हिंदी एक ऐसी भाषा है जिसके माध्यम से हम अपने व्याकरण को सही कर सकते हैं और इस भाषा को सटीकता के अनुरूप गहराई से जानकारी हासिल कर सकते हैं। ऐसे में सामान्य रूप से हम हिंदी के कई ऐसे पहलू के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं जिनके माध्यम से अपने ज्ञान को विस्तार दिया जा सके।
हिंदी व्याकरण के ज्ञान को बढ़ाते हुए उसमें कुछ शब्दों का समावेश किया जाता है जो आपके लिए आवश्यक हो जाते हैं। ऐसे में आज हम आपको संज्ञा (Noun) के बारे में उचित जानकारी देने वाले हैं जो आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकते हैं।
संज्ञा (Noun) क्या है ? What is Noun in Hindi
संज्ञा की परिभाषा (Noun Definition in Hindi)
किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, गुण, भाव या स्थान के नाम के घोतक शब्द को संज्ञा (Noun) कहते हैं। संज्ञा (Noun) का अर्थ नाम होता है, क्योंकि संज्ञा किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, गुण, भाव या स्थान के नाम को दर्शाती है।
संज्ञा हिंदी व्याकरण का बहुत ही महत्वपूर्ण भाग होता है जिसके माध्यम से हम अपने वाक्यों को एक नया आधार दे सकते हैं। ऐसे में संज्ञा को किसी व्यक्ति, वस्तु, प्राणी, गुण या भाव के स्थान पर उपयोग किया जाता है।
इसके अलावा यह भी कहा जा सकता है कि संज्ञा में एक विकारी शब्द है जो प्रायः सही मायनों में वाक्यों का निर्माण करते हैं। जब भी हम संज्ञा (Sangya) के बारे में विस्तार से अध्ययन करते हैं तो हमेशा सही वाक्यों का उल्लेख किया जाता है जो कहीं ना कहीं वाक्यों को महत्वपूर्ण बनाते हैं।
संज्ञा (Sangya) के कुछ विशेष उदाहरण | Examples of Noun in Hindi
आज हम आपको संज्ञा के कुछ विशेष उदाहरणों के बारे में बताएंगे ताकि आप भी सही मायनों में इसे समझ सके।
- व्यक्ति विशेष का नाम— रामा, सरिता, श्वेता, मोहन, सुरेश, शारदा, नेहा इत्यादि।
- वस्तु का नाम— अलमारी, पेन, मोबाइल, चारपाई, बैग, कपड़े, जेवर आदि।
- भाव का नाम— दया, करुणा, गुस्सा, प्रेम, आश्चर्य, क्रोध, प्रेम इत्यादि।
- स्थान का नाम— दिल्ली, मुंबई, जयपुर, इलाहाबाद, मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश आदि।
संज्ञा (Sangya) के कुछ मुख्य भेद
संज्ञा के कुल पांच भेद होते हैं जो अलग-अलग प्रकार से हमारे व्याख्या की उल्लेख करते हैं और जिसके माध्यम से हम अपने वाक्य को सरलता के साथ जाहिर कर सकते हैं।
- व्यक्तिवाचक संज्ञा |
- भाववाचक संज्ञा |
- जातिवाचक संज्ञा |
- द्रव्यवाचक संज्ञा |
- समूहवाचक संज्ञा |
व्यक्तिवाचक संज्ञा
व्यक्तिवाचक संज्ञा एक ऐसी संज्ञा है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति विशेष के लिए किया जाता हो और साथ ही साथ इसके अतिरिक्त स्थान विशेष और वस्तु विशेष का भी जिसमें खास तौर पर उल्लेख किया जाता हो। यह व्यक्तिवाचक संज्ञा एकवचन के रूप में है लेकिन हम कभी-कभी अपने वाक्यों में व्यक्तिवाचक संज्ञा का उपयोग बहुवचन के रूप में भी करते हैं।
जैसे: – अजय खाना खाने गया। इस वाक्य में मुख्य रूप से किसी एक व्यक्ति के बारे में जानकारी दी गई है इसलिए इसे व्यक्तिवाचक संज्ञा के नाम से जाना जाता है।
व्यक्तिवाचक संज्ञा के कुछ विशेष उदाहरण
- नैना अच्छा नृत्य करती है।
- राजू अच्छा गाना गाता है।
- राम का हाथी भाग गया।
- मेरे चाचा विदेश घूमने गए।
- हमारे देश का नेता कुशल होना चाहिए।
भाववाचक संज्ञा
भाववाचक संज्ञा ऐसी संज्ञा है जिसके अंतर्गत आप विभिन्न प्रकार के भावो का अध्ययन कर सकते हैं। जिसमें मुख्य रुप से प्रेम, सम्मान, प्रसन्नता, लालच ,क्रोध, आश्चर्य जैसे भाव उत्पन्न होते हैं और कहीं ना कहीं विशेष रूप से भाव का बोध कराते हैं।
जब किसी भाववाचक संज्ञा का उल्लेख करते हैं तो उसके माध्यम से हम संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विशेषण से संबंधित शब्दों का भी उल्लेख कर पाते हैं।
भाववाचक संज्ञा के कुछ विशेष उदाहरण
- आज मुझे उस पर बहुत क्रोध आया।
- नेहा की इमानदारी मुझे बहुत पसंद आती है।
