देश की आजादी के बाद अभी तक लोकसभा के 16 चुनाव संपूर्ण हो चुके हैं। लोकसभा बन जाने के पश्चात उसका कार्यकाल 5 साल के लिए होता है। इसके पश्चात फिर से इलेक्शन कमिशन (Election Commission of India) के द्वारा चुनाव करवाया जाता है और फिर से लोकसभा का गठन होता है।
लोकसभा के पास अपना खुद का टीवी चैनल भी मौजूद है जिस पर लोकसभा में जो भी कार्रवाई होती है उस कार्यवाही का टेलीकास्ट होता है। लोकसभा में जो सदस्य रहते हैं उन्हें एमपी कहा जाता है। आइए “लोकसभा सांसद कौन होता है” और “लोकसभा सांसद कैसे बना जाता है ? और इससे सम्बन्धित अन्य महत्वपूर्ण बातें जानती है।
लोकसभा और राज्यसभा में अंतर क्या है?
लोकसभा सांसद [Member of Parliament] कौन है?
लोकसभा सांसद को अंग्रेजी में MP कहां जाता है, जिसका पूरा नाम मेंबर ऑफ पार्लियामेंट होता है और इसे मातृभाषा में संसद का सदस्य कहा जाता है। जो भी व्यक्ति लोकसभा सांसद होता है, वह नई दिल्ली में मौजूद संसद भवन में बैठता है।
संसद भवन का अन्य नाम पार्लियामेंट भी होता है। संसद भवन एक ऐसी जगह है जहां पर अलग-अलग पार्टी के चुने हुए सांसद बैठते हैं और देश के विकास से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा भी पार्लियामेंट में ही होती है, जिसमें सभी सांसद अपनी अपनी राय रखते हैं।
संसद में लोकसभा और राज्यसभा दोनों ही आती है। बता दें कि लोकसभा को लोअर हाउस कहा जाता है और लोकसभा में जो भी सदस्य बैठते हैं, उनका चुनाव जनता के द्वारा वोटिंग के तौर पर किया जाता है। हमारे भारतीय संविधान में कुल 552 सीट उपलब्ध है, जिसमें से तकरीबन 545 में से 543 सीट पर जनता के द्वारा चुने हुए व्यक्ति काबिज है और 2 सीट पर दो व्यक्तियों को मनोनीत किया जाता है।
लोकसभा सांसद कैसे बनते हैं ?
जो भी व्यक्ति भारतीय संसद में बैठता है, उसे सांसद कहा जाता है और सांसद वही व्यक्ति बनता है जिसे हमारे देश की जनता के द्वारा निर्वाचित किया जाता है और उसे दिल्ली में मौजूद संसद भवन में भेजा जाता है। यह सांसद अपने अपने क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं और यह अपने इलाके में उपलब्ध समस्याओं के बारे में संसद में विचार रखते हैं और उन समस्याओं को दूर कराने का प्रयास करते हैं।
हमारे देश की शासन प्रणाली में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है जिसके अंतर्गत लोकसभा और राज्यसभा का गठन किया गया है और इन दोनों ही सभाओं के मेंबर को मेंबर ऑफ पार्लियामेंट कहा जाता है।
बता दे कि हर 5 साल में लोकसभा का इलेक्शन होता है और हर 5 साल में आयोजित होने वाले इस इलेक्शन में जितने भी प्रत्याशी चुनाव लड़ने वाले होते हैं, वह चुनाव लड़ते हैं और जनता के द्वारा वोटिंग की जाती है।
जनता के द्वारा की गई वोटिंग के पश्चात वोटिंग की गिनती होती है और जिस प्रत्याशी को सबसे अधिक वोट प्राप्त हुए होते हैं उसे ही विजेता घोषित किया जाता है और जो व्यक्ति विजेता घोषित होता है उसे ही सांसद कहा जाता है।
जो आवेदक जहां से इलेक्शन जीते हुए होते हैं वहां का प्रतिनिधित्व करते हैं और वह अपने इलाके की समस्याओं के बारे में सरकार को बताते हैं और अपने इलाके के डेवलपमेंट के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। लोकसभा के प्रमुख नेता के तौर पर हमारे भारत देश के प्रधानमंत्री को कहा गया है।
लोकसभा सांसद का कार्यकाल
