WWW (डब्लू. डब्लू. डब्लू) क्या है



आज के इस टेक्निकल युग में लगभग लोग इन्टरनेट का प्रयोग करते है, यहाँ तक कि पनें अधिकांश कार्य जैसे बिजली के बिल का भुगतान, रेलवे टिकट बुक करना आदि इंटरनेट की सहायता से घर बैठे ही कर लेते है | इन सभी कार्यों को करनें के लिए हमें अलग-अलग वेबसाइट पर जाना पड़ता है |

आपनें अक्सर देखा होगा कि किसी भी वेबसाइट के नाम पहले www अवश्य लगा होता है | ऐसे में प्रश्न उठता है, कि आखिर यह www क्या है ? तो आईये जानते है, कि WWW (डब्लू. डब्लू. डब्लू) क्या है और इसके फुल फॉर्म के बारें में पूरी जानकारी |

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डब्लू. डब्लू. डब्लू का फुल फॉर्म (WWW Full Form)

डब्लू. डब्लू. डब्लू  (WWW) का फुल फॉर्म “वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web)” होता है, इसके साथ ही इसे W3 के नाम से भी जाना जाता है | डब्लू. डब्लू. डब्लू  को हिंदी में इसे “विश्वव्यापी वेब” कहते है | डब्लू. डब्लू. डब्लू  को मुख्य रूप से वेब के रूप में जाना जाता है, एक वेब पेज में Text, Image और अन्य मल्टीमीडिया आदि हो सकते है |

WWW Full Form In EnglishWorld Wide Web
डब्लू. डब्लू. डब्लू विश्वव्यापी वेब

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वर्ल्ड वाइड वेब का क्या मतलब होता है ?

वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) एक ऐसी सूचना प्रणाली है, जहां दुनिया की सभी वेबसाइटस स्टोर रहती है | दरअसल वर्ल्ड वाइड वेब और इन्टरनेट का आपस में गहरा सम्बन्ध है और दोनों एक दूसरे पर निर्भर है |  डब्लू. डब्लू. डब्लू  सूचनाओं का एक ऐसा भंडार है, जो लिनक्स (Links) के रूप में होता है |

इसी टेक्नोलाजी के माध्यम से पूरी दुनिया के कंप्यूटर एक दुसरे से जुड़े हुए हैं | वर्ल्ड वाइड वेब एचटीएमएल (HTML), एचटीटीपी (HTTP), वेब सर्वर (Web Server) और वेब ब्राउज़र (Web Browser) पर वर्क करता है | किसी भी वेबसाइट के नाम को यूआरएल (यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर) भी कहा जाता है |

जब हम किसी वेबसाइट को ओपन करना चाहते है तो एड्रेस बार मे उस वेबसाइट का नाम या उसका यूआरएल लिखते है | आपके द्वारा दिए गये नाम की सहायता से ब्राउजर प्रोग्राम उस सर्वर तक पहुच जाता है जहा वह फाइल स्टोर की गयी है और उससे एक वेबपेज प्राप्त करने के पश्चात हमारे कम्प्यूटर स्क्रीन पर शो कर देता है |   

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वर्ल्ड वाइड वेब कार्य कैसे करता है (How The WWW Works)

हम सभी जानते है कि किसी भी प्रकार की वेबसाइट का डाटा वेब सर्वर में स्टोर रहता है, और वेब सर्वर के माध्यम से ही वेबसाइट का डाटा हमारे पास आता है | जब हम ब्राउज़र के एड्रेस बार में वेबसाइट का नाम लिखते है, तो ब्राउज़र उसे आईपी एड्रेस में कन्वर्ट कर देता है और उस आईपी एड्रेस को वर्ल्ड वाइड वेब में सर्च किया जाता है |

जिस सर्वर में वह आईपी एड्रेस मैच करता है, वर्ल्ड वाइड वेब उस सर्वर को हमारे ब्राउज़र से कनेक्ट कर देता है | इस प्रकार हम सरलता से उस वेबसाइट की फाइल या डाटा को अपनी डिवाइस में यूज़ करते है |

