दुनिया में ऐसे बहुत से लोग है, जो सरकारी या प्राइवेट प्राप्त करने में सफलता प्राप्त कर लेते है, क्योंकि जीवन में नौकरी का बहुत अधिक महत्व होता है | जिन लोगों को नौकरी प्राप्त हो जाती है, तो उन लोगों का जीवन भी सुरक्षित हो जाता है, और वहीं जिन लोगों को सरकारी नौकरी प्राप्त हो जाती है | उन्हें फिर अपने जीवन में नौकरी को लेकर किसी भी प्रकार की कोई भी समस्या नहीं होती है, क्योंकि सरकारी नौकरी प्राप्त करने का मतलब भविष्य में कहीं भी आपको किसी दूसरी नौकरी के लिए भटकना नहीं पड़ता है |
इसलिए अधिकतर लोग अपने जीवन में सरकारी प्राप्त करने की पूरी कोशिश करते है | इसके साथ ही सरकारी या प्राइवेट नौकरी करने वाले व्यक्तियों को वर्तमान के साथ-साथ भविष्य के लिए भी कई सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती है | इसी तरह एक प्रोविडेंट फण्ड होता है। यह एक ऐसा फण्ड होता है, जिसके विषय में हर नौकरीपेशा व्यक्ति जानकारी रखने की कोशिश करता है, क्योंकि इस रकम के आधार पर ही हर वर्किंग पर्सन अपने रिटायरमेंट के बाद की जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए प्लान कर पाता है।
पीएफ फंड सरकारी या प्राइवेट नौकरी करने वालों (जहाँ 20 से अधिक कर्मचारी कार्यरत हो) व्यक्तियों की सैलरी से काटा जाता है और बाद में उन्हें यह पीएफ वापस भी कर दिया जाता है | प्रोविडेंट फण्ड (PF) को एम्प्लोयी प्रोविडेंट फण्ड या ईपीएफ (EPF) भी कहाँ जाता है | इसलिए यदि आपको प्रोविडेंट फण्ड के विषय अधिक जानकारी नहीं प्राप्त है और आप प्रोविडेंट फण्ड के विषय में जनना चाहते है, तो यहाँ पर आपको प्रोविडेंट फण्ड क्या होता है , PF Explained in Hindi ,पीएफ के नियम, लाभ क्या है ? इसकी पूरी जानकारी प्रदान की जा रही है |
प्रोविडेंट फण्ड (PF) का क्या मतलब होता है ?
प्रोविडेंट फण्ड या पीएफ एक प्रकार का रिटायरमेंट फण्ड होता है, जो प्रमुख रूप से रिटायरमेंट के बाद की जरूरतों को पूरा करने के लिए लोगों प्रदान किया जाता है। इसके अलावा इस फंड को सोशल सिक्योरिटी कवर भी कहा जाता है | यह पीएफ फंड सामान्य तौर पर किसी सरकारी या प्राइवेट फर्म में काम करने वाले कर्मचारी की बेसिक सैलरी (Basic Salary) + डीए (DA) का 12% हिस्सा काट लिया जाता है , लेकिन यह फंड उन कंपनियों पर लागू किया जाता है , जिन कंपनियों में कुल कर्मचारियों की संख्या 20 से भी अधिक होती है |
पीएफ (PF) अकाउंट में जमा की जाने वाली राशि
पीएफ एक्ट के तहत कंपनी में काम करने वाले कर्मचारी की बेसिक सैलरी + डीए का 12% पीएफ अकाउंट में भेजा जाता है। वहीं कर्मचारी की बेसिक सैलरी + डीए का 12% कंपनी भी Contribute कर ली जाती है। कंपनी के 12% में से 3.67% कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में और शेष 8.33% कर्मचारी के पेंशन अकाउंट (EPS) में भेज दिया जाता है | लेकिन यदि कर्मचारी का वेतन 15 हज़ार से कम है तभी वह एम्प्लोयी पेंशन स्कीम का लाभ ले पायेगा नहीं तो 12 प्रतिशत EPF फण्ड में ही दाल दिया जाएगा |
पीएफ (PF) के लाभ
पीएफ के लिए किसी को नॉमिनी बनाया जा सकता है ?
