दुनिया में ऐसे बहुत से लोग होते है, जो अपना नाम देश के इतिहास में दर्ज कर लेते है, क्योंकि वो देश के लिए कुछ ऐसा काम कर जाते है, जिससे उनका नाम लोग आज भी लेते है | इसी तरह वीर सावरकर ने भी देश के इतिहास में अपना नाम दर्ज कर दिया था | वीर सावरकर एक ऐसे महान व्यक्ति थे, जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक अलग स्थान बना लिया हैं। उनका नाम आज भी विवादों का एक उदाहरण देता है, वहीं कुछ लोग उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे महान क्रांतिकारियों में से एक मानते हैं |
वीर सावरकर एक महान वक्ता, लेखक, इतिहासकार, कवि, दार्शनिक और सामाजिक कार्यकर्ता भी रहे थे। वह एक असाधारण हिंदू विद्वान थे। उन्होंने भारतीय शब्दों का टेलीफ़ोन, फोटोग्राफी, संसद, अन्य लोगों के बीच अपना स्थान बनाया था, लेकिन अभी बहुत से लोग ऐसे है, जिन्हे वीर सावरकर के विषय में अधिक जानकारी नहीं है | इसलिए आपको भी वीर के विषय में अधिक जानकारी नहीं प्राप्त है और आप इसके विषय में जानना चाहते है, तो यहाँ पर आपको वीर सावरकर का जीवन परिचय , विचार , योगदान – वीर सावरकर की मृत्यु कैसे हुई | इसकी वस्तृत जानकारी प्रदान की जा रही है |
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प्रारंभिक जीवन (Early Life)
वीर सावरकर का मूल नाम विनायक दामोदर सावरकर था और उनका जन्म 28 मई, 1883 को नासिक के पास भगूर गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम दामोदरपंत सावरकर था और माता का नाम राधाबाई था। वह उनके चार बच्चों में से एक थे। यदि हम इनकी शिक्षा की बात करें, तो वीर सावरकर की प्रारंभिक शिक्षा शिवाजी विद्यालय, नासिक में हुई थी। जब सावरकर नौ वर्ष के ही थे, तभी उनकी मान का देहांत हो गया था | सावरकर बचपन से ही विद्रोही थे। उन्होंने बच्चों के एक गिरोह का आयोजन किया, जिसका नाम वानर सेना था तब उनकी उम्र सिर्फ ग्यारह वर्ष ही थी |
शिक्षा (Education)
वीर सावरकर अपने उच्च विद्यालय के दिनों के दौरान, शिवजी उत्सव और गणेश उत्सव का आयोजन करते थे, जोकि बालगंगधर तिलक द्वारा शुरू किया गया था, जिन्हें सावरकर अपने गुरु मानते थे, और इन अवसरों पर वे राष्ट्रवादी विषयों पर नाटकों का भी आयोजन रखते थे | इसके बाद उनके पिता की मृत्यु भी 1899 में प्लेग दौरान में हो गई थी | फिर मार्च 1901 में, उन्होंने यमुनाबाई नाम की एक महिला के साथ शादी की। विवाह के बाद 1902 में, वीर सावरकर ने पुणे में फर्गुसन कॉलेज में दाखिला लिया।
स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान (Contribution to the Freedom movement of India)
पुणे में, सावरकर ने “अभिनव भारत सोसायटी” की स्थापना की थी। वह स्वदेशी आंदोलन में भी शामिल थे और बाद में तिलक स्वराज्य पार्टी में भी अपना स्थान बना लिया | इसके बाद उनके भड़काने वाले देशभक्तिपूर्ण भाषण और गतिविधियों ने ब्रिटिश सरकार को नाराज़ कर दिया। इसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश सरकार ने उनकी बीए की डिग्री उनसे वापस ले ली।