- बचपन मैं हमें बहुत सारे खिलौने मिल जाते हैं।
- मेरी दादी ने मुझे सिखाया है कि लालच करना बुरी बात है।
- व्यक्ति चाहे छोटा हो या बड़ा हमें उनमे से बराबरी से सम्मान देना चाहिए।
सर्वनाम शब्दों के माध्यम से भाववाचक संज्ञा बनाना
अगर आप भाववाचक संज्ञा बनाना चाहते हैं तो आप इसके लिए सर्वनाम शब्दों का इस्तेमाल कर सकते हैं जिसके माध्यम से आप नए नए शब्दों का भी इस्तेमाल करते हैं।
- अपना + पन = अपनापन
- पराया + पन = पराया पन
- अहम + कार = अहंकार
विशेषण से मुख्य भाववाचक संज्ञा बनाना
अगर आप चाहे तो विशेषण का उपयोग करते हुए भी कई प्रकार से भाववाचक संज्ञा बनाया जा सकता है। यह, कहीं ना कहीं आपके लिए महत्वपूर्ण हो जाता है जो कई मायनों में आसान नहीं होता है।
- छोटा + पन = छोटापन
- सुंदर + ता = सुंदरता
- बुरा + ई = बुराई
- मीठा + आस = मिठास
स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा क्या है ?
जब भी हम भाववाचक संज्ञा के बारे में बात करते हैं तो वहां पर हमें एक अन्य भाववाचक की जानकारी प्राप्त होती है जिसे स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा कहा जाता है। स्वतंत्र भाववाचक संज्ञा ऐसी संख्या होती है जिसमें किसी भी प्रकार का प्रत्यय नहीं जुड़ा होता है और जिनके माध्यम से एक अलग प्रकार का भाव समझ में आता है ऐसी संज्ञा को भाववाचक संज्ञा कहा जाता है।
जिसके अंतर्गत उदाहरण के तौर पर हम सुख-दुख, प्रेम दुलार, रोग, ममता आदि को समझ सकते हैं।
जातिवाचक संज्ञा
मूल रूप से जातिवाचक संज्ञा एक ऐसी संज्ञा होती है जिसके माध्यम से किसी विशेष व्यक्ति, स्थान या वस्तु का बोध होता है और जिसके बाद से ही हम इस संज्ञा के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
इसके अंतर्गत मूल रूप से पशु, पक्षी, व्यक्ति, देश-विदेश, नदियां, महासागर, झीले इत्यादि भी आ सकते हैं। यहां पर यह भी ध्यान दिया जाता है कि विशेष रूप से अकारांत क्रिया वाचक शब्दों का भी इस्तेमाल किया जाता है जहां शब्दों को एक अलग ही भाव दिया जाता है।
यहां पर अगर आप चाहे तो विशेष रुप से उस समूह की भी जानकारी रखी जाती है जो उस जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत आते हैं।
जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण
- सभी पक्षी पेड़ पर रहना पसंद करते हैं।
- सभी प्राणियों में मनुष्य का मस्तिष्क सबसे तेज होता है।
- जिराफ की गर्दन सबसे ऊंची होती है।
- सभी गांव वाले शहर की ओर नौकरी की तलाश में जा रहे हैं।
- मुझे अपने सभी भाइयों से बहुत प्यार है।
द्रव्यवाचक संज्ञा
यह संज्ञा ऐसी संज्ञा है जिसके अंतर्गत किसी भी प्रकार के द्रव्य पदार्थ धातु या धातु को इंगित किया जाता है इससे संबंधित जानकारी प्राप्त की जाती है। द्रव्यवाचक संज्ञा प्रत्येक अवस्था में अलग-अलग होती है जहां हम अलग-अलग माध्यमों से इस संज्ञा के बारे में उचित जानकारी देते हैं।
- ठोस अवस्था हेतु— सोना, चांदी, लोहा इत्यादि।
- द्रव अवस्था हेतु— पानी, दूध, शरबत आदि।
- गैस अवस्था हेतु— ऑक्सीजन, हाइड्रोजन, नाइट्रोजन आदि।
द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण
- मुझे शरबत पीना बहुत अच्छा लगता है।
- कभी कभी रात में सोने के पहले गाय का दूध पीना अच्छा होता है।
- कुछ प्रमुख गैस से हमारे जीवन के लिए बहुत आवश्यक होती है।
- समय के साथ साथ जेवर बनाने हेतु सोने की बिक्री भी तेजी से होती है।
- बारिश के मौसम में लोहे में जंग लगना आसान हो जाता है।
समूहवाचक संज्ञा
यह एक ऐसी संज्ञा है जिसके माध्यम से विशेष रूप से समूह का बोध होता है फिर वह चाहे व्यक्ति वस्तु ही क्यों ना हो? समूहवाचक संज्ञा का उपयोग मुख्य रूप से शब्दों के माध्यम से किया जाता है जहां पर विस्तृत आधार देने की बात आती है।
समूहवाचक संज्ञा का उदाहरण
- आज हम लोग धुलाई करने का कार्य करेंगे।
- बकरियों का समूह घास चरने जा रहा है।
- इस कमरे की सारे कुर्सियों को दूसरे कमरे में रख दो।
- आज सभी विद्यार्थियों को खेलने का समय चाहिए।
उत्पत्ति के आधार पर क्रिया के कितने भेद होते हैं ?