यदि कंपनी आपका पीएफ काटता है, तो आप अपने पीएफ के लिए परिवार के किसी सदस्य को नॉमिनी बना सकते है, जो EPF अकाउंट होल्डर की मृत्यु की स्थिति में पीएफ में जमा रकम का हकदार होगा या होगी |
ईपीएफ पर प्राप्त हो सकती हैं पेंशन ?
यदि आप पीएफ अकाउंट में जमा होने वाली राशि का कुछ हिस्सा पेंशन अकाउंट में भी ट्रांसफर करना चाहते हैं तो आपकी राशि का कुछ हिस्सा पेंशन अकाउंट में भी ट्रांसफर किया जा सकता है। यदि आप ऐसा करते हैं, तो कुछ टर्म एंड कंडीशन के तहत एक समय सीमा के बाद आप पेंशन भी प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए आपकी न्यूनतम आयु 58 वर्ष होनी चाहिए और आपका सेवाकाल कम से कम 10 साल का होना जरूरी होता है और यदि आप 10 साल से पहले आप पीएफ निकाल चुके हैं तो आप पेंशन नहीं प्राप्त कर सकते है |
6 लाख तक का इंश्योरेंस करा सकते है ?
यदि आप किसी बड़ी कंपनी में काम करते हैं और आपका प्रोविडेंट फण्ड काटा लिया जाता है, तो आपको आपके अकाउंट पर बाई डिफॉल्ट बीमा मिलता भी प्राप्त हो सकता है। इसलिए आपको EDLI (एंप्लॉई डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस) योजना के तहत आपके पीएफ अकाउंट पर 6 लाख रुपये तक इंश्योरेंस उपलब्ध कराया जाता है। आप इसका लाभ किसी बीमारी, एक्सीडेंट या मृत्यु की स्थिति में बहुत ही आसानी के साथ उठा सकते है |
इनएक्टिव अकाउंट पर भी ब्याज भी प्राप्त हो सकता है ?
यदि आपका पीएफ अकाउंट 3 साल से अधिक समय तक निष्क्रिय है, तो आप उन पर भी ब्याज ले सकते है | इसलिए ऐसे में नौकरी बदलते समय पीएफ अकाउंट भी ट्रांसफर करा लेना आवश्यक होता है, ताकि आप नियमित राशि पर ब्याज प्राप्त कर सके, लेकिन यदि आप ऐसा नहीं करते है, तो आपको 5 साल से अधिक समय अकाउंट इनएक्टिव रहने पर विथड्रॉल के समय टैक्स चुकाना पड़ सकता है |
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ईपीएफ (EPF) कब निकाल सकते है ?
यदि आप ईपीएफ (EPF) बीच में ही निकालना चाहते है, तो आप केवल किसी मजबूत कारण वश ही इसे बीच में निकाल सकते है, जिसके लिए कोई मजबूत कारण बताना होता है, जैसे-
- स्वयं की शादी
- बच्चों की शादी
- बच्चों की शिक्षा
- आपके या परिवार के किसी सदस्य का इलाज
- होम लोन चुकाना
- घर की मरम्मत या घर बनाना आदि
पीएफ (PF) के नियम
किसी भी कंपनी में काम करने पर आप और आपकी कंपनी दोनों को आपकी मासिक आय का 12% EPF खाता में डालना होता है, जिसके बाद आपके हिस्से का 12% EPF सीधे आपके खाता में जमा हो जाता है , लेकिन कंपनी के 12% में से 3.67% EPF और बाकी 8. 33% EPS (Employee Pension Scheme) में भेज दिया जाता है | इसका मतलब यह है कि , यदि आपकी मासिक आय 50,000 है तो उसके 12% के हिसाब से आपके 6,000 रूपए सीधे आपके EPF खाते में कंपनी द्वारा भेज दिए जाएंगे और कंपनी की तरफ से 1835( 3.67 % ) EPF में और शेष 4145 रुपए (8. 33%) EPS (एम्प्लायर पेंशन स्कीम) में जाएगें।
यहाँ पर हमने आपको प्रोविडेंट फण्ड के विषय में जानकारी उपलब्ध कराई है | यदि आप इस जानकारी से संतुष्ट है, या फिर इससे समबन्धित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट करे और अपना सुझाव दे सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का जल्द ही निवारण किया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे |
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