जितनी भी नई लोकसभा का गठन होता है उनका कार्यकाल 5 साल के लिए होता है अर्थात नई लोकसभा बनने के पश्चात वह 5 साल तक सरकार चलाती है। इन 5 सालों में वह विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण योजनाएं लाती है, साथ ही कानून व्यवस्था पर भी उसका फोकस रहता है।
जब 5 साल पूरे हो जाते है, तब इलेक्शन कमिशन के द्वारा फिर से इलेक्शन का आयोजन किया जाता है और एक निश्चित तारीख को वोटिंग जनता के द्वारा करवाई जाती है।
जो बड़े राज्य है, वहां पर कई चरणों में मतदान करवाया जाता है और छोटे राज्यों में एक साथ ही मतदान करवाया जाता है। इस प्रकार इलेक्शन में जो प्रत्याशी विजय होते हैं, उन्हें एमपी बनने का मौका प्राप्त होता है।
एमपी बन जाने के पश्चात वह अपने पद को संभालते हैं और जब वह अपने पद से रिटायर हो जाते हैं तब हमारे भारत देश की सरकार के द्वारा उन्हें कई प्रकार की सुविधाएं पेंशन और भत्ते दिए जाते हैं और यह सभी सुविधाएं एमपी को अपनी जिंदगी के आखिरी समय तक प्राप्त होती रहती है। यही नहीं इन्हें अन्य कई सुविधाएं भी गवर्नमेंट के द्वारा दी जाती है।
बता दे कि राज्यसभा में जो सदस्य होते हैं, उन्हें चुनने का अधिकार विधानसभा के निर्वाचित मेंबर के पास होता है। अगर कोई विधेयक प्रस्तुत किया जाता है तो उसे राज्यसभा में भी पास कराना जरूरी है साथ ही उसे लोकसभा में भी पास कराना जरूरी है।
लोकसभा का गठन
लोकसभा का गठन करने की प्रक्रिया वर्ष 1951 में 25 अक्टूबर के दिन चालू हुई थी और वर्ष 1952 में 21 फरवरी के दिन यह प्रकिया सम्पन्न हुई। इसके पहले सामान्य इलेक्शन संपन्न होने के बाद साल 1952 में 17 अप्रैल को लोकसभा का पहली बार गठन हुआ था।
हमारे भारत देश की जो संसद है, उसका निर्माण राज्यसभा, राष्ट्रपति और लोकसभा से मिलकर के होता है और लोकसभा में जो भी मेंबर बैठते हैं, उन्हें जनता के द्वारा ही चुना जाता है।
जनता के द्वारा वोटिंग के आधार पर जिस उम्मीदवार को सबसे ज्यादा वोट प्राप्त होते हैं उसे ही लोकसभा में बैठने का मौका मिलता है। लोकसभा में जो भी व्यक्ति बैठता है उसका कार्यकाल 5 साल का होता है।
5 साल के बाद वह चाहे तो फिर से इलेक्शन लड़ सकता है और अगर इलेक्शन में उसे विजय हासिल होती है तो वह फिर से लोकसभा में बैठ सकता है। लोकसभा के अंदर किसी भी मीडिया कर्मी को जाने की बिल्कुल भी परमिशन नहीं है।
लोकसभा सांसद बनने की योग्यता
ऐसे लोग जो लोकसभा सांसद बनना चाहते हैं, उन्हें कुछ योग्यताएं को भी पूरा करना होता है, जिसकी जानकारी नीचे आपको प्रदान की गई है।
- जो भी व्यक्ति सांसद का चुनाव लड़ना चाहता है उसे भारत का नागरिक होना आवश्यक होता है।
- लोकसभा का मेंबर बनने के लिए व्यक्ति की कम से कम उम्र 25 साल होनी चाहिए वही अगर व्यक्ति राज्यसभा का मेंबर बनना चाहता है तो इसके लिए कम से कम उम्र 30 साल होनी चाहिए।
- व्यक्ति ना तो पागल होना चाहिए, ना ही वह दिवालिया होना चाहिए।
- हमारे इंडिया के संविधान के प्रति व्यक्ति को सच्ची निष्ठा होनी चाहिए।
- व्यक्ति का नाम वोटर लिस्ट में भी अवश्य होना चाहिए।
लोकसभा सांसद का वेतन व भत्ता
हमारे देश के संविधान के अनुच्छेद 106 के अंतर्गत भारत के सांसदों के पास यह अधिकार मौजूद है कि वह कानून बना करके अपनी सैलरी और अपने भत्ते का डिसीजन ले सकें। हमारे देश के जो सांसद है, उनकी सैलरी और उन्हें प्राप्त होने वाले भत्ते दूसरे देशों के सांसदों से काफी अलग हैं।
