संविधान के अनुच्छेद 137 के अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अधिकार दिया गया है | अदालत द्वारा दिए गए निर्णय पर पक्षकार कोर्ट से आग्रह कर सकता है कि वो अपने दिए गए फैसले पर फिर से विचार करे | इसे दाखिल करने का एक समय निश्चित किया गया है | यदि पुनर्विचार याचिका (Review Petition) डालनी है, तो इसे फैसला दिए जाने के 30 दिवो के अंदर ही डालना होता है | कोई भी पक्षकार दिए गए निर्णय को लेकर ‘पुनर्विचार याचिका’ दाखिल करवा सकता है |
इसी प्रक्रिया को पुनर्विचार याचिका (Review Petition) कहते है | यहाँ पर आपको पुनर्विचार याचिका (Review Petition) या क्यूरेटिव पेटिशन क्या होता है ? इससे सम्बन्धित जानकारी दी जा रही है |
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पुनर्विचार याचिका (Review Petition) या क्यूरेटिव पेटिशन क्या है?
क्यूरेटिव पिटीशन तब दाखिल किया जाता है, जब किसी मुजरिम की दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी जाती है और इसके बाद जब सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी जाती है। ऐसे में क्यूरेटिव पिटीशन के अलावा उस मुजरिम के पास दूसरा कोई रास्ता नहीं बचता है | क्यूरेटिव पिटीशन के माध्यम से ही वह अपने लिए सुनिश्चित की गई सज़ा से बचने के लिए गुजारिश कर सकता है | यदि क्यूरेटिव पिटीशन में एक बार फैसला सुना दिया जाता है तो इसमें मुजरिम के बचाव के सारे रास्ते बंद हो जाते है और उसके द्वारा किये सारे प्रयास असफल हो जाते है | हमेशा से ऐसा होता आया है कि, यदि एक बार राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज दी जाए तो वह मामला वहीं से खत्म हो जाता है|
क्यूरेटिव पिटीशन की शुरुआत कैसे हुई
साल 2002 में रुपा अशोक हुरा मामले की सुनवाई होनी थी जिसके दौरान जब ये पूछा गया कि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा दोषी ठहराये जाने के बाद भी क्या किसी आरोपी को राहत मिल सकती है? तभी क्यूरेटिव पिटीशन की शुरुआत कर दी गई और साथ ही में कहा गया कि, “ऐसे मामलों में पीड़ित व्यक्ति रिव्यू पिटीशन डाल सकता है |’ इसके बाद फिर एक सवाल किया गया कि, अगर रिव्यू पिटीशन भी खारिज कर दिया जाता है तो क्या किया जाए? तब सुप्रीम कोर्ट एक बड़ा फैसला करते हुए अपने ही द्वारा दिए गए न्याय के आदेश को सही करने लिए क्यूरेटिव पिटीशन की शुरुआत कर दी | Curative Petition शब्द को Cure शब्द से लिया गया है जिसका हिंदी भाषा में अर्थ “उपचार करना” होता है ।
क्यूरेटिव पिटीशन के नियम
- याचिकाकर्ता को चुनौती देने से पहले अपने क्यूरेटिव पिटीशन में ये जवाब देना अनिवार्य रहता है कि, वह किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दे रहा है।
- ये क्यूरेटिव पिटीशन को किसी सीनियर वकील द्वारा सर्टिफाइड कराया जाना आवश्यक होता है, क्योंकि इसके बाद ही सुप्रीम कोर्ट के तीन सीनियर मोस्ट जजों और जिन जजों द्वारा इस पिटीशन का फैसला सुनाया जाता है|
- पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट की उसी पीठ के समक्ष दाखिल किया जाता है, जिसके द्वारा फैसला सुनाया जाता है
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