भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में फुटबॉल और बास्केटबॉल की तरह हैंडबॉल भी खेला जाता है | हालाँकि मिलते-जुलते नामों के कारण अक्सर लोग भ्रमित हो जाते है, जबकि यह खेल एक दूसरे से बिलकुल अलग है और इनके नियमों में भी काफी अंतर होता है | ऐसा माना जाता है, कि हैंडबॉल (Handball) गेम की उत्पत्ति 19वीं शताब्दी में डेनमार्क, स्विडन और जर्मनी में हुई थी |
हैंडबॉल का एक प्रदर्शंनकारी मैच वर्ष 1928 के एम्सटर्डम ओलपिक खेलों में खेला गया था, जिसमें विश्व के लगभग 11 देशों नें भाग लिया था | वर्ष 1936 में हैंडबॉल को बर्लिन में आयोजित ओलंपिक में शामिल किया गया था | हालाँकि भारत में इस खेल की शुरुआत वर्ष 1970 में हुई थी | हैंडबॉल कैसे खेला जाता है और हैंडबॉल के नियम के बारें में आपको यहाँ पूरी जानकारी विस्तार से दे रहे है |
हैंडबॉल का इतिहास (History Of Handball Game)
आधुनिक हैण्डबॉल के जन्मदाता श्रेय डेनमार्क को माना जाता है, हालाँकि आधुनिक हैण्डबॉल के नियम एक जिम शिक्षक होल्गर नेल्सन द्वारा वर्ष 1898 में बनाये थे, जिनका प्रकाशन वर्ष 1906 में हुआ था | इसके पश्चात वर्ष 1917 में हैण्डबॉल के नियमों का एक और संग्रह जर्मनी के मैक्स हैजर एवं उनके दो साथियों द्वारा प्रकाशित किए गये थे | इन खेल नियमों के आधार पर हैण्डबॉल का पहला अंतर्राष्ट्रीय मैच 1925 में जर्मनी और बेल्जियम के बीच 1925 में खेला गया था और 1926 में अंतर्राष्ट्रीय हैण्डबॉल संघ की स्थापना हुई थी |
भारत में हैंडबॉल की शुरुआत वर्ष 1970 में हुई थी और भारत में इस खेल को लोकप्रिय बनानें के लिए वर्ष 1970 में ‘हैंडबॉल एसोशियेसन ऑफ इंडिया’ की स्थापना की गयी। इस एसोशियेसन के माध्यम से देश में विभिन्न स्तरों पर हैंडबॉल प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है | भारत में पहली राष्ट्रीय स्कूली हैंडबॉल प्रतियोगिता का आयोजन वर्ष 1981 में किया गया था और 1982 में यह एशियाई खेलों में शामिल हुआ था |
हैंडबॉल खेल के मैदान की माप (Handball Playground Measurement)
हैंडबॉल खेलनें के लिए एक आयताकार मैदान जिसे कोर्ट कहते है, जिसकी लम्बाई 40 मीटर और चौड़ाई 20 मीटर होती है। गोल रेखा के बीच में गोल पोस्ट लगा होता है और गोल पोस्ट के बीच तीन मीटर का फासला होता है | गोल पोस्ट 2 मीटर ऊंचाई पर क्रॉस बाँर से आपस में जुड़े रहते है | गोल पोस्ट पर पीछे कि ओर जाली का प्रयोग किया जाता है, जिसमे बॉल पीछे कि ओर न जा सके |
कोर्ट के अंदर दोनों गोल पोस्ट में 6 मीटर एवं 9 मीटर की दूरी पर अध्द्रवृत्ताकार रेखाए अंकित की जाती है | संपूर्ण मैदान दो भांगों में बांटा जाता है | विभाजित करने वाली रेखा को सेंटर लाइन कहा जाता है |
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हैंडबॉल खेलनें की प्रक्रिया (Process of Playing Handball)
हैंडबॉल दो टीमों के बीच खेले जानें वाला एक लोकप्रिय खेल है | प्रत्येक टीम ने कुल खिलाड़ी होते है, जिसमें से 1 गोलकीपर होता है | यह खेल रेफरी की सीटी बजने के साथ ही खेल का समय प्रारम्भ हो जाता है | इस खेल में खिलाड़ियों का मुख्य उद्देश्य अपनी विरोधी टीम के गोल में बॉल फ़ेकना होता है और यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है, जब तक समय समाप्त नहीं हो जाता है |