हमारे इंडिया में जो व्यक्ति सांसद बनता है उसे रहने के लिए गवर्नमेंट आवास दिया जाता है। वहीं दूसरी तरफ ब्रिटेन जैसे देश में अगर कोई व्यक्ति सांसद बनने के पश्चात किराए के मकान पर रहता है तो उसे भत्ता प्राप्त होता है परंतु अमेरिका जैसे देश में सांसद को ऐसा कोई भी भत्ता नहीं प्राप्त होता है।
देश की संसद में साल 1985 में एक कानून तैयार हुआ था। उस कानून के अंतर्गत केंद्र सरकार को कार्यालय भत्ते, आवासीय और कुछ निश्चित भत्ते को निर्धारित करने की पावर प्राप्त हुई थी।
इसके बाद साल 2018 में सांसद की सैलरी में संशोधन किया गया और इस संशोधन के मुताबिक यह हुआ कि सांसद की सैलरी, उन्हें मिलने वाली पेंशन और उन्हें प्राप्त होने वाले भत्ते को हर 5 साल में बढ़ाया जाएगा। इस प्रकार कैबिनेट मिनिस्टर की हर महीने की तनख्वाह ₹100000 के आसपास में है।
इसके अलावा उन्हें अपना कर्तव्य पालन करने के लिए रोजाना ₹2000, अपने निर्वाचन इलाके के लिए 70000 निर्वाचन भत्ता और तकरीबन 60000 कार्यालय भत्ता हर महीने प्राप्त होता है। इसके साथ ही सांसद को पानी, बिजली, रेल, टेलीफोन, मेडिकल सहित अन्य कई सुविधाएं भी मुफ्त में प्राप्त होती है।
साथ ही अगर वह हवाई जहाज से यात्रा करते हैं तो उन्हें किराए में भी भारी भरकम डिस्काउंट प्राप्त होता है, साथ ही इन्हें टोल टैक्स भी नहीं देना पड़ता है। इनके लिए टोल टैक्स फ्री होता है।
लोकसभा सांसद के मुख्य कार्य
- लोकसभा सांसद के पद पर काबिज व्यक्ति को निम्न कार्य करने पड़ते हैं।
- लोकसभा के सांसद विधान बनाने का काम करते हैं। इसके अलावा वह विभिन्न मुद्दों पर चर्चा भी करते हैं, साथ ही आलोचना भी करते हैं और लोगों की शिकायतों के बारे में भी बताते हैं।
- लोकसभा के सांसद कानून में सुधार करने की प्रक्रिया के बारे में भी बातचीत करते हैं और नए कानून की आवश्यकता पर भी सदन में प्रस्ताव प्रस्तुत करते हैं।
- कामकाजी विषयों की चर्चा में भी लोकसभा सांसद सदन में भाग लेते हैं।
- लोकसभा के सांसद को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के इलेक्शन में अपना वोट देने का अधिकार होता है।
सांसद को कितनी सैलरी मिलती है ?
भारत में लोकसभा सीटों का आवंटन
नीचे आपके समक्ष हमने भारत में लोकसभा की कितनी सीटें कौन से राज्य में आती है, इसकी जानकारी दी है।
उत्तर प्रदेश: | 80 |
महाराष्ट्र: | 48 |
आंध्र प्रदेश: | 42 |
पश्चिम बंगाल: | 42 |
बिहार: | 40 |
तमिलनाडु: | 39 |
मध्य प्रदेश: | 29 |
कर्नाटक: | 28 |
गुजरात: | 26 |
राजस्थान: | 25 |
उड़ीसा: | 21 |
केरल: | 20 |
असम: | 14 |
झारखंड: | 14 |
पंजाब: | 13 |
छत्तीसगढ़: | 11 |
हरियाणा: | 10 |
जम्मू कश्मीर: | 6 |
उत्तराखंड: | 5 |
हिमाचल प्रदेश: | 4 |
अरुणाचल प्रदेश: | 2 |
गोवा: | 2 |
त्रिपुरा: | 2 |
मणिपुर: | 2 |
मेघालय: | 2 |
नागालैंड: | 1 |
मिजोरम: | 1 |
सिक्किम: | 1 |
दिल्ली: | 7 |
अंडमान निकोबार: | 1 |
चंडीगढ़: | 1 |
दमन दीव: | 1 |
दादरा नगर हवेली: 1 | 1 |
पांडिचेरी: | 1 |
लक्षद्वीप: | 1 |
FAQ:
लोकसभा सांसद को क्या कहते हैं?
एमपी
एमपी का फुल फॉर्म क्या होता है?
मेंबर ऑफ पार्लियामेंट
लोकसभा सांसद का कार्यकाल कितने समय का होता है?
5 साल
भारत में सबसे ज्यादा लोकसभा सीट कौन से राज्य में है?
उत्तर प्रदेश
लोकसभा का सदस्य बनने के लिए कम से कम उम्र कितनी होनी चाहिए?
25 साल