ति को कुछ दिनो के भीतर ही बुखार महसूस होने लगता है। ऐसे में वे असमंजस में रहते हैं कि आखिर उन्हें डेंगू, मलेरिया का टेस्ट कितने दिनो के भीतर करवाना चाहिए? तो चलिए जानते हैं –
डेंगू बुखार की जांच कितने दिनों में करानी चाहिए?
जैसा की हम सभी जानते हैं की डेंगू एक गंभीर बिमारी हैं। जिसके तहत काफी समस्याओ का सामना करना पड़ता हैं। लेकिन हम आपको बतादें कि ये लाइलाज बिमारी नहीं हैं। सही समस्य पर इलाज कराने पर इसके खतरे से बचा जा सकता हैं। डेंगू बुखार का सबसे खतरनाक समय 3 दिन से 7 दिन (बीमारी के पहले लक्षण की शुरुआत के समय से) होता है। इसलिए मरीज़ पहली बार बुखार आने के 3 दिन बाद से डेंगू टेस्ट (डेंगू परीक्षण) करवा सकते हैं, यानी अगर आपको बुखार आते 3 दिन हो गए हैं, तो डेंगू बुखार के प्रकोप के दौरान, अचानक तेज़ बुखार के लक्षणों वाले रोगियों को पहले परीक्षण करवाना चाहिए: बुखार की पहली उपस्थिति के लगभग 24 – 48 घंटे बाद की हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यदि परीक्षण बहुत जल्दी किया जाता है, तो एक गलत नकारात्मक परिणाम हो सकता है (यानी डेंगू बुखार है लेकिन परीक्षण का परिणाम नकारात्मक है)।
डेंगू रोग को पहचानने के संकेत
डेंगू बुखार के मच्छर ज्यादातर दिन में देखने को मिलते हैं। डेंगू के बुखार 4 तरह के होते हैं। इसमें डी-2 स्ट्रेन (D-2 Strain) को काफी जोखिम भरा माना जाता है। इस बुखार में मरीज का अचानक से ब्लड प्रेशर कम (Low Blood Pressure) होने लगता है, कई बार इस स्थिति में मरीज की मौत भी हो जाती है। नाक से खून बह सकता है, मसूड़ों से खून आ सकता है, खून की उल्टी हो सकती है, मल में खून या कालापन आ सकता है, इंजेक्शन वाली जगह पर चोट लग सकती है (यदि कोई हो); पेट में दर्द (बढ़े हुए यकृत के कारण); नाड़ी का गिरना: तीसरे से छठे दिन, रोगी को आमतौर पर बुखार नहीं होता है, लेकिन फिर भी सुस्त या बेचैन रहता है, हाथ-पैर ठंडे, होंठ बैंगनी, पेशाब कम आना, यदि रोगी को डेंगू बुखार जलदी ठीक नहीं हुआ तो रोगी जल्दी मर सकता है। समय पर आपातकालीन उपचार प्राप्त करें। डेंगू का मच्छर काटने पर आपको 2 दिन के भीतर लक्षण शुरू हो सकते हैं। ऐसे में आपका इसके लक्षणो को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
बचाव
- डेंगू बुखार एक जानलेवा बिमारी हैं। इसलिए इसका समय रहते ध्यान रखना चाहिए। इसके बचाव हम आपको नीचे बता रहें हैं। चलिए जानते हैं –
- समय पर आपातकालीन उपचार प्राप्त करें।
- डेंगू का मच्छर काटने पर आपको 2 दिन के भीतर लक्षण शुरू हो सकते हैं। ऐसे में आपको इसके लक्षणो को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए।
- डेंगू के बुखार 4 तरह के होते हैं। इसमें डी-2 स्ट्रेन (D-2 Strain) को काफी जाेखिम भरा माना जाता है।
- आजकल डेंगू और मलेरिया के मरीजो में वृद्धि होती जा रही है। ऐसे में इनके मच्छरो से बचाव बहुत जरूरी है।
- अगर आपको कोई भी लक्षण नजर आए है, तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर अपने सभी जरूरी टेस्ट करवाएं।
- डेंगू बुखार के मच्छर ज्यादातर दिन में देखने को मिलते हैं। डेंगू के बुखार 4 तरह के हाेते हैं। इसमें डी-2 स्ट्रेन (D-2 Strain) को काफी जाेखिम भरा माना जाता है। इस बुखार में मरीज का अचानक से ब्लड प्रेशर कम (Low Blood Pressure) होने लगता है, कई बार इस स्थिति में मरीज की मौत भी हो जाती है। नाक से खून बह सकता है, मसूड़ों से खून आ सकता है, खून की उल्टी हो सकती है, मल में खून या कालापन आ सकता है, इंजेक्शन वाली जगह पर चोट लग सकती है (यदि कोई हो); पेट में दर्द (बढ़े हुए यकृत के कारण); नाड़ी का गिरना: तीसरे से छठे दिन, रोगी को आमतौर पर बुखार नहीं होता है, लेकिन फिर भी सुस्त या बेचैन रहता है, हाथ-पैर ठंडे, होंठ बैंगनी, पेशाब कम आना, यदि रोगी को डेंगू बुखार नहीं है तो रोगी जल्दी मर सकता है।
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FAQ’s
पेट में तेज दर्द, उल्टी, सांस लेने में कठिनाई, या आपकी नाक, मसूड़ों, उल्टी या मल में खून आना शामिल है।
यदि आप हाल ही में यात्रा कर चुके हैं और आपको बुखार तथा डेंगू बुखार के हल्के लक्षण महसूस होते हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
सिरदर्द, मतली और उल्टी आदि की समस्या देखने को मिलती हैं।
डेंगू का खतरनाक समय कब होता है? डेंगू का खतरनाक समय आमतौर पर लक्षणों की शुरुआत के तीसरे से सातवें दिन के बीच होता है। यह वह समय होता है जब बुखार कम हो जाता है, और रोगी प्लेटलेट गिनती में अचानक गिरावट और गंभीर डेंगू के लक्षण अनुभव कर सकते हैं।
भूख न लगना डेंगू का लक्षण हो सकता है।
संक्रमित मच्छर के काटने के 3 से 14 दिन बाद डेंगू बुखार हो सकता है, लेकिन आमतौर पर 4 से 7 दिन के भीतर ठीक हो जाता है।
डेंगू की गंभीर अवस्था में मरीज की त्वचा और शरीर में ब्लीडगि स्पॉट नजर आ सकते हैं। डेंगू अगर गंभीर स्टेज पर है तो मरीज का बीपी अचानक से काफी नीचे गिर जाता है। बीपी तेजी से नीचे जाने के कारण मरीज को सदमा लग सकता है। वो अचेत अवस्था में जा सकता है।
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