निजीकरण क्या होता है



वर्तमान समय में लोग सरकारी संस्थानों की अपेक्षा निजी संस्थानों को अधिक महत्व देते है, क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में कार्यों को प्राथमिकता दी जाती है जबकि सरकारी संस्थाओं में नौकरशाही का बोल बाला होता है, जिससे कार्यों की गुणवत्ता बहुत खराब रहती है। उदाहरण के लिए यदि हम एक विद्यालय की बात करे तो, आज के समय में सभी लोग अपनें बच्चों का एडमीशन प्राइवेट स्कूल में कराते है |

जबकि एक नजरिये से देखा जाये तो गवर्नमेंट एक सरकारी विद्यालय पर लाखों रुपये प्रतिमाह खर्च करती है, इसके बावजूद भी शिक्षा की गुणवत्ता में कोई खास प्रभाव नही होता है | इसके आलावा ऐसे कई सेक्टर है, जो सरकारी होते हुए भी अपनें कार्यों के प्रति लापरवाही करते है, जिससे देश का आर्थिक क्षति पहुचती है | ऐसे में सरकार द्वारा निजीकरण की नीति अपनाई जा रही है, निजीकरण क्या होता है, इसके उद्देश्य के बारें में आपको यहाँ पूरी जानकारी दे रहे है |

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निजीकरण का क्या मतलब होता है?

निजीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके द्वारा सार्वजानिक क्षेत्र को किसी निजी कम्पनी के हाथों में सौप दिया जाता है | दूसरे शब्दों में जब सरकार के स्वामित्व वाला व्यवसाय, संचालन, या संपत्ति एक निजी या गैर-सरकारी पार्टी के स्वामित्व में हो जाती है, तो उसे निजीकरण कहते है |

यदि देखा जाये तो निजीकरण की नीति प्राचीन काल से अपनाई जा रही है | बीसवीं सदी के पूर्व यूनानी सरकार नें लगभग सभी गवर्नमेंट आर्गेनाइजेशनस को निजी क्षेत्र के हाथों में सौप दिया था, यहो कार्य रोमन सरकार नें भी किया | बीसवीं सदी के बाद की बाद की बात करे तो नाजी हुकूमत नें जर्मनी में अनेक गवर्नमेंट आर्गेनाइजेशनस को निजी क्षेत्र को सौंप दिया था। इसी प्रकार इंग्लैंड ने भी 1950 के दशक में इस्पात उद्योगों का निजीकरण कर दिया था |

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निजीकरण कैसे होता है (How Does Privatization)

दरअसल सरकारी कंपनियां दो तरीकों से निजी कंपनियों में परिवर्तित हो जाती हैं, जो इस प्रकार है-

1. विनिवेश (Disinvestment) 

विनिवेश का मतलब किसी कार्य में लगायी गयी पूँजी वापस लेना है | भारत में मुख्य रूप से किसी कम्पनी की परफॉरमेंस अर्थात कार्यों की गुणवत्ता सुधारनें के लिए यही किया जाता है | इसके अंतर्गत सरकारी कंपनी या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम के हिस्से को निजी क्षेत्रों के हाथों बेचकर विनिवेश किया जाता है। सरकार द्वारा इन कम्पनियों के शेयर बेचनें का मुख्य उद्देश्य वित्तीय अनुशासन में सुधार और आधुनिकीकरण की सुविधा देना होता है। जैसे कि नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन (एनटीपीसी), एयर इंडिया, ओएनजीसी आदि कई ऐसी कम्पनिया है, जिनमें सरकार द्वारा विनिवेश किया गया है |

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2. स्वामित्व का हस्तांतरण (Transfer of Ownership) 

स्वामित्व का हस्तांतरण का मतलब सरकार द्वारा कंपनी की एकमुश्त बिक्री कर दी जाती है अर्थात उस सरकारी कम्पनी पर सरकार का किसी प्रकार का स्वामित्व और प्रबंधन नहीं रह जाता है | सरकार का उस कम्पनी में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं होता है |  

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निजीकरण के उद्देश्य (Privatization Objectives)

निजीकरण विकसित और विकासशील दुनिया के कई हिस्सों में एक चलन है। निजीकरण के समर्थकों के अनुसार, निजी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा अधिक कुशल प्रथाओं को बढ़ावा देती है, जो अंततः बेहतर सेवा और उत्पादों, कम कीमतों और कम भ्रष्टाचार का उत्पादन करती है। दूसरी ओर, निजीकरण के आलोचकों का तर्क है कि कुछ सेवाएं – जैसे स्वास्थ्य देखभाल, उपयोगिताओं, शिक्षा और कानून प्रवर्तन – सार्वजनिक क्षेत्र में होनी चाहिए ताकि अधिक नियंत्रण को सक्षम किया जा सके और अधिक न्यायसंगत पहुंच सुनिश्चित की जा सके। निजीकरण के उद्देश्य इस प्रकार है-

  • सार्वजनिक उद्यमों की परिचालन दक्षता में सुधार करने के लिए ।
  • उद्योगों में प्रतिस्पर्धी कुशलता विकसित करना।
  • घाटे के बजट के लिए संसाधन तैयार करना।
  • घरेलू उद्योगों के वैश्वीकरण के लिए।
  • विदेशी पूंजी को आमंत्रित करने के लिए।
  • निर्यात प्रोत्साहन के माध्यम से विदेशी मुद्रा अर्जित करना।
  • दक्षता के साथ देश के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करना
  • कंपनी देश के आर्थिक संसाधनों पर व्यापक सार्वजनिक स्वामित्व उभरने के लिए।
  • तेजी से औद्योगिकीकरण के लिए वातावरण तैयार करना ।
  • सरकार द्वारा कल्याणकारी गतिविधियों को प्राथमिकता देना।
  • वाणिज्यिक आधार पर सार्वजनिक उद्यम संचालित करने के लिए।
  • सरकार को घाटे में चल रहे उद्यमों से मुक्त करने के लिए।
  • औद्योगिक शांति की रक्षा के लिए |

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भारत में निजीकरण का ईतिहास (History of Privatization In India)

भारत एक मिश्रित अर्थव्यवस्था (निजी और सार्वजानिक क्षेत्र) वाला देश है और भारत में निजीकरण की नीति की शुरुआत वर्ष 1991 से हुई | वर्ष 1991 की नई औद्योगिक नीति में सार्वजनिक क्षेत्र के लिए कई सुधार उपाय शामिल किये गये, जिसके तहत घाटे में चल रही कम्पनियों को निजी क्षेत्रो में बेचना था इसके साथ ही निजी निजी भागीदारी के लिए बढ़ावा दिया गया और 1991 से लेकर अब तक विभिन्न क्षेत्रो में समय-समय पर कई बार प्राइवेटाइजेशन किया गया है |  

वर्ष 1997 में सरकार नें सार्वजनिक क्षेत्र की 11 कंपनियां जो लाभ की स्थिति में थी, उन्हें नवरत्न का दर्जा दिया इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के इन उपक्रमों को पर्याप्त स्वायत्तता भी प्रदान की गयी ताकि वह अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सके | यह उपक्रम एमटीएनएल, वीएसएनएल, आईओसी, एचएएल, बीपीसीएल, सेल और गेल आदि है |

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