संज्ञा बहुत ही विस्तृत रूप में देखी जाती है जहां पर अगर आप उत्पत्ति के आधार पर इसका अध्ययन करें तो तीन प्रकार की संज्ञा प्राप्त होती है–
रूढ़ संज्ञा
यह संज्ञा का वह भेद होता है जिसके माध्यम से प्रत्येक रूप निरर्थक साबित हो जाता है और जहां पर अलग-अलग अर्थ नहीं दिया जा सकता है। इस प्रकार की संज्ञा कई बार इस्तेमाल होती है जिसका हम हिंदी के अंतर्गत अध्ययन करते हैं।
उदाहरण के तौर पर घर, डर, हल, बल आदि। ऐसे में हम विचार कर सकते हैं कि जब इन दो अक्षरों वाले शब्दों को अलग अलग किया जाए तो इनका कोई भी विशेष अर्थ प्राप्त नहीं होता है जिसके माध्यम से कहा जा सकता है कि संज्ञा के भेद में रूढ़ संज्ञा का भी कुछ महत्व माना जाता है।
योगिक संज्ञा
इस संज्ञा का उपयोग उस समय किया जाता है जब एक से अधिक सार्थक शब्द मिल जाते हैं और नया शब्द बनाते हैं। उदाहरण के तौर पर हिमसागर। इसमें यदि “हिम” और “सागर” को अलग अलग किया जाए तो भी शब्द बना रहता है लेकिन अगर इन्हें मिला दिया जाए तो निश्चित रूप से ही नया शब्द प्राप्त होता है।
योगरूढ़ संज्ञा
इस संज्ञा का उपयोग उस समय किया जाता है जब कोई भी शब्द अपने मूल अर्थ को छोड़कर विशेष अर्थ को दर्शाया जाए और जिसके माध्यम से शब्दों में विकास देखा जा सके।
उदाहरण के तौर पर नीरज एक ऐसा शब्द है जिसमें नीर का अर्थ “पानी” होता है और ज का अर्थ “जन्मा” होता है। अगर संपूर्ण रूप से विचार किया जाए तो इसका अर्थ पानी में जन्म लेने वाला होता है।
संज्ञा का विशेष उपयोग | Uses of Noun in Hindi
जब भी हम हिंदी व्याकरण की बात करते हैं तो उसमें निश्चित रूप से ही संज्ञा का इस्तेमाल किया जाता है ताकि सही तरीके से वाक्यों का उपयोग करते हुए वाक्यो को बढ़ाया जा सके।
इस तरह जब भी हम हिंदी भाषा का उपयोग लिखने या बोलने के लिए करते हैं, तो निश्चित रूप से ही संज्ञा का उपयोग करना लाजमी होता है जहां इनके उपयोग कर लेने से ही वाक्य में नयापन आता है और वाक्य से हमें नया व्याकरण प्राप्त होता है।
ऐसे में कई बार हम संज्ञा का उपयोग पाठ्य पुस्तकों में करते हैं और इनका उपयोग विशेष रूप से हिंदी के लेखकों के माध्यम से किया जाता है जिन्हें हिंदी भाषा की विस्तृत और विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त होती है। ऐसे में जब भी आपको कभी हिंदी भाषा की विस्तृत जानकारी हासिल करना है आप संज्ञा का उपयोग कर सकते हैं।