यह खेल 30-30 की दो परियों में खेला जाता है और इन दोनों परियों के बीच 10 मिनट का ब्रेक दिया जाता है | यदि दोनों टीमो का स्कोर बराबर होता है, तो 5 मिनट के अंतराल के पश्चात् 5-5 मिनट के दो अर्द्ध खेले जाते हैं। इनके बीच 1 मिनट का अंतराल लिया जाता है। इसमें भी मैच के बराबर होने की स्थिति में 7 मीटर थ्रो से निर्णय सुनिश्चित किया जाता है |
हैंडबॉल के नियम (Handball Rules)
- खेल के दौरान खिलाडियों को गोल करने के लिए एक सीमा निर्धारित होती है अर्थात एक निश्चित दूरी से ही गोल कर सकते है | इस दौरान यदि वह सीमा रेखा क्रॉस कर जाते है तो यह फ़ाउल माना जाता है |
- इस खेल के नियमों के अनुसार प्रत्येक खिलाड़ी बॉल को अपनें पास 3 सेकेंड से अधिक नहीं रख सकता यदि वह ऐसा करता है, तो फ़ाउल माना जता है |
- गोल करने वाले खिलादो को गोल पॉइंट से 3 मीटर की दूरी पर होना आवश्यक है |
- यदि कोई खिलाड़ी अपनी विपक्षी टीम की बॉल पासिंग में हस्तक्षेप करता है, तो उस खिलाड़ी को 2 मिनट के लिए खेल से बाहर कर दिया जाता है |
- रैफरी की सीटी बजने के 3 सैकण्ड में 7-मीटर थ्रो ले लिया जाना चाहिए एवं गेंद के हाथ में से छूटने से पहले फेकने वाले के द्वारा 7 मीटर रेखा को स्पर्श नहीं किया जाना चाहिए |
हैंडबॉल खेल से सम्बंधित जानकारी (Information About Handball Game)
1.गेंद (Ball)
बॉल का बाहरी भाग चमड़े का बना होता है, इसके अन्दर रबर का एक ब्लेडर होता है जिसमें हवा भरी जाती है | पुरुषों के लिए बॉल की परिधि 58 सेमी० से 60 सेमी० तथा बॉल का भार 425 से 475 ग्राम होता है जबकि महिलाओं के लिए बॉल की परिधि 53 से 56 सेमी० तथा बाल का भार 325 से 400 ग्राम तक होता है |
2.थ्रो–इन (Throw In)
खेल के दौरान जब बॉल सीमा रेखा से बाहर चली जाती है, तो गेंद को थ्रो-इन करके वापस खेल में लाया जाता है | थ्रो-इन उस टीम का खिलाड़ी करता है, जिस टीम के खिलाड़ी द्वारा गेंद सीमा रेखा से बाहर न गई हो |
3.फ्री-थ्रो (Free Throw)
यह एक विशेष प्रकार का फ़ाउल होता है, इसका प्रयोग खिलाड़ियों द्वारा नियमों का उल्लंघन करनें पर किया जाता है | जैसे कि किसी खिलाड़ी को बाधा पहुचाने पर, गोलकीपर द्वारा नियम तोड़ने पर, कोर्ट में अवैध ढंग से प्रवेश करने पर और उचित ढ़ंग से थ्रो-इन न करने पर |
4.कॉर्नर–थ्रो (Corner Throw)
किसी खिलाड़ी द्वारा शॉट मारनें के दौरान यदि बॉल गोलकीपर को छूकर कोर्ट से बाहर चली जाती है तो ऐसी स्थिति में विपक्षी टीम को कॉर्नर-थ्रो दिया जाता है और यह कार्नर थ्रो उसी स्थान से लिए जाता है, जिस स्थान से बॉल बाहर जाती है |
5.पेनल्टी-थ्रो (Penalty Throw)
पेनल्टी-थ्रो भी एक प्रकार का फ़ाउल है | यदि किसी खिलाड़ी द्वारा अपने क्षेत्र के अर्धभाग में कोई फ़ाउल कर देता है या अपनी ही टीम का कोई खिलाड़ी अपने ही गोल क्षेत्र में प्रवेश कर जाता है तो ऐसी स्थिति में उसके विरुद्ध पेनल्टी-थ्रो दिया जाता है |
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यहाँ आपको हैंडबॉल (Handball) के बारे में जानकारी दी गई है | यदि आपको इससे सम्बंधित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आप www.hindiraj.com पर विजिट कर सकते है | इसके साथ अपने विचार या सुझाव अथवा प्रश्न कमेंट बॉक्स के माध्यम से पूंछ सकते है | हम आपके सुझावों का हमे इन्तजार है |