इसके बाद जून 1906 में, वीर सावरकर, बैरीस्टर बनने के लिए लंदन गए थे। लन्दन पहुंचने के बाद उन्होंने एक बार भारतीय छात्रों को भारत में हो रहे ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट किया और साथ ही उन्होंने नि: शुल्क भारत सोसाइटी की स्थापना की थी। फिर इस सोसाइटी ने कुछ महत्वपूर्ण तिथियों को भारतीय कैलेंडर में शामिल कर लिया , जिसमे त्योहारों, स्वतंत्रता आंदोलन के स्थलों को शामिल किया गया | इसके अलावा उन्होंने अंग्रेजों से भारत को मुक्त करने के लिए हथियारों के इस्तेमाल की वकालत की और हथियारों से सुसज्जित इंग्लैंड में भारतीयों का एक नेटवर्क भी तैयार करने का काम कर दिखाया था |
वीर सावरकर ने 1908 में, द ग्रेट इंडियन विद्रोह पर एक प्रामाणिक जानकारीपूर्ण अनुसंधान किया, जिसे ब्रिटिश ने 1857 का “सिपाही विद्रोह” का बाण दे दिया था। इस पुस्तक को “द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस 1857” कहा गया था। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने तुरंत ब्रिटेन और भारत दोनों में इस पुस्तक के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगा दिया था। फिर इस पुस्तक को बाद में हॉलैंड में मैडम भिकाजीकामा ने प्रकाशित किया था, और ब्रिटिश शासन के खिलाफ देश भर में काम कर रहे क्रांतिकारियों तक पहुंचाने के लिए भारत में इसकी तस्करी भी की गई थी |
वीर सावरकर की किताबे (Books of Veer Savarkar)
सावरकर की कुछ सबसे महत्वपूर्ण साहित्यिक कृतियां है, जिनमे मजी जनमथेप, अर्क, कमला, और द इंडियन वॉर ऑफ इंडिपेंडेंस आदि शामिल हैं | इसके अलावा उनका कुछ समय जेल में बीता था, लेकिन उस दौरान उनके कई कार्य प्रेरित थे, जैसे- उनकी पुस्तक काले पानी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुख्यात सेलुलर जेल में भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं के संघर्ष को बताती है | सावरकर ‘जयोस्तुते’ और सागर प्राण तामलमाला जैसी विभिन्न कविताओं को कलमबद्ध करने के लिए भी प्रचलिते थे | वो ‘हटताम्मा’ जैसी कई बोलियों के लिए भी जाने जाते है | जिनमे “दिगदर्शन”, “दूरदर्शन”, “संसद”, “तंकलेखन”, “सप्तक”, “महापौर” और “शातकर” आदि शामिल है |
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वीर सावरकर के जीवन से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी
बिंदु(Points) | जानकारी (Information) |
जन्म (Date of Birth) | 28 मई 1883 |
जन्म स्थान (Birth Place) | बॉम्बे प्रेसीडेंसी, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु (Death) | 26 फरवरी 1966 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | बॉम्बे, भारत |
पेशा (Profession) | वकील, राजनीतिज्ञ, लेखक और कार्यकर्ता |
पिता का नाम (Father Name) | दामोदर सावरकर |
माँ का नाम (Mother Name) | राधाबाई सावरकर |
भाई-बहन (Brother and Sister) | गणेश, मैनाबाई, और नारायण |
पत्नी का नाम (Wife Name) | यमुनाबाई |
बच्चे (Children) | विश्वास, प्रभाकर, और प्रभात चिपलूनकर |
वीर सावरकर की मृत्यु (Veer Savarkar Death & Cause)
अपनी मृत्यु से ठीक पहले विनायक सावरकर ने “आत्महत्या नहीं आत्मानर्पण” जैसा एक लेख लिखा था, इसके साथ ही उन्होंने मृत्यु (आत्मरपना) तक उपवास पर एक अंतर्दृष्टि दी और कहा कि, जब किसी का जीवन का मुख्य उद्देश्य होता है तो उसे अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति देनी चाहिए | सावरकर ने 1 फरवरी 1966 को घोषणा की थी, कि वह मृत्यु तक उपवास रखेंगे और भोजन नहीं करेंगे | इसके बाद 26 फरवरी 1966 को उनके ही बॉम्बे निवास पर उनका देहांत हो गया था |
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