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जब किसी यूजर द्वारा वर्ल्ड वाइड वेब के माध्यम से किसी वेबसाइट को एक्सेस किया जाता है, तो इसमें कुछ टेक्नोलाजी का यूज़ होता है जो इस प्रकार है-

HTML (Hyper Text Markup Language)

एचटीएमएल एक प्रकार की भाषा है, जिसका उपयोग वेब पेज बनानें में किया जाता है | एक वेबसाइट अनेक वेब पेजेज से मिलकर बनी होती है |       

Web Server

सर्वर एक विशेष प्रकार का कंप्यूटर होता है, जिसमें वेबसाइट के सभी कंटेंट जैसे वेब पेजेज, वीडियोज अनेक प्रकार की इमेज आदि को स्टोर किया जाता है | यह सर्वर वर्ल्ड वाइड वेब से जॉइंट होता है, ताकि इन कंटेंटस को वर्ड के किसी भी कोनें से एक्सेस किया जा सके |

HTTP (Hyper Text Transfer Protocol)

किसी भी कंप्यूटर नेटवर्क में सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए कुछ नियम बनाये गये हैं, जिन्हें प्रोटोकाल कहते है। वर्ल्ड वाइड वेब में कोई इन्फॉर्मेशन सर्वर से आपके कंप्यूटर तक पहुँचती है, तो इसके लिए HTTP प्रोटोकाल का उपयोग होता है।

URL (Uniform Resource Locator)

यूआरएल अर्थात यूनिफार्म रिसोर्स लोकेटर एक प्रकार का एड्रेस है, जो इस बात की जानकारी उपलब्ध कराता है कि कोई डॉक्यूमेंट वेब में किस लोकेशन पर है | 

Web Browser

वेब ब्राउज़र एक प्रकार का सॉफ्टवेयर है, जिसका उपयोग हम प्रतिदिन अपने मोबाइल या कंप्यूटर में किसी वेबसाइट को एक्सेस करने के लिए करते हैं | इसमें एक एड्रेस बार होता है जिसमें यूआरएल लिखकर उस वेबसाइट तक पहुचते है |  

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वर्ल्ड वाइड वेब का इतिहास (History Of World Wide Web)

टिम बर्नर्स ली (Tim Berners-Lee)  वर्ल्ड वाइड वेब का जनक माना जाता है | टिम बर्नर्स एक ब्रिटिश कंप्यूटर साइंटिस्ट थे, जो यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन (CERN) में कार्य करते थे | उन्होंने CERN में कार्य करते हुए वर्ष 1989 में वर्ल्ड वाइड वेब का अविष्कार किया था |

दरअसल टिम बर्नर्स को बचपन से ही कंप्यूटर में बहुत अधिक दिलचस्पी थी और वह प्रतिदिन कंप्यूटर पर नए-नए प्रयोग किया करते थे | अपनी शिक्षा पूरी करनें के पश्चात वर्ष 1984 में यूरोपीय देशों की नाभिकीय प्रयोगशाला (CERN) में कार्य करनें लगे | यहाँ पर टीम का मुख्य कार्य प्रयोगशाला की सूचनाओं को एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में ट्रान्सफर करना था, परन्तु इस कार्य में समय अधिक लगता था |

इस समस्या को लेकर टिम के मन में यह बात आयी कि कुछ ऐसा किया जाये, जिससे सभी इन्फॉर्मेशन को एक ही कंप्यूटर पर रखा जाए और उसे अलग-अलग कंप्यूटर से एक्सेस  किया जा सके | टिम नें इस पर कार्य करना आरंभ किया और इंटरनेट के माध्यम से कम्युनिकेशन की एक ऐसी तकनीक का अविष्कार किया, जिसे वेब कहा जाता है |

टिम बर्नर्स नें वर्ष 1991 में दुनिया की पहली वेबसाइट http://info.cern.ch/ का निर्माण किया | इस प्रकार दुनिया की पहली वेबसाइट टिम बर्नर्स ली द्वारा बनायी गयी | सर टिम को दुनिया का पहला वेब ब्राउज़र और संपादक बनाने का श्रेय दिया जाता है |         

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